केस स्टडीज : कोयला खदानों में श्रमिकों की कार्य दशाएं

प्रश्न: एक जिले के कई कोयला खदानों में श्रमिकों की कार्य दशाएं अमानवीय हैं और उनकी सुरक्षा के उपाय नगण्य हैं। इस प्रकार अतीत में कई दुर्घटनाएं हुई हैं तथा कई श्रमिकों की मृत्यु हुई है। हाल ही में हुई एक दुर्घटना का संज्ञान लेते हुए, जिसमें पंद्रह श्रमिक फंस गए थे और उनकी मृत्यु हो गई थी, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने ऐसी सभी खदानों को बंद करने का आदेश दिया है। उनमें से कुछ को बंद कर दिया गया है, लेकिन अभी भी कई खदान, कभी-कभी राजनेताओं-खनिकों- नौकरशाहों के गलत गठजोड़ का उपयोग करते हुए, सरकार से छूट प्राप्त करके परिचालन जारी रखे हुए हैं। वैकल्पिक रोजगार के अभाव में स्थानीय लोगों के पास खदानों में काम करने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। खदान स्वामी वास्तव में प्रतिबंध को पूरी तरह से समाप्त करने हेतु राज्य पर एक साथ दबाव डालने के लिए मजदूरों को विरोध करने के लिए उकसा रहे हैं। इस जिले के एक जिला मजिस्ट्रेट के रूप में, आपसे राज्य सरकार द्वारा इस मुद्दे पर एक प्रतिवेदन तैयार करने और इसका समाधान करने के लिए

अनुशंसाएं देने के लिए कहा गया है। इस संबंध में, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

(a) राज्य के हितों की पहचान कीजिए और विश्लेषण कीजिए कि क्या उनके मध्य कोई संघर्ष हो सकता है?

(b) यह देखते हुए कि आर्थिक संवृद्धि प्राय: अत्यधिक मानवीय लागत के साथ प्राप्त होती है, उन सिद्धांतों और रणनीतियों की पहचान कीजिए, जिनका दिए गए प्रकरण में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

दृष्टिकोण

  • मामले का संक्षिप्त विवरण दीजिए तथा इसके प्रमुख हितधारकों का उल्लेख कीजिए।
  • राज्य के हितों और उनके मध्य किसी भी प्रकार के संघर्ष को रेखांकित कीजिए।
  • मुद्दे के स्थायी समाधान हेतु आवश्यक मार्गदर्शक सिद्धांतों को रेखांकित कीजिए। 
  • इन सिद्धांतों पर आधारित एक रणनीति पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

राज्य द्वारा प्रचलित विधियों के अनुरूप कुछ गतिविधियों को सार्वजनिक हित में विनियमित किया जाता है। अवैध खनन ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करने हेतु नियुक्त अधिकारियों के अवैध एवं अप्रत्यक्ष प्रश्रय के कारण किया जाता है। चूंकि यह विधि के दायरे से बाहर अथवा अवैध रूप से परिचालित होता है, अत: इसमें श्रमिकों की सुरक्षा, पर्यावरण, कर, रॉयल्टी आदि से संबंधित विनियमों की उपेक्षा कर दी जाती है। अमानवीय कार्य दशाएं स्वास्थ्य संकट उत्पन्न करती हैं, श्रमिक वर्ग की गरिमा का ह्रास करती हैं तथा मानवाधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

इस मामले में सम्मिलित प्रमुख हितधारक हैं: जिलाधिकारी के प्रतिनिधित्व में राज्य, न्यायपालिका, स्थानीय राजनेता, NGT, खदान श्रमिक, खदान स्वामी, राजनेता, नौकरशाह और पर्यावरण।

(a)                                                  राज्य के प्रमुख हित

विधि के शासन को बनाए रखना प्रवर्तन के बिना न्याय अर्थहीन है। इस प्रकार NGT के आदेशों का पालन करते हुए अवैध खदानों को शीघ्रता से बंद किया जाना आवश्यक है।
कमजोर वर्गों हेतु न्याय सुनिश्चित करना मृत व्यक्तियों हेतु क्षतिपूर्ति के अतिरिक्त यह राज्य का कर्तव्य है कि वह लोगों को सुरक्षित और मानवीय कार्य दशाएं उपलब्ध करवाए।
लोगों के जीवन और आजीविका की सुरक्षा करना मानव जीवन की क्षति को रोकने हेतु अवैध खनन को प्रतिबंधित करना करना अत्यावश्यक है। हालांकि, रोजगार के अन्य अवसरों के अभाव के कारण लोगों को ऐसी संकटपूर्ण गतिविधियों में संलिप्त होना पड़ता है। इसलिए वैकल्पिक आजीविका के अवसरों का अनिवार्य रूप से सृजन किया जाना चाहिए।
 विनियामकीय विफलता की रोकथाम करना प्रतिबंध के बावजूद अवैध खनन अभी भी जारी है, इस प्रकार यह एक विनियामकीय और अनुपालन संबंधी विफलता को प्रकट करता है।
आर्थिक संवृद्धि एवं विकास सुनिश्चित करना अर्थव्यवस्था में खनन द्वारा अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान प्रदान किया जाता है। इसलिए व्यापक प्रतिबंध की पर्यावरणीय और आर्थिक लागत का आकलन करना राज्य हेतु महत्वपूर्ण है।
नौकरशाही और खदान स्वामियों के मध्य अवैध गठजोड़ को समाप्त करना राज्य पदाधिकारियों और खदान स्वामियों के मध्य भ्रष्ट सहयोग को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

