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I. भारत के प्राकृतिक प्रदेश
1. भारत से उपबंध पुराचुंबकीय परिणामों से संकेत मिलते हैं कि भूतकाल में भारतीय स्थलपिंड सरका है-
(a) उत्तर को
(b) दक्षिण को
(c) पूर्व को
(d) पश्चिम को
[I.A.S. (Pre) 1995, U.P.P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर- (a) उत्तर को
- महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के अनुसार, भारतीय स्थलपिंड गोंडवानालैंड का भाग है।
- गोडवानालैंड में द. अमेरिका, अफ्रीका, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत एक ही स्थल पिंड के रूप में जुड़े थे।
- मध्यवर्ती मध्यजीवी कल्प में गोडवानालैंड के विशाल भूखंड का विखंडन हुआ, जिसमें भारतीय स्थल पिंड उत्तर की ओर विस्थापित हुआ।
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2. भारतीय उपमहाद्वीप मूलतः एक विशाल भूखंड का भाग था, जिसे कहते हैं-
(a) जुरैसिक भूखंड
(b) आर्यावर्त
(c) इंडियाना
(d) गोंडवानालैंड
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) गोंडवानालैंड
- मध्यवर्ती मध्यजीवी कल्प में गोडवानालैंड के विशाल भूखंड का विखंडन हुआ, जिसमें भारतीय स्थल पिंड उत्तर की ओर विस्थापित हुआ।
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3. भारत कितने प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित है?
(a) 4
(b) 6
(c) 7
(d) 8
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर- (a) 4
- भारत को मुख्यतः चार प्राकृतिक प्रदेशों में विभाजित किया जाता है।
- ये हैं-
- उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
- विशाल मैदान
- प्रायद्वीपीय पठार
- तट एवं द्वीप।
- भारत को छः उपभौतिक भू-आकृतिक प्रदेशों में (NCERT के अनुसार) बांटा गया है।
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4. उत्तराखंड के किस भाग में पाताल तोड़ कुएं पाए जाते हैं?
(a) भाभर में
(b) तराई में
(c) शिवालिक पहाड़ियों में
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Uttarakhand P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर- (b) तराई में
- पाताल तोड़ कुएं ऐसे प्राकृतिक जल स्रोत होते हैं, जो धरातल से स्वतः ऊपर प्रकट होते हैं और सतह पर जल निकलता रहता है, परंतु जल स्रोत तथा पाताल तोड़ कूप में अंतर होता है- प्रथम में जल स्वतः ऊपर आ जाता है, परंतु दूसरे के लिए (पाताल तोड़ कूप में) मनुष्य को धरातलीय सतह पर पहले कुआं खोदना पड़ता है और बाद में जल स्वतः निकलने लगता है।
- पाताल तोड़ कुएं भारत में तराई क्षेत्र में पाए जाते हैं।
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5. भारत में भू-आकारों की रचना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर मनन कीजिए-
1. संरचनात्मक दृष्टि से मेघालय पठार दक्कन पठार का ही विस्तारित भाग है।
2. कश्मीर घाटी की रचना एक समभिनति में हुई।
3. गंगा मैदान की रचना एक अग्रगर्त में हुई।
4. हिमालय की उत्पत्ति भारतीय प्लेट, यूरोपीय प्लेट तथा चीनी प्लेट के त्रिकोणीय अभिसरण के फलस्वरूप हुई है।
इन कथनों में से कौन-से कथन सही हैं?
