वाणिज्यिक पशुधन पालन : भारत के लिए इस क्षेत्र की चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा
प्रश्न: वाणिज्यिक पशुधन पालन की विशेषताओं की पहचान कीजिए और वैश्विक मानचित्र पर इसके व्यावसायिक क्षेत्रों को चिह्नित कीजिए। साथ ही, भारत के संदर्भ में इसकी चुनौतियों और अवसरों की चर्चा कीजिए।
दृष्टिकोण
- वाणिज्यिक पशुधन पालन के अर्थ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए और इसकी मूलभूत विशेषताओं को रेखांकित कीजिए।
- वैश्विक मानचित्र पर इसके भौगोलिक विस्तार को चित्रित कीजिए।
- भारत के लिए इस क्षेत्र की चुनौतियों एवं अवसरों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
वाणिज्यिक पशुधन पालन एक प्रणाली है जिसमें पशुओं का उपयोग श्रम तथा मांस, चमड़े और ऊन जैसी वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
मुख्य विशेषताएं
- यह संगठित और पूंजी गहन होता है।
- यह अनिवार्य रूप से पश्चिमी संस्कृति से संबंधित है तथा पशुपालन का कार्य स्थायी पशु-फार्मों में किया जाता है।
- चरागाह की धारण क्षमता के अनुसार चरागाह में पशुओं को रखा जाता है।
- यह एक विशेषीकृत गतिविधि है जिसमें केवल एक ही प्रकार के पशु का पालन किया जाता है।
- महत्वपूर्ण पशुओं में भेड़, मवेशी, बकरियां और घोड़े सम्मिलित हैं।
- पशुओं के मांस, ऊन, कंकाल और त्वचा जैसे उत्पादों को प्रसंस्कृत एवं पैक किया जाता है और इनका विभिन्न वैश्विक बाजारों में निर्यात किया जाता है।
- पशु-फार्मों में पशुओं की देखभाल वैज्ञानिक तरीकों से की जाती है।
- इसके अंतर्गत मुख्य बल पशुओं के प्रजनन, अनुवांशिक सुधार, रोग नियंत्रण और स्वास्थ्य देखभाल पर दिया जाता है।
न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, उरुग्वे और संयुक्त राज्य अमेरिका वे महत्वपूर्ण देश हैं जहां वाणिज्यिक पशुधन पालन का व्यवसाय किया जाता है। नीचे दिये गये वैश्विक मानचित्र में महत्वपूर्ण क्षेत्रों को चित्रित किया गया है।
भारत में पशुधन: भारत में लगभग 20 मिलियन लोग अपनी आजीविका के लिए पशुधन क्षेत्र पर निर्भर हैं।
चुनौतियां
- पशुओं में अनुवांशिक संसाधनों में सुधार करना और पशुओं से संबंधित रोगों को नियंत्रित करना।
- देश के अधिकांश भागों में पालतू पशुओं के झुंडों का छोटा आकार।
- पशुधन की अभी भी मुख्यतः फसल अवशेषों और कृषि उप-उत्पादों पर निर्भरता। चारा उत्पादन के तहत क्षेत्र कुल कृषि योग्य भूमि के केवल 4.60% तक सीमित है।
- रोग की जांच, स्वास्थ्य और स्वच्छता रख-रखाव पर पर्याप्त ध्यान न देने से उत्पादन क्षमता पर प्रभाव।
- खाद्य और चारा संसाधनों के माध्यम से मिलने वाले गुणवत्तापूर्ण पोषक तत्वों की उपलब्धता में कमी।
- पशुधन द्वारा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में किए जा रहे योगदान के मुद्दे का समाधान करना।
अवसर
- पशुधन से संबंधित खाद्य उत्पादों की बढ़ती मांग, निर्धनों को अपने पशुधन उत्पादों को विविधतापूर्ण बनाकर निर्धनता से बचने का अवसर प्रदान कर सकती है।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के तहत वैश्विक बाजारों का वृहत एकीकरण, पशु खाद्य उत्पादों के निर्यात का अवसर प्रदान करता है।
- भूमि के विखंडन की स्थिति में पशुधन लघु भू-धारकों को अवसर प्रदान करता है।
- पशुपालन जलवायु अनिश्चितताओं से बचने का मार्ग प्रदान करता है।
भारत द्वारा इस उभरते क्षेत्र के अवसरों का लाभ किस सीमा तक प्राप्त किया जा सकेगा, यह इस पर निर्भर करेगा कि नीतियां, संस्थान और प्रौद्योगिकियां इन बाधाओं का समाधान कैसे करती हैं।
Read More
- पशुधन खेती (लाइवस्टॉक फ़ार्मिंग) : लचीला (रिजिल्यंट) बनाने हेतु उठाए जा सकने वाले कुछ कदम
- कृषि निर्यात नीति, 2018 : 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य
- कृषि संगणना, 2015-16 : परिवर्तनशील भू-धारण प्रतिरूप
- भारत में पशुधन क्षेत्रक की वर्तमान स्थिति : भारत में पशुधन क्षेत्रक का संधारणीय विकास सुनिश्चित करने के लिए कुछ रणनीतियां
- कार्बन अभिग्रहण और भण्डारण : संभावित लाभ और चुनौतियां