मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा मृदा प्रदूषण पर “सॉइल पॉल्यूशन: ए हिडन रियलिटी” (Soil Pollution: A Hidden Reality) नामक एक रिपोर्ट जारी की गई।

मृदा प्रदूषण के कारण

  • ज्वालामुखीय विस्फोट, दावानल, ब्रह्मांड की उत्पत्ति, उल्कापिंड जैसी प्राकृतिक घटनाएं भी प्राकृतिक प्रदूषण का कारण हो सकती | हैं जब इनके द्वारा पर्यावरण में विभिन्न प्रकार के विषाक्त तत्व निर्मुक्त किए जाते हैं।
  • मानवजनित स्रोत: असंधारणीय कृषि पद्धतियां, औद्योगिक गतिविधियां एवं खनन, अनुपचारित शहरी अपशिष्ट, परिवहन,
    कीटनाशक अनुप्रयोगों से उत्पन्न कण (spray drift) और कई पदार्थों का अपूर्ण दहन।

विश्व भर में विशेष रूप से लेड बैटरी से संबंधित पुनर्चक्रण उद्योगों की मृदा प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों के रूप में पहचान की गई सैन्य गतिविधियां और युद्ध: विध्वंसकारी और रसायनों वाले नॉन-डिग्रेडेबल वेपन्स के उपयोग ने मृदा स्वास्थ्य को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचाई है। प्राकृतिक कारकों और मुख्यतः चेरनोबिल घटनाओं जैसे मानवजनित कारकों के कारण मृदा में रेडियोन्युक्लिआइड की मात्रा में वृद्धि ।
उभरते हुए प्रदूषक: इसके अंतर्गत फार्मास्यूटिकल्स, एंडोक्राइन डिसरप्टर्स, हॉर्मोन, विषाक्त पदार्थ एवं अन्य रासायन तथा
जैविक प्रदूषक, जैसे- मृदा में सूक्ष्म प्रदूषक (बैक्टीरिया और वायरस) आदि सम्मिलित हैं।

मृदा प्रदूषण का प्रभाव

  • प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण: मृदा प्रदूषण मृदा में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों और मृदा पर निर्भर बड़े जीवों द्वारा प्रदान की जाने
    वाली प्रमुख पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमानों के अनुसार है विश्व भर में दो अरब लोग मृदा-संचरित कृमि (हेलमिंथ) से संक्रमित हैं।
  • खाद्य संदूषण: संदूषित मृदा के संपर्क को भारी धातु, रेडियोधर्मी नाभिक, परसिस्टेंट ऑर्गेनिक पोल्यूटेंट आदि के जैव-संचयन के कारण खाद्य संदूषण के संभावित स्रोत के रूप में पहचाना गया है।
  • एंटी माइक्रोबियल रेसिस्टेंट बैक्टीरिया और जीन का संचय: मानव एवं पशु चिकित्सा, पशुधन और कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं के व्यापक उपयोग और दुरुपयोग जैसी मानवीय गतिविधियों के कारण मृदा अत्यधिक प्रतिरोधी रोगजनक बैक्टीरिया का भंडार बन गई है।
  • खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव: मृदा प्रदूषण फसल उपज को कम करके खाद्य सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करता है।
  • कृषि उत्पादकता में कमी: भारत में मृदा क्षरण 147 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
  • उर्वरक एवं कीटनाशक के अत्यधिक उपयोग और माइक्रोबियल गतिविधि के कारण पोषक तत्वों का निक्षालन मृदा अम्लीकरण का
    कारण बनता है।
  • एक सिंक होल के रूप में मृदा: ठोस अपशिष्ट की डंपिंग के लिए मृदा का एक सिंक के रूप में उपयोग किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार इस मृदा द्वारा 2025 तक 2.2 अरब टन वार्षिक उत्पादन किया जा सकता है।

मृदा प्रदूषण के बारे में

  • यह किसी भी रासायन अथवा अन्य पदार्थ की मृदा में अनुपयुक्त उपस्थिति और/अथवा इनकी सामान्य सांद्रता से अधिकता को संदर्भित करता है जो गैर-लक्षित जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
  • स्टेटस ऑफ़ वर्ल्ड सॉइल रिसोर्स रिपोर्ट (SWSR) ने मृदा प्रदूषण की पहचान वैश्विक मृदा और उसके द्वारा प्रदान की जाने
    वाली पारिस्थितिकी सेवाओं को प्रभावित करने वाले मुख्य मृदा खतरों में से एक के रूप में की है।

मृदा प्रदूषण के विभिन्न प्रकार

  • बिंदु-स्रोत प्रदूषण (Point-Source Pollution): एक विशेष क्षेत्र के भीतर एक विशिष्ट घटना अथवा घटनाओं की एक श्रृंखला के कारण होने वाला मृदा प्रदूषण, जिसमें प्रदूषक मृदा में निर्मुक्त किए जाते हैं तथा प्रदूषण के स्रोत और प्रदूषक की सुगमतापूर्वक पहचान की जाती है। बिंदु-स्रोत प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में मानवजनित गतिविधियां सर्वप्रमुख हैं और यह शहरी क्षेत्रों में सामान्य है।
  • विसरित प्रदूषण (Diffuse Pollution): यह प्रदूषण व्यापक क्षेत्रों में फैला होता है, जो मृदा में संचयित होता है और इसका एकल अथवा सुगमता से पहचाना जाने वाला स्रोत नहीं होता है। इसमें पवन-मृदा-जल तंत्र के माध्यम से प्रदूषकों का परिवहन शामिल होता है।

