1. किस वर्ष में, ‘खाद्य मिलावट निवारण अधिनियम’ प्रथम बार लागू (enacted) हुआ था?
(a) 1951 में
(b) 1954 में
(c) 1964 में
(d) 1956 में
[U.P. P.C.S. (Mains) 2006]
उत्तर-(b) 1954 में
- ‘खाद्य मिलावट निवारण अधिनियम’ (Prevention of Food Adul- teration Act) वर्ष 1954 में अधिनियमित (enacted) तथा सर्वप्रथम 1 जून, 1955 को प्रभावी हुआ था।
- नोट-इस प्रश्न के अंग्रेजी अनुवाद में ‘enacted’ शब्द है जिसका अर्थ ‘अधिनियमित’ होता है, जबकि हिंदी में इस संदर्भ में लागू (प्रभावी; effective) शब्द प्रयुक्त है।
- दिए गए विकल्पों के आधार पर विकल्प (b) इसका सही उत्तर है।
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2. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अधीन सभी दंडनीय अपराध हैं-
(a) संज्ञेय तथा अजमानतीय
(b) संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय
(c) असंज्ञेय तथा जमानती
(d) असंज्ञेय तथा शमनीय
[M.P. P.C.S (Pre) 2012]
उत्तर-(b) संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 15 के अनुसार, सभी अपराध संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय प्रकृति के होंगे।
- इस अधिनियम के अंतर्गत अपराध का विचारण प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा महानगरों के मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है।
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3. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत अपराध का विचारण किस न्यायालय द्वारा किया जाता है?
(a) सत्र न्यायालय
(b) प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट
(c) द्वितीय श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट
(d) मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(b) प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत अपराध का विचारण प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट तथा महानगरों के मामले में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है।
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4. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत समी दंडनीय अपराध हैं-
(a) संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय
(b) संज्ञेय तथा अशमनीय
(c) असंज्ञेय तथा जमानतीय
(d) असंज्ञेय तथा शमनीय
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(a) & (b) संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय & संज्ञेय तथा अशमनीय
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत सभी दंडनीय अपराध संज्ञेय तथा संक्षेपतः विचारणीय और संज्ञेय तथा अशमनीय हैं।
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5. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अधीन सभी अपराध हैं।
(a) संज्ञेय
(b) जमानतीय
(c) शमनीय
(d) कारावास तथा जुर्माना दोनों से दंडनीय
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(a) & (d) संज्ञेय & कारावास तथा जुर्माना दोनों से दंडनीय
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 15(1) के तहत दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में किसी बात के होते हुए भी इस अधिनियम के अधीन दंडनीय हर अपराध संज्ञेय होगा।
- इस अधिनियम में दोषी व्यक्तियों के लिए कारावास और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।
- अतः इस प्रश्न के सही उत्तर विकल्प (a) व (d) हैं। म.प्र. लोक सेवा आयोग ने अपनी प्रारंभिक उत्तर कुंजी में विकल्प (c) को सही माना था, परंतु संशोधित उत्तर कुंजी में इस प्रश्न के लिए बोनस अंक दे दिया गया।
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6. यदि कोई व्यक्ति अस्पृश्यता के आधार पर किसी व्यक्ति को किसी अस्पताल, औषधालय या शिक्षा संस्थान में प्रवेश से इंकार करता है, तब वह सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की किस धारा के अंतर्गत दंडनीय है?
(a) धारा 4
(b) घारा 5
(c) धारा 6
(d) धारा – 7
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(b) घारा 5
- यदि कोई व्यक्ति अस्पृश्यता के आधार पर किसी व्यक्ति को किसी अस्पताल, औषधालय, शिक्षा संस्थान या छात्रावास, जो जन-साधारण या उसके किसी विभाग के फायदे के लिए स्थापित हो या चलाया जाता हो, प्रवेश से इंकार करता है, तब वह सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा-5 के अंतर्गत दंडनीय है।
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7. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत ‘सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्य सरकार की शक्ति’ का उपबंध किया गया है?
(a) धारा 10
(b) धारा 10क
(c) धारा 14.
