Read in English
प्रदूषण एवं उसके प्रकार
1. मानव-जनित पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाते हैं-
(a) परजैविक
(b) प्रतिजैविक
(c) ह्यूमेलिन
(d) एंथ्रोपोजेनिक
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (d) एंथ्रोपोजेनिक
- मनुष्यों द्वारा उत्पन्न प्रदूषण को एंथ्रोपोजेनिक प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है।
- मानवीय क्रियाओं द्वारा पर्यावरण में डाले गए रासायनिक एवं जैविक कचरे को एंथ्रोपोजेनिक (Anthropogenic) प्रदूषक की संज्ञा दी जाती है।
- जैव निम्नीकरणीय रहित प्रदूषक मुख्यतया मानव-जनित (एंथ्रोपोजेनिक) प्रदूषण के कारण पर्यावरण में प्रवेश करते हैं।
- इन प्रदूषकों का या तो अपघटन नहीं होता या प्रकृति के अपघटकों के द्वारा अपघटन बहुत ही धीरे-धीरे होता है।
- इसलिए मानव जनित जैव अनिम्नीकरणीय प्रदूषकों को नियंत्रित करना बहुत कठिन हो जाता है।
|
2. मानव गतिविधियों से परिवर्तित पर्यावरण कहलाता है –
(a) नैसर्गिक पर्यावरण
(b) एंथ्रोपोजेनिक पर्यावरण
(c) शहरी पर्यावरण
(d) आधुनिक पर्यावरण
[U.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) एंथ्रोपोजेनिक पर्यावरण
- सामान्य तौर पर, प्रकृति पर मानवीय प्रभाव को एंथ्रोपोजेनिक कहा जाता है।
- स्पष्ट है कि मानव गतिविधियों से परिवर्तित पर्यावरण एंथ्रोपोजेनिक पर्यावरण कहलाएगा।
|
3. जैव विघटित प्रदूषक हैं-
(a) पारा
(b) वाहित मल
(c) प्लास्टिक
(d) एस्बेस्टॉस
[U.P. P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (b) वाहित मल
- ऐसे प्रदूषक जो सूक्ष्म जीवों जैसे-जीवाणु आदि के द्वारा समय के साथ प्रकृति में सरल, हानिरहित तत्वों में विघटित कर दिए जाते हैं, ‘जैव विघटित प्रदूषक’ कहलाते हैं।
- जैव विघटित प्रदूषकों के कुछ उदाहरण हैं; घरेलू अपशिष्ट (कचरा), मूत्र तथा मल, वाहित मल आदि।
- जैव निम्नीकरणीय प्रदूषक या जैव विघटित प्रदूषक जैसे कि घर का कूड़ा, पशुओं के मल-मूत्र, सीवेज इत्यादि का अपघटकों द्वारा पूरी तरह अपघटन कर दिया जाता है।
- इसीलिए जैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों को आसानी से प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
|
4. निम्नलिखित में से कौन जैव अपघटनीय प्रदूषक है?
(a) सीवेज
(b) एस्बेस्टस
(c) प्लास्टिक
(d) पॉलिथीन
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) सीवेज
- ऐसे प्रदूषक जिनका सूक्ष्म जीवधारियों (Micro-Organisms) द्वारा पूर्ण विघटन किया जा सके जैव अपघटनीय प्रदूषक कहलाते हैं।
- ये पारिस्थितिक तंत्र (Ecosystem) के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
- उदाहरण – सीवेज, कागज, लकड़ी आदि।
|
5. निम्नलिखित में से कौन-सा जैव निम्नीकरणीय है?
(a) प्लास्टिक
(b) पॉलिथीन
(c) पारा (मर्करी)
(d) रबर
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2014]
उत्तर- (d) रबर
- वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, जैव निम्नीकरणीय कहलाते हैं।
- दिए गए विकल्पों में से रबर जैव निम्नीकरणीय है।
|
वायु प्रदूषण
1. कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि का दहन मूल स्रोत है-
(a) जल प्रदूषण का
(b) भू-प्रदूषण का
(c) वायु प्रदूषण का
(d) ध्वनि प्रदूषण का
[U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (c) वायु प्रदूषण का
- कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि के दहन से मुख्यतः कार्बन और नाइट्रोजन के ऑक्साइड वायु में व्याप्त होते हैं, जो कि वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं।
- जब मानवीय या प्राकृतिक कारणों से वायुमंडल में उपस्थित गैसों के निश्चित अनुपात में (विषाक्त गैसों या कणकीय पदार्थों की वजह से) अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है, तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं।
|
2. प्रकाश रसायनी धूम्र कोहरे के बनने के समय निम्न में से कौन-सा एक उत्पन्न होता है?
(a) हाइड्रोकार्बन
(b) नाइट्रोजन ऑक्साइड
(c) ओजोन
(d) मीथेन
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (b) नाइट्रोजन ऑक्साइड
- प्रकाश रासायनिक धूम्र कोहरा (Smog) शब्द Smoke और fog के मिलने से बना है।
- प्रकाश रासायनिक धूम्र कोहरा वायु प्रदूषण की एक अवस्था है।
- गाड़ियों और औद्योगिक कारखानों से निकले धुएं में उपस्थित नाइट्रोजन ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड गैसें सूर्य के प्रकाश में हाइड्रोकार्बन के साथ अभिक्रिया करके कई सारे द्वितीयक प्रदूषकों को जन्म देती हैं, जैसे ओजोन, फार्मेल्डिहाइड और PAN (Peroxy Acetyl Nitrate) आदि।
- इन्हीं द्वितीयक प्रदूषकों से प्रकाश रासायनिक धूम्र कोहरा उत्पन्न होता है।
|
3. धुआं में आंखों को प्रभावित करने वाला कौन-सा शक्तिशाली उत्तेज्य होता है?
(a) ओजोन
(b) सल्फर डाइऑक्साइड
(c) कार्बन डाइऑक्साइड
(d) पेरॉक्सीएसीटाइल नाइट्रेट
[U.P.P.C.S. (Pre), 2018]
उत्तर- (d) पेरॉक्सीएसीटाइल नाइट्रेट
- पेरॉक्सीएसीटाइल नाइट्रेट प्रकाश रासायनिक धुएं (Photo Chemicial Smog) में उपस्थित एक द्वितीयक प्रदूषक है, जो आंखों में जलन तथा उत्तेजना पैदा करता है।
- यह आंखों को प्रभावित करने वाला एक शक्तिशाली उत्तेज्य होता है।
|
4. सामान्य स्थितियों में वातावरण में प्रदूषण उत्पन्न करने वाली गैस है-
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
(b) कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂)
(c) नाइट्रोजन (N₂)
(d) ऑक्सीजन (O₂)
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006]
उत्तर- (a) कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक प्रमुख प्राथमिक वायु प्रदूषक (Air Pollutant) है, जो कि रंगहीन (Colourless) तथा अति विषैली (Highly Poisonous) होती है।
- इसकी 90 प्रतिशत मात्रा प्राकृतिक स्रोतों तथा शेष 10 प्रतिशत ईंधन पदार्थों मुख्यतः कोयले के जलने, स्वचालित वाहनों इत्यादि से वातावरण में मिलती रहती है।
- CO उत्सर्जन का 50 प्रतिशत ऑटोमोबाइल से निकलता है।
- यह सिगरेट के धुएं में भी उपस्थित रहती है।
- CO वायुमंडल में कम समय के लिए रहती है तथा इसका ऑक्सीकरण CO, में हो जाता है।
- इस गैस का सर्वाधिक उत्पादन परिवहन से होता है।
|
5. निम्नलिखित में से कौन एक द्वितीयक प्रदूषक नहीं है?
(a) पीएएन
(b) स्मॉग
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) ओजोन
[U.P. P.S.C. (Pre) 2014]
उत्तर- (c) सल्फर डाइऑक्साइड
- वे वायु प्रदूषक, जो प्रदूषक स्रोत से सीधे वायु में मिलते हैं, प्राथमिक प्रदूषक कहलाते हैं जैसे- CO, CO₂, SO, इत्यादि।
- जबकि ऐसे वायु प्रदूषक, जो प्राथमिक वायु प्रदूषकों तथा साधारण वातावरणीय पदार्थों की क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं, द्वितीयक वायु प्रदूषक नाम से जाने जाते हैं।
- जैसे- ओजोन (O), पेरॉक्सीएसीटिल नाइट्रेट इत्यादि।
- अतः पीएएन (Peroxy Acetyl Nitrate), ओजोन तथा स्मॉग (Smog) द्वितीयक प्रदूषक हैं, जबकि सल्फर के ऑक्साइड (मुख्यतः सल्फर डाइऑक्साइड), नाइट्रोजन के ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि प्राथमिक प्रदूषक हैं।
|
6. अधूरे प्रज्ज्वलन के कारण मोटर कार एवं सिगरेट से निकलने वाली रंगहीन गैस है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) नाइट्रस ऑक्साइड
(c) कार्बन मोनोऑक्साइड
(d) मीथेन
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) कार्बन मोनोऑक्साइड
- मोटर कार तथा सिगरेट के अधूरे पज्ज्वलन के कारण निकलने वाली रंगहीन गैस कार्बन मोनोऑक्साइड है।
- यह रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ क्रिया करके एक स्थायी यौगिक बना लेती है, जिससे हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन को ऊतकों तक नहीं पहुंचा पाता है।
- यह मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक गैस है।
|
7. वाहनों में पेट्रोल के जलने से निम्न धातु वायु को प्रदूषित करती है-
(a) मरकरी
(b) कैडमियम
(c) लेड
(d) कार्बन डाइऑक्साइड
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (c) लेड
- वाहनों में पेट्रोल के जलने से लेड धातु उत्सर्जित होती है, जो वायु को प्रदूषित करती है।
- लेड को इंजन में नॉकिंग (Knocking) रोकने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
- अब परिशोधनशाला (Refinery) तकनीक में उन्नयन के कारण पेट्रोल में लेड डालने की आवश्यकता समाप्त हो चुकी है।
- लेड एक वायु प्रदूषक है, जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं।
- लेड बच्चों में दिमाग के विकास में बाधा पहुंचाता है, उनके बुद्धिलब्धि लेवल (I.Q.) को घटाता है तथा वयस्कों में हृदय व श्वसन संबंधी बीमारियों को उत्पन्न करता है।
|
8. सी.एन.जी. का मुख्य घटक है-
(a) CO₂
(b) N₂
(c) H₂ CH
(d) CH
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Re-Exam) 2020]
उत्तर- (d) CH
- प्राकृतिक गैस को उच्च दाब पर संपीडित प्राकृतिक गैस या सी.एन. जी. के रूप में भंडारित किया जाता है।
- इसका उपयोग परिवहन वाहनों में ईंधन के रूप में किया जा रहा है, क्योंकि यह कम प्रदूषणकारी है।
- सी.एन.जी. का मुख्य घटक मीथेन (CH) है।
|
9. निम्नलिखित वायु प्रदूषकों में से कौन रक्त धारा को दुष्प्रभावित कर मौत उत्पन्न कर सकता है?
(a) ऐसबेस्टॉस धूल
(b) कैडमियम
(c) लेड
(d) कार्बन मोनोऑक्साइड
[U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) कार्बन मोनोऑक्साइड
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) एक मुख्य वायु प्रदूषक है।
- यह गैस रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन से जुड़कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है, जिसके कारण रक्त की ऑक्सीजन को वहन करने की क्षमता कम हो जाती है।
- जब लगभग 50 प्रतिशत हीमोग्लोबिन, कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन में बदल जाता है, तब ऑक्सीजन की कमी से श्वसन क्रिया में अवरोध हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाती है।
|
10. निम्नलिखित में से कौन-सा वायु प्रदूषक ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से रक्त के हीमोग्लोबिन में घुल जाता है?
(a) पैन (PAN)
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) कार्बन मोनोऑक्साइड
(d) ओजोन
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) कार्बन मोनोऑक्साइड
- कार्बन मोनोऑक्साइड हानिकारक गैस है।
- जब यह हमारे फेफड़ों में प्रवेश करती है, तो रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है।
- यह गैस हीमोग्लोबिन अणुओं से ऑक्सीजन की तुलना में 240 गुना से 300 गुना अधिक तेजी से संयुक्त हो जाती है, जिस कारण वायु में पर्याप्त ऑक्सीजन होने पर भी सांस लेने में कठिनाई होती है और घुटन महसूस होने लगती है।
- अतः यह बहुत हानिकारक वायु प्रदूषक है।
|
11. निम्नलिखित में से कौन-सी एक वायु प्रदूषक गैस है और जीवाश्म ईंधन के ज्वलन स्वरूप उत्पन्न होती है?
