सामाजिक असमानता और सामाजिक अपवर्जन की अवधारणाओं का उल्लेख

प्रश्न: पर्याप्त उदाहरण प्रस्तुत करते हुए, सामाजिक असमानता और सामाजिक अपवर्जन के अर्थ की व्याख्या कीजिए। भारत के संदर्भ में, इनकी उपस्थिति के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों की पहचान कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सामाजिक असमानता और सामाजिक अपवर्जन की अवधारणाओं का उल्लेख करते हुए समाज में व्याप्त उनके कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  • तत्पश्चात भारत में इनकी उपस्थिति हेतु उत्तरदायी विभिन्न कारकों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

किसी समाज में विभिन्न सामाजिक क्षेत्रकों अथवा श्रेणियों से सम्बंधित लोगों हेतु सामाजिक संसाधनों तक पहुंच के संदर्भ में विद्यमान अवसरों की असमानता और भेदभाव को सामाजिक असमानता के रूप में वर्णित किया जाता है। सामाजिक संसाधनों में आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पूँजी को शामिल किया जाता है। सामाजिक असमानता लोगों के मध्य जन्मजात अथवा ‘प्राकृतिक’ विभिन्नताओं का परिणाम नहीं है बल्कि यह उस समाज द्वारा उत्पादित है जिसमें वे रहते हैं। यह सामाजिक स्तरीकरण का मार्ग प्रशस्त करती है।

ये असमानताएं राजनीतिक असमानता (अर्थात् विधि के समक्ष नागरिक समानता न होना), आय और सम्पत्ति में असमानता, जीवन संबंधी असमानता आदि का रूप धारण कर लेती हैं। उदाहरणार्थ, किसी दलित के लिए परम्परागत व्यवसायों यथा कृषि श्रम, मैला उठाने अथवा चर्म कार्य इत्यादि तक सीमित होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।

सामाजिक अपवर्जन इससे भिन्न होता है। यह उन रीतियों को संदर्भित करता है जिनमें व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह विस्तृत समाज में पूर्ण समावेशन से पृथक हो जाते हैं। यह व्यक्तियों और व्यक्तियों के समूहों को भोजन, आवास, अनिवार्य वस्तुओं और सेवाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, बीमा, सामाजिक सुरक्षा, बैंकिंग तथा पुलिस एवं न्यायपालिका तक पहुंच जैसी बहुसंख्यक जनसंख्या हेतु सुलभ सुविधाओं को प्राप्त करने से प्रतिबंधित कर देता है।

व्यक्ति प्राय: अपने लिंग, धर्म, नृजातीयता, भाषा, जाति और नि:सशक्तता के कारण सामाजिक अपवर्जन का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए, किसी अल्पसंख्यक धार्मिक और नृजातीय समूह के किसी मध्यम वर्गीय पेशेवर को किसी मध्यम वर्गीय कॉलोनी में आवास प्राप्ति हेतु कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसी प्रकार दिव्यांगजन लोक सेवाओं की गैर-अनुकूल अवसंरचना के कारण अपवर्जन का अनुभव करते हैं। ट्रांसजेंडर भी जीवन के विभिन्न स्तरों पर अपवर्जन का सामना करते हैं।

भारतीय समाज में इनकी उपस्थिति हेतु उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं: 

  • जाति व्यवस्था एवं धर्म, समाज में रूढ़िवादी विचारों को बढ़ावा देते हुए पूर्वाग्रह का निर्माण करते हैं। ये संसाधनों तक पहुँच को सीमित करते हैं तथा हाशिये पर रह रहे वर्ग का विलगाव करते हैं।
  • एक समूह के सदस्यों द्वारा दूसरे समूह के सदस्यों के प्रति पूर्वाग्रह या पूर्व-आधारित मत अथवा दृष्टिकोण। उदाहरणार्थ, कुछ समुदायों को ‘योद्धा जाति’ के रूप में, कुछ अन्य को स्त्रैण या कायर के रूप में तथा कुछ को भरोसा न करने के योग्य समझा जाता है।
  • सामाजिक निष्ठुरता का सामना करने वाले इन लोगों के मध्य अधिकारों के प्रति जागरुकता का अभाव सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा देने वाले लोगों को और बल प्रदान करता है।
  • कभी-कभी राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता सामाजिक असमानता और अपवर्जन का कारण बनती है। उदाहरण के लिए वोट बैंक की राजनीति लोगों को जातीय, धार्मिक और नृजातीय आधारों पर विभाजित कर रही है।
  • भौगोलिक और क्षेत्रीय अवरोध, भाषाई अवरोध इत्यादि।

समाज में लैंगिक संवेदनशीलता का अभाव तथा पितृसत्तात्मक मानसिकता। समाज में व्याप्त रूढ़िवाद और पूर्वाग्रहों के संबंध में जागरुकता तथा समाज के विभिन्न वर्गों की मूल्य प्रणालियों के प्रति संवेदनशीलता को प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है। साथ ही सामाजिक असमानता और सामाजिक अपवर्जन जैसी बुराइयों को समाप्त करने हेतु सरकार को समाज के सुभेद्य एवं सीमांत वर्गों के सामाजिक, राजनीतिक तथा आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।

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