(d) धारा 14क
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) धारा 10क
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 10क (10A) के अंतर्गत ‘सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की राज्य सरकार की शक्ति’ (Power of State Government to impose collective fine) का उपबंध किया गया है।
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8. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम का विस्तार है-
(a) संपूर्ण भारत पर
(b) अनुसूचित क्षेत्रों के सिवाय संपूर्ण भारत पर
(c) जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय संपूर्ण भारत पर
(d) संघ राज्यक्षेत्र गोवा, दमन तथा दीव के सिवाय संपूर्ण भारत पर
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) संपूर्ण भारत पर
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 1(2) के अनुसार, इस अधिनियम का विस्तार संपूर्ण भारत पर है।
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9. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत ‘कंपनियों द्वारा अपराध’ का उपबंध किया गया है?
(a) धारा 10
(b) धारा 12
(c) घारा 14
(d) धारा 16
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(c) घारा 14
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 14 के अंतर्गत ‘कंपनियों द्वारा अपराध’ (Offences by companies) का उपबंध किया गया है।
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10. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के अंतर्गत कंपनियों द्वारा अपराध किए जाने की दशा में कौन उत्तरदायी होता है?
(a) निदेशक
(b) प्रबंधक
(c) सचिव
(d) उपरोक्त सभी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(d) उपरोक्त सभी
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 14(1) के अनुसार, यदि इस अधिनियम के तहत अपराध करने वाला व्यक्ति कंपनी हो, तो हर ऐसा व्यक्ति, जो अपराध किए जाने के समय उस कंपनी के कारबार के संचालन के लिए उस कंपनी का भारसाधक और उस कंपनी के प्रति उत्तरदायी था, उस अपराध का दोषी समझा जाएगा।
- धारा 14(2) के अनुसार, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध कंपनी के किसी निदेशक या प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की सम्मति से किया गया हो, वहां वे भी उस अपराध के दोषी समझे जाएंगे।
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11. कब न्यायालय, सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 12 के अंतर्गत, उपधारणा करेगा कि अपराध ‘अस्पृश्यता’ के आधार पर कारित किया गया है?
(a) जब यह केवल अनुसूचित जाति के सदस्य से संबंधित है
(b) जब यह केवल अनुसूचित जनजाति के सदस्य से संबंधित है
(c) जब यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति दोनों के सदस्यों से संबंधित है
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर- (a) जब यह केवल अनुसूचित जाति के सदस्य से संबंधित है
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 12 के अनुसार, जहां कि इस अधिनियम के अधीन अपराध गठित करने वाला कोई कार्य अनुसूचित जाति के संबंध में किया जाए वहां, जब तक कि प्रतिकूल साबित न किया जाए, न्यायालय यह उपधारणा करेगा कि वह कार्य ‘अस्पृश्यता’ के आधार पर किया गया है।
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12. अस्पृश्यता से उद्भूत अपराध गठित नहीं होगा, जबकि-
(a) अभियुक्त का कार्य जनसाधारण के किसी अनुभाग के व्यक्तियों के फायदे के लिए सृष्ट एक पूर्व न्याय के अधीन फायदे के उपभोग करने के संबंध में है।
(b) अभियुक्त का कार्य अलंकारों के उपयोग करने के संबंध में है।
(c) अभियुक्त के अपराध कारित करने में सक्षम नहीं होने से है।
(d) अभियुक्त और परिवादी पीड़ित समान सामाजिक समूह से हैं।
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(d) अभियुक्त और परिवादी पीड़ित समान सामाजिक समूह से हैं।
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के तहत अस्पृश्यता से उद्भूत अपराध गठित नहीं होगा, जबकि अभियुक्त और परिवादी पीड़ित समान सामाजिक समूह से हैं।
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13. न्यायालय उपधारित कर सकता है कि अपराध गठित करने वाला कोई कृत्य ‘अस्पृश्यता’ के आधार पर किया गया था, यदि ऐसा अपराध के संबंध में किया गया है।
(a) अनुसूचित जाति के सदस्य
(b) अनुसूचित जनजाति के सदस्य
(c) किसी भी समुदाय के सदस्य
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(a) अनुसूचित जाति के सदस्य
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 12 के तहत न्यायालय उपधारित कर सकता है कि अपराध गठित करने वाला कोई कृत्य ‘अस्पृश्यता’ के आधार पर किया गया था, यदि ऐसा अपराध अनुसूचित जाति के सदस्य के संबंध में किया गया है।
- अस्पृश्यता का उन्मूलन संविधान में अनुच्छेद 17 द्वारा किया गया है।
|
14. सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत ‘सद्भावनापूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण’ का उपबंध किया गया है?
