भारत में उच्च शिक्षा : इस संदर्भ में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के महत्व एवं इसके प्रदर्शन का उल्लेख
प्रश्न: भारत में उच्च शिक्षा का ध्यान कुछ चुनिंदा केन्द्रीय या स्वायत्त संस्थानों पर केन्द्रित रहा है, जबकि राज्यों में स्थित संस्थान उपेक्षित रहे हैं। इस कथन पर टिप्पणी करते हुए, इस संदर्भ में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के महत्व पर प्रकाश डालिए।
दृष्टिकोण
- परिचय में, भारत में उच्च शिक्षा के संदर्भ में तथ्यात्मक जानकारी दीजिए।
- आंकड़ों और उदाहरणों के माध्यम से दर्शाइए की किस प्रकार उच्च शिक्षा का ध्यान प्रमुख केंद्रीय संस्थानों पर ध्यान केंद्रित रहा है, जबकि राज्य स्तरीय संस्थान उपेक्षित रहे हैं।
- इस संदर्भ में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) के महत्व एवं इसके प्रदर्शन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
भारत में 800 से अधिक विश्वविद्यालय हैं जिनसे 40,000 से अधिक कॉलेज संबद्ध हैं। उच्च शिक्षा अध्ययन के लगभग 94% छात्र 369 राज्य विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत हैं; हालांकि, केंद्र सरकार का मुख्य फोकस प्रमुख शिक्षण संस्थानों एवं केंद्रीय विश्वविद्यालयों पर रहा है जो की निम्नलिखित द्वारा स्पष्ट हैं:
- 11वीं पंचवर्षीय योजना से उच्च शिक्षा के बजट में नौ गुना वृद्धि होने के बावजूद, राज्य स्तरीय संस्थानों में अधिक सुधार नहीं हो पाया है।
- अधिकांश फंड का उपयोग ज्यादा से ज्यादा IIT, IIM और केंद्रीय विश्वविद्यालयों को प्रारंभ करने हेतु किया जाता हैं।
- लगभग 150 केन्द्रीय वित्त पोषित संस्थानों (जहां 6% से कम छात्र अध्ययनरत हैं) को अधिक फण्ड प्राप्त होते हैं।
- चूंकि उच्च शिक्षा राज्य सरकारों के लिए कम प्राथमिकता वाला क्षेत्र है इसलिए इस क्षेत्र के अंतर्गत उनका निवेश निरंतर कम हो रहा है।
- राज्य संस्थानों को प्रत्यक्ष हस्तांतरण की UGC प्रणाली द्वारा राज्य सरकारों की उपेक्षा होने के कारण भी ये संस्थान उपेक्षित हो रहे हैं।
- नई योजनाएं जैसे- RISE/HEFA केवल केन्द्रीय संस्थानों पर केंद्रित हैं।
इन समस्याओं का समाधान करने हेतु मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) आरंभ किया गया था। यह योजना मुख्यतः राज्य सरकारों के माध्यम से जारी धन के सशर्त हस्तांतरण पर आधारित है तथा प्रशासन, अधिगम-शिक्षण परिणामों, समावेश और अवसंरचना समर्थन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुधार से जुड़ी हुई है।
RUSA का महत्व निम्न में निहित है:
- चूंकि वित्त पोषण प्रदर्शन निगरानी हेतु एक प्रमुख शर्त है और मूल्यांकन प्रणाली जैसे जिओ-टैगिंग, लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली, एक फंड ट्रैकर एवं रिफार्म ट्रैकर सिस्टम और नियमित वीडियो कांफ्रेंस भी प्रभावी सिद्ध हुई है।
- अधिगम-शिक्षण परिणामों में सुधार करने हेतु, निम्नलिखित के लिए प्रयास किए जाने चाहिए:
- संकाय की क्षमता निर्माण द्वारा अध्यापन में सुधार,
- एक पारदर्शी पद्धति के माध्यम से शिक्षकों का चयन,
- अनिवार्य गुणवत्ता-आश्वासन संरचना के रूप में प्रमाणीकरण को अपनाना,
- सेमेस्टर प्रणाली को कार्यान्वित करना
- 2017 में IIT बॉम्बे द्वारा की गई एक प्रदर्शन समीक्षा से ज्ञात हुआ है कि RUSA के प्रारंभ होने के पश्चात सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio:GER), अध्यापक रिक्तियों तथा शिक्षक-छात्र अनुपात में उल्लेखनीय सुधार हुए
- मान्यता प्राप्त संस्थानों की संख्या एवं उनके स्कोर में भी प्रगति हुई है।
हालांकि, यह देखा गया है कि:
- RUSA के सुचारू कार्यान्वयन हेतु कई स्थानों पर पर्याप्त कर्मचारी तथा अन्य सुविधाओं को अग्रिम रूप से प्रदान नहीं किया गया था।
- सेमेस्टर प्रणाली के कारण शिक्षण दिवसों में कमी आई है। जिसके कारण कार्यभार में वृद्धि हुई है और परिणामों की घोषणा में भी विलंब हुआ है।
RUSA राज्य स्तर पर उच्च शिक्षा को अधिक अनुकूल, पारदर्शी तथा सुधार उन्मुख बनाने में एक प्रमुख भूमिका का निर्वहन कर रही है। नियमित निगरानी, राज्यों को प्रदत्त तिरिक्त वित्त पोषण और सहायता का इस पहल का इष्टतम सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होगा।
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