सामाजिक सुरक्षा कवर : समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है

प्रश्न: सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना, विशेषकर उन लोगों को जो असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं, समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • सामाजिक सुरक्षा कवर से क्या तात्पर्य है? विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के संदर्भ में व्याख्या कीजिए।
  • उन्हें समग्र सामाजिक सुरक्षा तंत्र के अंतर्गत लाने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

सामाजिक सुरक्षा, समाज और राज्य के द्वारा ऐसी विस्तृत सुरक्षा को संदर्भित करती है, जो अपने सदस्यों को विभिन्न आकस्मिकताओं से निपटने और गरिमापूर्ण जीवन निर्वहन करने में सक्षम बनाती है। NSSO के अनुसार,कार्यशील व्यक्तियों का लगभग 83% असंगठित क्षेत्रों जैसे लघु और सीमांत कृषकों, भूमिहीन श्रमिकों, ग्रामीण कारीगरों, मछुआरों, भवन और निर्माण कामगारों के रूप में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकांश लोग समाज के सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित वर्गों से संबंधित हैं। इस क्षेत्र में महिलाएं, श्रमिकों के एक महत्वपूर्ण भाग का गठन करती हैं। इसके अतिरिक्त, असंगठित क्षेत्र निम्नलिखित सुभेद्यताओं का सामना करता है:

  • न्यूनतम मजदूरी सुरक्षित करने में असमर्थता 
  • कार्य की लंबी अवधि
  • निर्धनता की अधिक व्यापकता 
  • निम्नस्तरीय कार्य परिस्थितियाँ

यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को अपरिहार्य बनाता है। इस प्रकार के उपाय संसाधनों का समतापूर्ण पुनर्वितरण करके समावेशी विकास को बढ़ावा देने में सहायता करते हैं। ये श्रमिकों को ऋणग्रस्तता या अत्यधिक निर्धनता का सामना किए बिना आकस्मिकताओं से निपटने में सक्षम बनाता है।

सरकार ने समावेशी विकास को बढाने और व्यापक सामाजिक सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 को अधिनियमित किया है। इस अधिनियम में राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना जैसी विभिन्न योजनाएं शामिल हैं। इनके अतिरिक्त, विशेषकर असंगठित क्षेत्र में सामाजिक सुरक्षा को विस्तृत करने के लिए, केंद्र सरकार ने तीन अन्य योजनाओं अर्थात् अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का शुभारंभ किया है।

हालाँकि, इन योजनाओं की रुपरेखा और कार्यान्वयन में विभिन्न कमियों के कारण असंगठित क्षेत्र के लिए उच्च मृत्यु दर, रोगों और दीर्घ जीवन न प्राप्त कर पाने जैसे खतरों की संभावनाएं बनी हुई हैं। कुछ कमियों में सम्मिलित हैं: 

  • इन योजनाओं की विखंडित स्वामित्व संरचना।
  • केंद्रीय और राज्य सरकारों की योजनाओं के मध्य अतिव्यापन (Overlap) होता है, क्योंकि सामाजिक सुरक्षा समवर्ती सूची का विषय है।
  • सामाजिक सुरक्षा लाभों का असमतापूर्ण वितरण क्योंकि निर्धन राज्यों की तुलना में सम्पन्न राज्य अधिक लाभ प्रदान करते है।

इस प्रकार, असंगठित क्षेत्रों में कार्यरत अधिकांश लोग जैसे लघु और सीमांत कृषक, भूमिहीन श्रमिक, ग्रामीण कारीगर और अन्य सामाजिक सुरक्षा तंत्र से वंचित रहते हैं।

इन कमियों को दूर करने के क्रम में, निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए:

  • सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 का प्रभावी कार्यान्वयन।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना एवं सार्वभौमिक बीमा योजना के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों हेतु प्रभावी कवरेज।
  • यूनिवर्सल बेसिक इनकम का क्रियान्वयन करने हेतु संभावना की खोज की जानी चाहिए।

इस प्रकार, भारत की संवृद्धि हेतु व्यापक आधार पर लाभ प्रदान करने और सभी के लिए अवसर की समता सुनिश्चित करने हेतु सरकार की बजटीय एवं राजनीतिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

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