(a) धारा 16क
(b) धारा 15क
(c) धारा 16ख
(d) धारा 14क
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(d) धारा 14क
- सिविल अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 की धारा 14क (14A) के अंतर्गत ‘सद्भावनापूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण’ (Protection of action taken in good faith) का उपबंध किया गया है।
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15. निम्नलिखित युग्मों से कौन-सा सुमेलित नहीं है?
(a) हिंदू विवाह अधिनियम – 1955
(b) हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम – 1956
(c) 73वां संविधान संशोधन – शहरी क्षेत्रों के स्थानीय निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए स्थानों का आरक्षण
(d) सती (निरोध) अधिनियम – 1987
[U.P. P.C.S. (Mains) 2009]
उत्तर-(c) 73वां संविधान संशोधन – शहरी क्षेत्रों के स्थानीय निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए स्थानों का आरक्षण
- हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में तथा सती (निरोध) अधिनियम 1987 में लागू हुआ था।
- शहरी क्षेत्रों के स्थानीय निकायों के चुनाव में महिलाओं के लिए स्थानों का आरक्षण 73वें नहीं बल्कि 74वें संविधान संशोधन द्वारा किया गया था।
- इस प्रकार सही उत्तर विकल्प (c) होगा।
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16. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए –
सूची-1 |
सूची-II |
A. भारतीय शस्त्र अधिनियम |
1. 1876 |
B. शाही पद अधिनियम |
2. 1878 |
C. भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम |
3. 1869 |
D. भारतीय विवाह विच्छेद अधिनियम |
4. 1861 |
कूट :
A, B, C, D
(a) 2, 3, 1, 4
(b) 3, 1, 2, 4
(c) 1, 2, 3, 4
(d) 2, 1, 4, 3
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) 2, 1, 4, 3
- सही सुमेलन इस प्रकार है-
-
सूची-1 |
सूची-II |
A. भारतीय शस्त्र अधिनियम |
2. 1878 |
B. शाही पद अधिनियम |
1. 1876 |
C. भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम |
4. 1861 |
D. भारतीय विवाह विच्छेद अधिनियम |
3. 1869 |
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17. घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम लागू हुआ है-
(a) 20 सितंबर, 2005 को
(b) 30 सितंबर, 2006 को
(c) 10 अक्टूबर, 2006 को
(d) 26 अक्टूबर, 2006 को
[U.P. Lower Sub. (Mains) 2015]
उत्तर-(d) 26 अक्टूबर, 2006 को
- महिलाओं को घरेलू हिंसा से संरक्षण प्रदान करने के लिए ‘घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 संसद द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया, जिसे राष्ट्रपति की सहमति 13 सितंबर, 2005 को मिली तथा 26 अक्टूबर, 2006 से इसे संपूर्ण भारत में लागू किया गया।
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18. निम्न में से कौन सामाजिक अधिनियम नहीं है?
(a) मीसा
(b) एंटी डॉवरी एक्ट
(c) प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स
(d) प्रीवेन्शन ऑफ इम्मॉरल ट्रैफिक एक्ट
[U.P.P.C.S. (Pre) 1991]
उत्तर- (a) मीसा
- मीसा (MISA: Maintenance of Internal security Act) नामक आंतरिक सुरक्षा अधिनियम वर्ष 1971 में बना तथा 1977 में निरस्त कर दिया गया।
- यह आंतरिक सुरक्षा के संदर्भ में बनाया गया अधिनियम था।
- अतः यह सामाजिक अधिनियम नहीं है, जबकि प्रश्नगत शेष तीनों अधिनियम सामाजिक सौहार्द एवं सामाजिक दोष निवारण हेतु बनाए गए अधिनियम हैं।
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19. भारतीय विधान के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ताओं के अधिकारों/ विशेषाधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/है?
