नैतिक व्यवहार : कॉर्पोरेट शासन नीति

प्रश्न : नैतिक व्यवहार को प्रेरित करने और कार्यस्थल को सही अर्थों में नीतिपरक बनाए रखने हेतु कॉर्पोरेट शासन नीति से कहीं अधिक की आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • कॉर्पोरेट शासन नीति का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  • नैतिक व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए केवल कॉर्पोरेट शासन नीति की अपर्याप्तता को व्यक्त करने हेतु तर्क दीजिए तथा कार्यस्थल पर नैतिक व्यवहार को प्रेरित करने तथा उसे बनाए रखने के लिए सुझाव दीजिए।
  • निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

कॉर्पोरेट शासन, किसी कॉर्पोरेट संस्था के संचालन हेतु आवश्यक प्रणालियों, नियमों और रीतियों का एक समुच्चय होता है। सामान्यतया इसमें कर्मचारियों, प्रबंधकों और संगठन की कार्यप्रणाली संबंधी आचार संहिता को परिभाषित करने वाले निर्धारित मानक होते हैं, जिनके अनुसार संगठन और उसके कर्मचारियों से कार्य निष्पादन की अपेक्षा की जाती है। पारदर्शिता, जवाबदेहिता, निष्पक्षता और अंशधारकों के हितों का संरक्षण कॉर्पोरेट शासन के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं। यह अपेक्षा की जाती है कि यह एक अनुपालन नीति और मूल्य-विवरणों के माध्यम से सभी के द्वारा विधिक और नैतिक प्रथाओं के अनुकरण को सुनिश्चित करेगा। एक कॉर्पोरेट शासन नीति प्रासंगिक विधियों, नियमों और विनियमों के प्रति प्रतिबद्धताओं को रेखांकित करती है तथा अंशधारकों को कंपनी की प्राथमिकताओं और मूलभूत धारणाओं के विषय में अवगत कराने वाले मूल्य-विवरणों का सृजन करती है। इस प्रकार यह व्यवहारिक अपेक्षाओं को निर्धारित करती है।

कॉर्पोरेट शासन नीति के तहत उचित प्रयोजनों और सुदृढ़ नैतिक रूपरेखाओं के बावजूद प्राय: संगठन और उसके कर्मचारी नीति द्वारा समर्थित रीतियों के अनुसार व्यवहार नहीं करते। कॉर्पोरेट शासन नीति के समक्ष चुनौती केवल इतनी नहीं है कि कंपनी में यह स्पष्ट रूप में विद्यमान है या नहीं। मौजूद होने के साथ ही इसे प्रभावशाली तथा परिणाम प्रदर्शित करने में सक्षम भी होना चाहिए। यदि कर्मचारीगण और कंपनी अपने दैनिक व्यवहार में नीतिपरक नहीं हैं, तो यह नीति की विफलता को प्रकट करता है। साथ ही महत्वपूर्ण विषयों में कंपनी/शेयरधारकों की भेदिया कारोबार, गोपनीयता संबंधी भ्रष्टाचार आदि जैसी अनैतिक प्रथाओं में लिप्तता परिलक्षित करती है कि नीति के प्रवर्तन हेतु उत्तरदायी व्यक्ति कॉर्पोरेट शासन नीति में विश्वास नहीं करते तथा न ही इसका अनुसरण करते हैं। इन अनैतिक प्रथाओं का आश्रय निम्नलिखित कारकों के कारण लिया जाता है: 

  • कर्मचारियों के मध्य नैतिक सरोकारों को प्रकट करने की अक्षमता तथा मानसिक भय।
  • अव्यवहारिक निष्पादन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अत्यधिक दबाव।
  • संगठन द्वारा असंगत लक्ष्यों के निर्धारण द्वारा अन्याय और अनौचित्य की भावना में होने वाली वृद्धि।
  • सकारात्मक दृष्टान्तों के निर्धारण हेतु नेतृत्वकर्ताओं की ओर से जागरुक प्रयासों का अभाव। उदाहरणार्थ एक प्रतिष्ठित बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा संसाधनों का अनुचित आबंटन किये जाने के आरोप निकृष्ट दृष्टान्त प्रस्तुत करते हैं।

ये दृष्टान्त प्रदर्शित करते हैं कि केवल एक नैतिक संरचना का सृजन पर्याप्त नहीं है। इसे नैतिकता को प्रोत्साहित करने वाली प्रथाओं के द्वारा समर्थित भी होना चाहिए, जैसे कि ऐसे लेखा-परीक्षकों की नियुक्ति जो वस्तुत: कंपनी के साथ पर्याप्त दूरी को बनाए रखते हों। नैतिक आचरण निम्नलिखित तरीकों के माध्यम से संगठन और इसके कर्मचारियों के निर्णयों एवं कृत्यों में प्रदर्शित होने चाहिए:

  • संगठन को सैद्धांतिक और व्यावहारिक रूप से एक मुक्त नीति को अपनाना चाहिए।
  • नेतृत्वकर्ताओं को अन्यों के लिए उत्कृष्ट उदाहरण निर्धारित करने चाहिए।
  • कर्मचारियों के सहयोग से यथार्थवादी लक्ष्यों को निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • नियमित क्रियाकलापों में नैतिक आचरणों का दृढ़ अनुपालन।
  • नैतिक विकल्पों को मान्यता प्रदान करना तथा अनैतिक व्यवहारों को हतोत्साहित करना। 
  • संगठन में मूल्यों की एक प्रणाली का विकास करना जिसका सख्ती से अनुपालन किया जाए।
  • निर्णयों को अंतिम रूप प्रदान करने से पूर्व उनकी समीक्षा करना।

कॉर्पोरेट अविश्वास के वातावरण में कार्यस्थलों पर नैतिकता के सृजन हेतु ऐसे सुविचारित प्रयासों की आवश्यकता होती है जो न केवल उच्चतम नैतिक मानदंडों के अंगीकरण को अनिवार्य बनाएं बल्कि पूर्ण निष्ठा से इनका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करें।

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