स्प्रिंगशेड प्रबंधन : झरनों के विलुप्त होने के कारण, महत्व

प्रश्न:झरनों के विलुप्त होने के पीछे निहित कारणों पर चर्चा करते हुए, परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार स्प्रिंगशेड प्रबंधन झरनों, विशेषकर हिमालयी क्षेत्र में झरनों को पुनर्जीवित करने में सहायता करता है।

दृष्टिकोण

  • झरनों के महत्व का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए। झरनों के विलुप्त होने के पीछे उत्तरदायी कारणों पर चर्चा कीजिए।
  • परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार स्प्रिंगशेड प्रबंधन झरनों, विशेषकर हिमालयी क्षेत्र में झरनों के पुनरुद्धार में सहायता करता है।

उत्तर

झरना अथवा स्प्रिंग एक ऐसा स्थान है जहां भू-जल प्राकृतिक रूप से सतह की ओर प्रवाहित होता है। झरने विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में लाखों लोगों के लिए पेयजल, घरेलू एवं सिंचाई के उद्देश्यों के लिए जल के मुख्य स्रोत हैं। इनके द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका के निर्वहन के बावजूद, झरनों पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है और इसलिए अनेक झरने सूख रहे हैं।

झरनों के विलुप्त होने के पीछे उत्तरदायी कारण:

  • जल की मांग में वद्धि
  • भूकंपीय गतिविधियां 
  • अवसंरचनात्मक विकास सहित भूमि उपयोग में परिवर्तन 
  • निर्वनीकरण और मृदा अपरदन सहित पारिस्थितिकीय निम्नीकरण 
  • जलवायु परिवर्तन एवं तापमान वृद्धि के परिणामस्वरूप वर्षण तीव्रता में वृद्धि और इसके सामयिक वितरण में कमी
  • शीतकालीन वर्षा में गिरावट।

एक सरकारी रिपोर्ट में पाया गया है कि लगभग 60% हिमालयी निम्न-वाही जल झरने सूख गए हैं अथवा गंभीर स्तर पर पहुंच गए हैं या मौसमी हो गए हैं। इसके अतिरिक्त, उचित स्वच्छता के अभाव के कारण जल की गुणवत्ता में भी गिरावट हो रही है।

झरनों के पुनरुद्धार के लिए स्प्रिंगशेड प्रबंधन:

स्प्रिंग्सशेड, भूमि की वह इकाई है जहाँ वर्षण (पुनर्भरण क्षेत्र) से जल प्राप्त होता है। वर्षा से प्राप्त वह जल, डिस्चार्ज पॉइंट अर्थात झरने के स्थल पर पुनः स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होता है। चूंकि, एक झरने का पुनर्भरण क्षेत्र एक वाटरशेड के साथ-साथ निकटवर्ती वाटरशेड में स्थित हो सकता है, अतः स्प्रिंग्सशेड, झरनों के पुनरुद्धार संबंधी कार्यक्रमों के लिए एक बेहतर इकाई है।

स्प्रिंगशेड प्रबंधन में जल प्रबंधन के विभिन्न पक्ष शामिल हैं, जिसमें जल विज्ञान से लेकर प्राकृतिक संसाधनों का नियमन शामिल है। यह वैज्ञानिक परीक्षणों के अतिरिक्त, झरनों के व्यवस्थित मानचित्रण और पुनर्भरण में वृद्धि के लिए उचित अभियांत्रिकी (इंजीनियरिंग) समाधानों को अपना कर तथा जल के उपयोग की दक्षता में वृद्धि कर मांग पक्ष की चुनौतियों का भी समाधान करता है। इसमें झरनों के जल प्रबंधन के संबंध में समुदायों को शिक्षित करना, उनमें जागरूकता का प्रसार करना और क्षमता निर्माण करना शामिल है।

यह झरनों के पुनरुद्धार से संबंधित समाधानों के साथ समुदायों की आजीविका को संबद्ध करता है। इस प्रकार के प्रबंधन कार्यक्रम सहभागी होते हैं, जिनमें स्थानीय समुदाय, गैर-सरकारी संगठन, सिविल सोसाइटी संगठन शामिल होते हैं तथा ये प्रबंधन कार्यक्रम, विज्ञान आधारित प्रबंधन दृष्टिकोण के माध्यम से कार्यान्वित किए जाते हैं। उदाहरणस्वरूप, सिक्किम सरकार द्वारा आरम्भ किया गया धारा विकास कार्यक्रम।

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