1. उपभोक्ताओं को खाद्य की जांच करने के लिए नमूने लेने का अधिकार है।
2. उपभोक्ता यदि उपभोक्ता मंच में अपनी शिकायत दर्ज करता है, तो उसे इसके लिए कोई फीस नहीं देनी होती।
3. उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने पर, उसका वैधानिक उत्तराधिकारी उसकी ओर से उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज कर सकता है।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[LA.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) केवल 1 और 3
- वर्ष 1986 में संसद द्वारा उपभोक्ताओं के अधिकारों के संरक्षण के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 पारित किया गया।
- इसके तहत उपभोक्ताओं को खाद्य की जांच करने के लिए नमूने लेने का अधिकार है। उपभोक्ता गड़बड़ी पाए जाने पर उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है।
- इसके लिए उसे निर्धारित फीस देनी पड़ती है। यदि उपभोक्ता की मृत्यु हो जाती है, तो उसके वैधानिक उत्तराधिकारी को यह अधिकार है कि वह उपभोक्ता मंच में अपनी शिकायत दर्ज करा सके।
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20. क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट सर्वप्रथम कब अधिनियमित हुआ था?
(a) 1952
(b) 1924
(c) 1871
(d) 1911
[U.P.P.C.S. (Mains) 2016]
उत्तर-(c) 1871
- क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट सर्वप्रथम 1871 ई. में अधिनियमित हुआ था।
- यह प्रारंभ में उत्तर भारत के अधिकांश क्षेत्र में लागू हुआ था।
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21. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 प्रवृत्त हुआ है-
(a) 1 जुलाई, 1989
(b) 30 जनवरी, 1990
(c) 30 जुलाई, 1989
(d) 1 जनवरी, 1990
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012, 2019]
उत्तर-(b) 30 जनवरी, 1990
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 को राष्ट्रपति द्वारा 11 सितंबर, 1989 को स्वीकृति प्रदान की गई थी।
- यह अधिनियम 30 जनवरी, 1990 को प्रवृत्त हुआ।
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22. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में कुल कितनी धाराएं हैं?
(a) 18
(b) 22
(c) 23
(d) 27
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(c) 23
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम में कुल 23 धाराएं हैं।
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23. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के उद्देश्यों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाने की शक्तियां किसे किन्हें प्राप्त हैं?
(a) राज्य सरकार
(b) केंद्र सरकार
(c) दोनों (a) और (b)
(d) सर्वोच्च न्यायालय
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) केंद्र सरकार
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 23 इस अधिनियम के उद्देश्यों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाने की शक्ति से संबंधित है।
- इस अधिनियम की धारा 23(1) के अनुसार, केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी।
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24. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किस धारा में ‘आर्थिक बहिष्कार’ को परिभाषित किया गया है?
(a) धारा 2(ख)
(b) धारा 2 (ख ग)
(c) धारा 2 (ख च)
(d) धारा 2 (ख छ)
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) धारा 2 (ख ग)
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 में 2016 के संशोधन द्वारा अंतःस्थापित धारा 2 (खग) [2(bc)] में आर्थिक बहिष्कार (Economic Boycott) को परिभाषित किया गया है।
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25. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन किसी लोक सेवक द्वारा धारा 3 के अधीन अपराध किए जाने पर कम-से-कम दंड का प्रावधान है-
(a) तीन माह
(b) छह माह
(c) एक वर्ष
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(c) एक वर्ष
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन किसी लोक सेवक द्वारा धारा 3(2)(vii) के अधीन अपराध किए जाने पर कम-से-कम एक वर्ष के दंड का प्रावधान है।
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26. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किस धारा में विशेष न्यायालय की व्यवस्था का प्रावधान है?