हितों का संघर्ष 

  • विकास और पर्यावरणीय संरक्षण को सुनिश्चित करने के मध्य संतुलन बनाए रखना एक प्रमुख दुविधा है। 
  • साथ ही खदानों को बंद करने के परिणामस्वरूप खनिकों के समक्ष रोजगार की क्षति संबंधी समस्या उत्पन्न होगी। हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने पटाखों के प्रतिबंध संबंधी वाद में यह स्वीकार किया कि यदि न्यायपालिका वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध करवाने में सक्षम नहीं है तो उसे नौकरियों को समाप्त नहीं करना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त विधि निर्माताओं और प्रवर्तकों अर्थात् राजनीतिज्ञों तथा नौकरशाहों का कानून उल्लंघनकर्ताओं के साथ अवैध गठजोड़ होता है, अत: यह हितों के संघर्ष का एक स्पष्ट मामला है।

(b) यह मामला शासन की विफलता द्वारा उत्पन्न एक सामाजिक-आर्थिक समस्या के जटिल मुद्दे को प्रस्तुत करता है। समाधान के मार्गदर्शक सिद्धांत निम्नलिखित हैं:

  • पर्यावरणीय संधारणीयता: पारितंत्र का संरक्षण न केवल स्थानीय निवासियों हेतु अनिवार्य है बल्कि भावी पीढ़ियों के जीवन एवं आजीविका की सुरक्षा हेतु भी आवश्यक है।
  • सुरक्षित, सतत और सुनिश्चित रोजगार: खनिकों हेतु सामाजिक सुरक्षा, पर्यावरणीय सुरक्षा और श्रमिक वर्ग की गरिमा को सुनिश्चित करने वाले वैकल्पिक स्थानीय रोजगार उपलब्ध करवाए जाने की आवश्यकता है।
  • पारदर्शी स्वीकृति एवं विनियामकीय प्रक्रिया: राजनीतिज्ञों-खनिकों-नौकरशाहों के मध्य गठजोड़ को समाप्त करना। इसे एक डिजिटल मंच की स्थापना के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।
  • विधि का कठोरता से प्रवर्तन: नौकरशाह, राजनीतिज्ञ और खनिकों सहित उन सभी लोगों को, जो अवैध कृत्यों में संलिप्त हैं, दण्डित किया जाना चाहिए।
  • अनुचित उत्पीड़न से बचना: वैध खदानों को विनियमित किया जाना चाहिए। उनके स्वामियों का उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए। खदान में कार्य की दशाओं की समय-समय पर निगरानी की जानी चाहिए।

उपर्युक्त सिद्धांतों के आलोक में निम्नलिखित कार्य  संपादन की आवश्यकता है:

  • अवैध कोयला खदानों को प्रतिबंधित करने के NGT के आदेशों को अक्षरशः क्रियान्वित करना।
  • लाइसेंस प्राप्त खदानों में पर्याप्त सुरक्षा उपाय और मानवीय कार्य दशाएं सुनिश्चित करना।
  • क्षेत्र में सुरक्षित और संधारणीय खनन पारितंत्र के निर्माण की संभावनाओं के आकलन हेतु विशेषज्ञों के एक पैनल का गठन करना।
  • नौकरशाहों, राजनीतिज्ञों और खनिकों के मध्य अवैध गठजोड़ की जांच करना और किसी भी प्रकार की अवैध गतिविधियों की रिपोर्ट करना।
  • नीति में विद्यमान किसी त्रुटि या कमी, जिसके कारण खदान मालिकों को अनुचित रियायत/बचाव प्रदान किया जाता है, की समाप्ति सुनिश्चित करना।
  • NGOs और सरकारी संगठनों के साथ सहयोग में स्थानीय कौशलों और संसाधनों पर आधारित लघु और कुटीर उद्योगों के विकास द्वारा स्थानीय निवासियों हेतु वैकल्पिक आजीविका के अवसरों का सृजन करना।
  • सरकारी अभिकरणों और स्थानीय जनता के मध्य विश्वास में वृद्धि करना तथा विद्यमान अंतराल को समाप्त करने हेतु विश्वास सृजक उपायों को अपनाना।

विकासात्मक गतिविधियों, पर्यावरणीय संरक्षण एवं सुरक्षा तथा लोगों की आजीविका संबंधी चिंताओं के मध्य एक उचित संतुलन बनाए रखना समय की आवश्यकता है।

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