(a) हाइड्रोजन
(b) नाइट्रोजन
(c) ऑक्सीजन
(d) सल्फर डाइऑक्साइड
[U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर- (d) सल्फर डाइऑक्साइड
- जीवाश्म ईंधन के ज्वलन से उत्पन्न होने वाली वायु प्रदूषक गैस प्रश्नगत विकल्पों में सल्फर डाइऑक्साइड है।
|
12. ‘फ्लाई ऐश’ एक प्रदूषक दहन उत्पाद है, जो प्राप्त होता है, जलाने से-
(a) कोल (पत्थर के कोयले) को
(b) चारकोल (लकड़ी के कोयले) को
(c) डीजल मिट्टी के तेल को
(d) सी.एन.जी. को
[U.P.P.C.S. (Mains) 2004]
उत्तर- (a) कोल (पत्थर के कोयले) को
- ‘फ्लाई ऐश’ (Fly ash) कोल के दहन से उत्पन्न प्रदूषक है।
- इसमें सूक्ष्म कण उपस्थित होते हैं, जो धुएं के साथ हवा में तैरते हैं।
- कोयला आधारित ताप विद्युत घरों से उत्पन्न होने वाले इस सूक्ष्म पाउडर से जीवों में श्वसन संबंधी रोग होते हैं।
- यह पौधों की पत्तियों पर जमा होकर प्रकाश संश्लेषण को बाधित करता है।
- इसको वायु में मिलने से रोकने के लिए इलेक्ट्रोस्टेटिक अवक्षेपक (Electrostatic Precipitator) या अन्य कण निस्यंदन उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
|
13. निम्नलिखित में से कौन-सा एक वायु प्रदूषण के जैविक सूचक का कार्य करता है?
(a) लाइकेन
(b) फर्न
(c) मनी प्लांट
(d) अमरबेल
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010, U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) लाइकेन
- लाइकेन पेड़ों की छालों पर उगे हुए होते हैं।
- लाइकेन का निर्माण शैवाल तथा कवक के द्वारा होता है।
- नाइट्रीकरण करने वाले जीवाणु, भूमि की स्वतंत्र नाइट्रोजन को नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं।
- इसे पौधे जड़ों द्वारा खाद के रूप में ग्रहण करते हैं।
- इसके बदले पौधे इन जीवाणुओं को भोजन एवं रहने के लिए स्थान देते हैं।
- इस प्रकार इस सहजीविता का प्रभाव पौधों एवं वातावरण पर पड़ता है।
- वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव लाइकेन पर पड़ता है, क्योंकि ये बड़े संवेदनशील होते हैं।
- लाइकेन प्रदूषण के जैविक सूचक का कार्य करता है।
|
14. निम्नलिखित में से कौन-सा वायु प्रदूषण का सूचक है?
(a) पफबॉल्स
(b) शैवाल
(c) लाइकेन
(d) मॉस
U.P.P.C.S. (Pre) 2021
उत्तर- (*)
- लाइकेन एवं मॉस दोनों वायु प्रदूषण के महत्वपूर्ण सूचक हैं।
- यदि वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है, तो लाइकेन समाप्त होने लगते हैं।
- लाइकेन कवक एवं शैवाल से मिलकर बने होते हैं, जो पेड़ों के तने एवं चट्टानों आदि पर पाए जाते हैं।
- मॉस ब्रायोफाइटा समूह का सदस्य है, जो चट्टानों एवं पेड़ों की सतहों पर पाए जाते हैं।
- वातावरण में नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होने पर मॉस समाप्त या कम होने लगते हैं।
- नोट-उ.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा जारी उत्तर कुंजी में इस प्रश्न का उत्तर विकल्प (c) माना गया है।
|
15. लाइकेन्स सबसे अच्छे सूचक हैं-
(a) वायु प्रदूषण के
(b) जल प्रदूषण के
(c) मृदा प्रदूषण के
(d) ध्वनि प्रदूषण के
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) वायु प्रदूषण के
- लाइकेन्स निम्न श्रेणी की ऐसी छोटी वनस्पतियों का एक समूह है, जो विभिन्न प्रकार के आधारों पर उगे हुए पाए जाते हैं।
- यह वायु प्रदूषण के प्रति संवेदी हैं, इसलिए यह नगरों के समीप नहीं पाए जाते।
|
16. निम्नलिखित में से कौन जल प्रदूषक नहीं है?
(a) जस्ता
(b) तांबा
(c) निकेल
(d) सल्फर डाइऑक्साइड
[U.P.P.C.S (Mains) 2011]
उत्तर- (d) सल्फर डाइऑक्साइड
- सल्फर डाइऑक्साइड वायु प्रदूषक है तथापि वातावरण में जल से क्रिया करके वर्षा जल में सल्फ्यूरिक एसिड के मिश्रण का कारण यह हो सकता है।
|
17. भारत का सर्वाधिक प्रदूषित नगर है-
(a) अंकलेश्वर
(b) लखनऊ
(c) लुधियाना
(d) रायपुर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर- (a) अंकलेश्वर
- प्रश्नकाल के दौरान अंकलेश्वर भारत का सर्वाधिक प्रदूषित नगर था।
- इसका प्रदूषण स्कोर 88.5/100 था।
- वापी दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित नगर था।
- इसका प्रदूषण स्कोर 88.09/100 था।
|
18. ग्रीन पीस इंडिया द्वारा, 2020 जनवरी में जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 287 नगरों में से निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक प्रदूषित नगर है?
(a) रानीगंज
(b) झरिया
(c) बजरंग नगर
(d) सोहागपुर
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) झरिया
- जनवरी, 2020 में ग्रीन पीस इंडिया द्वारा एयरपोकैलिप्स रिपोर्ट (Air- pocalypse Report) जारी की गई जिसके अनुसार, नेशनल एक्वियेंट एयर क्वॉलिटी मॉनीटरिंग प्रोग्राम में शामिल 287 भारतीय शहरों में से 231 भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण का उच्च स्तर बरकरार है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, कोयला खदानों के लिए मशहूर झारखंड का झरिया सबसे प्रदूषित शहर है।
|
19. प्रदूषण युक्त वायुमंडल को निम्न में से किसके द्वारा स्वच्छ किया जाता है?
(a) ऑक्सीजन
(b) वर्षा
(c) नाइट्रोजन
(d) हवा
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Pre) 2013]
उत्तर- (b) वर्षा
- वायुमंडल में वर्षा एवं ओस द्वारा धुआं, धूल एवं गैसीय अपशिष्ट पदार्थों से वायुमंडल को स्वच्छ किया जाता है।
- ऐसे प्रदूषक जिनके कणों का व्यास 2 माइक्रॉन से कम होता है, वे वर्षा द्वारा वायुमंडल से स्वच्छ नहीं किए जा सकते।
|
20. वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु सितंबर, 2018 में ‘वायु’ (वी.ए.वाई.यू.) प्रणाली का शुभारंभ किस नगर / राज्य में किया गया?
(a) चेन्नई
(b) अमृतसर
(c) दिल्ली
(d) वाराणसी
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre), 2018]
उत्तर- (c) दिल्ली
- वायु प्रदूषण नियंत्रण हेतु ‘वायु’ (वी.ए.वाई.यू.) प्रणाली का शुभारंभ दिल्ली में किया गया है।
- गौरतलब है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर का कारण PM 10, PM 2.5, सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) हैं।
|
21. ‘एशियाई भूरा बादल (Asian Brown Cloud), 2002’ अधिकांशतः फैला था-
(a) पूर्वी एशिया में
(b) दक्षिण-पूर्वी एशिया में
(c) दक्षिण एशिया में
(d) पश्चिम एशिया में
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर- (c) दक्षिण एशिया में
- ‘एशियाई भूरा बादल, 2002’ अधिकांशतः दक्षिण एशिया में फैला था।
- यह वस्तुतः प्रदूषण के कारण था। वर्ष 2007 में भी इसकी रिपोर्ट आई थी।
- ‘एशियाई ब्राउन क्लाउड’ या एशियाई भूरा बादल वायु प्रदूषण के कारण उत्पन्न होता है।
- इस घटना में वायु प्रदूषण से जनित भूरे बादलों की एक परत बन जाती है, जो प्रत्येक वर्ष जनवरी से मार्च के महीनों के दौरान मुख्यतया दक्षिण एशियाई क्षेत्र पर आच्छादित रहती है।
|
22. कथन: जाड़े की ऋतु में दिल्ली में वायु प्रदूषण उच्च स्तर का रहता है।
कारण : मोटर गाड़ियों में दहन प्रक्रिया जाड़े में बढ़ जाती है।
निम्न कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, किंतु (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर- (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- दिल्ली में जाड़े की ऋतु में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, क्योंकि ठंडी वायु भारी होती है, इसलिए बहुत ऊंचाई तक नहीं उठती है और धरातल से कुछ ऊंचाई पर धूल, गैस आदि की एक परत बन जाती है।
- अतः कथन (A) सही है।
- जाड़े की ऋतु में गाड़ियों की दहन प्रक्रिया घट जाती है।
- इसलिए कारण (R) गलत है।
|
23. इनडोर वायु प्रदूषण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रदूषक है-
(a) सल्फर डाइऑक्साइड
(b) कार्बन डाइऑक्साइड
(c) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
(d) रेडान गैस
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) रेडान गैस
- इनडोर वायु प्रदूषण का सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रदूषक रेडान गैस (Rn) है।
- रेडान एक रंगहीन, गंधहीन, रेडियोएक्टिव अक्रिय गैस है। रेडान गैस रेडियम से उत्सर्जित होती है।
- रेडान गैस से फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) तथा रक्त कैंसर होने की संभावना होती है।
- घरेलू गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले वायु प्रदूषण को घरेलू वायु प्रदूषण कहा जाता है।
- ध्यातव्य है कि रेडान गैस मृदा से प्राकृतिक रूप में निकलती है।
- शहरों में वातायन की कमी के कारण घरों में इकट्ठा होकर यह गैस फेफड़ों के कैंसर को जन्म देती है।
|
24. सिगरेट के धुएं में मुख्य प्रदूषक है-
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड व डाइऑक्सीसिन
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड व निकोटीन
(c) कार्बन मोनोऑक्साइड व बेंजीन
(d) डाइऑक्सीसिन व बेंजीन
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (c) कार्बन मोनोऑक्साइड व बेंजीन
- सिगरेट का धुआं रसायनों का एक जटिल मिश्रण है।
- इसके धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें पाई जाती हैं।
- साथ ही फार्मेल्डिहाइड, एक्रोलीन तथा बेंजीन जैसे अस्थायी रसायन भी इसमें पाए जाते हैं।
- निकोटीन भी सिगरेट के धुएं में पाया जाता है लेकिन इसकी मात्रा बहुत कम होती है।
- यह अत्यंत हानिकारक व कैंसर कारक होता है।
- इससे आंख, नाक, गले में जलन, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा व कैंसर जैसे खतरनाक रोगों का जन्म होता है।
|
25. ‘रिंगेलमेन स्केल’ का प्रयोग निम्नलिखित में से किसके घनत्व मापन में होता है?
(a) धुआं
(b) प्रदूषित जल
(c) कोहरा
(d) ध्वनि
[U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) धुआं
- रिंगेलमेन स्केल (Ringelmann Scale) का प्रयोग धुएं (Smoke) के घनत्व मापन में होता है।
- इसे फ्रांसीसी प्रोफेसर मैक्सिमिलियन रिंगेलमैन द्वारा विकसित किया गया था।
|
26. ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग करने वाले शक्ति संयंत्रों से प्राप्त ‘फ्लाई ऐश’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा / से सही है/हैं?
1. फ्लाई ऐश का उपयोग भवन निर्माण के लिए ईंटों के उत्पादन में किया जा सकता है।
2. फ्लाई ऐश का उपयोग कंक्रीट के कुछ पोर्टलैंड सीमेंट अंश के स्थानापन्न (रिप्लेस्मेंट) के रूप में किया जा सकता है।
3. फ्लाई ऐश केवल सिलिकॉन डाइऑक्साइड तथा कैल्शियम ऑक्साइड से बना होता है और इसमें कोई विषाक्त (टॉक्सिक) तत्व नहीं होते।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) 1 और 2
- कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से विद्युत उत्पादन के फलस्वरूप उपोत्पाद (By Product) के रूप में फ्लाई ऐश प्राप्त होता है।
- फ्लाई ऐश में पाए जाने वाले मुख्य खनिज यौगिक सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO₂), एल्युमीनियम ऑक्साइड (AI₂O₃) तथा कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) हैं।
- इसमें कुछ मात्रा में विषाक्त तत्व भी पाए जाते हैं।
- अतः कथन-3 असत्य है।
- फ्लाई ऐश का उपयोग ईंटों के उत्पादन में तथा कंक्रीट उत्पादन में पोर्टलैंड सीमेंट के स्थानापन्न के रूप में किया जा सकता है।
- फ्लाई ऐश सूक्ष्म पाउडर होता है।
- यह वायु के साथ दूर तक यात्रा करता है।
- इसमें सीसा, आर्सेनिक, कॉपर जैसी जहरीली भारी धातुओं के कण भी होते हैं।
|
27. निम्नलिखित में से कौन-से कारण/कारक बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं?
