सांस्कृतिक संवेदनशीलता की व्याख्या

प्रश्न:आप सांस्कृतिक संवेदनशीलता से क्या समझते हैं? उन रीतियों की पहचान कीजिए जिनसे भारत में व्यक्ति और संगठन सांस्कृतिक संवेदनशीलता से लाभान्वित हो सकते हैं।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में, सांस्कृतिक संवेदनशीलता की व्याख्या करते हुए उत्तर आरंभ कीजिए।
  • संक्षेप में व्याख्या कीजिए कि सांस्कृतिक संवेदनशीलता से व्यक्ति और संगठन कैसे लाभान्वित होते हैं।
  • उपर्युक्त बिंदुओं के आधार पर निष्कर्ष प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर

सांस्कृतिक संवेदनशीलता से तात्पर्य विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के संबंध में जानने और उनको समझने की क्षमता से है। सांस्कृतिक संवेदनशीलता अनावश्यक रूप से निर्णयात्मक (judgemental) होने की अपेक्षा लोगों को अन्य संस्कृतियों के प्रति समानुभूति रखने वाला बनने में सहायता करती है। भारत जैसे विविधताओं वाले देश के लिए ये कौशल महत्वपूर्ण हैं जहां विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और नृजातीयता के लोग एक साथ रहते हैं।

सांस्कृतिक संवेदनशीलता निम्नलिखित रीतियों से व्यक्तियों की सहायता कर सकती है:

  • यह नृजातिकेंद्रिकता (स्वयं को श्रेष्ठ संस्कृति का मानना) की बुराई से बचाता है। उदाहरण के लिए: सांस्कृतिक संवेदनशीलता सुनिश्चित करती है कि उत्तर-पूर्वी भारत के किसी व्यक्ति को भारत के अन्य भागों में भयाक्रांत न किया जाए और न ही देश के अन्य भाग के लोगों के साथ ऐसा हो।
  • विविध सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य व्यक्ति में रचनात्मकता उत्पन्न कर सकते हैं एवं नवाचार को प्रेरित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए: उबले और तले हुए स्वरूप में हिमालयी क्षेत्र का पारंपरिक व्यंजन मोमो उत्तरी भारत में लोकप्रिय है।
  • यह स्थानीय लोगों और प्रवसियों के विश्वासपूर्ण वातावरण के निर्माण में सहायता करती है। उदाहरण के लिए: बिहार के किसी व्यक्ति की तमिलनाडु में बेहतर स्वीकार्यता होगी यदि वह तमिल शिष्टाचार और भाषा से अवगत होगा।
  • यह पार-सांस्कृतिक संचार के सूक्ष्म भेदों को समझने में व्यक्ति की सहायता करती है और इस प्रकार व्यक्ति को अनावश्यक समस्याओं या गलतफहमियों में पड़ने से बचाती है। उदाहरण के लिए: किसी विशेष संस्कृति में आक्रामक माने जाने वाले शाब्दिक या अशाब्दिक हावभाव का उपयोग।

सांस्कृतिक संवेदनशीलता निम्नलिखित तरीकों से संगठनों की सहायता कर सकती है:

  • नए बाजारों के विस्तार होने पर, सांस्कृतिक संवेदनशीलता से उच्च गुणवत्ता, लक्षित विपणन में सहायता मिल सकती है। उदाहरण के लिए: मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में मैकडॉनल्ड्स द्वारा हलाल करके काटे गए मांस का उपयोग और यहूदी बहुल क्षेत्रों में कोशर (कोषेर) खाद्य उत्पादों का उपयोग।
  • यह लोगों की आवश्यकताओं के अनुकूल उनके सांस्कृतिक त्योहारों के दौरान विशिष्ट उत्पाद उपलब्ध कराकर लाभ कमाने में भी सहायता कर सकता है। उदाहरण के लिए, दीवाली के दौरान चीनी बत्तियां या नवरात्र हेतु विशेष भोजन।
  • विविधतापूर्ण कार्यबल वाले संगठनों में सांस्कृतिक सुग्राह्यता समावेशी परिवेश का निर्माण कर सकती है।
  • इससे किसी संगठन की प्रतिष्ठा भी बढ़ सकती है।

भारत में द्रविड़ से लेकर नगा संस्कृतियों तक; एकेश्वरवाद से लेकर बहुदेववाद को मानने वाले; मांसाहार प्रेमियों से लेकर सख्त शाकाहारी तक; और जींस पहनने से लेकर बुर्का पहनने वाली महिलाओं तक, विविधतापूर्ण पृष्ठभूमि वाले लोग रहते हैं। सांस्कृतिक सुग्राह्यता के साथ-साथ इस प्रकार की विविधता व्यक्ति के समग्र विकास के साथ-साथ संगठनों की लाभप्रदता के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है।

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