सार्वभौमिक मूलभूत आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम:UBI)

प्रश्न: सार्वभौमिक मूलभूत आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम:UBI) से आप क्या समझते है? भारत में वर्तमान सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की तुलना में इसके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले लाभों की विवेचना कीजिए। साथ ही, भारत जैसे एक देश के लिए UBI के विचार से संबद्ध आलोचनात्मक बिन्दुओं की पहचान कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सार्वभौमिक मूलभूत आय (UBI) की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • अन्य कल्याणकारी योजनाओं की तुलना में इसकी विशेषताओं की चर्चा कीजिए।
  • भारतीय संदर्भ में, UBI के विचार से संबद्ध प्रमुख चिंताओं को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

सार्वभौमिक मूलभूत आय (UBI)

UBI एक शर्त रहित आवधिक नकद भुगतान है जो सभी को अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के निरपेक्ष दिया जाता है। UBI की निम्नलिखित 5 विशेषताएं हैं: 

  1. आवधिक (एकमुश्त भुगतान नहीं बल्कि नियमित अंतराल पर किया जाने वाला भुगतान) 
  2. नकद भुगतान (वस्तुओं या सेवाओं अथवा वाउचर के रूप में नहीं, बल्कि इसका व्यय प्राप्तकर्ता की इच्छा पर छोड़ दिया जाएगा।
  3. व्यक्तिगत (घरों या परिवारों के लिए नहीं),
  4. सार्वभौमिक (सभी के लिए), और 
  5. शर्त रहित (नौकरी में व्याप्त संभावनाओं या आय को महत्व दिए बिना)

 सिक्किम द्वारा 2022 तक UBI के कार्यान्वयन को प्रस्तावित किया गया है।

अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं की तुलना में सार्वभौमिक मूलभूत आय के लाभ

  • प्रशासनिक भार को कम करेगा: वर्तमान समय में लगभग 950 केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित उप-योजनाएँ हैं जो बजट आवंटन में सकल घरेलू उत्पाद का 5% भाग है। इस प्रकार की योजना के क्रियान्वयन हेतु व्यापक प्रशासनिक नेटवर्क की आवश्यकता है।
  • क्रियान्वयन सरल ICDS और PDS जैसी लक्ष्यित कल्याणकारी योजनाओं में लाभार्थियों की पहचान करने हेतु व्यापक आधारभूत कार्य करने तथा प्राप्त धनराशी के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऑडिटिंग की आवश्यकता है। हालांकि,एक सामूहिक रूप में मूलभूत भुगतान का वितरण एवं निगरानी करना सरल होगा।
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता: यह वर्तमान में मिल रहे लाभों (सब्सिडी, लाभ अंतरण या अन्य) के स्थान पर कुछ अलग चुनने की स्वतंत्रता'(आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17) को वरीयता देता है। यह निर्धनता को कम कर समानता को बढ़ावा देता है, सरकारी स्थानांतरणों में होने वाली क्षति को कम कर दक्षता को बढ़ावा देता है।
  • उत्पादकता में वृद्धि: मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में UNICEF और SEWA द्वारा 2011 के एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि मूलभूत आय प्राप्त होने पर लोगों की उत्पादकता में वृद्धि दर्ज की गयी। जबकि वहीँ MGNREGA जैसी योजना उत्पादक रोजगार देने में विफल होने के कारण जाँच के दायरे में आ चुकी हैं।
  • ऋण व्यवस्था और व्यवसाय की स्वतंत्रता: कृषि छूट योजनाओं के विपरीत, UBI ऋण व्यवस्था को बाधित नहीं करता है और लोगों को कुछ निश्चित व्यवसायों तक ही सीमित नहीं करता है (जैसे- वर्तमान में खेत संबंधी लाभ अंतरण प्राप्त करने के लिए व्यक्ति का कृषक होना आवश्यक है)।
  • किसान-केंद्रित योजना की तुलना में, सार्वभौमिक मूलभूत आय अधिक आकर्षक बनी हुई है क्योंकि यह व्यवसाय या भूमि के स्वामित्व के आधार पर भेदभाव नहीं करती है और कार्य करने हेतु लक्ष्यीकरण की सटीकता (अर्थात सरकारी लाभ पाने के लिए उपयुक्त कार्य चुना गया है या नहीं) पर निर्भर नहीं होती है।

हालांकि, UBI के क्रियान्वयन की कई चुनौतियां भी विद्यमान हैं।

आलोचनाएं

  • राजकोषीय भार: यह पूर्वानुमान है कि भारत में गरीबी रेखा के समतुल्य UBI सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 11.4% होगा।
  • अनावश्यक व्यय: परिवार इस अतिरिक्त आय को व्यर्थ गतिविधियों या शराब, तम्बाकू जैसे मादक वस्तुओ पर व्यय कर सकते हैं।
  • नैतिक जोखिम: एक न्यूनतम गारंटीकृत आय लोगों को आलसी बना सकती है और उन्हें श्रम बाजार से बाहर कर सकती है।
  • नकद प्रेरित लैंगिक असमानता: पुरुष संभवतः UBI के व्यय पर नियंत्रण करने का प्रयास करते हैं जो सदैव वस्तुओं के स्थानान्तरण के संदर्भ में नहीं हो सकता है।
  • राजनीतिक अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में इस व्यवस्था के क्रियान्वयन तथा इसे वापस लेने की राजकोषीय लागत: बड़ी जनसँख्या को देखते हुए, सरकार पर राजकोषीय भार अधिक होगा। इसके अतिरिक्त, एक बार लागू होने के पश्चात, सरकार के लिए विफलता के मामले में UBI को समाप्त करना कठिन हो सकता है।
  • स्व-अपवर्जन हेतु सार्वभौमिक विचारों की राजनीतिक अर्थव्यवस्था: समृद्ध व्यक्तियों को हस्तांतरण के प्रावधान से विरोध उत्पन्न हो सकता है क्योंकि यह निर्धनों हेतु समानता एवं राज्य कल्याण के विचार को निरर्थक बना सकता है।

UBI का यदि सावधानीपूर्वक विश्लेषण एवं सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया, तो अनेक संभावित लाभ हो सकते हैं। इसलिए, UBI एक प्रभावी विचार है, जिसके कार्यान्वयन का समय भले ही ना आया हो किन्तु इस सम्बन्ध में एक गंभीर चर्चा के लिए यह उपयुक्त समय है।

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