अंतरराष्ट्रीय सहयोग

  • ग्लोबल सिम्पोजियम ऑन सॉइल पोल्यूशन (GSOP18): यह मृदा प्रदूषण की स्थिति, प्रवृत्तियों एवं कार्यों तथा मानव स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण पर इसके हानिकारक प्रभावों के संबंध में नवीनतम आंकड़ों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच के निर्माण हेतु एक कदम है।
  • इंटरनेशनल नेटवर्क ऑफ़ ब्लैक सॉइल: यह विश्लेषणात्मक रिपोर्ट तैयार करके तथा ज्ञान साझाकरण एवं तकनीकी सहयोग के लिए मंच के रूप में कार्य करके काली मिट्टी के संरक्षण और दीर्घकालिक उत्पादकता को बढ़ावा देगा।
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन इंटरनेशनल प्रोग्राम ऑन केमिकल सेफ्टी ने 10 रसायनों अथवा रसायनों के समूह की पहचान की है। जो प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी जोखिम उत्पन्न करते हैं और इनमें मृदा प्रदूषक जैसे कैडमियम, सीसा, पारा, डाइऑक्सिन एवं डाइऑक्सिन जैसे पदार्थ और अत्यधिक खतरनाक कीटनाशक शामिल हैं।

मृदा स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इसमें व्यक्तिगत खेतों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों और उर्वरकों की फसल-वार सिफारिशें शामिल हैं। इसका उद्देश्य किसानों को आगत के उचित उपयोग के माध्यम से उत्पादकता में सुधार करने में सहायता प्रदान
    करना है।
  • नीम लेपित यूरिया को यूरिया के उपयोग को नियंत्रित करने, फसल के लिए इसकी उपलब्धता बढ़ाने और उर्वरक उपयोग की
    लागत को कम करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) यह योजना देश में जैविक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लागू की जा रही है। यह | मृदा स्वास्थ्य और जैविक उत्पादन में सुधार करेगी।

आगे की राह

  • संस्थागत ढांचा: FAO की वर्ल्ड सॉइल चार्टर ने अनुशंसा की है कि राष्ट्रीय सरकारों को मृदा प्रदूषण पर नियमों को कार्यान्वित करना चाहिए और मानवीय स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुनिश्चित करने हेतु हानिकारक पोषक तत्वों के संचय को सीमित करना चाहिए।
  • कृषि स्रोतों से प्रदूषण को सीमित करने हेतु धारणीय मृदा प्रबंधन पद्धतियों, जैसे- पोषक स्रोतों की मात्रा निर्धारित करना, उर्वरक की आवश्यक मात्रा प्रदान करने के लिए मृदा परीक्षण, मृदा क्षरण और नाइट्रेट के निक्षालन को कम करने के लिए फसल आवरण,पोषक तत्वों की हानि को कम करने हेतु न्यूनतम जुताई को बढ़ावा देना।
  • धारणीय मृदा प्रबंधन व्यवस्था में सुधार के लिए विकासशील और अल्प विकसित देशों में सूचना संबंधी अंतराल में सुधार करना।
  • अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना: मापन, उपचार निगरानी और मृदा चक्र को बेहतर ढंग से समझने के लिए नए तरीकों को विकसित करना।
  • उपचारित अपशिष्ट जल के उपयोग को प्रोत्साहित करना: कृषि सिंचाई के संदर्भ में जलाभाव के मुद्दे का समाधान करने एवं फसल उत्पादकता में वृद्धि के लिए पोषक तत्वों को बढ़ाने हेतु।
  • शहरी अपशिष्ट में विद्यमान दूषित पदार्थों एवं रोगजनक जीवों को कम करने के लिए कंपोस्टिंग और पूर्व-उपचार जैसी संधारणीय तकनीकों का उपयोग करना।
  • स्व-स्थाने मृदा उपचार को बढ़ावा देना: यह जैव उपचार, फाइटो रेमेडिएशन, बायोचार का उपयोग, नैनोकणों का अनुप्रयोग, एंजाइम-आधारित जैव उपचार इत्यादि के माध्यम से किया जा सकता है ताकि पशु अपशिष्ट को स्थिर करने और इसे उपयोगी कार्बनिक उर्वरक में परिवर्तित करने के लिए एक किफायती और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल दृष्टिकोण प्रदान किया जा सके।
  • कृषि रसायन उद्योग को कार्बनिक जैविक उत्पादों के उत्पादन में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना, जो मृदा स्वास्थ्य के सुधार करने में सहायता करते हैं।

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