(a) 14
(b) 17
(c) 21 (1)
(d) 21 (3)
[M.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (a) 14
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अध्याय IV की धारा 14(1) में शीघ्र न्याय एवं परीक्षण के लिए एक या अधिक जिलों में एक विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय की व्यवस्था का प्रावधान है, जबकि धारा 15 में विशेष लोक अभियोजक की व्यवस्था की गई है।
|
27. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए राज्य सरकार की सहमति से सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय विनिर्दिष्ट कर सकती है।
(a) राज्यपाल
(b) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
(c) संबंधित जिले के सत्र न्यायाधीश
(d) विधि मंत्रालय
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(b) उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14(1) के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सहमति से सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय विनिर्दिष्ट कर सकती है।
|
28. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करने का प्रयोजन है-
(a) शीघ्र विचारण
(b) समयबद्ध विचारण
(c) पीड़ितों के लिए विशेष सुरक्षा
(d) उपर्युक्त सभी
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(a) शीघ्र विचारण
- अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14(1) के अनुसार, सेशन न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट करने का प्रयोजन शीघ्र विचारण है।
|
29. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किसी निर्णय, दंडादेश या आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील होती है-
(a) केवल तथ्यों के संबंध में
(b) केवल विधि के संबंध में
(c) तथ्यों और विधि दोनों के संबंध में
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(c) तथ्यों और विधि दोनों के संबंध में
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14क के अंतर्गत दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में किसी बात के होते हुए भी, किसी विशेष न्यायालय या किसी अनन्य विशेष न्यायालय के किसी निर्णय, दंडादेश या आदेश, जो अंतर्वर्ती आदेश नहीं है, के विरुद्ध अपीलें तथ्यों और विधि दोनों (both on facts and on law) के संबंध में, उच्च न्यायालय में होंगी।
|
30. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए एक प्रावधान है, जो निम्न में से किस एक सिद्धांत पर आधारित है?
(a) पृथक्करणीयता का सिद्धांत
(b) अधिमानी स्थिति का सिद्धांत
(c) संरक्षा विभेद का सिद्धांत
(d) सामंजस्यपूर्ण अर्थान्वयन का सिद्धांत
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(c) संरक्षा विभेद का सिद्धांत
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989, ‘संरक्षा विभेद के सिद्धांत’ पर आधारित है।
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 15 में दी गई व्यवस्था के क्रियान्वयन के संदर्भ में है।
- इस अनुच्छेद से संरक्षा विभेद का सिद्धांत निर्गत होता है।
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31. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत सामूहिक जुर्माना अधिरोपित और वसूल करने की शक्ति किसे है?
(a) जिला मजिस्ट्रेट
(b) राज्य सरकार
(c) विशेष न्यायालय
(d) उच्च न्यायालय
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर-(b) राज्य सरकार
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 16 के अंतर्गत सामूहिक जुर्माना अधिरोपित और वसूल करने की शक्ति राज्य सरकार को है।
|
32. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराध अभियोजन में, न्यायालय निम्न में से क्या उपधारित कर सकता है?
(a) दुष्प्रेरण
(b) सामान्य आशय
(c) सामान्य उद्देश्य
(d) उपरोक्त सभी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) उपरोक्त सभी
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 8 के अधीन अपराध अभियोजन में न्यायालय दुष्प्रेरण, सामान्य आशय और सामान्य उद्देश्य को उपधारित कर सकता है।
|
33. अनुसूचित जाति एवं अनूसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की निम्नलिखित में से किस धारा में भारतीय दंड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना उपबंधित है?
(a) धारा 12
(b) धारा 10
(c) घारा 6
(d) धारा 8
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(c) घारा 6
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की धारा 6 में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कुछ धाराओं के लागू किए जाने का प्रावधान है।
- इसके तहत भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 34 एवं 149 के उपबंध तथा भारतीय दंड संहिता का अध्याय 3, अध्याय 4, अध्याय 5, अध्याय 5क और अध्याय 23 के उपबंध लागू होंगे।
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34. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए जांच अधिकारी कितने दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा?