1. स्वचालित वाहन (automobile) द्वारा निष्कासित पदार्थ
2. तंबाकू का धुआं
3. लकड़ी का जलना
4. रोगन किए गए लकड़ी के फर्नीचर का उपयोग
5. पॉलियूरेथिन से निर्मित उत्पादों का उपयोग
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) केवल 1, 2 और 3
- बेंजीन जिसका रासायनिक सूत्र CH होता है।
- एक कार्बनिक यौगिक है।
- स्वचालित वाहनों से उत्पन्न होने वाला उत्सर्जन, गैरेज में संग्रहित पेट्रोल तेल, तंबाकू का धुआं, कोयला, लकड़ी, गैस, मिट्टी का तेल तथा तरल पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) आदि बेंजीन प्रदूषण उत्पन्न करते हैं।
- अतः विकल्प (a) सही उत्तर होगा।
|
28. निम्नलिखित में से कौन एक वायु प्रदूषण की रोकथाम की एक यंत्रीय विधि नहीं है?
(a) बैंग फिल्टर
(b) साइक्लोन कलेक्टर
(c) साइक्लोन सेपरेटर
(d) साइक्लोन डिवाइडर
[U.P. P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (d) साइक्लोन डिवाइडर
- साइक्लोन डिवाइडर वायु प्रदूषण की रोकथाम की यंत्रीय विधि नहीं है।
- गैसीय व कणकीय पदार्थों द्वारा होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कई प्रकार के यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- कारखानों की चिमनियों से निःसृत धुएं तथा कालिख के साथ मिश्रित कणकीय पदार्थों को अलग करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले विशिष्ट फिल्टर को बैग फिल्टर कहते हैं।
- 50 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कणकीय पदार्थों को पृथक करने के लिए बैग फिल्टर का प्रयोग किया जाता है, जबकि 50 माइक्रोमीटर से बड़े आकार वाले कणकीय पदार्थों को फिल्टर करने हेतु साइक्लोन सेपरेटर या साइक्लोन कलेक्टर तथा वेट स्क्रबर नामक उपकरणों का उपयोग किया जाता है।
|
29. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा किस वर्ष में प्रारंभ किया गया है?
(a) 2018
(b) 2017
(c) 2020
(d) 2019
[U.P. P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) 2019
- जनवरी, 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लांच किया गया था।
- इसका उद्देश्य व्यापक रूप से वायु प्रदूषण की समस्या से निपटना है।
- इसका लक्ष्य वर्ष 2017 की तुलना में वर्ष 2024 तक PM 10 तथा PM 2.5 की सांद्रताओं में 20-30 प्रतिशत तक की कटौती करना है।
|
30. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. अल्पजीवी जलवायु प्रदूषकों को न्यूनीकृत करने हेतु जलवायु एवं स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC), G20 समूह के देशों की एक अनोखी पहल है।
2. CCAC मीथेन, काला कार्बन एवं हाइड्रोफ्लोरोकार्बनों पर केंद्रित करता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(c) 1 और 2 दोनों
(b) केवल 2
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (b) केवल 2
- जलवायु एवं स्वच्छ वायु गठबंधन (Climate and Clean Air Coalition : CCAC) विभिन्न देशों, नागरिक समाजों (Civil Societies) व निजी क्षेत्रों का एक वैश्विक प्रयास है, जो अल्पजीवी जलवायु प्रदूषकों को न्यूनीकृत कर वायु की गुणवत्ता को बेहतर बनाने हेतु प्रतिबद्ध है।
- यह 53 देशों एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा निर्मित एक गठबंधन है।
- CCAC, मीथेन, काला कार्बन एवं हाइड्रोफ्लुओरोकार्बनों पर मुख्यतया केंद्रित करता है।
- यह गठबंधन अल्पजीवी जलवायु प्रदूषकों के प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ, उनकी उपशमन रणनीति तथा क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर नई कार्यवाहियों को बढ़ावा देने का कार्य भी करता है।
- इसके साथ ही इस गठबंधन के सहयोगी देश इस तथ्य को भी मान्यता देते हैं कि अल्पजीवी जलवायु प्रदूषकों का न्यूनीकरण कार्बन डाइऑक्साइड के न्यूनीकरण के वैश्विक प्रयासों में पूरक एवं अनुपूरक का कार्य करने में भी सक्षम हो।
|
31. वाहनों में उत्सर्जित कार्बन मोनोऑक्साइड को कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित करने वाली उत्प्रेरक परिवर्तन की सिरेमिक डिस्क किससे स्तरित होती है?
(a) चांदी
(b) स्वर्ण
(c) तांबा
(d) पैलेडियम
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (d) पैलेडियम
- वाहनों से उत्सर्जित NOx, CO तथा HCs को गैर-हानिप्रद यौगिकों में परिवर्तित करने के लिए उत्प्रेरकी परिवर्तक (Catalytic Converter) नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है।
- इसमें एक उत्प्रेरक (प्लेटिनम या पैलेडियम अथवा दोनों) पर से उत्सर्जित गैस को प्रवाहित किया जाता है, जिससे उसमें उपस्थित गैसीय मिश्रण CO से CO., NOx से N, और HCs से CO, एवं जल में परिवर्तित हो जाता है।
|
अम्ल वर्षा
1. अम्ल वर्षा, निम्नांकित द्वारा वायु प्रदूषण के कारण होती है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड
(c) मीथेन
(d) नाइट्रस ऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड
[U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) नाइट्रस ऑक्साइड एवं सल्फर डाइऑक्साइड
- जब वर्षा के जल में अम्लों की मात्रा बढ़ जाती है, तो इसे अम्ल वर्षा के नाम से जाना जाता है।
- सामान्यतया ऐसी वर्षा जिसका pH मान 5-6 से कम हो, अम्ल वर्षा कहलाती है।
- उल्लेखनीय है कि शुद्ध जल का pH मान 7.0 होता है।
- वर्षा का जल भी पूर्णतया शुद्ध नहीं होता है, क्योंकि वायुमंडल में उपस्थित CO, वर्षा के जल में घुलकर कार्बोनिक अम्ल (H₂CO,) का निर्माण करती है।
- यह कार्बोनिक अम्ल वर्षा के जल को थोड़ा अम्लीय बना देता है।
- वातावरणीय प्रदूषण, औद्योगिक निःसृतों एवं प्रकृति में होने वाली विभिन्न क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रस ऑक्साइड गैसें वायुमंडल में पहुंचकर, ऑक्सीजन और बादल के जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाकर वर्षा के साथ पृथ्वी पर गिरती हैं।
|
2. अम्ल वर्षा किनके द्वारा होने वाले पर्यावरण प्रदूषण के कारण होती है?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड
(c) ओजोन और कार्बन डाइऑक्साइड
(d) नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड
- अम्ल वर्षा वह परिस्थिति है, जिसमें वायु में उपस्थित प्रदूषणकारी रसायनों की प्रतिक्रिया से प्राकृतिक वर्षा का जल अम्लीय हो जाता है।
- वर्षा के जल को अम्लीय बनाने के लिए मुख्यतः सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) तथा नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) उत्तरदायी है।
|
3. निम्नलिखित में से कौन अम्ल वृष्टि का कारण है-
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड तथा कार्बन डाइऑक्साइड
(b) कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजन
(c) सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रस ऑक्साइड
(d) ओजोन
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2007, U.P.P.S.C. (GIC) 2010, U.P.U.D.A./LL.D.A. (Pre) 2001]
उत्तर- (c) सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रस ऑक्साइड
- वातावरणीय प्रदूषण, औद्योगिक निःसृतों एवं प्रकृति में होने वाली विभिन्न क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न सल्फर डाइऑक्साइड तथा नाइट्रस ऑक्साइड गैसें वायुमंडल में पहुंचकर ऑक्सीजन और बादल के जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बना कर वर्षा के साथ पृथ्वी पर गिरती हैं, इसे अम्लीय वर्षा (Acid Rain) कहते हैं।
- पृथ्वी पर गिर कर मृदा से संपर्क कर अम्ल वर्षा मृदा को अभूतपूर्व क्षति पहुंचाती है।
- अधिक अम्लता के कारण अम्ल वर्षा के हाइड्रोजन आयन एवं मृदा के पोषक धनायन (यथा K एवं Mg) के बीच आदान-प्रदान होता है।
- इसके फलस्वरूप पोषक तत्वों का निक्षालन (Leaching) हो जाता है एवं मृदा की उर्वरता समाप्त हो जाती है।
|
4. अम्ल वर्षा में नीचे दिए गए कौन-से प्रदूषक वर्षा जल एवं हिम को प्रदूषित करते हैं?
1. सल्फर डाइऑक्साइड
2. नाइट्रोजन ऑक्साइड
3. कार्बन डाइऑक्साइड
4. मीथेन
(a) 1, 3 और 4
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 4
(d) केवल 2 और 3
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (b) केवल 1 और 2
- सल्फर डाइऑक्साइड व नाइट्रोजन ऑक्साइड अम्ल वर्षा के निर्माण के मुख्य कारक होते हैं।
- अम्ल वर्षा, वर्षा जल एवं हिम को प्रदूषित करती है।
- इस कारण से झीलों, नदियों, तालाबों इत्यादि पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
|
5. अम्ल वर्षा होती है-
(a) बादल तक पहुंच कर ठंडी होने वाली अम्ल वाष्प के कारण
(b) वर्षा के जल और कार्बन डाइऑक्साइड प्रदूषकों के मध्य प्रतिक्रिया के कारण
(c) बादल के जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषकों के मध्य प्रतिक्रिया के फलस्वरूप
(d) बिजली चमकने और बादल फटने के मध्य जल वाष्प और विद्युत आवेश के बीच प्रतिक्रिया के फलस्वरूप
[U.P.P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (c) बादल के जल एवं सल्फर डाइऑक्साइड प्रदूषकों के मध्य प्रतिक्रिया के फलस्वरूप
- अम्ल वर्षा बादल के जल (H₂O) व सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) प्रदूषकों के मध्य क्रिया के फलस्वरूप बनती है।
- कल-कारखाने सल्फर डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कर वातावरण में इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए उत्तरदायी होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अम्ल वर्षा की मात्रा में वृद्धि होती है।
|
6. अम्ल वर्षा से निम्नलिखित देशों में से कौन क्षतिग्रस्त होते हैं?
1. कनाडा
2. फ्रांस
3. नॉर्वे
4. जर्मनी
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) 1 तथा 2
(b) 1 तथा 3
(c) 2 तथा 3
(d) 3 तथा 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (b) 1 तथा 3
- प्रश्न में दिए गए देशों में से अम्ल वर्षा से सर्वाधिक क्षतिग्रस्त कनाडा और नॉर्वे होते हैं।
- ध्यातव्य है कि जर्मनी तथा यूनाइटेड किंगडम में स्थित मिलों से उत्सर्जित SO, तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड के कारण नॉर्वे तथा स्वीडन में अधिक अम्ल वर्षा होती है।
- इस अम्ल वर्षा के कारण यहां की झीलें अब जैविकीय दृष्टि से मृत हो रही हैं।
- इन्हीं वजहों से अम्ल वर्षा को झील कातिल (Lake Killer) भी कहा जाता है।
- कनाडा व अन्य स्कैंडिनेवियाई देशों में भी अम्ल वर्षा होती है, जो वहां काफी नुकसान पहुंचाती है।
- उल्लेखनीय है कि USA एवं कनाडा के मध्य वायु गुणवत्ता समझौता भी किया गया है।
|
7. किस देश में सर्वाधिक अम्लीय वर्षा होती है?
(a) चीन
(b) जापान
(c) नॉर्वे
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका
[U.P.P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (c) नॉर्वे
- उपर्युक्त प्रश्न के दिए गए विकल्पों में से नॉर्वे अम्ल वर्षा से सर्वाधिक प्रभावित देश है।
- इसके दक्षिणी आधे भाग पर व्यापक अम्लीय वर्षा होती है, जिसके कारण से यहां की झीलों एवं नदियों का अधिकांश जल अम्लीय हो चुका है।
|
जल प्रदूषण
1. भूमिगत जल को दूषित करने वाले अजैविक प्रदूषक हैं-
(a) बैक्टीरिया
(b) शैवाल
(c) आर्सेनिक
(d) विषाणु
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) आर्सेनिक
- प्रश्नगत विकल्पों में भूमिगत जल को दूषित करने वाला अजैविक प्रदूषक आर्सेनिक है।
- यौगिक अवस्था में आर्सेनिक पृथ्वी पर अनेक स्थानों में पाया जाता है।
- यह ज्वालामुखी के वाष्पों में, समुद्र के जल तथा अनेक खनिजीय जलों में मिश्रित रहता है।
- भारत में कई जगहों पर भूमिगत जल आर्सेनिक से संक्रमित होते हैं।
- यह संक्रमण मुख्यतया प्रकृति में पाए जाने वाले बेडरॉक (Bed Rock) से उत्पन्न आर्सेनिक से होता है।
- भूमिगत जल के अत्यधिक उपयोग से भूमि तथा चट्टानों के स्रोतों से आर्सेनिक का निक्षालन शुरू होने की संभावना बढ़ जाती है।
- आर्सेनिक के लगातर संपर्क से ब्लैक फुट नामक बीमारी हो जाती है।
|
2. औद्योगिक मलबे से सर्वाधिक रासायनिक प्रदूषण होता है-
(a) चमड़ा उद्योग
(b) कागज उद्योग
(c) रेयॉन उद्योग
(d) वस्त्र उद्योग
[U.P.P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) चमड़ा उद्योग
- औद्योगिक मलबे से सर्वाधिक रासायनिक प्रदूषण चमड़ा उद्योग से होता है।
- जल प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से यही उद्योग उत्तरदायी है।
|
3. निम्नलिखित में से कौन एक वायु प्रदूषण से संबंधित नहीं है?
