समुद्री पारितंत्र पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव की समस्या : समस्या के समाधान हेतु उपाय

प्रश्न: समुद्री जीवन, प्रति वर्ष समुद्र में पहुंचने वाले लाखों टन प्लास्टिक कचरे के कारण ‘अपूरणीय क्षति’ का सामना कर रहा है। इस संदर्भ में, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव का परीक्षण कीजिए और इस समस्या के समाधान हेतु कुछ उपाय सुझाइये।(150 words)

दृष्टिकोण

  • समुद्री पारितंत्र पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव की समस्या को उजागर करते हुए उत्तर आरम्भ कीजिए।
  • समुद्री पारितंत्र पर प्लास्टिक प्रदूषण के प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
  • इस ख़तरे से निपटने के लिए आवश्यक कदमों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

एक आकलन के अनुसार, प्रत्येक वर्ष 10 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में बहकर पहुंचता है। विश्व आर्थिक मंच (WEF) के एक अध्ययन के अनुसार, 2050 तक महासागरों में मछलियों से अधिक प्लास्टिक होगा। समुद्री प्लास्टिक के मुख्य स्रोत शहरों से बहकर तथा तूफानों में उड़कर पहुँचा प्लास्टिक, औद्योगिक गतिविधियाँ, मत्स्य उद्योग तथा मत्स्यपालन आदि हैं।

समुद्री परितंत्र पर प्लास्टिक प्रदूषण का प्रभाव:

  • समुद्री जीवों पर: 
  • समुद्री पक्षी, कछुए, डॉल्फिन तथा सील आदि मछली पकड़ने के जाल जैसे प्लास्टिक अपशिष्टों में उलझ कर घायल हो जाते हैं। ग़लती से वे इसे निगल भी लेते हैं जिससे आतंरिक अवरोध के चलते मृत्यु भी हो जाती है। 
  • एक हालिया अध्ययन के अनुसार प्लास्टिक के संपर्क में आने वाले प्रवालों के बीमार होने की संभावना 89% तक होती  है।
  •  छोटे समुद्री जंतुओं द्वारा सूक्ष्म प्लास्टिक को आहार के रूप में ग्रहण कर लिया जाता है जिससे यह खाद्य श्रृंखला में भी प्रवेश कर जाता है। इसका प्रभाव अपेक्षाकृत बड़े प्राणियों यथा- मनुष्यों में प्लास्टिक के जैव-एकत्रीकरण के रूप में सामने आता है।

समुद्री तथा तटीय अर्थव्यवस्था पर:

  •  प्लास्टिक अपशिष्ट, पर्यटन स्थलों के सौन्दर्यात्मक मूल्य की क्षति कर पर्यटन से होने वाली आय में कमी लाते हैं। 
  • UN के अनुसार, प्लास्टिक के कारण समुद्री परितंत्र को होने वाली पर्यावरणीय क्षति 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक होती है। इसमें समुद्र तटों की सफ़ाई पर आने वाली लागत तथा मत्स्य-उद्योग को होने वाली क्षति भी सम्मिलित है।

महासागरीय स्वास्थ्य पर:

  •  प्लास्टिक अपशिष्ट महासागर के ऐसे क्षेत्रों में एकत्रित हो जाते हैं जहाँ पवन के प्रभाव से चक्रीय गति में धाराएँ घूमती रहती हैं, जिन्हें जायर (gyres) भी कहा जाता है। ये किसी भी प्लवनशील कचरे को अपनी ओर खींच लाती है। उदाहरण के लिए उत्तर-मध्य प्रशांत महासागर में ग्रेट पैसिफ़िक गार्बेज पैच (विशाल प्रशांत कचरा पट्टी) विश्व में प्लास्टिक का सर्वाधिक विशाल संचय है।
  • प्लास्टिक अपशिष्टों के दहन (Incineration) से कार्बन उत्सर्जन बढ़ता है जिससे महासागरीय स्वास्थ्य तथा इसमें पाए जाने वाले जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण की समस्या से निपटने हेतु आवश्यक उपाय निम्नलिखित हैं:

  • बेहतर अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए वित्तीय बाधाओं को कम करना, विशेषतः चीन, इंडोनेशिया जैसे देशों में, जो महासागरों में प्रवेश करने वाले 60% प्लास्टिक कचरे के लिए उत्तरदायी हैं।
  • एक-रेखीय अर्थव्यवस्था (निर्माण, उपयोग, निपटान) को छोड़कर एक चक्रीय प्रकृति की अर्थव्यवस्था को अपनाना जिसमें प्लास्टिक जैसे संसाधनों को प्रयोग में लाए जाने के बाद उसे पुनर्णाप्त कर दोबारा उपयोग के योग्य बनाया जाए।
  • उद्योगों द्वारा ऐसी पहलों के समर्थन की आवश्यकता है जो प्लास्टिक का पुनर्चक्रण तथा उनका समुचित निपटान कर सकें। उन्हें तत्काल वैकल्पिक रूप से संधारणीय पैकेजिंग व्यवस्था आरम्भ करनी चाहिए।
  • प्लास्टिक प्रदूषण सभी महासागरों में समुद्री जीवन को प्रभावित करता है अतः सरकारों, नागरिक समाजों तथा वैश्विक संगठनों द्वारा इस सन्दर्भ में बहुपक्षीय प्रयासों की आवश्यकता है।
  • अधिकाधिक देशों को, सार्वजनिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से विद्यालयी पाठ्यक्रम में प्लास्टिक तथा अपशिष्ट प्रबंधन सम्बन्धी शिक्षा को शामिल करना चाहिए।

समस्या की व्यापकता को समझते हुए, UN पर्यावरण तथा विश्व प्लास्टिक मंच जैसी कई वैश्विक पहलों का आरम्भ किया गया है। न्यू प्लास्टिक इकॉनमी ग्लोबल कमिटमेंट, सम्पूर्ण प्लास्टिक उपयोग के 20% के लिए उत्तरदायी 250 संस्थाओं द्वारा आरम्भ किया गया एक अभियान है जिसका लक्ष्य प्लास्टिक के लिए एक चक्रीय प्रकृति की (circular) अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। भारत और कनाडा सहित अनेक देशों ने निकट भविष्य में एकल-प्रयोग प्लास्टिक का उपयोग बंद करने का लक्ष्य रखा है।

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