सूखा उत्तर प्रदेश की एक गंभीर समस्या है। इसे नियंत्रित करने हेतु राज्य सरकार के उपायों का वर्णन करें।

उत्तर की संरचनाः

भूमिका:

  • संक्षेप में उत्तर प्रदेश में सूखा की समस्या को बताएं।

मुख्य भाग:

  • सुखा के विविध कारणों को बताए।
  • उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सूखा की समस्या के निदान हेतु चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं का वर्णन करें।

निष्कर्ष:

  • कुछ अन्य सुझावों के साथ निष्कर्ष दें।

उत्तर

भूमिकाः

सुखा वर्षा की कमी से उत्पन्न होने वाला संकट है। जब कभी यह संकट बहत अधिक जन और धन की क्षति करता है तो वह आपदा का रूप धारण कर लेता है। उत्तर प्रदेश में सूखा एक गंभीर पर्यावरणीय संकट है। प्रदेश के 4 आर्थिक क्षेत्रों में से बदेलखंड क्षेत्र इस समस्या से सर्वाधिक प्रभावित है। ललितपुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट, जालैन, फतेहपुर, औरैया, इटावा इत्यादि जिलों में सूखे की समस्या प्रतिवर्ष उत्पन्न होती है जो आर्थिक, सामाजिक और अन्य संकटों को जन्म देता है।

मुख्य भागः

उत्तर प्रदेश में सूखा कई कारणों से आपदा का रूप ले जा रहा है। इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं-

  • मानसून की अनिश्चितता-प्रदेश में अधिकांश मानसूनी वर्षा जुलाई से सितंबर के मध्य होती है लेकिन मानसून की तिथि और अवधि अनिश्चित है। औसतन 10 वर्षों में केवल 2 वर्ष ही मानसून का समय पर आगमन और समापन होता है।
  • मानसून विच्छेद-मानसून विच्छेद का तात्पर्य है मानसूनी वर्षा के दौरान वर्षम तलना होकर कुछ दिनों के अंतराल पर होना। प्रदेश में मानसून काल के दौरान कभी कभी लगातार एक महीने तक वर्षा नहीं होती है।
  • स्थलाकृति ढाल-प्रदेश की दक्षिणी पठारी क्षेत्र में स्थलाकृति ढाल तीव्र है। इस कारण मानसूनी वर्षा का जल संग्रहित न होकर नदियों के माध्यम से व्यर्थ हो जाता है।
  • अकुशल जल प्रबंधन- प्रदेश में जल प्रबंधन और कुशल रहा है। पुराने तालाब और कुओं के माध्यम से भौम जल संभरण की पद्धति के स्थान पर ट्यूबवेल से सिंचाई ने अनियंत्रित भौम जल दोहन की स्थिति उत्पन्न की है।
  • अवैज्ञानिक कृषि-प्रदेश के पठारी क्षेत्रों में कृषि जलवायु के अनुसार संपादित नहीं होती है। शुष्कतारोधी फसलों के स्थान पर चावल, गेहूं इत्यादि की खेती समस्या उत्पन्न करती है।

सूखे की समस्या के निदान हेतु राज्य सरकार के प्रयास

राज्य सरकार द्वारा सूखे के कुशल प्रबंधन हेतु निम्नलिखित योजनाएं एवं कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है

  • बहुउद्देशीय परियोजना-राज्य सरकार द्वारा सूखे की समस्या के निदान हेतु विभिन्न बहुद्देशीय परियोजना का निर्माण किया गया है। इनमें घाघरा नहर, माताटीला नहर, मेजा जलाशय परियोजना, बाणगंगा परियोजना तथा बेतवा और केन इत्यादि नहर परियोजना प्रमुख है।
  • लघु सिंचाई परियोजना-प्रदेश सरकार द्वारा ट्यूबवेल और डीजल पंप की सहायता से सिंचाई के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा छोटे जलाशय, तालाब, चेक डैम इत्यादि के निर्माण हेतु अनुदान भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।
  • विशेष राहत पैकेज-राज्य सरकार द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के राहत पैकेज उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इन क्षेत्रों में अंत्योदय परिवारों को विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्रियों उपलब्ध करवाई जा रही है। साथ ही पशुओं के लिए चारा भी उपलब्ध करवाया जाता है।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम-राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम लाया गया है। अधिनियम के अंतर्गत मुख्यमंत्री और जिला अधिकारी को क्रमशः राज्य आपदा प्रबंधन और जिला आपदा प्रबंधन का अध्यक्ष बनाया गया है। अधिनियम के तहत सखा प्रभावित क्षेत्रों की पहचान और इन क्षेत्रों में सखा रोधी प्रयासों को प्रमुखता दी गई है।
  • आपदा प्रबंधन और विकास परियोजना का समन्वय-राज्य सरकार द्वारा विकासात्मक परियोजनाओं आवास योजना, मनरेगा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, सर्व शिक्षा अभियान तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन विकासात्मक योजनाओं को आपदा जोखिम न्यूनीकरण कार्यक्रम के अंतर्गत लाया गया है। इससे सूखा प्रभार ने क्षमता निर्माण और बचाव के कार्य अधिक प्रभावी होंगे।
  • अन्य कार्यक्रम-इसके अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सूखा रोधी फसलों का प्रचारकिसानों में जागरूकता तथा अन्य आर्थिक गतिविधियां जैसे डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर इत्यादि का विकास जा रहा है।

निष्कर्षः

सूखा की समस्या उत्तर प्रदेश के लिए गंभीर है। इस समस्या के समाधान हेतु बहुआयामी प्रयास करने की आवश्यकता है। कृषि जलवायु के आधार पर फसल का चुनाव सिंचाई के लिए छिड़काव और टपकन पद्धति, नहरों के सतह का पक्कीकरण, पशुपालन एवं डेयरी का विकास तथा सामाजिक एवं कृषि वानिकी इत्यादि को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। साथ ही द्वितीयक एवं तृतीयक आर्थिक गतिविधियों का प्रसार भी अनिवार्य है।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.