(a) 15
(b) 20
(c) 25
(d) 30
[M.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर- (d) 30
- वर्ष 1995 के तत्संबंधी नियमों के तहत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत किए गए अपराधों के लिए जांच अधिकारी द्वारा 30 दिनों के भीतर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को सौंपने का प्रावधान था, जिसे पुलिस अधीक्षक राज्य के पुलिस महानिदेशक को तत्काल अग्रसारित करता था।
- तथापि वर्ष 2016 में इन नियमों में हुए संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया कि ऐसे अपराधों के लिए जांच अधिकारी उच्च प्राथमिकता पर जांच पूरी करेगा, पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जो बाद में रिपोर्ट को तुरंत राज्य सरकार को, पुलिस महानिदेशक या पुलिस आयुक्त को भेजेगा और संबद्ध पुलिस थाने का भारसाधक 60 दिन की अवधि (इस अवधि में जांच की अवधि भी सम्मिलित है) के भीतर विशेष न्यायालय या अनन्य विशेष न्यायालय में आरोप-पत्र फाइल करेगा।
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35. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन निम्न में से क्या पूर्णतः निषिद्ध है?
(a) गिरफ्तारी पूर्व जमानत
(b) गिरफ्तारी पश्चात जमानत
(c) परिवीक्षा का लाभ
(d) उपरोक्त सभी
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(a) गिरफ्तारी पूर्व जमानत
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन गिरफ्तारी पूर्व जमानत पूर्णतः निषिद्ध है।
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36. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 की निम्नलिखित में से किस धारा में अग्रिम जमानत प्रतिबंधित है?
(a) धारा 16
(b) धारा 17
(c) धारा 18
(d) धारा 19
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016, 2018]
उत्तर-(c) धारा 18
- इस अधिनियम की धारा 18 में प्रावधान है कि इस अधिनियम के अधीन अपराध करने वाले व्यक्तियों को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता।
- ज्ञातव्य है कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 में अग्रिम जमानत दिए जाने का प्रावधान है।
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37. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन किए गए अपराध का अन्वेषण ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा जो रैंक से कम न हो।
(a) उप-निरीक्षक
(b) निरीक्षक
(c) उप-अधीक्षक
(d) अधीक्षक
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) उप-अधीक्षक
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के क्रियान्वयन हेतु केंद्र सरकार द्वारा 1995 में बनाए गए नियमों के अंतर्गत नियम 7(1) के तहत इस अधिनियम के अधीन किए गए अपराध का अन्वेषण ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जो उप-अधीक्षक रैंक से कम का न हो।
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38. निम्नलिखित शक्तियों में से कौन-सी एक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट विशेष न्यायालय को नहीं दी गई है?
(a) किसी अपराध के दोषसिद्ध अभियुक्त की संपत्ति का समपहरण
(b) पुलिस से भिन्न किसी व्यक्ति को अतिरिक्त अन्वेषण करने के लिए अधिकृत करना
(c) ऐसे व्यक्ति को किसी क्षेत्र से हटाना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है
(d) ऐसे व्यक्ति का माप और फोटोग्राफ लेना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है।
[M.P. P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(b) पुलिस से भिन्न किसी व्यक्ति को अतिरिक्त अन्वेषण करने के लिए अधिकृत करना
- दिए गए विकल्पों में पुलिस से भिन्न किसी व्यक्ति को अतिरिक्त अन्वेषण करने के लिए अधिकृत करना, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत विनिर्दिष्ट विशेष न्यायालय को दी गई शक्तियों में शामिल नहीं है।
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39. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन विशेष न्यायालय निम्न में से कौन-सी शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता?