(a) स्मॉग
(b) अम्ल वर्षा
(c) यूट्रोफिकेशन
(d) एस्बेस्टोसिस
[U.P. P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर- (c) यूट्रोफिकेशन
- जल में पोषण तत्वों की अधिकता भी जीवों के ऊपर प्रभाव डालती है।
- जल में जब जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के पोषक तत्वों की वृद्धि हो जाती है, तो इस घटना को सुपोषण या यूट्रोफिकेशन कहते हैं।
- अपशिष्ट जलों के बहाव के साथ कार्बनिक पोषक तत्वों के आने के अलावा, कार्बनिक अपशिष्टों का जमाव भी जलाशयों की पोषक मात्रा को बढ़ा देता है।
- अत्यधिक पोषकों की उपस्थिति में शैवालों का विकास तेजी से होने लगता है।
- इसे शैवाल ब्लूम (Algal Bloom) या यूट्रोफिकेशन कहते हैं।
- इस तरह का शैवाल ब्लूम, जिसमें मुख्यतया ब्लू-ग्रीन-शैवाल की अधिकता रहती है, पूरी जल सतह पर आच्छादित हो जाता है।
- शैवाल के साथ-साथ जलीय पौधों की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
- शैवाल व जलीय पौधे श्वसन क्रिया के लिए जल के अधिकांश ऑक्सीजन को अपने उपयोग में ले लेते हैं।
- साथ ही ये जहर (Toxin) भी जलाशय में निष्कासित करते रहते हैं।
- जलाशय में जलीय जंतु 0, के अभाव में मरने लगते हैं।
- इस प्रकार सुपोषण के कारण भी जैव प्रजातियों की विविधिता नष्ट होना आरंभ हो जाती है।
|
4. जैविक ऑक्सीजन आवश्यकता (बी.ओ.डी.) एक प्रकार का प्रदूषण सूचकांक है-
(a) जलीय वातावरण में
(b) मृदा में
(c) वायु में
(d) उपर्युक्त सभी में
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Mains) 2007]
उत्तर- (a) जलीय वातावरण में
- बीओडी (BOD: Biological Oxygen Demand) जल प्रदूषण मापने की मुख्य इकाई है।
- कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपशिष्ट अपघटित होने के लिए जल निकायों में घुलनशील ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जिससे जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है।
- घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा घटने से उसकी मांग बढ़ जाती है।
- बीओडी का अधिक होना, जल के संक्रमित होने को दर्शाता है।
- ध्यातव्य है कि कार्बनिक अपशिष्ट (जैसे-सीवेज) की मात्रा बढ़ने से अपघटन की दर बढ़ जाती है तथा O, का उपयोग भी इसी के साथ-साथ बढ़ जाता है।
- इसके फलस्वरूप घुली ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen-DO) की मात्रा घट जाती है।
- अतः 0, की मांग का बढ़ते अपशिष्ट की मात्रा से सीधा संबंध है।
- इसी मांग को जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (Biological Oxygen Demand- BOD) कहते हैं।
- BOD ऑक्सीजन का मापक है।
- अतः जहां उच्च BOD वहां निम्न DO होगा।
|
5. जैव ऑक्सीजन मांग (BOD) किसके लिए एक मानक मापदंड है?
(a) रक्त में ऑक्सीजन का स्तर मापने के लिए
(b) वन पारिस्थितिक तंत्रों में ऑक्सीजन स्तरों के अभिकलन के लिए
(c) जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में प्रदूषण के आमापन के लिए
(d) उच्च तुंगता क्षेत्रों में ऑक्सीजन स्तरों के आकलन के लिए
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में प्रदूषण के आमापन के लिए
- जैव ऑक्सीजन मांग (Biological Oxygen Demand : BOD) जल प्रदूषण मापने की मुख्य इकाई है।
- कार्बनिक एवं अकार्बनिक अपशिष्ट अपघटित होने के लिए जल निकायों में घुलनशील ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं, जिससे जल में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है।
- घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा घट जाने से उसकी मांग बढ़ जाती है।
- BOD का अधिक होना जल के संक्रमित होने को दर्शाता है।
- अतः ऑक्सीजन की मांग का बढ़ते अपशिष्ट की मात्रा से सीधा संबंध है।
- इसी मांग को जैव ऑक्सीजन मांग (BOD) कहते हैं।
- जहां उच्च BOD है, वहां निम्न घुली ऑक्सीजन (Dissovled Oxygen- DO) होगा।
BOD X 1/DO
|
6. गंगा नदी में बी.ओ.डी. सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है-
(a) हरिद्वार एवं कानपुर के मध्य
(b) कानपुर एवं इलाहाबाद के मध्य
(c) इलाहाबाद एवं पटना के मध्य
(d) पटना एवं उलुवेरिया में मध्य
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Mains) 2008]
उत्तर- (b) कानपुर एवं इलाहाबाद के मध्य
- बी.ओ.डी. की सर्वाधिक मात्रा गंगा नदी में कानपुर एवं इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के मध्य पाया जाता है।
- वस्तुतः कानपुर से गंगा नदी में भारी मात्रा में प्रदूषित पदार्थ डाले जाने के कारण यहां बी.ओ.डी. अधिक होता है।
|
7. निम्न में से कहां आर्सेनिक द्वारा जल प्रदूषण सर्वाधिक है?
(a) हरियाणा में
(b) राजस्थान में
(c) मध्य प्रदेश में
(d) पश्चिम बंगाल में
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर- (d) पश्चिम बंगाल में
- भारत के गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों तथा बांग्लादेश के पद्मा-मेघना के मैदानी इलाकों में भूमिगत जल आर्सेनिक प्रदूषण से अत्यधिक ग्रस्त है।
- भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1983 में पश्चिम बंगाल में आर्सेनिक द्वारा जल प्रदूषण का मामला सामने आया था।
- भारत के सात राज्यों-पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम, मणिपुर तथा छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में भूमिगत जल आर्सेनिक प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित है।
- ध्यातव्य है, कि पेयजल में आर्सेनिक की अनुमेय सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर (0.01 मिग्रा./लीटर) तक है, जबकि भारत में वैकल्पिक स्रोतों के अभाव में इसकी मात्रा 0.05 मिग्रा./लीटर स्वीकार्य है।
- उल्लेखनीय है कि अगस्त, 2019 में भारत सरकार द्वारा लांच जल जीवन मिशन में आर्सेनिक के उपचार की व्याख्या की गई है।
- मिशन की शुरुआत से मार्च, 2021 तक विभिन्न राज्यों के 10,650 आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों को पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा चुका है।
|
8. अपने प्रदूषकों के कारण निम्न में से कौन-सी नदी ‘जैविक मरुस्थल’ कहलाती है?
(a) यमुना
(b) पेरियार
(c) दामोदर
(d) महानदी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) दामोदर
- दामोदर नदी झारखंड के खमार पाट से निकलकर हुगली में मिलती है। कोयला खदान और औद्योगिक क्षेत्रों से प्रवाहित होने के कारण यह देश की अति प्रदूषित नदी बन गई है।
- गिरिडीह और दुर्गापुर के मध्य के 300 किमी. लंबे मार्ग में तो यह ‘जैविक मरुस्थल’ (Biological Desert) होकर रह गई है।
|
9. भारतीय रेल द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जैव शौचालयों (बायो- टॉयलेट्स) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
1. जैव शौचालयों में मानव अपशिष्ट का अपघटन फंगल इनॉकुलम (Fungal Inoculum) द्वारा उपक्रमित (इनिशिएट) होता है।
2. इस अपघटन के अंत्य उत्पाद केवल अमोनिया एवं जल-वाष्प होते हैं, जो वायुमंडल में निर्मुक्त हो जाते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(c) 1 और 2 दोनों
(b) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (d) न तो 1 और न ही 2
- वर्तमान में शत प्रतिशत ट्रेनों के कोचों में जैव शौचालयों का समावेश है।
- जैव शौचालय प्रणाली में अवायवीय जीवाणु अपशिष्ट पदार्थों को विखंडित कर उसे पानी और गैस (मीथेन) में परिवर्तित कर देता है।
- पानी को टैंक में जमा कर उसे क्लोरीन की मदद से साफ कर दिया जाता है, जबकि गैस वाष्पीकृत हो जाती है।
- स्पष्ट है कि न तो कथन (1) और न ही कथन (2) सत्य है।
|
10. उत्तर प्रदेश की निम्नलिखित नदियों में कौन-सी पर्यावरण प्रदूषण के कारण ‘जैविक आपदा’ घोषित हो गई है?
(a) यमुना
(b) गोमती
(c) सई
(d) तमसा
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) यमुना & (b) गोमती
- पब्लिक डोमेन में जैविक आपदा घोषित नदी की सूचना नहीं प्राप्त है।
- जल गुणता के आधार पर यमुना नदी का जल गुणता सूचकांक अधिक अशुद्धता की ओर है, जबकि इस दृष्टि से दूसरे क्रम पर गोमती नदी है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ ने यमुना को मृत नदी घोषित किया है।
- जैविक आपदा नदी इन्हीं दोनों नदियों में से कोई एक होगी।
- लोक सेवा आयोग द्वारा जारी उत्तर कुंजी में विकल्प (b) को सही माना गया है।
|
11. निम्नलिखित में से कौन-से भारत के कुछ भागों में पीने के जल में प्रदूषक के रूप में पाए जाते हैं?
1. आर्सेनिक
2. सारबिटॉल
3. फ्लुओराइड
4. फार्मेल्डिहाइड
5. यूरेनियम
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 4 और 5
(c) केवल 1,3 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (c) केवल 1,3 और 5
- देश में मणिपुर, त्रिपुरा, ओडिशा, मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश में पेयजल की गुणवत्ता का स्तर अत्यधिक चिंताजनक है।
- भारत की 85 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या भूजल पर निर्भर है। शेष 15 प्रतिशत जनसंख्या खुले कुओं या जल के खुले स्रोतों से पेयजल प्राप्त करती है।
- भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और यूरेनियम जैसे जानलेवा रसायन मिले होते हैं।
|
12. ‘नॉक-नी संलक्षण’ उत्पन्न होता है-
(a) पारा के प्रदूषण द्वारा
(b) सीसा के प्रदूषण द्वारा
(c) संखिया के प्रदूषण द्वारा
(d) फ्लुओराइड के प्रदूषण द्वारा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (d) फ्लुओराइड के प्रदूषण द्वारा
- ‘नॉक-नी संलक्षण’ फ्लुओराइड के प्रदूषण के द्वारा उत्पन्न होता है।
- यद्यपि फ्लुओराइड तत्व पानी में अल्प मात्रा में उपलब्ध होता है, जो मसूड़ों और दांतों को संरक्षण प्रदान करता है, परंतु इसका अत्यधिक सांद्रण (Excess Concentration) फ्लुओरोसिस (Fluorosis) नामक रोग का कारण बनता है।
- अत्यधिक फ्लुओराइड को ग्रहण (Intake) करने के परिणामस्वरूप कूबड़पीठ (Humped back) होने की संभावना बढ़ जाती है।
- इसके लगातार उपभोग से हड्डियों के जोड़ विशेषकर मेरूरज्जु में कमजोरी आती है।
- उच्च फ्लुओराइड संग्रहण ही पैरों के मुड़ने (Bending) का कारण होता है, जिसे ‘नॉक-नी संलक्षण’ कहते हैं।
|
13. भारत के किस महानगर में वार्षिक प्रति व्यक्ति सर्वाधिक ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है?
(a) बंगलौर
(b) चेन्नई
(c) दिल्ली
(d) मुंबई
[U.P.P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) मुंबई
- प्रश्नकाल में दिल्ली भारत में सर्वाधिक ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करने वाला महानगर था।
- वर्तमान में CPCB (Central Pollution Control Board) द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, मुंबई सर्वाधिक ठोस अपशिष्ट उत्पन्न करने वाला महानगर है, जबकि इस संदर्भ में दिल्ली द्वितीय स्थान पर है।
|
14. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही है?
