1920 के दशक के उत्तरार्ध में महामंदी : संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर इसके प्रभाव
प्रश्न: 1920 के दशक के उत्तरार्ध में महामंदी का मार्ग प्रशस्त करने वाले संभावित कारण क्या थे? साथ ही, संयुक्त राज्य अमेरिका से बाहर इसके प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
दृष्टिकोण
- महामंदी (Great Depression) का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- महामंदी का मार्ग प्रशस्त करने वाले कारकों को सूचीबद्ध कीजिए और उनका विश्लेषण कीजिए।
- अमेरिका और विश्व पर इसके प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर
महामंदी का आरंभ वर्ष 1929 में अमेरिकी शेयर बाजार (वॉल स्ट्रीट) में आकस्मिक गिरावट के साथ हुआ। शेयरों के मूल्यों में और अधिक गिरावट आने से पूर्व ही लोग अपने शेयरों का विक्रय करने हेतु चिंतित होने लगे, इसका प्रभाव तीव्रता से प्रसारित हुआ तथा वित्तीय कठिनाइयों के उत्पन्न होने के परिणामस्वरूप कई लोगों ने बैंकों में जमा अपने धन का आहरण करना प्रारंभ कर दिया। इस स्थिति के कारण कई बैंक दिवालिया होकर बंद हो गए। इसके अतिरिक्त, वस्तुओं की मांग में गिरावट होने के कारण कारखाने बंद हो गए। यद्यपि, शेयर बाजार में अत्यधिक गिरावट एक बड़े संकट का केवल एक संकेत मात्र था। महामंदी का मार्ग प्रशस्त करने वाले अन्य संभावित कारण निम्नलिखित हैं:
- कृषि के अति उत्पादन और कृषि उत्पादों के कम होते मूल्यों का दुश्चक्र। आय के असमान वितरण के परिणामस्वरूप अधिकांश लोगों के पास अतिरिक्त उत्पादित वस्तुओं को क्रय करने की पर्याप्त क्रय शक्ति का न होना।
- अपने उद्योगों की रक्षा हेतु अन्य देशों द्वारा आरोपित व्यापारिक अवरोधों के परिणामस्वरूप विदेशी निर्यात में गिरावट।इस प्रकार की सट्टेबाजी, जिनमें त्वरित लाभ की आकांक्षा ने लोगों को शेयर का क्रय करने के लिए ऋण बचतों का व्यय करने हेतु प्रोत्साहित किया था।
- त्वरित लाभ प्राप्ति की इच्छा (Rash moves) जिसे स्टॉक ब्रोकरों द्वारा उधार पर शेयरों की बिक्री के रूप में स्पष्टतः देखा जा सकता था। यहां तक कि बैंकों द्वारा भी शेयरों की सट्टेबाजी का कार्य किया गया।
अमेरिका में इसके आश्चर्यजनक प्रभाव दृष्टिगत हुए जैसे कि स्टॉक निवेशकों का दिवालिया होना, बैंकों की विश्वसनीयता में कमी, बेरोजगारी में वृद्धि, जीवन स्तर में गिरावट, बड़े पैमाने पर काश्तकारों की बेदखली और 1920 के दशक के उपभोक्तावादी दर्शन की समाप्ति।
महामंदी का विश्वव्यापी प्रभाव निम्नानुसार था:
- महामंदी ने कई अन्य देशों को प्रभावित किया, जिसका कारण यह था कि इन देशों की समृद्धि मुख्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर थी। ये वे देश थे जो अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध क्षतिपूर्ति को वित्तपोषित कर रहे थे।
- अमेरिकी ऋणों पर अत्यधिक निर्भरता वाले देशों को विकट वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ा। यह यूरोप में कुछ प्रमुख बैंकों की विफलता और ब्रिटिश पाउंड जैसी मुद्राओं में गिरावट का कारण बनी।
- अमेरिका ने महामंदी से अपनी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा करने हेतु आयात शुल्कों को दोगुना कर दिया, जिसने विश्व व्यापार के समक्ष गंभीर अवरोध उत्पन्न किया।
भारत पर प्रभाव:
- वर्ष 1928 से 1934 के मध्य भारतीय निर्यात और आयात लगभग आधा हो गया।
- अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में गिरावट के परिणामस्वरूप भारत में गेहूं की कीमतों में 50% तक की कमी आई।
यद्यपि, देशों पर इसके प्रभाव की अवधि भिन्न-भिन्न थी। उदाहरण के लिए: जर्मन के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट लगभग अमेरिका के समान थी। कई लैटिन अमेरिकी देशों में भी 1928 के उत्तरार्द्ध और 1929 के पूर्वार्द्ध (अमेरिकी उत्पादन में आई गिरावट से कुछ समय पूर्व) में महामंदी का प्रभाव दृष्टिगत हुआ। अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे कुछ कम विकसित देशों तथा जापान पर महामंदी का प्रभाव तुलनात्मक रूप से कम रहा।
Read More
- भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को प्रभावित करने वाले प्रमुख अवरोध : अधिमानता की सामान्यीकृत प्रणाली (जनरलाईज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रेफरेंस: GSP)
- बहुपक्षीय अधिमान्य व्यापार समझौते : WTO का MFN सिद्धांत
- अफ्रीका और एशिया में विउपनिवेशीकरण
- पूंजीवाद की आलोचना: समाजवादी आंदोलन
- चीन में सांस्कृतिक क्रांति: “ग्रेट लीप फॉरवर्ड” (1958-60)