(a) 1, 2 तथा 3
(b) 1, 3 तथा 4
(c) 1 तथा 3
(d) 2 तथा 4
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) 1, 2 तथा 3
- मेघालय पठार प्रायद्वीपीय पठार का बहिर्शायी (Outlier) है।
- यह एक समतल भूमि है, जो भ्रंशन के कारण भारतीय प्रायद्वीप से माल्दा गैप द्वारा पृथक हो गया है।
- अतः कथन (1) सही है।
- कश्मीर घाटी की रचना हिमालय की समभिनति में ही हुई है।
- अतः कथन (2) सही है।
- स्वेस के अनुसार, गंगा के विशाल मैदान की उत्पत्ति तब हुई, जब प्रायद्वीप के दृढ़ भूखंड ने हिमालय के दक्षिण की ओर प्रसार को रोका, तो हिमालय के उच्च बलनों के समक्ष एक अग्रगर्त (Foredeep) पैदा हो गया।
- यह अग्रगर्त एक विशाल भूसन्नति की भांति था।
- हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा निरंतर लाए जा रहे अवसादों से यह अग्रगर्त धीरे-धीरे भरता रहा।
- बाद में इसी में विशाल मैदानों का निर्माण हुआ।
- अतः कथन (3) सही है।
- हिमालय की उत्पत्ति भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से हुई है।
- चीनी प्लेट का विवरण प्लेट टेक्टॉनिक सिद्धांत में नहीं है।
- अतः कथन (4) गलत है।
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6. निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) भौमिकीय दृष्टि से प्रायद्वीप क्षेत्र भारत का सबसे प्राचीन भाग है।
(b) हिमालय विश्व में सबसे नवीन वलित (फोल्डेड) पर्वतों को प्रदर्शित करते हैं।
(c) भारत के पश्चिमी समुद्र तट का निर्माण नदियों की जमाव क्रिया द्वारा हुआ है।
(d) भारत में गोंडवाना शिलाओं में कोयले का वृहत्तम भंडार है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2004]
उत्तर- (c) भारत के पश्चिमी समुद्र तट का निर्माण नदियों की जमाव क्रिया द्वारा हुआ है।
- भारत के पश्चिमी समुद्र तट का निर्माण नदियों की जमाव क्रिया द्वारा नहीं, बल्कि भूमि के उत्थान एवं निर्गमन के कारण हुआ है।
- भारत में कोयले का विशाल भंडार यहां की गोंडवाना शैलों में पाया जाता है।
- हिमालय विश्व में सबसे नवीन वलित पर्वतों में से एक है।
- भौमिकीय दृष्टि से प्रायद्वीपीय क्षेत्र भारत का सबसे प्राचीन माग है।
- अतः स्पष्ट है कि विकल्प (c) असत्य है।
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7. केरल का कुट्टानाड (या कुट्टानाडु) प्रसिद्ध है-
(a) मीठे पानी की झील के लिए
(b) भारत का न्यूनतम ऊंचाई वाला क्षेत्र
(c) एक प्रवालद्वीप के लिए
(d) भारत के सबसे पश्चिम में स्थित बिंदु के लिए
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (b) भारत का न्यूनतम ऊंचाई वाला क्षेत्र
- केरल का कुट्टानाड मारत का न्यूनतम ऊंचाई वाला क्षेत्र है।
- समुद्र तल से नीचे अपने खेती के तरीकों के लिए प्रसिद्ध है।
- इसे केरल का ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है।
- कुट्टानाड सतत कृषि और मत्स्य पालन के लिए भी जाना जाता है।
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा कुट्टानाड की खेती के तरीकों को ‘वैश्विक महत्वपूर्ण कृषि विरासत प्रणाली’ (GIAHS) घोषित किया गया है।
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8. निम्नलिखित में से कौन-सा मरुस्थल है?
(a) सिंधु क्षेत्र
(b) गंगा क्षेत्र
(c) असम क्षेत्र
(d) मध्य भारत क्षेत्र
[M.P.P.S.C. (Pre), 2018]
उत्तर- (a) सिंधु क्षेत्र
- भारत का विशाल मरुस्थलीय भाग ‘थार का मरुस्थल है, जिसका विस्तार भारत के राजस्थान राज्य तथा पाकिस्तान में है।
- लगभग 200,000 वर्ग किमी. विस्तारित इस क्षेत्र के पश्चिम में सिंधु द्वारा सिंचित क्षेत्र है।
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9. निम्नलिखित में से कौन-सा जिला धारवाड़ मूस्तरीय रचना वाला नहीं है?
