महासागरीय नितल की स्थलाकृति : मध्य महासागरीय कटक प्रणाली

प्रश्न: महासागरीय नितल की स्थलाकृति की परिवर्तनशीलता पर टिप्पणी कीजिए। साथ ही, मध्य महासागरीय कटक प्रणाली के निर्माण का भी विवरण दीजिए।

दृष्टिकोण

  • महासागरीय नितल की स्थलाकृति की परिवर्तनशीलता का परिचय दीजिए।
  • महासागरीय नितल की स्थलाकृति से संबंधित प्रमुख स्थलाकृतिक विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  • मध्य महासागरीय कटक के निर्माण की चर्चा कीजिए।

उत्तर

महासागरीय नितल अनेक जटिल और विविधतापूर्ण विशेषताओं को प्रकट करता है। ये विशेषताएँ स्थलीय भाग पर अवस्थित उच्चावच विशेषताओं से भिन्न हैं।

प्रमुख भू-आकृतिक विभाजन

  • महाद्वीपीय मग्नतट (continental shelf): यह समुद्री तट से खुले सागर की ओर विस्तृत मंद ढाल वाली सतह है। सभी महासागरों के कुल क्षेत्रफल के लगभग 7.5% पर महाद्वीपीय मग्नतटों का विस्तार पाया जाता है।  महाद्वीपीय मग्नतट के अधिकांश भाग स्थलजात निक्षेपों से आवृत्त हैं।
  • महाद्वीपीय मग्न ढाल (The continental slope): चूंकि यह महाद्वीपीय मग्नतट के समुद्र की ओर स्थित किनारे पर अवस्थित होता है, अतः इसकी ढाल प्रवणता अधिक तीव्र हो जाती है (2 से 5 डिग्री)। महाद्वीपीय ढाल का विस्तार 3,500 मीटर की गहराई तक पाया जाता है और मग्नतटों को गहन सागरीय मैदानों से संबद्ध करता है।
  • महाद्वीपीय उभार (continental rise): महाद्वीपीय मग्न ढाल की गहराई के साथ-साथ उत्तरोत्तर ढाल प्रवणता में गिरावट होती जाती है। जब ढाल की प्रवणता 0.5° और 1° के मध्य होती है तो उसे महाद्वीपीय उभार कहा जाता है। बढ़ती गहराई के साथ-साथ उभार समतल होता जाता है और आगे इसका वितलीय मैदान (abyssal plain) में विलय हो जाता है।
  • वितलीय मैदान: महाद्वीपीय उभार से आगे 3,000 मीटर से 6,000 मीटर तक की गहराई पर वितलीय मैदान या वितलीय सतह का विस्तार पाया जाता है। ये सागरीय क्षेत्र के लगभग 40% भाग पर विस्तृत हैं।

इनके अतिरिक्त, कई संबद्ध जलमग्न विशेषताएं भी पायी जाती हैं, जैसे- मध्य-महासागरीय कटक, पहाड़ियाँ, समुद्री टीले (Seamount), गुयोट्स, खाइयाँ, कैनियन, जलमग्न ज्वालामुखी और समुद्री कगार/प्रपात आदि। उच्चावच से संबंधित ये विविधताएं मुख्य रूप से विवर्तनिक, ज्वालामुखीय, अपरदनात्मक और निक्षेपात्मक प्रक्रियाओं की पारस्परिक क्रियाओं का परिणाम हैं।

मध्य महासागरीय कटक (Mid-oceanic ridges: MOR) अध:सागरीय कटक पर्वत श्रृंखलाओं के समान होते हैं। इनका विस्तार महासागरीय नितल पर कुछ सौ किलोमीटर चौड़ाई से कई सौ किलोमीटर या कभी-कभी हजारों किलोमीटर लम्बाई तक होता है। ये कटक लगभग 75,000 किमी की कुल लंबाई के साथ पृथ्वी पर स्थित सबसे विशाल पर्वत तंत्र का निर्माण करते हैं। इनकी उत्पत्ति विवर्तनिकी प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप हुई है और ये प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत के समर्थन में साक्ष्य प्रदान करते हैं।

मध्य महासागरीय कटक की उत्पत्ति (MORs)

  • सागर नितल प्रसरण मध्य महासागरीय कटकों के निर्माण की क्रियाविधि है। यह एक भूगर्भिक प्रक्रिया है जिसमें विवर्तनिक प्लेटें (पृथ्वी के स्थलमंडल के विशाल खंड) एक दूसरे से पृथक होती हैं।
  • सागर नितल प्रसरण और अन्य विवर्तनिक गतिविधियों से संबंधित प्रक्रिया, मेंटल में होने वाली संवहनीय प्रक्रिया का परिणाम है तथा ये अपसारी प्लेट सीमाओं के किनारों पर घटित होती है। चूंकि विवर्तनिक प्लेट निरंतर मंद गति से परस्पर अपसरित होती रहती हैं, अत: मेंटल की संवहनीय धाराओं से प्राप्त ऊष्मा, क्रस्ट को अत्यधिक नम्य और निम्न घनत्व वाला बना देती है। यह निम्न घनत्व वाला पदार्थ ऊपर उठकर दोनों ओर विस्तृत हो जाता है और इस प्रकार मध्य महासागरीय कटक का निर्माण होता है।
  • उदाहरण के लिए- मध्य-अटलांटिक कटक, जो उत्तरी अमेरिकी प्लेट को यूरेशियन प्लेट से और दक्षिण अमेरिकी प्लेट को अफ्रीकी प्लेट से पृथक करता है।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.