(a) अपशिष्ट उत्पादक को पांच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे।
(b) ये नियम केवल अधिसूचित नगरीय स्थानीय निकायों, अधिसूचित नगरों तथा सभी औद्योगिक नगरों पर ही लागू होंगे।
(c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए सटीक और ब्यौरेवार मानदंड उपबंधित हैं।
(d) अपशिष्ट उत्पादक के लिए यह आज्ञापक होगा कि किसी एक जिले में उत्पादित अपशिष्ट, किसी अन्य जिले में न ले जाया जाए।
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए सटीक और ब्यौरेवार मानदंड उपबंधित हैं।
- 8 अप्रैल, 2016 को ‘ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016’ लागू हुए।
- उक्त नियमों के तहत अपशिष्ट उत्पादक को तीन पृथक कोटियों नामतः जैव निम्नीकरणयोग्य, गैर-जैव निम्नीकरणयोग्य और घरेलू परिसंकटमय अपशिष्ट के रूप में अपशिष्ट को अलग-अलग करना होगा।
- अतः कथन (a) गलत है।
- ये नियम प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय, शहरी क्षेत्रों के विस्तार, जनगणना नगरों, अधिसूचित क्षेत्रों, अधिसूचित औद्योगिक नगरों, भारतीय रेल के अधीन क्षेत्रों, विमानपत्तनों, बंदरगाहों, विशेष आर्थिक क्षेत्र आदि में लागू होंगे।
- अतः कथन (b) भी गलत है।
- इसके अतिरिक्त कथन (d) मी इन नियमों के तहत असत्य है।
- दूसरी ओर, इन नियमों में अपशिष्ट भराव स्थलों तथा अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के लिए सटीक एवं ब्यौरेवार मानदंड उपबंधित (अनुसूची-1 में) किए गए हैं।
- अतः कथन (c) सही है।
|
समुद्री प्रदूषण
1. भारत के समुद्री जल में हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन में हो रही वृद्धि पर चिंता व्यक्त की गई है। इस संवृत्ति का/के क्या कारक तत्व हो सकता है/सकते हैं?
1. ज्वारनदमुख से पोषकों का प्रस्राव
2. मानसून में भूमि से जलवाह
3. समुद्रों में उत्प्रवाह
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- भारत के समुद्री जल में हानिकारक शैवाल प्रस्फुटन में वृद्धि के प्रमुख कारकों में ज्वारनदमुख से पोषकों का प्रस्राव, मानसून में भूमि से जलवाह तथा समुद्रों में उत्प्रवाह (Upwelling) शामिल हैं।
- ध्यातव्य है कि नदियों एवं वर्षा द्वारा लाया गया सीवेज, कृषि अपशिष्ट कीटनाशक एवं उर्वरक, भारी धातुएं, प्लास्टिक आदि समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र को हानि पहुंचाते हैं।
- इससे नाइट्रोजन की मात्रा में वृद्धि होती है।
- नाइट्रोजन की अधिक मात्रा शैवालों की तीव्र वृद्धि को प्रेरित करती है।
|
2. निम्नलिखित में से कहां अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का मुख्यालय स्थित है?
(a) लंदन
(b) जेनेवा
(c) पेरिस
(d) रोम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर- (a) लंदन
- वर्ष 1948 में जेनेवा के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का औपचारिक रूप से गठन किया गया, जिसका उस समय वास्तविक नाम ‘अंतर-सरकारी समुद्री सलाहकार संगठन’ (Inter-Governmental Maritime Consultative Organization- IMCO) था।
- लेकिन वर्ष 1982 में इस संगठन का नाम बदलकर ‘अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन’ (International Maritime Organization- IMO) कर दिया गया।
- अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन का मुख्यालय लंदन (ब्रिटेन) में है।
|
3. दक्षिण एशियाई समुद्र क्षेत्र में तेल और रासायनिक प्रदूषण पर सहयोग के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और एस.ए.सी.ई.पी. के बीच समझौता ज्ञापन (एम.ओ.यू.) को मंजूरी दे दी है। एस.ए.सी.ई. पी. क्या है?
(a) दक्षिण एशिया कॉम्पैटिबिलिटी पर्यावरण कार्यक्रम
(b) दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम
(c) दक्षिण एशिया कनेक्टिविटी पर्यावरण
(d) दक्षिण एशिया कोएर्सिव पर्यावरण कार्यक्रम
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं / उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63d B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर- (b) दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम
- 28 मार्च, 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दक्षिण एशियाई समुद्री क्षेत्र में तेल तथा रासायनिक प्रदूषण पर सहयोग के लिए भारत और दक्षिण एशिया सहकारी पर्यावरण कार्यक्रम (SACEP) के मध्य समझौता ज्ञापन को स्वीकृति दी।
- SACEP दक्षिण एशियाई सरकारों द्वारा इस क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण, प्रबंधन और वृद्धि को बढ़ावा देने और समर्थन करने के लिए वर्ष 1982 में स्थापित एक अंतरसरकारी संगठन है।
|
4. महासागरों का अम्लीकरण बढ़ रहा है। यह घटना क्यों चिंता का विषय है?
1. कैल्शियमी पादप प्लवक की वृद्धि और उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
2. प्रवाल भित्ति की वृद्धि और उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
3. कुछ प्राणी, जिनके डिम्भक पादप प्लवकीय होते हैं, की उत्तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी।
4. मेघ बीजन और मेघों का बनना प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।
उपर्युक्त में से कौन-सा / से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S (Pre) 2012]
उत्तर- (a) केवल 1, 2 और 3
- महासागरों में बढ़ते अम्लीकरण के कारण कैल्शियमी पादप प्लवक की वृद्धि और उत्तरजीविता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
- इसी प्रकार का प्रभाव प्रवाल भित्ति एवं डिम्भक पादप प्लवकीय वाले प्राणियों पर पड़ेगा।
- ध्यातव्य है कि CO, के लिए समुद्र एक भंडार गृह की तरह कार्य करता है, मानवजनित क्रिया-कलापों से उत्पादित एक-तिहाई CO, को अवशोषित कर, जलवायु परिवर्तन हेतु यह बफर जोन की तरह कार्य करता है।
- अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि समुद्र द्वारा बड़ी मात्रा में CO, को अवशोषित करना वहां के पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर रहा है।
- समुद्री अम्लीयता में यह बढ़ोत्तरी प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching) की घटना के लिए उत्तरदायी है।
|
ध्वनि प्रदूषण
1. निम्नांकित में से कौन अधिकतम ध्वनि प्रदूषण का कारण है?
(a) भारी ट्रक यातायात
(b) निर्वाचन सभाएं
(c) पॉप संगीत
(d) जेट उड़ान
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2003]
उत्तर- (d) जेट उड़ान
- किसी वस्तु से उत्पन्न सामान्य आवाज को ध्वनि कहते हैं।
- जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है, तो उसे शोर कहते हैं।
- तेज ध्वनि को वातावरण में इसके विपरीत प्रभाव का अनुमान लगाए बगैर उत्पन्न करने को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
- यह अवांछित ध्वनि मानव वर्ग में अशांति व बेचैनी उत्पन्न करती है।
- ध्वनि की इकाई डेसीबल (dB) है।
- इसे यह नाम एलेक्जेंडर ग्राह्य बेल के काम को सराहने की दृष्टि से दिया गया है।
- प्रश्नगत विकल्पों में जेट उड़ान अधिकतम ध्वनि प्रदूषण का कारण है।
- ध्यातव्य है कि ध्वनि की गति से तेज चलने वाले जेट विमानों से उत्पन्न शोर को सोनिक बूम (Sonic Boom) कहते हैं।
- सोनिक बूम को मैक इकाई (Mach Unit) में व्यक्त किया जाता है।
- उल्लेखनीय है कि जो वस्तुएं ध्वनि की रफ्तार से चलती हैं, उनसे उत्पन्न शोर को मैक-1 कहते हैं।
- यदि यह रफ्तार ध्वनि की रफ्तार से दोगुनी होती है, तो इसे मैक-2 कहा जाता है।
|
2. निम्नलिखित में कौन सामान्य परिस्थिति में वृक्ष के पत्तों की सरसराहट का डेसीबल स्तर प्रदर्शित करता है?
(a) 10 db
(b) 20 db
(c) 60 db
(d) 100 db.
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (b) 20 db
- सामान्य परिस्थिति में वृक्ष के पत्तों की सरसराहट से 20db की ध्वनि उत्पन्न होती है।
- ध्यातव्य है कि ध्वनि की इकाई डेसीबल (db) है।
- इसे यह नाम एलेक्जेंडर ग्राह्य बेल के काम को सराहने की दृष्टि से दिया गया है।
|
3. ध्वनि प्रदूषण को मापने हेतु निम्नलिखित में किस इकाई का प्रयोग करते हैं?
(a) नैनोमीटर्स
(b) डेसीबल
(c) हर्ट्ज
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर- (b) डेसीबल
- उच्च तीव्रता की ध्वनि या अवांछित शोर जो हमारे वातावरण में अशांति उत्पन्न करती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।
- ध्वनि प्रदूषण को मापने के लिए प्रयुक्त इकाई डेसीबल (dB) है।
|
4. ‘ग्रीन मफ्लर’ संबंधित है-
(a) मृदा प्रदूषण से
(b) वायु प्रदूषण से
(c) ध्वनि प्रदूषण से
(d) जल प्रदूषण से
[U.P. P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (c) ध्वनि प्रदूषण से
- अनियोजित औद्योगिक विकास, अत्यधिक मोटर वाहनों का प्रयोग तथा यांत्रिक दोषयुक्त विभिन्न प्रकार के वाहनों का परिचालन ध्वनि प्रदूषण करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- विशालकाय हरे पौधे अधिक ध्वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रोपित किए जाते हैं, क्योंकि उनमें ध्वनि तरंगों को अवशोषित करने की क्षमता होती है।
- ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले ये हरे पौधे ‘ग्रीन मफ्लर’ कहलाते हैं।
|
मृदा प्रदूषण
1. उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से होता है-
(a) मृदा प्रदूषण
(b) जल प्रदूषण
(c) वायु प्रदूषण
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- उर्वरक का अत्यधिक प्रयोग विभिन्न प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न करता है जिनमें मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण प्रमुख हैं।
- यह प्रदूषण विभिन्न प्रकार के फसलों के माध्यम से मानव एवं पशुओं के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्न प्रकार की गंभीर बीमारियों से मनुष्य एवं पशुओं को ग्रस्त करता है।
- अत्यधिक अकार्बनिक उर्वरकों तथा जैवनाशकों के अवशेष, भूमि एवं भूमिगत जल संसाधनों को हानि पहुंचाते हैं।
- अकार्बनिक पोषक जैसे फॉस्फेट तथा नाइट्रेट घुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं।
- यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में सुपोषण (Eutrophication) को बढ़ाते हैं। नाइट्रेट पेयजल को भी प्रदूषित करता है।
- वहीं दूसरी ओर अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा भूमि के जीवों पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
|
2. भारत में कार्बोफ्यूरेन, मेथिल पैराथियॉन, फोरेट और ट्राइऐजोफॉस के इस्तेमाल को आशंका से देखा जाता है। ये रसायन किस रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं?
(a) कृषि में पीड़कनाशी
(b) संसाधित खाद्यों में परिरक्षक
(c) फल-पक्कन कारक
(d) प्रसाधन सामग्री में नमी बनाए रखने वाले कारक
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) कृषि में पीड़कनाशी
- कार्बोफ्यूरेन, मेथिल पैराथियॉन, फोरेट और ट्राइऐजोफॉस आदि का इस्तेमाल पीड़कनाशी या कीटनाशक (Pesticides) के रूप में कृषि में किया जाता है।
- इन रसायनों का खाद्य पदार्थों में संचय होने से मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर भी पड़ रहा है, जिसे देखते हुए गत वर्ष अनेक कीटनाशकों को प्रतिबंधित किया गया था।
- उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त, 2018 को अनुपम वर्मा समिति की सिफारिश के आधार पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने 18 कीटनाशकों को भारत में प्रतिबंधित कर दिया।
- इन 18 कीटनाशकों में क्रमशः 1 से 12 को तत्काल प्रभाव से तथा शेष 6 को 31 दिसंबर, 2020 से प्रतिबंधित किया गया है।
- ये 18 कीटनाशी हैं (1) बेनोमाइल, (2) कार्बराइल, (3) डायजिनोन, (4) फेनारिमोल, (5) फॅथिऑन, (6) लिनुरॉन, (7) मेथॉक्सी एथिल मरकरी क्लोराइड, (8) सोडियम सायनाइड, (9) मेथिल पैराथियॉन, (10) थियोमेटॉन, (11) ट्राइडेमॉर्फ, (12) ट्राइफ्लूरेलिन, (13) अलाक्लोर, (14) डाइक्लोरवॉस, (15) फोरेट, (16) फॉस्फामिडॉन, (17) ट्राइऐजोफॉस तथा (18) ट्राइक्लोरफॉन।
|
3. खेती के लिए फसल चक्र का क्या महत्व है?
