भारत में ऑटोमोबाइल उद्योगों की अवस्थिति: ऑटोमोटिव उद्योग में हो रहे परिवर्तनों के आलोक में चुनौती

प्रश्न:भारत में ऑटोमोबाइल उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, ऑटोमोटिव उद्योग में हो रहे परिवर्तनों के आलोक में चुनौतियों का भी परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारत में ऑटोमोबाइल उद्योगों की अवस्थिति के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए।
  • ऑटोमोबाइल उद्योग में हो रहे परिवर्तनों के आलोक में चुनौतियों का भी परीक्षण कीजिए।

उत्तर

किसी देश में ऑटोमोबाइल उद्योग की स्थिति वास्तविक आर्थिक विकास का एक संकेतक है क्योंकि एक स्वस्थ और प्रगतिशील ऑटोमोबाइल क्षेत्र समग्र औद्योगिक अर्थव्यवस्था, बेहतर सड़कों, आय और रोजगार में वृद्धि आदि को इंगित करता है। भारत में ऑटोमोबाइल उद्योगों की अवस्थिति को निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

  • बाजारों से निकटता: यह ग्राहकों को उत्पादों की नियमित आपूर्ति की गारंटी प्रदान करने के साथ-साथ परिवहन की लागत को भी कम करता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली-NCR बाजार से समीपता के कारण गुरुग्राम में मारुति संयंत्र की स्थापना।
  • कच्चे माल की आपूर्ति: उदाहरण के लिए, अहमदाबाद-वडोदरा औद्योगिक क्षेत्र में स्पेयर पार्ट्स, कार-एसेसरीज, टायर, सर्किट, ग्लास आदि के कई कारखाने स्थित हैं, जहाँ वे ऑटोमोबाइल से संबंधित पार्ट्स का सरलता से आउटसोर्स कर सकते
  • परिवहन सुविधाएं: यह संगठन को कच्चे माल की उचित आपूर्ति और ग्राहकों को तैयार उत्पादों की गारंटी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (DMIC) की उपस्थिति ने दिल्ली-NCR और मुंबई विनिर्माण क्षेत्रों में स्पेयर पार्ट्स, कच्चे माल और तैयार कारों के आसान परिवहन को सक्षम बनाया है।
  • अवसंरचना की उपलब्धता: आवश्यक अवसंरचना जैसे विद्युत, जल और अपशिष्ट निपटान आदि की उपलब्धता। यह कई ऑटोमोबाइल विनिर्माण हब जैसे कि चेन्नई ऑटो मैन्युफैक्चरिंग हब के शहरी क्षेत्रों और इनके निकट स्थित होने का एक कारण है।
  • श्रम और मजदूरी: उदाहरण के लिए, टाटा नैनो का संयंत्र अहमदाबाद जिले के साणंद में स्थित है जहाँ पर अत्यधिक जनसंख्या और शहरी सुविधाएं विद्यमान हैं, इसलिए संयंत्र में कार्य करने वाले श्रमिकों और उनके परिवारों के लिए विशेष टाउनशिप स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस क्षेत्र में पहले से ही श्रम की भारी उपलब्धता है।
  • पूंजी: किसी क्षेत्र की पूंजी संरचना और साथ ही विनिर्माताओं के मध्य वित्त की उपलब्धता, उद्योग स्थापित करने के लिए एक प्रमुख अवस्थिति कारक है।
  • सरकारी नीतियां: राज्य सरकारों और संबद्ध निकायों की व्यवस्था कार्य संबंधी कानूनों, निर्माण संबंधी कानूनों, कल्याण आदि से संबंधित होते हैं। उदाहरण के लिए, हरियाणा सरकार (मानेसर हब) ने स्थानीय अवसंरचना के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है तथा इसके साथ ही टैक्स हॉली-डे (tax holidays) और परियोजनाओं के समय पर पूर्ण करने पर भूमि लागत का 10 प्रतिशत रिफंड करने जैसे प्रोत्साहन प्रदान किए जा रहे हैं।
  • सहायक/अनुषंगी उद्योग: यह महत्वपूर्ण है,क्योंकि सेगमेंट पार्ट्स के क्रय को उत्तरोत्तर आउटसोर्स किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, मुंबई-पुणे-अहमदाबाद क्षेत्र में टायर विनिर्माण, इस्पात विनिर्माण, कच्चे तेल के आयात आदि से संबंधित कई ऐसे सहायक उद्योग विद्यमान हैं।

ऑटोमोबाइल उद्योग में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के आलोक में चुनौतियां:

  • आधारभूत तकनीकी प्रतिमान, उत्पादन की मात्रा पर निर्भर करता है। लेकिन यह उत्तरोत्तर विभाजित विशिष्ट बाजारों (niche markets) के कारण निरंतर अलाभप्रद होता जा रहा है।
  • त्वरित नीतिगत परिवर्तनों को अपनाने की आवश्यकता है, इसका अर्थ है कि थोक उत्पादन में किसी भी मानक आवश्यकता के प्रति सचेत होने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, भारत स्टेज उत्सर्जन मानकों में तेजी से परिवर्तन हो रहा है।
  • अपने उत्पादों की वहनीयता और उत्पादन के तरीकों दोनों में सुधार करने हेतु नियामक और सामाजिक दबावों में वृद्धि करना।
  • स्व-चालित कारों और हाइब्रिड कारों को अपनाना, जिनके लिए कंपनियों को शोध पर अधिक व्यय करने की आवश्यकता होती है।
  • क्रय-प्रक्रिया का निरीक्षण करना: उदाहरण के लिए, टेस्ला कंपनी द्वारा डीलरशिप (अभी तक इसी के माध्यम से बिक्री की जाती रही है) के स्थान पर सीधे उपभोक्ताओं को अपने वाहनों को बिक्री की जा रही है।
  • डेटा की व्याख्या: एक्सेंचर के अनुसार, आधुनिक कारों द्वारा विभिन्न इनबिल्ट सेंसर और कैमरों के माध्यम से प्रति घंटे लगभग 25 gb डाटा एकत्र किया जाता है। इस डाटा में प्रदर्शन, गति, घटकों की स्थिति आदि के संबंध में वास्तविक समय (रियल टाइम) पर सूक्ष्म जानकारी प्राप्त करने की क्षमता होती है।
  • परिपक्व बाजारों में होने वाली इकाई बिक्री में वृद्धि की गति को धीमा करना और इसे उपभोक्ता मांग एवं जनसांख्यिकी आधारित बनाना।

25 मिलियन यूनिट के साथ भारत (युवा जनसंख्या) दूसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल बाजार है; भविष्य में विश्व नेतृत्वकर्ता बनने हेतु कम लागत वाली श्रमशक्ति और डिजिटल प्रौद्योगिकी में प्रभुत्व इन दोनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।

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