औपचारिक रोजगार : औपचारिक अर्थव्यवस्था में सुधार लाने हेतु उठाए गए

प्रश्न: औपचारिक क्षेत्रक और औपचारिक रोजगार के विस्तार का मापन हमारी अर्थव्यवस्था में अभी भी एक अनसुलझा मामला है। टिप्पणी कीजिए। साथ ही, इसके विस्तार में सुधार हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।

दृष्टिकोण

  • औपचारीकरण के अर्थ की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  • चर्चा कीजिए कि भारत में औपचारीकरण की माप किस प्रकार की जाती है और इसमें निहित चुनौतियों के बारे में बताइये।
  • सरकार द्वारा औपचारिक अर्थव्यवस्था में सुधार लाने हेतु उठाए गए कदमों की चर्चा कीजिए।

उत्तर

अर्थव्यवस्था के औपचारीकरण का अर्थ फर्मों एवं उनके कारोबार को कर-संजाल (टैक्स नेट), ऋण आपूर्ति तथा कंपनी अधिनियम एवं श्रम कानूनों जैसे विनियमों के अंतर्गत लाकर उनके कर्मचारियों को संभावित रूप से सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है।

औपचारिक अर्थव्यवस्था के विस्तार का मापन विभिन्न विधियों से किया जा सकता है जिससे इस विस्तार के आकलन में विसंगतियों को बल मिलता है। मूलभूत स्तर पर, औपचारिक अर्थव्यवस्था में वे सभी इकाइयाँ आ सकती हैं जो व्यापार को प्रशासित करने वाली किसी भी संविधि (जैसे कंपनी अधिनियम, फैक्ट्री अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम आदि) के अंतर्गत पंजीकृत हैं। एक अन्य विधि यह भी हो सकती है कि नियमित रूप से टैक्स रिटर्न जमा करने वाले व्यवसायों के साथसाथ वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या का भी मापन किया जाए। इस प्रकार GST अथवा EPFO या ESIC के अंतर्गत हुए पंजीकरणों के माध्यम से किए गए आकलन को भी प्राक्कलन उपायों के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इन उपायों द्वारा विभिन्न परिणाम प्राप्त होते हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि किन मानदंडों का चुनाव किया गया है, जैसे:

  • EPFO आंकड़ों का एक हालिया अध्ययन – “टुवर्ड्स ए पेरोल रिपोर्टिंग इन इंडिया”– दर्शाता है कि भारत में कार्यबल का 80% अनौपचारिक श्रमिकों का है अर्थात् यह EPFO अथवा अन्य औपचारिक क्षेत्रक डेटाबेसों के साथ पंजीकृत नहीं है।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में उल्लिखित है कि:
  • सामाजिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से, अनुमानित औपचारिक रोजगार गैर-कृषि कार्यबल का 31% है।
  • कर के दृष्टिकोण से, औपचारिक रोजगार गैर-कृषि कार्यबल का लगभग 54% है। हालाँकि, इस आंकड़े में GST के ( दायरे में न आने वाले क्षेत्रकों, जैसे स्वास्थ्य एवं शिक्षा, में कार्यरत अनेक औपचारिक श्रमिक सम्मिलित नहीं हैं।
  • भारत में केवल 59.3 मिलियन व्यक्तिगत आयकर दाता हैं जो अनुमानित गैर-कृषि कार्यबल के 24.7% के समतुल्य हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, GST का भुगतान करने वाली प्रत्येक फर्म, औपचारिक नहीं है। कई लघु, निर्धारित सीमा से नीचे स्थित फर्मों ने अपनी खरीदों पर टैक्स क्रेडिट प्राप्त करने मात्र के उद्देश्य से स्वयं को GST के अंतर्गत पंजीकृत कराया है।

साथ ही, समयबद्ध आंकड़ों के अभाव में रोजगार संबंधी आकलन बाधित होते हैं क्योंकि रोजगार सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण समयांतराल के बाद किए जाते हैं।

इस प्रकार, औपचारिक अर्थव्यवस्था की सीमा एवं औपचारिक रोजगार का मापन अस्पष्ट रहता है। तथापि, औपचारीकरण के प्रसार व अधिक भारतीयों को कर के दायरे में लाने के लिए सरकार ने अनेक मौद्रिक व कर संबंधी सुधार प्रारंभ किए हैं, जैसे:

  • काले धन के विरुद्ध उपाय, उदाहरण के लिए काला धन कानून, डिस्क्लोजर स्कीम आदि।
  • उच्च मूल्य वाले नोटों का विमुद्रीकरण।
  • GST का क्रियान्वयन।
  • श्रम संहिताओं में परिवर्तन एवं कर्मचारियों को विशिष्ट पहचान पत्र देना।

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