(a) इससे उत्पादन में वृद्धि होती है
(b) मृदा की उर्वरता संरक्षित रहती है
(c) मृदा कटाव कम होता है
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.R.O./A.R.O. (Mains) 2016]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- फसल चक्र किसी निश्चित क्षेत्र पर एक निश्चित अवधि तक फसलों को इस प्रकार हेर-फेर कर बोना जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखकर अधिक उत्पादन ले सके फसल चक्र कहलाता है।
- फसल चक्र के लाभ निम्नवत है-
• खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि।
• पोषक तत्वों तथा नमी का संतुलन।
• दलहनी फसलों से मृदा की भौतिक दशा में सुधार।
• भूमि में जैव पदार्थ की पर्याप्तता।
• खर-पतवार, कीटों तथा रोगों का नियंत्रण।
• फसलों की अधिक पैदावार।
• फसल उत्पादों की गुणवत्ता में वृद्धि।
• उपलब्ध साधनों का क्षमतापूर्ण उपयोग।
|
4. निम्न कथनों पर विचार कीजिए, जिन्हें कथन (A) और कारण (R) कहा गया है –
कथन (A): मृदा प्रदूषण औद्योगिक प्रदूषण की अपेक्षा अधिक खतरनाक होता है।
कारण (R): उर्वरक तथा कीटनाशक भोजन की श्रृंखला में प्रवेश करते हैं।
निम्न कूट की सहायता से सही उत्तर ज्ञात कीजिए।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
- उर्वरक, पीड़कनाशी, कीटनाशी और शाकनाशी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को नष्ट करके मृदा को बेकार कर देते हैं।
- रासायनिक उर्वरक मृदा के सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते हैं।
- ये जीव मृदा में नाइट्रोजन परिवर्तन का कार्य करते हैं। ये अनुर्वरता में वृद्धि करते हैं तथा मृदा की जलधारण क्षमता को घटा देते हैं।
- इनके कुछ अंश फसलों में चले जाते हैं, जो मानव के लिए मंद विष का कार्य करते हैं।
|
प्लास्टिक प्रदूषण
1. पॉलिथीन की थैलियों को नष्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बनी होती हैं-
(a) न टूटने वाले अणुओं से
(b) अकार्बनिक यौगिकों से
(c) पॉलीमर से
(d) प्रोटीन से
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (c) पॉलीमर से
- पॉलिथीन मूलतः कार्बन एवं हाइड्रोजन के अणुओं के मिलने से बनता है।
- यह एथिलीन C,H, का पॉलीमर (बहुलक) होता है।
- पॉलिथीन में एथिलीन के अणु आपस में इस प्रकार जुड़े होते हैं कि उनका जैविक रूप से अपक्षय नहीं हो पाता है।
- यही कारण है कि प्लास्टिक की थैलियां उपयोग के बाद फेंके जाने पर स्वतः नष्ट नहीं होती और पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनती हैं।
|
2. निम्न में से कौन-सी वस्तु जीवाणुओं से नष्ट नहीं होती?
(a) गोबर
(b) पौधों की पत्तियां
(c) खाद्य पदार्थ
(d) प्लास्टिक
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (d) प्लास्टिक
- प्लास्टिक (Plastic), लोहा (Iron), सीसा (Lead) इत्यादि पदार्थ अक्षयकारी प्रदूषक (Non-Biodegradable Pollutants) हैं, जो कि जीवाणुओं द्वारा नष्ट नहीं होते हैं या इनकी विघटन की क्रिया कम होती है।
- अतः वातावरण में ये एकत्र रहकर इसे प्रदूषित करते हैं।
- विकल्प में शेष अन्य सूक्ष्म-जीवों (Micro-organisms) द्वारा आसानी से विघटित हो जाते हैं।
|
3. पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाने वाली ‘सूक्ष्मकणिकाओं’ (माइक्रोबीड्स) के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है?
(a) ये समुद्री पारितंत्रों के लिए हानिकारक मानी जाती हैं।
(b) ये बच्चों में त्वचा कैंसर होने का कारण मानी जाती हैं।
(c) ये इतनी छोटी होती हैं कि सिंचित क्षेत्रों में फसल पादपों द्वारा अवशोषित हो जाती हैं।
(d) अक्सर इनका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए किया जाता है।
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) ये समुद्री पारितंत्रों के लिए हानिकारक मानी जाती हैं।
- पर्यावरण में निर्मुक्त होने वाले माइक्रोबीड्स प्लास्टिक के 5 मिमी. से छोटे कण हैं, जो जलशोधन संयंत्रों द्वारा फिल्टर नहीं हो पाते हैं।
- ये मुख्यतः धुलाई, सौंदर्य प्रसाधनों आदि में मिलाए जाते हैं और अंततः जलीय एवं समुद्री पारितंत्र में घुल जाते हैं।
- ये अपने साथ खतरनाक रसायनों को भी जमा कर लेते हैं तथा समुद्री जीवों के आहार में शामिल होकर उनके व्यवहार में परिवर्तन ला रहे हैं।
- इनका पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा, लेकिन वर्तमान में इनसे सर्वाधिक खतरा समुद्री पारितंत्र को है।
- उल्लेखनीय है कि जनवरी, 2018 से यू.के. ने माइक्रोबीड्स के प्रयोग पर रोक लगा दी तथा विश्व पर्यावरण दिवस, 2020 की थीम थी- जैवविविधता संरक्षण।
|
4. निम्नलिखित में किसके क्षय होने में सबसे अधिक समय लगता है?
(a) सिगरेट का टुकड़ा
(b) चमड़े का जूता
(c) फोटो फिल्म
(d) प्लास्टिक का थैला
[U.P.P.C.S. (Spl.) (Pre) 2008]
उत्तर- (d) प्लास्टिक का थैला
- प्रश्नगत विकल्पों में प्लास्टिक के थैले के क्षय होने में सर्वाधिक समय लगता है।
- प्लास्टिक का थैला (Plastic Bag) एक थर्मोप्लास्टिक है, जिसे एथिलीन के बहुलकीकरण (Polymerisation) से प्राप्त किया जाता है।
- यह अक्षयकारी प्रदूषक पदार्थ हैं, जो कि मृदा प्रदूषण के साथ-साथ वातावरण को भी प्रदूषित करने का कार्य करते हैं।
|
रेडियोधर्मी व अन्य गैसीय प्रदूषण
1. भोपाल गैस त्रासदी (मिथाइल आइसोसाइनेट- ‘मिक’ रिसाव) की घटना हुई थी-
(a) 2 दिसंबर, 1982
(b) 3 दिसंबर, 1985
(c) 3 दिसंबर, 1984
(d) 4 दिसंबर, 1986
[Uttarakhand U.D.A./L.D.A. (Pre) 2007]
उत्तर- (c) 3 दिसंबर, 1984
- भोपाल के यूनियन कार्बाइड कीटनाशक संयंत्र के टैंक 610 में 2 दिसंबर, 1984 की रात 10 बजे जल प्रवेश कर गया, जिसमें 42 टन मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस भरी थी।
- जल से रासायनिक क्रिया के बाद टैंक का तापमान 200 डिग्री सेंटीग्रेड हो गया।
- उच्च तापमान सहन क्षमता इतनी न होने के कारण गैस टॉवरों को खोलना पड़ा।
- विषाक्त गैस हवा में घुलने लगी।
- 3 दिसंबर की सुबह 2:10 पर खतरे का सायरन बजाया गया और सुबह 4:00 बजे गैसों के रिसाव पर काबू पा लिया गया।
- राज्य सरकार के अनुसार, इस त्रासदी में लगभग 4000 से अधिक लोग मारे गए और बाद में गैस जनित रोगों से हजारों लोग गंभीर रूप से पीड़ित हुए।
|
2. भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जो गैस रिस गई थी, वह थी-
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड
(b) मीथेन
(c) मिथाइल आइसोसाइनेट
(d) सल्फर डाइऑक्साइड
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (c) मिथाइल आइसोसाइनेट
- मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocyanate-MIC) का रासायनिक सूत्र CHINCO है, जो कि एक रंगहीन, आंसू उत्प्रेरक (Tear Inducing) ज्वलनशील गैस है।
- यह गैस बहुत विषैली होती है।
- इस गैस का प्रयोग कार्बोनेट कीटनाशकों के उत्पादन में किया जाता है।
|
3. भोपाल गैस दुर्घटना का कारण था-
(a) मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव
(b) नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का रिसाव
(c) सल्फर डाइऑक्साइड का रिसाव
(d) कार्बन मोनोऑक्साइड का रिसाव
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव
- 3 दिसंबर, 1984 की भोर में भोपाल (मध्य प्रदेश) स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट (Union Carbide Plant) से मिथाइल आइसोसाइनेट (Methyl Isocynate-MIC) नामक जहरीली गैस के रिसाव से व्यापक जन हानि हुई।
- इस आपदा से अनुमानतः 4000 से अधिक लोग काल के गाल में समा गए, जबकि हजारों लोग गंभीर रूप से पीड़ित हुए।
|
4. चेर्नोबिल दुर्घटना संबंधित है-
(a) नाभिकीय दुर्घटना
(b) भूकंप
(c) बाढ़
(d) अम्लीय वर्षा
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2015]
उत्तर- (a) नाभिकीय दुर्घटना
- 26 अप्रैल, 1986 को सोवियत रूस में चेर्नोबिल (Chernobyl) स्थित परमाणु केंद्र में नाभिकीय दुर्घटना हुई थी।
- मानवीय भूल के कारण घातक रेडियोधर्मी कण वातावरण में प्रविष्ट हो गए थे, जिसके कारण अनेक व्यक्ति हताहत हुए थे।
- ध्यातव्य है कि विघटित होते रेडियोएक्टिव न्यूक्लाइड्स से उत्पन्न होने वाला विकिरण रेडियोएक्टिव प्रदूषण का स्रोत है।
- यह विकिरण जीवों के ऊतकों एवं अंगों को क्षति पहुंचाकर उनकी कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न करते हैं।
- विकिरणों के प्रभाव से जीवों के आनुवंशिक गुणों पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
|
5. रेडियोधर्मी प्रदूषण से संबंधित निम्न कथनों में से कौन सही है?
1. यह पशुओं में आनुवंशिक परिवर्तन लाता है।
2. यह मृदा में विद्यमान विभिन्न खनिजों को असंतुलित कर देता है।
3. यह रक्त संचार में व्यवधान पैदा करता है।
4. यह कैंसर पैदा करता है।
नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चयन कीजिए –
(a) 1 और 2
(b) 1 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 2, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (c) 1, 3 और 4
- रेडियोधर्मी प्रदूषण सभी जीवित प्राणियों (मानव, पशु एवं पौधों) में आनुवंशिक परिवर्तन ला सकता है, रक्त संचार में व्यवधान पैदा करता है तथा अनेक प्रकार के कैंसर भी उत्पन्न कर सकता है, तथापि यह मृदा में विद्यमान विभिन्न खनिजों को असंतुलित नहीं करता है।
|
6. नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग प्रायः कारक है-
(a) वायु प्रदूषण
(b) जल प्रदूषण
(c) ऊष्मीय प्रदूषण
(d) ध्वनि प्रदूषण
[R.O/A.R.O. (Mains), 2017]
उत्तर- (c) ऊष्मीय प्रदूषण
- नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग प्रायः ऊष्मीय प्रदूषण (Thermal Pollution) का कारक है।
- विभिन्न उत्पादक संयंत्रों में विभिन्न रिएक्टरों के अतितापन के निवारण के लिए नदी एवं तालाबों के जल का उपयोग किया जाता है।
- शीतलन की प्रक्रिया के फलस्वरूप गर्म हुआ जल पुनः जल स्रोतों में गिराया जाता है।
- इस तरह के गर्म जल से जल स्रोतों के जल के ताप में हानिकारक वृद्धि हो जाती है, इसे ही ऊष्मीय प्रदूषण कहा जाता है।
|
जैव उपचार
1. जैव उपचारण (Bio-remediation) से तात्पर्य है-
(a) जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) पदार्थों का निष्कासन
(b) रोगाणुओं व पीड़कों पर जैविक नियंत्रण
(c) शरीर में अंगों का प्रत्यारोपण (Transplantation)
(d) सूक्ष्मजीवों (Microorganism) की सहायता से रोगों का निदान
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (a) जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) पदार्थों का निष्कासन
- सूक्ष्म जीवों के प्रयोग द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) प्रदूषक पदार्थों के निष्कासन की प्रक्रिया जैव-उपचारण (Bio-remediation) कहलाती है।
- इसके द्वारा किसी विशेष स्थान पर पर्यावरणीय प्रदूषकों के हानिकारक प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।
- यह जैव रासायनिक चक्र के माध्यम से कार्य करता है।
- जैवोपचार का प्रयोग सतही जल, भूमिगत जल व मृदा आदि को साफ करने में होता है।
- यह पारिस्थितिकी तंत्र की पुनः स्थापना में उपयोगी सिद्ध होता है।
|
2. प्रदूषण की समस्याओं का समाधान करने के संदर्भ में, जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन) तकनीक के कौन-सा/से लाभ है/हैं?
