भारत में रासायनिक जोखिम : रासायनिक आपदाओं से निपटने हेतु पहलें
प्रश्न: रासायनिक आपदाओं के प्रति भारत की सुभेद्यता पर चर्चा कीजिए। इस संदर्भ में, भारत में रासायनिक जोखिम से निपटने हेतु की गई सुरक्षा पहलों का उल्लेख कीजिए।
दृष्टिकोण
- रासायनिक आपदाओं के प्रति भारत की सुभेद्यता पर चर्चा कीजिए।
- भारत द्वारा रासायनिक आपदा संबंधी जोखिमों से निपटने हेतु की गई सुरक्षा पहलों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर
रसायन, आधुनिक औद्योगिक प्रणालियों का आधार होने के कारण बड़े पैमाने पर सरकार, निजी क्षेत्र और समुदाय के लिए आपदा प्रबंधन हेतु एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। भोपाल गैस त्रासदी जैसी रासायनिक आपदाएं औद्योगिक कर्मचारियों, निकटवर्ती बस्तियों में निवास करने वाले लोगों तथा इमारतों एवं स्थानीय समुदाय के लिए अत्यधिक जोखिमपूर्ण स्थितियां उत्पन्न करती हैं।
रासायनिक आपदाओं के प्रति भारत की सुभेद्यता:
- निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, अनियोजित शहरीकरण और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में विकास के साथ उच्च जनसंख्या घनत्व।
- पुराने उद्योगों का गैर-प्रतिस्थापन, खतरनाक रसायनों का अवैध भंडारण।
- असंगठित एवं अनियोजित क्षेत्रक की अत्यधिक उपस्थिति।
- खतरनाक रसायनों, जैसे- क्लोरीन, LPG आदि से संबद्ध MSMEs की बड़ी संख्या में उपस्थिति।
- खतरनाक रसायनों के निपटान से संबंधित खामियों को रोकने हेतु अपर्याप्त कानून।
- अपर्याप्त क्षतिपूर्ति- यहां तक कि सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लिअर डैमेज एक्ट (परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम) भी ऑपरेटरों की जिम्मेदारी को समाप्त करता है।
भारत द्वारा रासायनिक आपदा संबंधी जोखिमों से निपटने हेतु की गई सुरक्षा पहले
- भारत में परिवहन, दायित्व, बीमा और क्षतिपूर्ति आदि सुरक्षा संबंधी प्रावधानों को शामिल करने वाले व्यापक विधिक/संस्थागत ढांचे और विनियम लागू किए गए हैं। उदाहरण के लिए- विस्फोटक अधिनियम, 1884; सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991; आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 इत्यादि।
- नए नियमों, जैसे- खतरनाक रासायनिकों का विनिर्माण, भंडारण और आयात (MSIHC) नियम; रासायनिक दुर्घटनाओं हेतु आपातकालीन योजना, तैयारी एवं प्रतिक्रिया (EPPR) नियम, गैस सिलेंडर नियम, खतरनाक अपशिष्ट नियम, डॉक वर्कर्स नियम आदि के निर्माण तथा इनके संशोधन के माध्यम से विधिक ढांचे को सुदृढ़ किया गया है।
- भारत के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) द्वारा रासायनिक आपदा प्रबंधन हेतु अत्यधिक विशिष्ट दिशा-निर्देश लागू किए गए हैं जो रासायनिक आपदा तैयारियों के लिए विभिन्न स्तरों पर सक्रिय, सहभागी, बहु-विषयक और बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण तथा प्रतिक्रिया को संदर्भित करता है।
- इसके अतिरिक्त, भारत में रासायनिक सुरक्षा को सुदृढ़ किए जाने के क्रम में CIF (मुख्य कारखाना निरीक्षणालय) को भी पुनर्स्थापित किया जा रहा है।
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