(a) व्यक्ति को हटाया जाना
(b) संपत्ति का समपहरण
(c) व्यक्ति का माप लिया जाना
(d) सामूहिक जुर्माना आरोपित करना
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) सामूहिक जुर्माना आरोपित करना
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन विशेष न्यायालय दिए गए विकल्पों में सामूहिक जुर्माना आरोपित करने की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता।
- उक्त अधिनियम की धारा 16 के तहत सामूहिक जुर्माना आरोपित करने और वसूलने की शक्ति राज्य सरकार को प्राप्त है।
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40. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराध के लिए अभियोजन में, अभियुक्त अपने बचाव में अभिवाक् नहीं ले सकता है कि-
(a) कार्य निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में किया गया था।
(b) वह भी पीड़ित की ही जाति का है।
(c) कार्य से इतनी थोड़ी अपहानि हुई है, जो शिकायत का विषय नहीं हो सकता है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
[M.P.P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a & c) कार्य निजी प्रतिरक्षा के अधिकार के प्रयोग में किया गया था। & कार्य से इतनी थोड़ी अपहानि हुई है, जो शिकायत का विषय नहीं हो सकता है।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अधीन अपराध के लिए अभियोजन में, अभियुक्त अपने बचाव में अभिवाक् (Plea) ले सकता है कि वह भी पीड़ित की ही जाति का है, जबकि विकल्प (a) व (c) में दिए गए आधार पर नहीं ले सकता है।
- अतः इस प्रश्न के दो उत्तर (a) व (c) सही हैं। उल्लेखनीय है कि इस अधिनियम के तहत अभियुक्त पर अभियोग तभी चलाया जा सकता है, जब वह अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का न हो।
- उल्लेखनीय है कि म.प्र. लोक सेवा आयोग ने संशोधित उत्तर कुंजी में एक से अधिक उत्तर सही होने के कारण इस प्रश्न के लिए बोनस अंक प्रदान किया था।
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41. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, जादू-टोना करने या डाइन होने के अभिकथन पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को शारीरिक हानि पहुंचाएगा या मानसिक यंत्रणा देगा, वह किस अवधि के कारावास से दंडित होगा?
(a) जिसकी अवधि छः माह से कम नहीं होगी, किंतु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से
(b) जिसकी अवधि छः माह से कम की नहीं होगी और जुर्माने से
(c) जिसकी अवधि एक वर्ष की होगी और जुर्माने से
(d) जिसकी अवधि पांच वर्ष की होगी और जुर्माने से
[M.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(a) जिसकी अवधि छः माह से कम नहीं होगी, किंतु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी और जुर्माने से
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1) (zb) के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति, जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है, जादू-टोना करने या डाइन होने के अभिकथन पर अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्य को शारीरिक हानि पहुंचाएगा या मानसिक यंत्रणा देगा, वह कारावास से जिसकी अवधि छः माह से कम नहीं होगी, किंतु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी, और जुर्माने से दंडनीय होगा।
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42. निम्नांकित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत अपराध ऐसे व्यक्ति द्वारा कारित किया जाता है जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है।
(b) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 14 (1) में स्थापित “अनन्य विशेष न्यायालय धारा 2 (घ) में परिभाषित है।
(c) ‘पीड़ित’ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 2 (ङ ग) में परिभाषित है।
(d) ‘आश्रित’ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 2 (ख ख) में परिभाषित है।
[M.P.P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(b) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 14 (1) में स्थापित “अनन्य विशेष न्यायालय धारा 2 (घ) में परिभाषित है।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 14 की उपधारा (1) में स्थापित ‘अनन्य विशेष न्यायालय’ धारा 2 (ख घ) में परिभाषित है, जबकि धारा 2 (घ) ‘विशेष न्यायालय’ से धारा 14 में विशेष न्यायालय के रूप में विनिर्दिष्ट कोई सेशन न्यायालय अभिप्रेत है, जबकि अन्य विकल्पों के कथन सही है।
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43. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत ‘जिला स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरी समिति’ के गठन का उपबंध किया गया है?
(a) धारा 18
(b) धारा 19
(c) धारा 17
(d) धारा 16
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(c) धारा 17
- अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 की धारा 17 में ‘जिला स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरी समिति’ के गठन का उपबंध किया गया है।
- इसमें प्रावधान है कि प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट द्वारा अपने जिले में जिला स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरी समिति का गठन इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए व पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वास की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा।
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44. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति नियम, 1995 की निम्नलिखित में से किस धारा के अंतर्गत ‘वार्षिक रिपोर्ट के लिए सामग्री’ का उपबंध किया गया है?
