कटिंग एज रिसर्च या अत्याधुनिक अनुसन्धान के महत्व का संक्षिप्त परिचय : भारत को ऐसी अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं में सहयोग करने और प्रतिभाग करने की आवश्यकता क्यों है।

प्रश्न: कटिंग एज रिसर्च में स्वयं को एक प्रमुख प्रतिभागी के रूप में स्थापित करने हेतु भारत को अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं (इंटरनेशनल साइंटिफिक प्रोजेक्ट्स) में सहयोग करने और भाग लेने की आवश्यकता है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर जारी मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स के आलोक में चर्चा कीजिए।

दृष्टिकोण

  • किसी भी देश के लिए सामान्य रूप से कटिंग एज रिसर्च या अत्याधुनिक अनुसन्धान के महत्व का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  • वैश्विक स्तर पर जारी ऐसे विभिन्न मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स को सूचीबद्ध कीजिए, जिनमें भारत भी शामिल है।
  • चर्चा कीजिये कि भारत को ऐसी अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं में सहयोग करने और प्रतिभाग करने की आवश्यकता क्यों है।
  • आगे की राह के साथ संक्षेप में निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

अनुसंधान और विकास में निवेश का महत्व निरंतर अधिक सुस्पष्ट हो रहा है क्योंकि इसके किसी राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास पेर महत्त्वपूर्ण प्रभाव होते हैं। चूंकि स्पष्ट रूप से प्रौद्योगिकी दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है, अतः हाल ही में भारत ने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक क्वेस्ट में सम्मिलित होने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं।

वैश्विक स्तर पर जारी विभिन्न मेगा साइंस प्रोजेक्ट्स, जिनमें भारत सम्मिलित है:

  • लीगो प्रोजेक्ट (LIGO project): इस वैश्विक परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों ने प्रत्यक्ष रूप से योगदान दिया है। भारत सरकार ने LIGO-India/IndiGO प्रोजेक्ट (विश्वव्यापी नेटवर्क के एक भाग के रूप में भारत में प्रस्तावित एडवांस ग्रेविटेशनल-वेब ऑब्जर्वेटरी) को सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान की है।
  • सर्न एक्सपेरीमेंट (CERN experiment): भारतीय वैज्ञानिकों ने विश्व के सबसे शक्तिशाली पार्टिकल कोलाइडर, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LHC) के निर्माण में सहयोग प्रदान किया है।
  • फैसिलिटी फॉर एंटी-प्रोटॉन एंड आयन रिसर्च (FAIR): भारत, जर्मनी की इस अंतरराष्ट्रीय परियोजना का भाग है। इसका उद्देश्य तारों के आंतरिक भाग (कोर) और ब्रह्मांड के प्रारंभिक चरण की अवस्थाओं की प्रतिकृति (उसके समान दशाएं) निर्मित करना है।
  • स्क्वायर किलोमीटर एरे (SKA): इस परियोजना में, भारत विश्व के सबसे बड़े और सबसे संवेदनशील रेडियो टेलीस्कोप के निर्माण की परियोजना में नौ अन्य देशों के साथ शामिल हुआ है। किसी अन्य रेडियो टेलीस्कोप की तुलना में इसकी संवेदनशीलता 50 गुना और गति 10,000 गुना अधिक है।
  • इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER): भारत सहित कई देश संयुक्त रूप से इस परीक्षण सुविधा का निर्माण और संचालन कर रहे हैं। इसका उद्देश्य प्रयोगशाला स्तर पर सूर्य जैसी समान दशाओं का सृजन करना है।

ऐसी परियोजनाओं में सहयोग करने से भारत के लिए लाभ

  • CERN, LIGO और अन्य स्थानों पर अनुसंधान के माध्यम से डेटा तक पहुंच स्थापित करना।
  • FAIR के माध्यम से तारों और ग्रहों के आंतरिक भागों में भारी तत्वों के निर्माण के अध्ययन से ब्रह्मांड के क्रमिक विकास एवं पदार्थ के निर्माण में बेहतर समझ विकसित करना।
  • SKA के माध्यम से सुदूर अंतरिक्ष का अध्ययन, हमें सुदूर ब्रह्माण्ड और प्रथम तारे के निर्माण की दशाओं का अध्ययन करने में सहायता प्रदान करेगा।
  • ITER में अध्ययन के माध्यम से, स्वच्छ और हरित ऊर्जा के स्रोत को उत्पन्न करने के लिए संलयन अभिक्रिया का उपयोग करना।
  • टेक्नोलॉजीकल स्पिनऑफ में सहायक; उदाहरण के लिए, CERN में विकसित तकनीक से मैमोग्राम का निर्माण, जिसका उपयोग स्तन कैंसर की जाँच के लिए किया जाता है तथा कण भौतिकी परीक्षणों में प्रयुक्त पॉजिट्रॉन का उपयोग PET (पोजीट्रान एमिशन टोमोग्राफी) में किया जाता है।
  • देश में विज्ञान की लोकप्रियता में वृद्धि और S&T में बेहतर करियर विकल्पों की उपलब्धता सुनिश्चित कर प्रतिभा पलायन को नियंत्रित करना।

मेगा-प्रोजेक्ट्स के लिए अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता होती है, जिसे भारत जैसे विकासशील देश अकेले वहन करने में सक्षम नहीं हैं। अतः, भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के अंतर्राष्ट्रीय दर्जे को बढ़ाने के अतिरिक्त भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक परियोजनाओं में सहयोग करने और भाग लेने से इस अक्षमता को कम किया जा सकता है।

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