केस स्टडीज : भारतीय परिदृश्य में आत्महत्या की उच्च दर के लिए उत्तरदायी विभिन्न कारक

प्रश्न: WHO के अनुसार विश्व स्तर पर 15-29 वर्ष के आयुवर्ग में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है। भारत में भी, हाल के दिनों में युवाओं द्वारा आत्महत्या किए जाने की घटनाओं की व्यापक रिपोर्ट आती रही है। शहरी और समृद्ध क्षेत्रों में इस प्रकार की घटनाओं में निरंतर वृद्धि का दिखाई देना और अधिक विचलित करने वाला विषय है।

(a) लोगों को आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने के प्रति सुभेद्य बनाने वाले कारण क्या हैं?

(b) साथ ही, चर्चा कीजिए कि व्यक्तिगत रूप से आप, समाज और सरकार इस समस्या का समाधान करने में किस प्रकार भूमिका निभा सकते हैं।

दृष्टिकोण

  • आत्महत्या के अर्थ की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आत्महत्या की उच्च दर के लिए उत्तरदायी विभिन्न कारकों पर चर्चा कीजिए।
  • विश्लेषण कीजिए कि क्यों युवाओं के मध्य आत्महत्या की दर अधिक है और विकसित राष्ट्रों में भी इस प्रकार की घटनाएँ घटित होती हैं।
  • आत्महत्या की घटनाओं को रोकने हेतु कदम सुझाइए।

उत्तर

(a) आत्महत्या चरम मानसिक और भावनात्मक तनाव की अभिव्यक्ति है जहां व्यक्ति और अधिक तनाव को सहन नहीं कर सकता है और स्वेच्छा से आत्महत्या कर लेता है। भारत में प्रत्येक चार मिनट में एक आत्महत्या सहित आत्महत्या दरों के आंकड़े विश्व स्तर पर बढ़ रहे हैं।

भारत में युवाओं में आत्महत्या की उच्च दर के निम्नलिखित कारण हैं:

  • मानसिक स्वास्थ्य के प्रति दृष्टिकोण – मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में बात करने की अनिच्छा के कारण अनेक मामले अनुपचारित रह जाते है। यहां तक कि जब परिवार और मित्रों को सूचित किया जाता है तब भी सामान्यतः लोग इसे चिकित्सीय समस्या के रूप में नहीं मानते हैं। इसके बजाय उस व्यक्ति के तनाव सहने संबंधी क्षमता पर प्रश्न उठाकर अधिक दबाव बनाया जाता है।
  • मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन – अल्कोहल और ड्रग्स का अत्यधिक सेवन निर्णय निर्माण की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक दबाव – राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के अनुसार रिश्तों में असफलता, पारिवारिक विवाद, शैक्षिक और वित्तीय बाधाएं, उच्च महत्वाकांक्षाएं आदि भारत में आत्महत्या के प्रमुख कारण हैं।
  • बचपन में किया गया दुर्व्यवहार – घर पर बच्चे के साथ शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार या स्कूल में डराएधमकाए जाने और अलग-थलग किये जाने जैसे व्यवहारों के प्रभाव से बाहर न आ पाने का जीवन में आगे चलकर मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
  • समाज में परिवर्तन – भारत के विभिन्न समाजों और संयुक्त परिवार प्रणाली का विघटन हो रहा है क्योंकि अधिकांश लोग बेहतर अवसरों की तलाश में अपना घर छोड़ रहे हैं। अलगाव की बढ़ती भावना, व्यापक सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन किसी व्यक्ति के लिए अत्यंत तनावपूर्ण हो सकते हैं।
  • सोशल मीडिया की भूमिका – सोशल मीडिया पर लोग आभासी रूप से जुड़े हुए हैं परन्तु वास्तविक जीवन में लोगों से अलग-थलग रहते हैं। सोशल मीडिया पर प्रचारित झूठी धारणाएं तथा उनके परिणामस्वरूप होने वाला अकेलापन किसी के आत्म-महत्व के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • निम्नस्तरीय जीवनशैली – व्यायाम, तनाव प्रबंधन, आहार, नींद और सूर्य का प्रकाश किसी के समग्र मानसिक स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। फ़ास्ट फूड कल्चर, डेस्क जॉब्स आदि में तेज़ी से वृद्धि होने के साथ अस्वास्थ्यकर जीवनशैली बढ़ रही है।
  • अन्य कारक – भावनात्मक बुद्धिमत्ता का अभाव, साथियों का दबाव (peer pressure), सामाजिक छवि की चिंता, व आर्थिक तनाव (उदाहरण के लिए किसान आत्महत्या) भी भारत में आत्महत्या की समस्या को बढ़ाते हैं।

शहरी युवाओं में समस्या और अधिक बढ़ रही है क्योंकि:

  • भावनात्मक तनाव प्रबंधन और परामर्श केंद्रों की अनुपस्थिति है।
  • उपभोक्तावाद में अत्यधिक वृद्धि हो रही है जिसमें लोग व्यक्तिगत लगाव और संबंधों से अधिक भौतिक संपत्तियों को महत्व देते हैं।
  • शहरी जीवनशैली का तनाव और संकट के समय में पारिवारिक समर्थन की अनुपस्थिति।

(b) आत्महत्या न केवल परिवार एवं मित्रों, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी एक बड़ी क्षति है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 में आत्महत्या को अपराध घोषित किया गया है, लेकिन राज्य और समाज द्वारा इस मुद्दे को हल करने हेतु और कदम उठाने की आवश्यकता है –

किसी व्यक्ति द्वारा उठाये जाने योग्य कदम:

  • स्वयं की भावनाओं को सँभालने के साथ-साथ दूसरों की भावनाओं को समझने एवं उसका प्रबंधन करने हेतु सहानुभूति, सहिष्णुता और भावनात्मक बुद्धि को विकसित करना।
  • स्वस्थ जीवनशैली के विकल्पों को बढ़ावा देना – जैसे व्यायाम, शौक (हॉबी) विकसित करना, कार्यस्थल और सोशल मीडिया से परे एक सामाजिक जीवन का निर्माण।

समाज द्वारा उठाये जाने योग्य कदम:

  • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को कलंक न मानना।
  • जीवन में सफलता और खुशी की अवधारणा को बढ़ावा देना।
  • समुदाय निर्माण और समुदाय संचालित गतिविधियों को प्रोत्साहित करना।

सरकार द्वारा उठाये जाने योग्य कदम:

  • मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय रणनीति का विकास करना और संसाधनों को आवंटित करना।
  • सुभेद्य समूहों को चिन्हित एवं लक्षित करना।
  • सार्वजनिक शिक्षा के माध्यम से जागरुकता में वृद्धि।
  • प्राथमिक अनुक्रियाकर्ताओं, जैसे कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों, पुलिस इत्यादि के लिए प्रशिक्षण और शिक्षण। मानसिक स्वास्थ्य और आत्मघाती व्यवहार के मूल्यांकन एवं प्रबंधन में सुधार। उदाहरणार्थ, जिला स्तर पर परामर्श केंद्र स्थापित करना।
  • डेटा संग्रह को बढ़ावा देना।
  • आत्महत्या की उत्तरदायी रिपोर्टिंग के लिए मीडिया हेतु दिशा-निर्देश जारी करना।

Read more 

 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.