1. यह प्रकृति में घटित होने वाली जैवनिम्नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्वच्छ करने की तकनीक है।
2. कैडमियम और लेड जैसी भारी धातुओं से युक्त किसी भी संदूषक को सूक्ष्मजीवों के प्रयोग से जैवोपचारण द्वारा सहज ही और पूरी तरह उपचारित किया जा सकता है।
3. जैवोपचारण के लिए विशेषतः अभिकल्पित सूक्ष्मजीवों को सृजित करने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरी (जेनेटिक इंजीनियरिंग) का उपयोग किया जा सकता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (c) केवल 1 और 3
- सूक्ष्म जीवों के प्रयोग द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) प्रदूषक पदार्थों के निष्कासन की प्रक्रिया जैवोपचारण (Bio-remediation) कहलाती है।
- यह प्रकृति में घटित होने वाली जैवनिम्नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्वच्छ करने की तकनीक है।
- परंतु कई प्रकार की भारी धातुओं से युक्त प्रदूषकों को जैवपचारण विधि द्वारा नहीं उपचारित किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए कैडमियम व लेड जैसी भारी धातुओं से युक्त किसी भी संदूषक को सूक्ष्मजीवों के प्रयोग से जैवोपचारण द्वारा सहज ही और पूरी तरह उपचारित नहीं किया जा सकता है।
- जैवोपचारण के लिए विशेषतः अभिकल्पित सूक्ष्मजीवों को सृजित करने के लिए आनुवंशिक इंजीनियरी (जेनेटिक इंजीनियरिंग) का उपयोग किया जा सकता है।
- उदाहरणतया, सुपरबग (Pseudomonas putida) जो जेनेटिक इंजीनियरिंग तकनीक द्वारा निर्मित किया गया है, समुद्र में फैले तैलीय पंक (Oil Spill) को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
|
3. हाल में ‘ऑयलजैपर’ समाचारों में था। यह क्या है?
(a) यह तैलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है।
(b) यह समुद्र के भीतर तेल अन्वेषण हेतु विकसित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है।
(c) यह आनुवंशिक इंजीनियरी से निर्मित उच्च मात्रा में जैव-ईंधन प्रदान करने वाली मक्का की किस्म है।
(d) यह तेल के कुओं में आकस्मिक उपजी लपटों को नियंत्रित करने वाली अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी है।
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) यह तैलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है।
- ऑयलजैपर’ (Oilzapper) जीवाणु आधारित जैव-उपचार (Bio-remediation) तकनीक है।
- यह तैलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है, जिसका विकास ‘द एनर्जी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (TERI) द्वारा किया गया है।
- अगस्त, 2010 में मुंबई के तटीय क्षेत्र में एम.वी. खलीजिया और एमएससी चित्रा नामक पोतों की टक्कर में बिखरे तेल को साफ करने के लिए इस तकनीक का प्रयोग किया गया था।
- ध्यातव्य है कि ऑयलजैपर एक बैक्टीरिया संकाय है।
- यह पांच बैक्टीरिया को मिलाकर विकसित किया गया है।
- इसमें उपस्थित बैक्टीरिया तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों को अपना भोजन बनाते हैं तथा उनको हानिरहित CO, एवं जल में परिवर्तित कर देते हैं।
|
यूरो मानक
1. यूरो उत्सर्जन नियम, उत्सर्जन के मानक हैं और ये एक वाहन से उत्सर्जन के लिए सीमा निर्धारित करने के पैकेज प्रदर्शित करते हैं। निम्नलिखित गैसों में कौन इसके अंतर्गत आच्छादित है?
(a) कार्बन मोनोऑक्साइड
(b) हाइड्रोकार्बन
(c) नाइट्रोजन ऑक्साइड
(d) उपर्युक्त सभी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी
- यूरोपीय उत्सर्जन मानक प्रदूषण संबंधी नियामक है, जो यूरोप में सभी वाहनों पर लागू किए जाते हैं।
- वर्तमान समय में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सभी हाइड्रोकार्बन, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) संबंधी उत्सर्जनों पर यह नियम लागू होते हैं।
- ध्यातव्य है कि मोटर वाहनों से प्रदूषक गैसें उत्सर्जित होती हैं।
- इन गैसों व कणकीय पदार्थों पर नियंत्रण रखने के लिए यूरोपीय संघ ने जो उत्सर्जन मानक निर्धारित किया है, उसे यूरो मानक कहते हैं।
- ध्यातव्य है कि यूरोपीय देशों में वर्ष 1992 में यूरो-I मानक तथा वर्ष 1996 में यूरो-II मानक लागू कर दिया गया था।
- यूरो-I मानक, यूरो-II मानक से अधिक उदार है।
|
2. यूरो-II मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्प सल्फर डीजल में सल्फर की मात्रा क्या होनी चाहिए?
(a) 0.05 प्रतिशत या इससे कम
(b) 0.10 प्रतिशत
(c) 0.15 प्रतिशत
(d) 0.20 प्रतिशत
[U.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) 0.05 प्रतिशत या इससे कम
- यूरो-II मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्प सल्फर डीजल में सल्फर की मात्रा 0.05 प्रतिशत या इससे कम होनी चाहिए।
|
3. यूरो नार्ल्स स्वचालित वाहनों में एक गैस उत्सर्जन की मात्रा की सीमा निश्चित करते हैं। यह गैस है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) कार्बन मोनोऑक्साइड
(c) नाइट्रोजन
(d) मीथेन
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) कार्बन मोनोऑक्साइड
- यूरो उत्सर्जन मानक प्रदूषण संबंधी नियामक हैं, जो यूरोप में सभी स्वचालित वाहनों पर लागू किए जाते हैं।
- वर्तमान समय में नाइट्रोजन के ऑक्साइडों (NOx), सभी हाइड्रोकॉर्बन (THC), गैर-मीथेन हाइड्रोकार्बन (NMHC), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) और निलंबित धूल कण (SPM) संबंधी उत्सर्जन पर कारों, ट्रेनों, ट्रैक्टरों, लॉरियों और इनसे संबंधित मशीनरी पर ये कड़े नियामक लागू होते हैं।
|
प्रदूषण एवं रोग
1. स्वचालित वाहन निर्वातक का सबसे अविषालु धातु प्रदूषक है-
(a) कॉपर
(b) लेड
(c) कैडमियम
(d) मरकरी
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2006, U.P.P.C.S. (Mains) 2009, U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2006]
उत्तर- (b) लेड
- स्वचालित वाहनों में एंटीनॉकिंग एजेंट के रूप में लेड (सीसा) का प्रयोग किया जाता है।
- धुएं के साथ विमुक्त ये लेड सबसे अविषालु घातु प्रदूषक होते हैं।
- लेड के कारण केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क, पाचन तंत्र इत्यादि प्रभावित होते हैं।
|
2. शरीर में श्वास अथवा खाने से पहुंचा सीसा (लेड) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। पेट्रोल में सीसे का योग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत कौन-कौन से हैं?
1. प्रगलन इकाइयां
2. पेन (कलम) और पेंसिलें
3. पेंट
4. केश तेल एवं प्रसाधन सामग्रियां
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1.2 और 3
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) केवल 1 और 3
- दिए गए विकल्पों में सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत, प्रगलन इकाइयां एवं पेंट हैं।
- घरों में पुताई के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पेंट में सीसे की मात्रा असुरक्षित स्तर तक हो सकती है।
- दीवारों को छूने, पेंट की हुई अन्य चीजों के संपर्क में आने आदि से लोग सीसे के संपर्क में आ जाते हैं।
- सीसे की अधिक मात्रा से मनुष्य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है।
- पेंट के अतिरिक्त वेल्डिंग, रबर-निर्माण प्रक्रिया, जिंक एवं कॉपर को गलाने वाली इकाइयां आदि सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत हैं।
|
3. निम्न में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
प्रदूषक – होने वाली बीमारी
(a) पारा – मिनामाता बीमारी
(b) कैडमियम – इटाई-इटाई बीमारी
(c) नाइट्रेट आयन – ब्लू बेबी सिंड्रोम
(d) फ्लोराइड आयन – अपच
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) फ्लोराइड आयन – अपच
- फ्लोराइड आयन की अधिकता से दांतों की बीमारी जिसे फ्लूरोसिस (Fluorosis) कहा जाता है, होती है।
- इस बीमारी में दांतों का बाह्य आवरण (Enamel) प्रभावित होता है तथा दांतों में पीलापन आ जाता है।
|
4. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए:
सूची-I |
सूची-II |
(वायु प्रदूषक) |
(प्रभावित अंग) |
A. एस्बेस्टस धूल |
1. मस्तिष्क |
B. सीसा |
2. उदर |
C. पारा |
3. फेफड़ा |
D. कार्बन मोनोऑक्साइड |
4. रक्त धाराएं |
कूट :
A, B, C, D
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 3, 1, 2, 4
(c) 3, 2, 4, 1
(d) 2, 3, 1, 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (b) 3, 1, 2, 4
- एस्बेस्टस जहरीला पदार्थ है, इसकी धूल से फेफड़े का कैंसर हो सकता है।
- सीसा मानव शरीर में केंद्रीय तंत्रिका तंत्र एवं मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है।
- पारे की विषाक्तता से उदर संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- कार्बन मोनोऑक्साइड गैस पीड़ित व्यक्ति के रक्त के हीमोग्लोबिन से प्राथमिक रूप से संयोजित होकर ऑक्सीजन अणुओं को प्रतिस्थापित करके और क्रमशः रक्त को ऑक्सीजन रहित करके क्रिया करती है, जिसके परिणामस्वरूप कोशिकीय श्वसन असफल हो सकता है और फलस्वरूप मृत्यु हो सकती है।
|
5. प्रदूषकों को उनके दीर्घकालीन प्रभाव के साथ दिए गए कूट की सहायता से सुमेलित कीजिए –
प्रदूषक |
प्रभाव |
A. कार्बन मोनोऑक्साइड |
1. लीवर और किडनी को क्षति |
B. नाइट्रोजन के ऑक्साइड |
2. कैंसर |
C. धूल कण |
3. श्वास संबंधी रोग |
D. सीसा |
4. केंद्रीय नर्वस सिस्टम |
कूट :
A, B, C, D
(a) 2, 3, 4, 1
(b) 4, 3, 2, 1
(c) 1, 2, 3, 4
(d) 4, 3, 1, 2
[U.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (c) 1, 2, 3, 4
- कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त में घुलकर कोशिकीय श्वसन को बाधित करती है तथा यह हृदय को क्षति पहुंचाती है।
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड मानव शरीर में कैंसर उत्पन्न कर सकते हैं।
- धूल कणों से श्वास संबंधी रोग होते हैं, जबकि सीसा मानव मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
|
6. निम्नलिखित में से कौन-से कुछ महत्वपूर्ण प्रदूषक हैं, जो भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किए जाते हैं?
1. सल्फर के ऑक्साइड
2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड
3. कार्बन मोनोऑक्साइड
4. कार्बन डाइऑक्साइड
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1,3 और 4
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (d) 1, 2, 3 और 4
- भारत में इस्पात उद्योग द्वारा मुक्त किए जाने वाले महत्वपूर्ण प्रदूषकों में कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), सल्फर के ऑक्साइड (SO), नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NO) तथा कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) चारों ही शामिल हैं।
- वात्या भट्टी (Blast Furnace) में ऑक्सीजन की सीमित आपूर्ति में कार्बन के ऑक्सीकरण से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है।
- इस्पात उत्पादन प्रक्रिया के दौरान सिंटरिंग मशीनों (Sintering Machines), कोक ओवन (Coke Ovens) तथा मट्टियों (Reheating Furnaces) से सल्फर एवं नाइट्रोजन के ऑक्साइड मुक्त होते हैं।
|
7. अनाजों और तिलहनों के अनुपयुक्त रख-रखाव और भंडारण के परिणामस्वरूप आविषों का उत्पादन होता है, जिन्हें एफ्लाटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है, जो सामान्यतः भोजन बनाने की आम विधि द्वारा नष्ट नहीं होते। एफ्लाटॉक्सिन किसके द्वारा उत्पादित होते हैं?
(a) जीवाणु
(b) प्रोटोजोआ
(c) फफूंदी
(d) विषाणु
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (c) फफूंदी
- एफ्लाटॉक्सिन फफूंदी के द्वारा उत्पादित होते हैं।
- एफ्लाटॉक्सिन (Aflatoxin) मुख्यतया, एस्पर्जिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) के द्वारा उत्पन्न होता है।
- एस्पर्जिलस फ्लेवस प्रायः मूंगफली, डबलरोटी, डेरी उत्पादों व संग्रहित बीजों पर उगता है।
- इसके द्वारा उत्पन्न एफ्लाटॉक्सिन में एक कैंसर जनक पदार्थ (Carcinogen) होता है, जो यकृत कैंसर उत्पन्न करता है।
- एफ्लाटॉक्सिन कम आणविक भार वाले यौगिक हैं।
- ये अधिक ऊष्मा से, खाना पकाने से भी नष्ट नहीं होते हैं।
|
8. कई घरेलू उत्पादों, जैसे गद्दों और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्स्टरी) में ब्रोमीनयुक्त ज्वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग क्यों कुछ चिंता का विषय है?
