अमर्त्य सेन के ‘क्षमता दृष्टिकोण’ का अर्थ

प्रश्न: अमर्त्य सेन के ‘क्षमता दृष्टिकोण’ से आप क्या समझते हैं? सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और निर्धन-उन्मुख विकास रणनीति बनाने में इसके महत्व का विश्लेषण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • अमर्त्य सेन के ‘क्षमता दृष्टिकोण’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  • इसके द्वारा कवर किए गए विभिन्न आयामों का उल्लेख कीजिए।
  • सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और निर्धन-उन्मुख विकास रणनीति बनाने में इसके महत्व का मूल्यांकन कीजिए।

उत्तर

निर्धन बालिकाओं को साइकिल देना, स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक साधन हो सकता है। परंतु दृष्टिबाधित व्यक्ति को साइकिल प्रदान करना कितना हितकारी होगा? किसी राष्ट्र की प्रगति के मूल्यांकन की पद्धति विकास अर्थशास्त्रियों के मध्य विवाद का विषय बना हुआ है। प्रति व्यक्ति आय उच्च हो सकती है, परन्तु समाज में असमानता भी व्यापक रूप से व्याप्त हो सकती है। लोग समृद्ध हो सकते हैं, परन्तु तब भी संभव है कि वो प्रसन्न न हों। इसी विचार-विमर्श के अंतर्गत अमर्त्य सेन ने देश की प्रगति के मापन हेतु ‘क्षमता दृष्टिकोण’ को प्रस्तावित किया। क्षमता को स्वैच्छिक लक्ष्यों के निर्धारण एवं उन्हें प्राप्त करने की लोगों की स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया जाता है। ये ऐसे लक्ष्य होते हैं जिन्हें व्यक्ति गंभीरता से महत्त्व देते हैं, उदाहरणार्थ रोजगार प्राप्त करने हेतु शिक्षा आवश्यक है, अतः लोग शिक्षित होना चाहते हैं। अतः समाज में कितनी प्रगति हो रही है यह इस बात से निर्धारित होगा कि समाज लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति दे रहा है या नहीं। क्षमता दृष्टिकोण को व्यावहारिक सिद्धांत के रूप में प्रस्तावित किया गया था ताकि न्याय के सार्वभौमीकरण में प्रचलित सिद्धांतों (जैसे उपयोगितावाद या संसाधनवाद) के विरुद्ध विशेष मामलों में अन्याय को दूर किया जा सके।

अपने ‘क्षमता’ सिद्धांत में, उन्होंने क्षमता को ‘किसी व्यक्ति द्वारा अपनी इच्छा पूरी करने की क्षमता’ के रूप में परिभाषित किया है, अर्थात् ‘चयन की स्वतंत्रता’ को ‘चयन की क्षमता‘ के साथ जोड़ा जाना चाहिए। यह विशेष रूप से उन विशिष्ट अक्षमताओं को चिन्हित करता है जो सभी के लिए न्याय में व्यवधान उत्पन्न करती हैं। उदाहरणार्थ दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को परिवहन की अक्षमता का सामना करना पड़ता है; महिलाओं को सामाजिक मानदंडों के कारण अक्षमताओं का सामना करना पड़ता है, इत्यादि। यह दृष्टिकोण ‘लोगों की क्षमता में वृद्धि’ करने से संबंधित है, जो कि समावेशी विकास लाने और असमानता को कम करने की रणनीति का मुख्य आधार है।

इस प्रकार यह दृष्टिकोण ‘कार्य पद्धति’ एवं ‘क्षमता’ के संदर्भ में व्यक्तियों के जीवन की गुणवत्ता पर केंद्रित है। ‘कार्य पद्धति’ ‘अस्तित्व में रहने और कार्य करते रहने’ की स्थिति को निर्दिष्ट करती है, जैसे सुपोषित तथा स्वस्थ होना, पर्याप्त रूप से आश्रय का होना इत्यादि। क्षमता ऐसी महत्वपूर्ण कार्य पद्धतियों को संदर्भित करती है, जिन तक किसी व्यक्ति की प्रभावी पहुंच होती है। अतः किसी व्यक्ति की क्षमता उसकी उस जीवन के चयन की प्रभावी स्वतंत्रता को प्रदर्शित करती है जिसको वह तार्किक रूप से मूल्यवान समझता है।

यह दृष्टिकोण विभिन्न आयामों जैसे कि व्यक्तिगत शरीर विज्ञान (physiology), राजनीतिक एवं आर्थिक स्वतंत्रता, सामाजिक कारक, स्थानीय पर्यावरणीय स्थिति, संसाधनों तक पहुंच में अंतराल इत्यादि को सम्बोधित करता है। अतः यह मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं को समझने में हमारी सहायता करता है, विशेषकर भारत जैसे विकासशील देश में जहां जनसंख्या के विभिन्न वर्गों को भिन्न-भिन्न मुद्दों का सामना करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह निम्नलिखित रूप से सामाजिक वास्तविकताओं को समझने और निर्धन -उन्मुख (pro-poor) विकास रणनीति के निर्माण में भी महत्वपूर्ण है:

  • यह लोगों को विकास के केंद्र में स्थापित करता है और उनकी सामाजिक वास्तविकताओं के आधार पर उनकी क्षमताओं को विस्तारित करने को लक्षित करता है।
  • यह विकास के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के मॉडल के पूरक के रूप में कार्य करता है और इसके साथ-साथ आर्थिक प्रगति के एकमात्र उपाय के रूप में इसकी कमियों को भी इंगित करता है।
  • यह विकास और प्रगति संबंधी चर्चा को ‘व्यक्ति के विकास’ की ओर संकेंद्रित करता है।
  • इस दृष्टिकोण के आधार पर मानव विकास सूचकांक (HDI), लैंगिक अन्तराल सूचकांक, जेंडर रिलेटेड डेवेलपमेन्ट इंडेक्स  इत्यादि कई सूचकांक निर्मित किए गए हैं।

यह दृष्टिकोण निर्धन उन्मुख विकास रणनीति के निर्माण में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्धनता का उल्लेख क्षमता वंचितता के परिणाम के रूप में करता है और निर्दिष्ट करता है की निर्धन लोगों की क्षमताओं में सुधार करने के लिए सरकार को शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रकों में व्यय करने पर बल देना चाहिए।

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