तापमान व्युत्क्रमण की परिघटना: जैवमंडल पर पड़ने वाले प्रभाव
प्रश्न: वायुमंडल में तापमान व्युत्क्रमण की परिघटना हेतु उत्तरदायी परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए। इसके विभिन्न प्रकारों का सविस्तार वर्णन करते हुए, इसके द्वारा जैवमंडल पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण:
- तापमान व्युत्क्रमण की परिघटना का वर्णन कीजिए।
- तापमान व्युत्क्रमण के घटित होने के लिए आदर्श परिस्थितियों को सूचीबद्ध कीजिए।
- इसके प्रकारों तथा इसके परिणामस्वरूप मौसम व वनस्पति के साथ-साथ मानव अधिवासों पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
तापमान का व्युत्क्रमण विशिष्ट परिस्थितियों में, ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में होने वाली गिरावट की सामान्य प्रवृत्ति की विपरीत स्थिति को संदर्भित करता है।
तापमान व्युत्क्रमण के लिए आदर्श परिस्थितियां:
- दीर्घ शीतकालीन रात्रि, ताकि रात्रि के दौरान धरातलीय सतह से होने वाले पार्थिव विकिरण द्वारा ऊष्मा की हानि, आगामी सौर विकिरण की तुलना में अधिक हो।
- स्वच्छ आकाश, ताकि विकिरण अबाधित रूप से जारी रहे।
- शांत और स्थिर वायु, ताकि वायुमंडल की निचली परतों में किसी भी प्रकार का ऊर्ध्वाधर मिश्रण न हो।
- वायु की मंद गति, जिससे कि वायुमंडल की निचली परतों में ऊष्मा का स्थानान्तरण और मिश्रण न हो।
- हिम आच्छादित धरातलीय सतह, ताकि आगामी सौर विकिरणों का अधिकतम परावर्तन हो सके।
तापमान व्युत्क्रमण के प्रकार:
- धरातलीय व्युत्क्रमण (भू-पृष्ठीय तापमान व्युत्क्रमण): धरातलीय व्युत्क्रमण का विकास तब होता है जब अपेक्षाकृत ठंडी धरातलीय सतह के संपर्क में आने से वायु ऊपरी वायुमंडल की तुलना में अधिक ठंडी हो जाती है।
- अवतलन व्युत्क्रमण (ऊपरी भू-पृष्ठीय तापमान व्युत्क्रमण): इसका विकास तब होता है जब वायु की एक विस्तृत परत नीचे उतरती है और वायुमंडलीय दाब में वृद्धि के परिणामस्वरूप सम्पीडित एवं गर्म हो जाती है, परिणामतः तापमान की सामान्य ह्रास दर कम हो जाती है।
- वाताग्री व्युत्क्रमण (अभिवहन प्रकार का तापमान व्युत्क्रमण): यह तब घटित होता है जब एक शीत वायुराशि उष्ण वायुराशि के नीचे स्थापित हो जाती है और उष्ण वायुराशि को ऊपर उठा देती है।
- अंतरा पर्वतीय घाटियों में तापमान व्युत्क्रमण (वायु अपवाह प्रकार का तापमान व्युत्क्रमण): कभी-कभी ढालयुक्त सतह के क्षेत्रों में, सतह द्वारा अंतरिक्ष की ओर ऊष्मा को तीव्रता से वापस विकिरित किया जाता है और साथ ही ऊपरी परतों की तुलना में वह तीव्र दर से ठंडी हो जाती है। सतह के पास की निचली ठंडी परतें संघनित और भारी हो जाती हैं तथा पार्श्व सतह के साथ-साथ नीचे की ओर अपवाहित होती हैं जबकि ऊपरी परतें अपेक्षाकृत उष्ण होती हैं।
प्रभाव
- इसके कारण कोहरे का निर्माण होता है और परिणामस्वरूप स्मॉग (धूम कोहरा) की उत्पत्ति होती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए विषाक्त और खतरनाक होता है।
- धूल और स्मॉग के कणों के संचयन के कारण दृश्यता में कमी हो सकती है। चूंकि व्युत्क्रमण के आधार के समीप स्थित वायु ठंडी होती है, अतः इस स्थान पर कोहरा प्रायः ही उपस्थित होता है।
- तापमान व्युत्क्रमण के कारण तुषार का निर्माण होता है जो निश्चित रूप से आर्थिक तौर पर एक प्रतिकूल मौसमी परिघटना (मुख्यत: फसलों के लिए) है।
- तापमान व्युत्क्रमण के कारण वायुमंडलीय स्थिरता उत्पन्न हो जाती है जो वायु के आरोहण एवं अवरोहण को बाधित करती है। इसके परिणामस्वरूप वर्षा में कमी आती है और शुष्क परिस्थतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं।
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