संचार नेटवर्क और भारत की आंतरिक सुरक्षा के मध्य परस्पर निर्भरता : चुनौतियां और सरकार द्वारा उठाए गए कदम

प्रश्न: भारत की आंतरिक सुरक्षा को खतरा संचार नेटवर्कों के माध्यम से एवं स्वयं संचार नेटवर्कों को खतरा होने, दोनों ही प्रकार से हो सकता है। चर्चा कीजिए। साथ ही, नेटवर्कों को अधिक सुरक्षित बनाने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डालिए।(150 words)

दृष्टिकोण

  • संचार नेटवर्क और भारत की आंतरिक सुरक्षा के मध्य परस्पर निर्भरता की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
  • इस प्रकार के संचार नेटवर्कों के माध्यम से और संचार नेटवर्कों के समक्ष उत्पन्न खतरों की चर्चा कीजिए।
  • इन खतरों का समाधान करने से संबंद्ध कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों की व्याख्या कीजिए। 
  • इस संबंध में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को रेखांकित कीजिए।

उत्तर

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 संचार नेटवर्क को महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना का एक भाग मानता है जिसकी अक्षमता या विनाश के राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य या सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। निम्नलिखित कारक संचार नेटवर्कों की सुभेद्यता को गंभीर बनाते हैं:

  • क्षेत्रकों की अंतर्संबद्धता 
  • जोखिम बिंदुओं (exposure points) का प्रसार
  • परिसंपत्तियों का एक ही स्थान पर संकेन्द्रण

इसलिए, आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा संचार नेटवर्क के माध्यम से और संचार नेटवर्क के लिए, दोनों ही प्रकार से उत्पन्न होता

नेटवर्क से/नेटवर्क के माध्यम से उत्पन्न खतरा:

  • इसमें वायरस, वर्स, बॉटनेट, फ़िशिंग आदि की सहायता से हैकिंग, डेटा चोरी, साइबर धोखाधड़ी, साइबर आतंकवाद आदि सम्मिलित हैं। इसका सरकारी प्रणालियों, व्यावसायिक पारितंत्रों (बिजनेस इकोसिस्टम्स) और बैंकों एवं शेयर बाजार  है। (स्टॉक एक्सचेंज) जैसे वित्तीय संस्थानों पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है।
  • इन नेटवर्कों का उपयोग आतंकवादी समूहों द्वारा संचार, धन के हस्तांतरण, कट्टरवाद और चरमपंथी विचारधाराओं के प्रसार के लिए किया जा सकता है।

नेटवर्क के लिए उत्पन्न खतरा:

  • राष्ट्र राज्यों, गैर राज्य अभिकर्ताओं और व्यक्तियों द्वारा संचार नेटवर्क की डेटा अखंडता, सूचना गोपनीयता और नेटवर्क की उपलब्धता को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया जा सकता है।
  • संचार नेटवर्क पर आक्रमण नागरिक उड्डयन, पोत-परिवहन, रेलवे, विद्युत, परमाणु ऊर्जा, तेल एवं गैस, वित्त, बैंकिंग, संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, कानून प्रवर्तन, खुफिया एजेंसियों, अंतरिक्ष, रक्षा, और सरकारी नेटवर्कों जैसी अन्य महत्वपूर्ण अवसंरचना की कनेक्टिविटी के समक्ष खतरे उत्पन्न करता है।

हालांकि भारत में संचार नेटवर्क को सुरक्षित करना एक जटिल कार्य है, क्योंकि संचार पारितंत्र का निर्माण करने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का एक महत्वपूर्ण भाग बाह्य स्रोतों पर आधारित है, जो इसकी सुभेद्यता को बढ़ाता है।

इसे ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं:

  • युक्तियों और उपकरणों के लिए दूरसंचार परीक्षण और सुरक्षा प्रमाणन जैसे सुरक्षा मानकों का विकास करना; उन्हें वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाए रखना तथा विद्यमान विधिक और नियामक ढांचे में सामंजस्य स्थापित करना।
  • व्यापक सुरक्षा प्रमाणन व्यवस्था की स्थापना और अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त घरेलू परीक्षण केन्द्रों एवं प्रयोगशालाओं के माध्यम से संस्थागत क्षमता के संवर्द्धन द्वारा सुरक्षा परीक्षण प्रक्रियाओं को सशक्त बनाना।
  • भारत में संचार नेटवर्क और सेवाओं पर लागू होने वाली क्रिप्टोग्राफी से संबंधित विधिक और नियामक व्यवस्था का वैश्विक मानकों के साथ सामंजस्य स्थापित करके एन्क्रिप्शन और डेटा प्रतिधारण पर एक नीति तैयार करना।
  • सुरक्षा, चोरी और अन्य चिंताओं को संबोधित करने के लिए केन्द्रीय उपकरण पहचान रजिस्ट्री की स्थापना करके नागरिकों की रक्षा और सुरक्षा को सुसाध्य करना।
  • कानून एवं व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के कार्यान्वयन के लिए अत्याधुनिक वैध अवरोधन तथा विश्लेषण प्रणालियों का उपयोग करके सभी प्रकार के डिजिटल संचार के वैध अवरोधन को सुसाध्य करना।
  • डिजिटल संचार नेटवर्कों, डिवाइसों और सेवाओं से संबंधित सुरक्षा संबंधी समस्याओं के विषय में उपयोगकर्ताओं के मध्य जागरूकता बढ़ाना।
  • क्षेत्रीय सिक्योरिटी इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (CSIRT) के माध्यम से एक सुरक्षा घटना प्रबंधन और प्रतिक्रिया प्रणाली की स्थापना करना।
  • भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) और क्षेत्रीय CERT सहित आवश्यकतानुसार विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के मध्य सूचना के आदान-प्रदान और समन्वय में सुधार करना।

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