प्रिवी पर्स का उन्मूलन: एक “ऐतिहासिक आवश्यकता”

प्रश्न: एक ओर जहाँ कुछ व्यक्तियों के लिए प्रिवी पर्स का उन्मूलन एक “ऐतिहासिक आवश्यकता” थी, वहीं दूसरी ओर अन्य लोगों के लिए यह “एक वादे के प्रति विश्वासघात” था। 1971 में प्रिवी पर्स के उन्मूलन के संदर्भ में परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण:

  • प्रिवी पर्स को परिभाषित कीजिए।
  • उन्हें समाप्त किए जाने के कारण बताइए।
  • कारणों की वैधता पर चर्चा कीजिए।
  • निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर:

प्रिवी पर्स

प्रिवी पर्स वार्षिक पेंशनें थीं। भारत सरकार, पूर्ववर्ती रियासतों के शासकों व उनके वंशजों को उनकी रियासतों के भारत संघ में विलय के बदले में इस पेंशन के भुगतान के लिए सहमत हुई थी।

इस अनुदान की राशि विलय की जाने वाली रियासतों के राजस्व की मात्रा के आधार पर तय की गई थी। यह मोटे तौर पर उनके वार्षिक राजस्व की 8.5% थी। यह भी तय किया गया था कि समय बीतने पर धीरे-धीरे प्रिवी पर्स के अंतर्गत भुगतान की जाने वाली राशि को घटा दिया जाएगा। यह व्यवस्था इतनी महत्वपूर्ण थी कि इसे अनुच्छेद 291 एवं 362 के अंतर्गत संविधान में स्थान प्राप्त हुआ।

प्रिवी पर्स की समाप्ति

प्रिवी पर्स का सरकारी कोष पर बहुत अधिक बोझ न होने के बावजूद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्हें समाप्त करने पर अडिग थीं। अतः, 1971 में प्रिवी पर्स की समाप्ति के लिए संविधान में संशोधन किया गया।

प्रिवी पर्स की समाप्ति- एक ऐतिहासिक आवश्यकता:

  • वंशानुगत विशेषाधिकार भारतीय संविधान में उल्लिखित समानता एवं सामाजिक-आर्थिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं थे।
  • रियासतों के शासकों ने जो कुछ भी सौंपा (भारत सरकार को), वह उनकी व्यक्तिगत आय अथवा संपदा नहीं थी। इस पर लोगों का अधिकार था, अत: उनके विशेषाधिकार न्याय के आदर्श के विरुद्ध थे।
  • प्रिवी पर्स की यह समाप्ति तर्कवाद के उन आधुनिक मूल्यों के भी अनुरूप थी, जिनके अनुसार किसी व्यक्ति को विशेषाधिकार केवल इसलिए नहीं दिए जा सकते कि उसका जन्म किसी परिवार-विशेष में हुआ है।
  • प्रिवी पर्स की यह समाप्ति सामंती सामाजिक ढांचे को खत्म करने के लिए आवश्यक थी।

प्रिवी पर्स की समाप्ति- एक वादे के प्रति विश्वासघात के रूप में:

  • प्रिवी पर्स, संविधान सभा द्वारा राजकुमारों को दिया गया एक औपचारिक वचन था तथा इसे संवैधानिक समर्थन भी प्रदान किया गया था। इस प्रकार, इसको समाप्त करके उस वचन को भंग किया गया।
  • भारतीय संघ के एकीकरण जैसे अमूल्य कार्य के बदले प्रिवी पर्स एक बहुत छोटी सी कीमत थी। यह राशि अत्यंत अल्प थी और विलय हेतु सहमत होने वाले राजकुमारों के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक मात्र थी।

हालांकि, भारतीय संघ की ओर से किए गए पवित्र वचनों को भंग करना विश्वासघात की तरह था, किंतु जन्म के आधार पर विशेषाधिकार प्रदान करना भी एक प्रकार का प्रतिगामी कदम है। इस योजना के अंतर्गत ही यह प्रावधान था कि भुगतान की जाने वाली राशि को धीरे-धीरे कम कर दिया जाएगा।

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