(a) मुंगेर
(b) रोहतास
(c) जमुई
(d) नवादा
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं। उपर्युक्त में से एक से अधिक
[B.P.S.C. (Pre) 2019]
उत्तर- (b) रोहतास
- बिहार में धारवाड़ भू-स्तरीय रचना वाले जिले दक्षिण-पूर्व बिहार के अंतर्गत आते हैं।
- इनमें मुंगेर, नवादा एवं जमुई जिले शामिल हैं।
- वहीं रोहतास दक्षिण-पश्चिम बिहार का भाग है।
- इस क्षेत्र में विंध्यन प्रकार की भूस्तरीय रचना पाई जाती है।
- बिहार में विंध्यन मूस्तरीय रचना कैमूर एवं सोन नदी घाटी (रोहतास) में पाई जाती है।
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10. निम्नलिखित में से कौन-सी चट्टान प्रणाली, भारत में नवीनतम है?
(a) विध्यन
(b) कुडप्पा
(c) धारवाड़
(d) गोंडवाना
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) गोंडवाना
- धारवाड़ क्रम की चट्टानों का निर्माण आर्कियन क्रम की चट्टानों के रूपांतरण अथवा भ्रंशन से हुआ।
- ये शिलाएं अत्यधिक धात्विक हैं जिनमें सोना, लोहा, मैगनीज, अभ्रक, कोबाल्ट, क्रोमियम, तांबा, टंगस्टन, सीसा आदि खनिज प्राप्त होते हैं।
- कुडप्पा क्रम की चट्टानों का निर्माण धारवाड़ क्रम की चट्टानों के बाद हुआ है।
- विध्यन क्रम की चट्टानों का निर्माण कुडप्पा क्रम की चट्टानों के बाद हुआ है।
- इनमें चूने का पत्थर, बलुआ पत्थर, चीनी मिट्टी तथा वर्ण मिट्टी प्राप्त होती है।
- विंध्यन क्रम की चट्टानों के काफी समय बाद गोंडवाना क्रम की चट्टानों का निर्माण हुआ।
- भारत का अधिकांश कोयला गोंडवाना क्षेत्र से ही प्राप्त होता है।
- इस क्षेत्र का कोयला उच्च श्रेणी का होता है।
- यहां सर्वाधिक बिटुमिनस कोयले की प्राप्ति होती है।
- इसमें सल्फर की मात्रा न्यून होती है।
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11. निम्न कथनों को पढ़कर सही विकल्प का चुनाव करें-
कथन-I : जे.डी. डाना ने भारतीय उपमहाद्वीप के चट्टानों के भूगर्भीय इतिहास के लिए एक विशेष भूगर्भिक समय मापक तैयार किया।
कथन II : भूगर्भिक समय मापक के अनुसार भारतीय चट्टानों को आर्कियन, पौराणिक, द्रविड़ियन तथा आर्यन युग में विभाजित किया जाता है।
(a) कथन I एवं कथन II दोनों सत्य हैं।
(b) कथन I एवं कथन II दोनों असत्य है।
(c) कथन I सत्य है, परंतु कथन II असत्य है।
(d) कथन I असत्य है, परंतु कथन II सत्य है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (d) कथन I असत्य है, परंतु कथन II सत्य है।
- भूगर्भिक समय मापक के अनुसार भारतीय चट्टानों को आर्कियन, पौराणिक, द्रविड़ियन तथा आर्यन युग में विभाजित किया जाता है।
- भारतीय भूगर्भिक समय मापक टी. एस. हॉलैंड द्वारा लाया गया है।
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12. गंगा के मैदान को एक के रूप में वर्णित किया गया है।
(a) पेडीप्लेन
(b) पेनिप्लेन
(c) जियोसिनक्लाइन
(d) कार्ट प्लेन
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में से एक से अधिक
[67th B.P.S.C. (Pre) 2022]
उत्तर- (c) जियोसिनक्लाइन
- गंगा के मैदान को एक जियोसिनक्लाइन या भू-अभिनति गर्त के रूप में वर्णित किया गया है।
- इसका निर्माण मुख्य रूप से हिमालय पर्वतमाला निर्माण प्रक्रिया के तीसरे चरण में हुआ था।
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