जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों में परिवहन गलियारे संबंधी परियोजनाओं के वन्य-जीवन पर प्रभावों की चर्चा
प्रश्न: जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों में परिवहन गलियारे वन्य-जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं? इस संबंध में वर्तमान नीतिगत ढाँचे का परीक्षण कीजिए। साथ ही, विकास की आवश्यकता को संतुलित करते समय इसके नकारात्मक प्रभाव को न्यूनतम करने के उपायों का सुझाव दीजिए। (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- परिवहन गलियारे संबंधी परियोजनाओं के वन्य-जीवन पर प्रभावों की चर्चा कीजिए।
- राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NBWL) द्वारा तैयार की गई भारतीय नीति (India’s policy) का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- नीति में व्याप्त विभिन्न कमियों को रेखांकित कीजिए।
- परिवहन गलियारे संबंधी परियोजनाओं के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने हेतु कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर
भारत में सड़कों एवं रेलवे लाइनों का बढ़ता नेटवर्क, प्रायः वनों और वन्य भूमियों से होकर गुजरता है तथा वन्य-जीवन के संरक्षण हेतु चिंता का एक प्रमुख विषय बना हुआ है। इसके प्रभावों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:
- पर्यावासों का विखंडन- यह वन्यजीवों के आवागमन में अवरोध उत्पन्न करता है, आनुवांशिक विविधता को प्रतिबंधित करता है तथा परिणामतः पारिस्थितिकीय संतुलन को क्षतिग्रस्त करता है।
- सड़क एवं रेल दुर्घटनाओं में पशुओं की मृत्यु की घटनाएं अपने सर्वोच्च स्तर पर हैं। उदाहरणार्थ 2009-16 की अवधि के दौरान रेलवे पटरियों पर 120 हाथियों की मृत्यु हुई थी।
- इनके प्रभाव स्वरूप मानव-पशु संघर्ष में वृद्धि हुई है।
भारतीय नीति (India’s policy)
वर्ष 2014 में राष्टीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife: NBWL) द्वारा संरक्षित वनों के अंतर्गत नई सड़कों के निर्माण पर प्रतिबंध आरोपित कर दिया गया तथा इस शर्त के साथ मौजूदा सड़कों को चौड़ा करने की अनुमति दी गयी कि इसके अतिरिक्त कोई अनुकूल वैकल्पिक उपाय उपलब्ध न हो तथा लागत पर ध्यान दिए बिना पर्याप्त शमन (mitigation) उपायों को अपनाया जाये। 2018 में NBWL ने निर्देश दिया कि वाइल्डलाइफ पैसेज प्लान सहित प्रत्येक सड़क/रेल परियोजना के प्रस्ताव को भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute of India:WII) द्वारा निर्धारित दिशा-निर्दशों के अनुरूप ही तैयार किया जाना चाहिए।
हालांकि, सघन वन्यजीव समृद्ध वनों हेतु, जहां अधिकांश वन्यजीव रिक्त स्थान हेतु परस्पर प्रतिस्पर्धा करते हैं, अंडरपास जैसी शमन सुविधाओं (mitigation features) पर विचार करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त वन्यजीव वनों से होकर गुजरने वाले यातायात (विशेषकर रात्रि में) के प्रति सुभेद्य बने रहते हैं। समय के साथ, जैसे-जैसे वन्यजीव सड़क मार्गों से दूर रहना सीख जाते हैं, वैसे-वैसे व्यस्त बहुमार्गीय हाइवे पशुओं के आवागमन में अवरोध बन जाते हैं। इससे पशु जनसंख्या का विखंडन होता है, जीन प्रवाह प्रतिबंधित होता है तथा पर्यावासों को क्षति पहुँचती है।
मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन हेतु एक बेहतर दृष्टिकोण के रूप में वैज्ञानिक साक्ष्य, पशु व्यवहार, भू-परिदृश्य एवं सामाजिकआर्थिक संदर्भ के समन्वयन की आवश्यकता है। देश में, वन्यजीवन पर रैखिक घुसपैठ (जैसे सड़कों का निर्माण) के प्रभाव में कमी करने के लिए दीर्घकालिक समाधान प्रदान करने वाली एकीकृत संरक्षण योजना तत्काल विकसित की जानी चाहिए। इसके लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
- पशु गलियारों की पहचान करना तथा चिह्नित गलियारों में पर्याप्त संख्या में अंडरपासों का निर्माण करना ताकि पशु सड़कों/रेलवे पटरियों पर न आ सकें।
- सड़क यातायात एवं ट्रेनों की गति व संख्या को नियंत्रित करना।
- पशुओं के आवागमन (विशेषतः रेलवे पटरी के साथ-साथ) पर निगरानी रखने हेतु सेटेलाइट स्पेस नेविगेशन सिस्टम का प्रयोग करना।
- स्थानीय समुदायों की सहभागिता एवं स्थानीय ज्ञान का उपयोग।
- लंबी दूरी तक कई वन्यजीव गलियारों से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन या सड़क मार्ग के अन्यत्र पुनर्निर्माण के उपाय पर विचार किया जाना चाहिए।
- वन्यजीव संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित सर्वोत्तम प्रथाओं का भी अनुकरण किया जा सकता है।
विभिन्न पहले
- तेलंगाना सरकार द्वारा महाराष्ट्र के ताडोबा-अँधेरी टाइगर रिजर्व को तेलंगाना के वनों के साथ जोड़ने की परियोजना में बाघ गलियारों से होकर गुजरने वाली नहरों के ऊपर पर्यावरण-अनुकूल पुलों का निर्माण करने का निर्णय लिया गया है।
- ‘रोडकिल’ (Roadkill) मोबाइल एप- यह नागरिकों को जियोटैग फोटोग्राफ को सार्वजनिक मंच पर अपलोड करके वन्यजीवों की मृत्यु की रिपोर्ट करने में सहायता प्रदान करेगा। प्राप्त डेटा के प्रयोग द्वारा उन सड़क अथवा रेल मार्गों की पहचान की जा सकेगी, जिनके लिए तत्काल शमन उपाय अपनाने की आवश्यकता है।
- असम राज्य में विद्युत बाड़ (electric fences) के स्थान पर जैव-बाड़ (bio-fences) स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया है ताकि मार्ग से भटके हुए हाथियों को संरक्षण प्रदान किया जा सके।
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