भारतीय नौकरशाही की कार्य संस्कृति : सरकार के आकार को घटाने और कुछ सेवाओं का निजीकरण करने के पक्ष और विपक्ष दोनों पर चर्चा

प्रश्न: नौकरशाही कार्य संस्कृति और कार्यदक्षता में सुधार लाने के लिए, सरकार का आकार छोटा करने और कुछ सेवाओं का निजीकरण करने की आवश्यकता है। उदाहरणों के साथ आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • भारतीय नौकरशाही की कार्य संस्कृति के संबंध में संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • सरकार के आकार को घटाने और कुछ सेवाओं का निजीकरण करने के पक्ष और विपक्ष दोनों पर चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

अपने बड़े आकार और महत्व के कारण नौकरशाही को संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के संगठित शासन की उप-प्रणाली के रूप में माना जाता है। समय के साथ नौकरशाही ने अपनी संरचनाओं, प्रक्रियाओं, मूल्यों, मानदंडों और व्यवहार की प्रक्रिया को विकसित किया है, जिन्होंने इसकी कार्य संस्कृति के विभिन्न हिस्सों को आकार प्रदान किया है। जिस तरीके से प्रशासन किया जाता है, जिस प्रकार से राज्य मशीनरी नागरिकों, निर्णय निर्माण प्रक्रिया इत्यादि सहित राज्य के अन्य अंगों के साथ परस्पर क्रिया (interact) करती है, ये सभी नौकरशाही की कार्य संस्कृति के विभिन्न हिस्सों को आकार प्रदान करते हैं।

कठोर पदानुक्रम व्यवस्था और नियम-आधारित निर्णय निर्माण प्रक्रिया भारत में नौकरशाही की कार्य संस्कृति की विशेषता है। सरकार की एक महत्वपूर्ण विशेषता एक समय में अनेक कार्यों का निष्पादन करना है – अर्थात् सरकार द्वारा अनेक कार्यों का सफलतापूर्वक निष्पादन किया जाता है जबकि यह आवश्यक नहीं उसके पास पर्याप्त श्रमबल उपलब्ध हो। इसके साथ ही यद्यपि सरकार समग्रता में आवश्यकता से कम कर्मचारियों वाली दिखाई देती है किन्तु कई विभागों में कर्मचारियों की अल्प रोजगार की समस्या विद्यमान है अर्थात् मानव संसाधनों का इष्टतम उपयोग न किये जाने की समस्या। इसके परिणामस्वरूप प्रशासन में लाल-फीताशाही, सेवाएं प्रदान करने में अक्षमता, निर्णय निर्माण में अनावश्यक विलंब और निष्क्रियता जैसी कार्य संस्कृति विकसित हो गयी है। संसाधनों के इस त्रुटिपूर्ण आवंटन के आलोक में इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि निजी प्रतिभागियों को उनके  साथ प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति प्रदान करने के बाद कई राज्य और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSUs) घाटे में चले गए हैं।

सरकार के आकार को कम करना (Downsizing government):

विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के नवीनीकरण, पुनर्गठन और उनके आकार को कम करने की आवश्यकता है जो ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’ की भावना को सुदृढ करने के साथ ही कार्यक्षमता में वृद्धि और व्यय को भी कम करेगा। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग ने कई सरकारी विभागों को समाप्त करने या उनका विलय करने की भी अनुशंसा की है। सरकार के आकार को कम करने के उद्देश्य को निम्नलिखित के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है:

  • मंत्रिस्तरीय कर्मचारियों को UDC, LDC जैसी कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन्हें कार्यकारी सहायक (बहु कुशल कंप्यूटर ज्ञान से युक्त) नामक एक पद द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
  • सरकारी सेवाओं के डिजिटलीकरण के साथ ही सिंगापुर मॉडल अनुकरणीय है, जहां सरकार नवीकरणीय अनुबंध आधार पर सर्वोत्तम नौकरशाहों का चयन करती है।
  • अन्य सेवाओं और खुले बाजार से पार्श्व प्रवेश (Lateral entry) और प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत करने वाली प्रणाली को अपनाया जाना चाहिए।

