डीएनए प्रोफाइलिंग की व्याख्या : डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक, 2018
प्रश्न: डीएनए प्रोफाइलिंग की व्याख्या कीजिए और इसके फॉरेंसिक अनुप्रयोग पर प्रकाश डालिए। साथ ही इस संबंध में डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक, 2018 के महत्व पर चर्चा कीजिए। (150 शब्द)
दृष्टिकोण
- डीएनए प्रोफाइलिंग की व्याख्या कीजिए।
- फॉरेंसिक विज्ञान में डीएनए प्रोफाइलिंग के अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालिए।
- डीएनए प्रौद्योगिकी विधेयक, 2018 पर चर्चा कीजिए।
- व्याख्या कीजिए कि यह विधेयक इस संदर्भ में किस प्रकार डीएनए डेटा को विनियमित करने का प्रयास कर रहा है।
उत्तर
डीएनए प्रोफाइलिंग एक विधि है जहां एक व्यक्ति से एक विशिष्ट डीएनए प्रतिरूप अथवा शारीरिक ऊतक का नमूना प्राप्त किया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के डीएनए प्रोफ़ाइल में विशिष्ट भाग होते हैं जो अद्वितीय होते हैं तथा बार-बार स्वयं की पुनारावृत्ति करते हैं और ये उनके माता-पिता से वंशानुगत रूप में उन्हें प्राप्त होते हैं।
फॉरेंसिक विज्ञान में डीएनए प्रोफाइलिंग के विभिन्न लाभ हैं। डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से संबंधित व्यक्ति की पहचान करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए प्रतिरूप अद्वितीय होता है और इस प्रकार हिंसक अपराधों में दोषसिद्धि को सुनिश्चित किया जा सकता है। डीएनए प्रोफाइलिंग का उपयोग आपराधिक जांच में किया जा सकता है, जिससे यह संभवतः मुक़दमे की अवधि को कम करने के साथ ही अपराधी द्वारा स्वतः ही अपराध की स्वीकृति को संभव बनाएगा। यह कुछ अपराधियों को गंभीर अपराध करने से रोक सकता है। फॉरेंसिक डीएनए साक्ष्य के बढ़ते उपयोग से दोषसिद्धि की दर में वृद्धि होगी तथा साथ ही आपराधिक न्याय प्रणाली में लगने वाले अत्यधिक समय में कमी आएगी।
इस संदर्भ में, डीएनए प्रौद्योगिकी (प्रयोग और लागू होना) विनियमन विधेयक, 2018 प्रस्तुत किया गया है जो डीएनए डेटा को विनियमित करने का प्रयास करता है। इसका महत्व निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:
- डीएनए परीक्षण की अनुमति केवल IPC 1860 के अंतर्गत अपराधों, पितृत्व के निर्धारण अथवा परित्यक्त बच्चों की पहचान संबंधी सूचीबद्ध मामलों के लिए प्रदान की जाएगी।
- ऐसे अपराधों (जिसमें सात वर्ष से अधिक के दंड का प्रावधान है) में साक्ष्य संग्रह के लिए गिरफ्तार व्यक्ति से अधिकारियों को सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। यह प्रावधान निजता के अधिकार और दोषसिद्धि के विरुद्ध अधिकार को सीमित करता है।
- एक डीएनए विनियामक बोर्ड यह सुनिश्चित करेगा कि डेटा बैंक, प्रयोगशालाओं और अन्य व्यक्तियों के साथ डीएनए प्रोफाइल से संबंधित सभी सूचनाएं गोपनीय रखी जाएंगी। इस निकाय को अधिक शक्तिशाली और अपर्याप्त रूप से पारदर्शी या उत्तरदायी माना जाता है।
- डीएनए संबंधी सूचना का प्रकटीकरण करने पर तीन वर्ष तक का कारावास और एक लाख रुपए तक जुर्माना के साथ दंड का प्रावधान होगा। इस प्रावधान की आलोचना की गई है क्योंकि यह केवल आरोपी को दंडित करता है जबकि कमजोर अथवा असुरक्षित मानकों के कार्यान्वयन पर किसी प्रकार के दंड का प्रावधान नहीं किया गया है।
- यह विधेयक दोषमुक्ति पर सूचनाओं को समाप्त करने का प्रावधान करता है। इसका तात्पर्य यह है कि डेटाबेस में सूचना, कुछ दशकों तक (यहां तक कि सुनवाई के दौरान और ऐसे संदिग्ध व्यक्ति के मामले में जिन पर आरोप तय (चार्ज) नहीं किए गए हैं) विद्यमान रहेगी।
इस विधेयक को नैतिक सिद्धांतों के साथ संबद्ध किया जाना चाहिए जैसा कि 2017 में विधि आयोग की रिपोर्ट में व्यक्ति, उपकारिता (beneficence) और न्याय के प्रति सम्मान के संबंध में प्रस्तुत किया गया।
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