MSMEs द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न चुनौतियों और इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार और RBI द्वारा उठाए गए कदम
प्रश्न: ऋण तक पहुंच स्थापित करने में MSMEs द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालिए। साथ ही, इस समस्या का समाधान करने के लिए सरकार और RBI द्वारा हाल ही में उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
दृष्टिकोण
- ऋण तक पहुंच स्थापित करने में MSMEs द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
- RBI और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की चर्चा कीजिए।
उत्तर
आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को कुल दिये गए ऋणों का केवल 17.4% ही प्राप्त हुआ।
ऋण तक पहुंच स्थापित करने में MSMEs द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ:
- कॉर्पोरेट या खुदरा-वेतनभोगी ग्राहकों के लिए संस्थागत ऋणों को प्राथमिकता दी जाती है। अस्थिर आय वाले MSMEs को बैंको से ऋण प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
- आर्थिक चक्र भी MSMEs के ऋणों को प्रभावित करता है। चूंकि कई MSMEs द्वारा बड़े उद्योगों को आपूर्ति प्रदान की जाती है, अतः जब औपचारिक अर्थव्यवस्था द्वारा बेहतर प्रदर्शन किया जाता है तो इन्हें भी अपेक्षाकृत सरलता से वित्त प्राप्त हो जाता है। मंद औद्योगिक विकास (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां और बाह्य कारकों के कारण) की स्थिति में MSMEs को प्राप्त होने वाले ऋण में भी गिरावट आती है।
- लगभग 40% ऋण अनौपचारिक स्रोतों से प्राप्त होता है जहां ऋण दर औपचारिक बाजार की तुलना में लगभग दोगुना अधिक हो सकती है। लघु ऋण वित्तीय फर्मों के लिए महंगा होता है, क्योंकि प्रारंभिक आकलन लागत अधिक होती है, जोखिम और व्यावसायिक योजनाओं का आकलन करना होता है और इसलिए प्रति ऋण लेन-देन लागतें अधिक होती हैं।
- डिजिटल माध्यम से ऋण प्राप्त करने तक पहुंच प्राप्त न होना।
- विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर (GST) के हालिया प्रभावों के पश्चात् बाजार में नकदी की कमी का होना।
वर्तमान परिदृश्य में सुधार हेतु उठाए गए कदम:
- RBI ने MSMEs के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण प्रदान करने संबंधी मानदंडों को शिथिल किया गया है।
- RBI द्वारा कई कदम उठाए गए हैं, जैसे कि व्यापार-प्राप्य छूट प्रणाली स्थापित करना तथा बैंकों को इस क्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ ऋणों के सह-सृजन की अनुमति प्रदान करना। जिन MSMEs द्वारा अपने ऋणों का समय पर भुगतान नहीं किया गया है RBI द्वारा उन्हें इन मौजूदा ऋणों को एक मुश्त पुनर्संरचित करने की अनुमति प्रदान की गई है।
- MSME क्षेत्रक को सरकारी सहायता और भविष्य की योजनाओं से संबंधित पहल: इस पहल के तहत MSMEs के लिए ऋण तक आसान पहुंच को सक्षम बनाने हेतु 59 मिनट ऋण पोर्टल की स्थापना की गई है। इस पोर्टल के माध्यम से 1 करोड़ रूपए तक का ऋण प्रदान किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (CPSE) हेतु MSMEs से 25% खरीद को अनिवार्य बना दिया गया है तथा सभी GST पंजीकृत MSMEs को नए या वृद्धिशील ऋणों पर 2% ब्याज की छूट प्रदान की जाएगी।
- वर्तमान में एक करोड़ रूपए से कम के अधिकांश ऋणों को प्रतिभूतिकृत कर दिया गया है।
- MSMEs हेतु ऋणों के संदर्भ में बैंकों के लिए पूँजी मानदंडों को शिथिल बनाया गया है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSBs) का पूंजीकरण तथा पूँजी का संग्रहण।
- MSMEs के डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करना।
MSMEs के लिए नकद प्रवाह संबंधी अवरोधों को कम करने हेतु 2 वर्षों से अधिक की बैंक गारंटी पर वसूल किए जाने वाले शुल्क का वार्षिक आधार पर डेबिट किया जाना तथा बेहतर पुनर्भुगतान ट्रैक रिकॉर्ड वाले MSMEs को छूट प्रदान करने जैसे अन्य उपायों पर भी विचार किया जा सकता है|
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