पोषण (POSHAN) अभियान : अभियान के तहत प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्य

 प्रश्न: पोषण (POSHAN) अभियान की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, समझाइए कि यह कुपोषण मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में पिछले हस्तक्षेपों की तुलना में कैसे समुन्नत है?(150 words) 

दृष्टिकोण

  • पोषण अभियान की चर्चा करते हुए उत्तर का आरंभ कीजिए।
  • इस अभियान के तहत प्राप्त किए जाने वाले लक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।
  • अभियान की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए, उल्लेख कीजिए कि योजना में प्रस्तावित प्रावधान पूर्व की पहलों की तुलना में कैसे बेहतर हैं।

उत्तर

सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय पोषण रणनीति’ के एक भाग के रूप में पोषण अभियान की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत 2022 तक कुपोषण को समाप्त करने की परिकल्पना की गई है। इस अभियान के अंतर्गत ठिगनेपन, अल्पपोषण, एनीमिया (युवा बच्चों, महिलाओं और किशोर लड़कियों में) और नवजात शिशुओं में जन्म के समय कम वजन जैसी समस्याओं को प्रतिवर्ष क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मिशन का लक्ष्य 2022 तक 0-6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन की समस्या को 38.4% से कम कर 25% स्तर तक लाना है।

पूर्व में, एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), जननी सुरक्षा योजना, मातृत्व सहयोग योजना, मध्याह्न भोजन (MDM) योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन जैसी विभिन्न सरकारी पहलों की शुरुआत की गई थी। इन कार्यक्रमों का प्रमुख लक्ष्य पोषण की स्थिति में सुधार करना था। लेकिन कुपोषण संबंधी चिंता लगातार बनी हुई है।

पूर्व की योजनाओं में विभिन्न नए तत्वों को शामिल करके पोषण अभियान प्रारंभ किया गया है, जिसकी निम्नलिखित विशेषताएं

  • समन्वित दृष्टिकोण: केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के स्तर पर विद्यमान विभिन्न मंत्रालयों/विभागों द्वारा कुपोषण से निपटने हेतु भिन्न-भिन्न तरीकों से कार्य किया जा रहा है। पोषण अभियान के अंतर्गत केंद्रीय स्तर पर पोषण चुनौतियों पर राष्ट्रीय परिषद और पोषण अभियान कार्यकारी समिति के माध्यम से, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर पर कन्वर्जेंस एक्शन प्लान के माध्यम से तथा ग्रामीण स्तर पर हाई स्पीड नेटवर्क के माध्यम से आवश्यक समन्वय स्थापित किया जाएगा।
  • तकनीक का उपयोग: इसके तहत निचले स्तर के कर्मचारियों (frontline functionaries) अर्थात् आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और महिला पर्यवेक्षकों को स्मार्टफोन प्रदान कर सशक्त बनाया जाएगा तथा वर्तमान में उपयोग में लाई जा रही पारंपरिक रजिस्टर आधारित प्रक्रिया को समाप्त किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए विशेष रूप से विकसित ICDS-कॉमन एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर’ के माध्यम से डेटा कैप्चर किया जाता है, निर्दिष्ट सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित किया जाता है और जहाँ भी आवश्यकता हो, वहां हस्तक्षेप भी किया जा सकता है। यह सभी स्तरों पर रियल टाइम निगरानी को सक्षम बनाता है।
  • विभिन्न स्तरों पर प्रोत्साहन: इसमें लक्ष्य की समय से पूर्व प्राप्ति करने वाले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों हेतु तथा बेहतर सेवा वितरण के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं जैसे निचले स्तर के कर्मचारियों हेतु प्रोत्साहन के साथ-साथ लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा और ANM हेतु टीम-आधारित प्रोत्साहन शामिल हैं।
  • बेहतर जन सहभागिता: इसका उद्देश्य कुपोषण की समस्या की अंतर-पीढ़ीगत और बहुआयामी प्रकृति के प्रति समझ विकसित करना और उसके माध्यम से लोगों के व्यवहारगत परिवर्तन को प्रेरित करते हुए कुपोषण के उन्मूलन को जनआन्दोलन का रूप प्रदान करना है। इसमें बच्चों की स्वास्थ्य प्रगति को ट्रैक करने के लिए सोशल ऑडिट तंत्र को भी शामिल किया गया है।
  • अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप: इस अभियान के तहत सुनिश्चित किया गया है कि राष्ट्रीय पोषण संसाधन केंद्र (NNRC) और फूड फोर्टिफिकेशन रिसोर्स सेंटर (FFRC) द्वारा संस्थागत समर्थन के माध्यम से पोषण सम्बन्धी पहले नवीनतम अनुसंधान और साक्ष्य द्वारा निर्देशित और सूचित होनी चाहिए।
  • लक्षित दृष्टिकोण: इसने ठिगनेपन को 2%, एनीमिया को 3% और नवजात शिशुओं में जन्म के समय कम वजन की समस्या को 2% कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.