1. उनमें पर्यावरण में निम्नीकरण के प्रति उच्च प्रतिरोधकता है।
2. वे मनुष्यों और पशुओं में संचित हो सकते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (c) 1 और 2 दोनों
- पर्यावरण में निम्नीकरण के प्रति प्रतिरोधी कार्बनिक यौगिकों को पॉप्स (POPs : Persistent Organic Pollutants) अर्थात चिरस्थायी कार्बनिक प्रदूषक कहते हैं।
- इनका सबसे बड़ा दुर्गुण यह होता है कि ये काफी समय तक वायुमंडल में मौजूद रहते हैं।
- हवा, पानी, भूमि और भोजन के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने वाले ये यौगिक हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
- इनमें मानव एवं पशु ऊतकों में संचित होने की क्षमता होती है। ‘
- स्थायी जैव प्रदूषकों पर स्टॉकहोम अभिसमय’ (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants) द्वारा कुछ ‘ब्रोमीन युक्त ज्वाला मंदकों (Brominated Flame Retardants) को चिरस्थायी कार्बनिक प्रदूषकों की सूची में शामिल किया है।
|
9. हवा में तैरते हुए श्वसनीय सूक्ष्म कणों का आकार होता है-
(a) 7 माइक्रोन से अधिक
(b) 6 माइक्रोन से अधिक
(c) 5 माइक्रोन से अधिक
(d) 5 माइक्रोन से कम
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) 5 माइक्रोन से कम
- श्वसनीय सूक्ष्म कण वे कण होते हैं, जो कम-से-कम इतने छोटे हों कि श्वसन के दौरान फेफड़े में प्रवेश कर सकें।
- प्रायः 5 माइक्रोन से छोटे (लगभग 2.5 माइक्रोन आकार वाले) हवा में तैरते सूक्ष्म कण नासिका झिल्ली (nasal membrane) द्वारा रोके नहीं जा सकते और परिणामस्वरूप यह श्वसन द्वारा फेफड़े में पहुंच जाते हैं और विभिन्न रोगों का कारण बनते हैं।
- जबकि 5 माइक्रोन से बड़े निलंबित कण नासिका झिल्ली द्वारा रोक लिए जाते हैं तथा वे फेफड़ों तक नहीं पहुंच पाते।
|
10. विभिन्न उत्पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्त होने वाले कुछ रासायनिक तत्वों के नैनो-कणों के बारे में कुछ चिंता है। क्यों?
1. वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं।
2. वे खाद्य श्रृंखलाओं में प्रविष्ट हो सकते हैं।
3. वे मुक्त मूलकों के उत्पादन को विमोचित कर सकते हैं।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (d) 1,2 और 3
- नैनो कण उत्सर्जित होने पर जल, मृदा और वायु को संदूषित कर सकते हैं, अतः कथन 1 सत्य है।
- पर्यावरण में खाद्य श्रृंखला में नैनो पदार्थ यदि जीवाणुओं द्वारा ग्रहण कर लिए जाते हैं, तो पूरी की पूरी खाद्य श्रृंखला के घटक इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते।
- अतः कथन 2 भी सत्य है।
- जिंक ऑक्साइड तथा टाइटेनियम डाइऑक्साइड के नैनो कण पराबैंगनी प्रकाश की उपस्थिति में मुक्त मूलक उत्पन्न करते हैं, जो कसानदेह साबित हो सकते हैं।
- अतः कथन 3 भी सत्य है।
|
प्रदूषण विविध
1. निम्न में कौन-सा प्रदूषण कारक जैवीय रूप से अपघटित होता है?
(a) एस्बेस्टस
(b) डीडीटी
(c) प्लास्टिक
(d) मल
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) मल
- एस्बेस्टस, डीडीटी एवं प्लास्टिक ऐसे प्रदूषण कारक हैं, जो जैवीय रूप से अपघटित नहीं होते, जबकि मल जैवीय रूप से अपघटित होता है।
|
2. वर्ष 2012 के जनवरी माह में वह कौन-सा मौसमी कारक था, जो उत्तर भारत में असाधारण ठंड का कारण बना?
(a) जंगलों का कटान
(b) वायुमंडलीय प्रदूषण
(c) ला नीना
(d) एल नीनो
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Mains) 2010]
उत्तर- (c) ला नीना
- ला नीना वे मौसमी कारक हैं, जो प्रशांत महासागर में हवाओं को बर्फीला बना देती हैं।
- इनके कारण ही जनवरी, 2012 में उत्तर भारत में असाधारण ठंड पड़ी थी।
|
3. सरसों के बीज के अपमिश्रक के रूप में सामान्यतः निम्नलिखित में से किसे प्रयोग में लाया जाता है?
(a) आर्जीमोन के बीज
(b) पपीता के बीज
(c) जीरा के बीज
(d) धनिया के बीज
[U.P.U.D.A/L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर- (a) आर्जीमोन के बीज
- सरसों के बीज के अपमिश्रक के रूप में सामान्यतः आर्जीमोन के बीज का प्रयोग किया जाता है।
- आर्जीमोन मैक्सिकाना मेक्सिको में पाई जाने वाली पोस्ते की एक प्रजाति है।
- सरसों के तेल में इसकी मिलावट से ड्रॉप्सी नामक महामारी फैल सकती है।
|
4. इन्सीनरेटर्स का प्रयोग निम्नलिखित में किसके लिए किया जाता है?
(a) कूड़ा-कचरा को जलाने के लिए
(b) कूड़ा-कचरा को इनमें रखने के लिए
(c) हरे पेड़ों को काटने के लिए
(d) खाद बनाने के लिए
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) कूड़ा-कचरा को जलाने के लिए
- इन्सीनरेशन (Incineration) एक अपशिष्ट उपचार प्रकिया है, जिसके तहत अपशिष्ट पदार्थों के दहन के माध्यम से उनमें शामिल कार्बनिक तत्वों को नष्ट किया जाता है।
- इस प्रक्रिया हेतु इन्सीनरेटर्स का प्रयोग किया जाता है।
|
5. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में, ‘ताप-अपघटन और प्लाज्मा गैसीकरण’ शब्दों का उल्लेख किया गया है?
(a) दुर्लभ (रेअर) भू-तत्वों का निष्कर्षण
(b) प्राकृतिक गैस निष्कर्षण प्रौद्योगिकी
(c) हाइड्रोजन ईधन-आधारित ऑटोमोबाइल
(d) अपशिष्ट-से-ऊर्जा प्रौद्योगिकी
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (d) अपशिष्ट-से-ऊर्जा प्रौद्योगिकी
- ठोस अपशिष्टों के निपटान की नवीन पर्यावरण-मित्र तकनीक ताप-अपघटन (पाइरोलिसिस) तथा प्लाज्मा गैसीकरण (प्लाज्मा गैसीफिकेशन) हैं।
- प्लाज्मा के तापीय-रासायनिक गुणों का उपयोग करते हुए अत्यंत उच्च ताप (800-1000°C) पर अपशिष्ट पदार्थों को साधारण अणुओं में बदल देने की तकनीक प्लाज्मा पाइरोलिसिस कहलाती है।
- प्लाज्मा गैसीफिकेशन तकनीक में 704°C से अधिक ताप पर अपशिष्ट पदार्थों को गैस (H, CO, CO, CH₁) में परिवर्तित कर दिया जाता है तथा इन गैसों का ऊर्जा के रूप में उपभोग भी किया जा सकता है।
|
6. निम्नलिखित पर विचार कीजिए।
1. कार्बन डाइऑक्साइड
2. नाइट्रोजन के ऑक्साइड
3. सल्फर के ऑक्साइड
उपर्युक्त में से कौन-सा / कौन-से उत्सर्जन ऊष्मीय शक्ति संयंत्रों में कोयला दहन से उत्सर्जित होता है/होते हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- ऊष्मीय शक्ति संयंत्रों में कोयला दहन के फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइडों, सल्फर के ऑक्साइडों, क्लोरोफ्लोरोकार्बन तथा वायुजनित अकार्बनिक कणों जैसे फ्लाई ऐश, कालिख इत्यादि का उत्सर्जन होता है।
|
7. सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए-
सूची-I |
सूची-II |
(घटना) |
(यौगिक) |
A. अम्ल वर्षा |
1. क्लोरोफ्लोरो कार्बन |
B. प्रकाश-रासायनिक घुंघ |
2. कार्बन मोनोक्साइड |
C. हीमोग्लोबिन के साथ संयोजन |
3. सल्फर डाइऑक्साइड |
D. ओजोन पर्त का क्षरण |
4. असंतृप्त हाइड्रोकार्बन |
कूट :
A, B, C, D
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 3, 2, 4, 1
(c) 3, 4, 2, 1
(d) 1, 3, 2, 4
[U.P.B.E.O. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) 3, 4, 2, 1
सही सुमेलन है- |
सूची-I (घटना)
|
सूची-II (यौगिक) |
अम्ल वर्षा |
सल्फर डाइऑक्साइड |
प्रकाश-रासायनिक धुंध |
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन |
हीमोग्लोबिन के साथ संयोजन |
कार्बन मोनोक्साइड |
ओजोन पर्त का क्षरण |
क्लोरोफ्लोरोकार्बन |
|
8. भारत में निम्नलिखित में से किसमें एक महत्वपूर्ण विशेषता के रूप में ‘विस्तारित उत्पादक दायित्व’ आरंभ किया गया था?
(a) जैव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 1998
(b) पुनर्चक्रित प्लास्टिक (निर्माण और उपयोग) नियम, 1999
(c) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 2011
(d) खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (c) ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 2011
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन और हस्तन) नियम, 2011 के तहत ‘विस्तारित उत्पादक दायित्व’ (EPR : Extended Producer Responsibility) का प्रारंभ किया गया था।
- ईपीआर वस्तुतः इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माताओं पर डाला जाने वाला पर्यावरणीय दायित्व है, जिसके तहत उन्हें ई-अपशिष्ट के संग्रहण, प्रबंधन एवं निपटान हेतु उत्तरदायी बनाया गया है।
- उल्लेखनीय है कि 22 मार्च, 2018 को भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा ‘ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) संशोधन नियम, 2018’ को अधिसूचित किया गया।
|
9. निम्नलिखित में से किसके अंगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए ‘R2 व्यवहार संहिता’ (R2 कोड ऑफ प्रैक्टिसेज) साधन उपलब्ध करती है?
(a) इलेक्ट्रॉनिकी पुनर्चक्रण उद्योग में पर्यावरणीय दृष्टि से विश्वसनीय व्यवहार
(b) रामसर कन्वेंशन के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्र भूमि’ का पारिस्थितिक प्रबंधन
(c) निम्नीकृत भूमि पर कृषि फसलों की खेती का संधारणीय व्यवहार
(d) प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में ‘पर्यावरणीय प्रभाव आकलन’
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) इलेक्ट्रॉनिकी पुनर्चक्रण उद्योग में पर्यावरणीय दृष्टि से विश्वसनीय व्यवहार
- R2 का अर्थ रिस्पॉन्सिबल रिसाइकिलिंग है।
- सस्टेनेबल इलेक्ट्रॉनिक्स रिसाइकिलिंग इंटरनेशनल (SERI) द्वारा निर्मित यह स्टैंडर्ड इलेक्ट्रॉनिक्स रिसाइकिलिंग इंडस्ट्री में पर्यावरणीय दृष्टि से विश्वसनीय व्यवहार के अंगीकरण को प्रोत्साहित करता है।
|
10. सार्वजनिक परिवहन में बसों के लिए ईंधन के रूप में हाइड्रोजन संवर्धित CNG (H-CNG) का इस्तेमाल करने के प्रस्तावों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. H-CNG के इस्तेमाल का मुख्य लाभ कार्बन मोनोक्साइड के उत्सर्जनों का विलोपन है।
2. ईंधन के रूप में H-CNG कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन उत्सर्जनों को कम करती है।
3. बसों के लिए ईंधन के रूप में CNG के साथ हाइड्रोजन को आयतन के आधार पर पांचवें हिस्से तक मिलाया जा सकता है।
4. CNG की अपेक्षा H-CNG ईंधन को कम खर्चीला बनाती है।
उपर्युक्त में से कौन-सा / से कथन सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) केवल 2 और 3
- हाइड्रोजन मिश्रित संपीडित प्राकृतिक गैस (H-CNG), CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन है।
- CNG की तुलना में H-CNG के प्रयोग से कार्बन मोनोक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बनों के उत्सर्जन में पर्याप्त कमी आती है तथापि इससे कार्बन मोनोक्साइड उत्सर्जन का विलोपन (Elimination) नहीं होता है।
- इस प्रकार प्रश्नगत कथन 1 गलत है, जबकि कथन 2 सही है।
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा बसों में H-CNG ईंधन के रूप में CNG में 18-20 प्रतिशत (पांचवें भाग तक) तक हाइड्रोजन मिलाए जाने (जो कि H-CNG के लिए आदर्श मिश्रण है) को स्वीकृति दी गई है। इस प्रकार कथन 3 सही है।
- प्रश्नगत कथन 4 सही नहीं है, क्योंकि CNG की तुलना में H-CNG अभी तक उपलब्ध उत्पादन तकनीकों के आधार पर अपेक्षाकृत कुछ महंगी है।
|