यह भी महत्वपूर्ण है कि सरकार के आकार को कम करने से फील्ड स्तर पर श्रमशक्ति की कमी न हो। इसलिए सरकार को अतार्किक ढंग से सार्वजनिक क्षेत्र के आकार को कम करने और छंटनी करने के स्थान पर यथोचित आकार बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

सेवाओं का निजीकरण (Privatization of Services)

  • उदारीकरण के पश्चात्, राज्य की भूमिका सेवाओं के प्रमुख प्रदाता के स्थान पर विकास के लिए सहायक के रूप में परिवर्तित हो गई है। ऐसे में निजीकरण की एक प्रवृत्ति दिखाई दे रही है, जो विशेषरूप से घाटे में चल रहे होटल, पर्यटन, इंजीनियरिंग जैसे परिधीय व्यवसायों के संदर्भ में अधिक प्रबल है। इसके परिणामस्वरूप प्रतिस्पर्द्धा, लागत प्रभावशीलता और सेवा की गुणवत्ता में सुधार आता है। हालांकि, विकासशील देशों में अधिक निर्धन जनसंख्या और व्यापक असमानता के कारण राज्य द्वारा प्रदान की जा रही आवश्यक सेवाओं का निजीकरण नहीं किया जा सकता। नौकरशाही बाजारों के विपरीत लोगों पर अधिक केन्द्रित होती है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी नागरिकों के प्रति राज्य का उत्तरदायित्व निष्पक्ष और न्यायोचित तरीके से संपादित किया जा रहा है।
  • अवसंरचना और स्वास्थ्य जैसी अन्य सेवाओं में लोक निजी भागीदारी (PPP) मॉडल अभी अपने विकास की अवस्था में हैं और सामान्य नागरिकों के लिए सेवाओं की वहनीयता को ध्यान में रखते हुए, सरकार के आकार को कम करने के प्रयास में राज्य को पूर्णतः स्वयं को अलग करने की प्रक्रिया पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए।
  • प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना अपेक्षित है जिससे लागत में कमी लायी जा सके तथा अधिक ग्राहक संतुष्टि प्रदान की जा सके। हालांकि, निजी स्वामित्व अकेले ही बेहतर दक्षता और सार्वजनिक हित को सुनिश्चित नहीं कर सकता है क्योंकि लाभ प्राप्त करने संबंधी रणनीतियां जनसंख्या के बड़े हिस्से के लिए आवश्यक सेवाओं को अवहनीय या अनुपलब्ध बना सकती हैं।

इस प्रकार, सरकारी मशीनरी के आकार को कम करने से पूर्व आवश्यक सेवाओं की वहनीयता, सामाजिक समता, जवाबदेही तथा रोजगार परिस्थिति, वेतन में कटौती एवं श्रम संगठनों की सदस्यता के स्तर में कमी जैसी श्रम संबंधी चिंताओं का समाधान किये जाने की आवश्यकता है। कार्य संस्कृति में सुधार और उत्पादकता में वृद्धि के लिए निम्नलिखित कदमों पर विचार किया जा सकता है:

  • राजनीतिक-नौकरशाही संबंधों को संबोधित करना: राजनीतिक दबाव और निर्देश नौकरशाही की निर्णय निर्माण क्षमता की संस्कृति को क्षति पहुंचाते हैं। इनके कारण नागरिक केंद्रित होने और इकाई के रूप में कार्य करने के स्थान पर प्रशासन स्वकेंद्रित हो जाता है और व्यक्तिगत हितों को पूरा करने के लिए कार्य करता है।
  • कर्मचारियों को अभिप्रेरित रखने के लिए पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली।
  • संगठन में निर्णय निर्माण प्रक्रिया के लिए उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना।
  • बायोमीट्रिक आधारित उपस्थिति, कार्यालय एवं बैठकों में समय से रिपोर्टिंग, नियमित फीडबैक और अपडेट प्रदान करने जैसे उपाय स्वस्थ कार्य संस्कृति विकसित करने और उत्पादकता में वृद्धि करने में सहायक हो सकते हैं।

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