राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, 2011 : इसकी उपलब्धियां
प्रश्न: विगत वर्षों में GDP के प्रतिशत के रूप में विनिर्माण क्षेत्रक का योगदान स्थिर क्यों रहा है? इस संदर्भ में, अपने लक्षित उद्देश्यों के संबंध में राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, 2011 की उपलब्धियों का विश्लेषण कीजिए।
दृष्टिकोण
- आंकड़ों के साथ विनिर्माण क्षेत्रक की वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- हाल के वर्षों में विनिर्माण क्षेत्रक के गत्यावरोध हेतु उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए।
- राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, 2011के उद्देश्यों के सन्दर्भ में इसकी उपलब्धियों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर
वर्ष 2012-13 से 2017-18 के मध्य लगभग 7.7 प्रतिशत की एक संयोजित वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ भारत विश्व में पांचवा सबसे बड़ा विनिर्माता है। हालांकि GDP के एक प्रतिशत के रूप में विनिर्माण क्षेत्रक का योगदान हाल के वर्षों में स्थिर रहा है, जिसके निम्नलिखित कारण हैं:
- विनियामकीय अनिश्चितता: अतीत में विनियामकीय जोखिम और नीतिगत अनिश्चितता, (उदाहरणार्थ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति) ने निवेशकों के विश्वास को कम किया है।
- निवेश: वर्ष 2011-12 से विनिर्माण क्षेत्रक में किए जाने वाले नए निवेशों में एक चक्रीय मंदी की स्थिति आई है।
- निर्यात की मंद गति तथा अपर्याप्त घरेलू मांग: इस क्षेत्रक में निर्यात चालित औद्योगिक विकास नहीं हुआ है। केवल घरेलू मांग सतत और उच्च मूल्य विनिर्माण (HVM) हेतु पर्याप्त नहीं है।
- व्यवसाय के समक्ष चुनौतियां: निर्माण परमिट प्राप्त करना, अनुबंधों का प्रवर्तन, कर भुगतान, किसी व्यवसाय का प्रारंभ और सीमा पार व्यापार आदि व्यवसाय के समक्ष चुनौतियों के रूप में विद्यमान हैं।
- प्रौद्योगिकी का अंगीकरण: कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिसिस आदि जैसी नवीन प्रौद्योगिकियां जो सामूहिक रूप से “उद्योग 4.0 (Industry 4.0)” कहलाती हैं, का अंगीकरण भारतीय विनिर्माण क्षेत्रक हेतु गंभीर चुनौती बना हुआ है।
- अन्य कारक: अपर्याप्त अवसंरचना और संयोजकता, ऋण या उपयुक्त कुशल श्रम की अनुपलब्धता, अनुसंधान एवं विकास का अभाव आदि।
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (NMP) 2011 के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- GDP में विनिर्माण क्षेत्रक के हिस्से में वर्ष 2022 तक कम से कम 25% तक वृद्धि करना।
- रोजगार सृजन की दर में वृद्धि करना ताकि वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगारों का सृजन किया जा सके।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि, घरेलू मूल्य संवर्द्धन, राष्ट्रीय निवेश और विनिर्माण क्षेत्र (NIMZ) की स्थापना तथा विकास की पर्यावरणीय संधारणीयता।
राष्ट्रीय विनिर्माण नीति, 2011 की उपलब्धियां
- उपर्युक्त उद्देश्यों के अनुसरण में तीन NIMZs को अंतिम अनुमोदन प्रदान किया गया है तथा 13 NIMZs को सैद्धान्तिक अनुमोदन प्रदान किया गया है।
- इनके अतिरिक्त दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (DMIC) परियोजना के साथ आठ निवेश क्षेत्रों को भी NIMZs के रूप में घोषित किया जा चुका है।
उद्देश्य जो प्राप्त किये जाने हैं
हालांकि, NMP द्वारा अपने प्रमुख उद्देश्यों को प्राप्त किया जाना शेष है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2016-17 के दौरान प्रतिशत (%) के रूप में विनिर्माण (सकल मूल्य संवर्द्धित) की भागीदारी 16.83% थी। पूर्ववर्ती वर्ष की समान अवधि में त्रैमासिक रोजगार सर्वेक्षण (QES) के सातवें दौर की गणना रोजगार में वार्षिक परिवर्तन में केवल 2.5% की वार्षिक वृद्धि को प्रदर्शित करती है।
मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस जैसे कार्यक्रमों के उचित क्रियान्वयन के माध्यम से घरेलू विनिर्माण क्षमताओं में वृद्धि करने हेतु सरकार द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका का निष्पादन किया जाना आवश्यक है जिससे NMP 2011 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
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