(a) धारा 18
(b) धारा 20
(c) धारा 22
(d) घारा 24
[M.P. P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(a) धारा 18
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम, 1995 की धारा 18 के अंतर्गत वार्षिक रिपोर्ट के लिए सामग्री (Material for Annual Report) का उपबंध किया गया है।
- इसके अनुसार राज्य सरकार, प्रत्येक वर्ष 31 मार्च से पहले केंद्र सरकार को अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्वयन के लिए किए गए उपायों और इसके द्वारा पिछले कैलेंडर वर्ष के दौरान तैयार की गई विभिन्न स्कीमों/योजनाओं के बारे में रिपोर्ट अग्रेषित करेगी।
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45. सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायत विस्तार (PESA) अधिनियम को 1996 में अधिनियमित किया। निम्नलिखित में से कौन-सा एक उसके उद्देश्य के रूप में अभिज्ञात नहीं है?
(a) स्वशासन प्रदान करना
(b) पारंपरिक अधिकारों को मान्यता देना
(c) जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्रों का निर्माण करना
(d) जनजातीय लोगों को शोषण से मुक्त कराना
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्रों का निर्माण करना
- पंचायतें (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 का उद्देश्य है, अनुसूचित क्षेत्रों में पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन स्थापित करना, जिससे पारंपरिक अधिकारों की रक्षा हो सके तथा जनजातीय लोगों को शोषण से मुक्त किया जा सके।
- इस अधिनियम में यह प्रावधान नहीं है कि जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त क्षेत्रों का निर्माण किया जाए।
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46. संसद के सूचना अधिकार अधिनियम को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई-
(a) 15 मई, 2005 को
(b) 5 जून, 2005 को
(c) 15 जून, 2005 को
(d) 12 अक्टूबर, 2005 को
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(c) 15 जून, 2005 को
- सूचना के अधिकार अधिनियम को संसद द्वारा पारित (लोक सभा द्वारा 11 मई, 2005 को तथा राज्य सभा द्वारा 12 मई, 2005 को) होने के बाद 15 जून, 2005 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई थी तथा अधिनियम की कुछ धाराएं तत्काल प्रभावी हुई थीं, जबकि शेष अधिनियम इसके अधिनियमित होने के 120 दिन पश्चात 12 अक्टूबर (12-13 अक्टूबर की मध्य रात्रि), 2005 से प्रभावी हुआ। यह एक विधिक अधिकार है।
- इस अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक नागरिक को यह विधिक अधिकार प्राप्त है कि वह सार्वजनिक संस्थानों से आवश्यक सूचना मांग सके और न मिलने पर अपील कर सके।
- उच्चतम न्यायालय ने अपने अनेक निर्णयों में सूचना के अधिकार को अनुच्छेद 19 (1) (क) में प्रदत्त ‘वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य’ के मूल अधिकार में निहित माना है तथापि यह संविधान में उल्लिखित न होने के कारण संवैधानिक अधिकार नहीं है।
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47. सूचना का अधिकार :
(a) एक मूल अधिकार है।
(b) एक विधिक अधिकार है।
(c) दोनों (a) तथा (b)
(d) न तो (a) और न (b)
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Spl.) (Pre) 2010]
उत्तर-(c) दोनों (a) तथा (b)
- ‘सूचना का अधिकार’ वर्ष 2005 के संसदीय अधिनियम के तहत एक विधिक अधिकार है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अनेक निर्णयों में इसे संविधान के अनुच्छेद 19(1) (a) के तहत प्रदत्त ‘वाक्-स्वातंत्र्य और अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य’ के मूल अधिकार में निहित माना है।
- इस आधार पर यदि केवल एक ही विकल्प का चयन करना हो तो ‘विधिक अधिकार’ ही इसका अभीष्ट उत्तर होगा, परंतु प्रश्न में यदि दो विकल्प चयनित करने हों, तो ‘विधिक अधिकार’ के साथ ‘मूल अधिकार’ (सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के तहत) इसका समुचित उत्तर होगा।
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48. निम्नांकित में से कौन-सी शब्दावली सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की उद्देशिका में उल्लिखित है?
(A) सूचना की पारदर्शिता
(B) सूचना का प्रकटन
(C) संसूचित नागरिकता
(D) लोकतांत्रिक आदर्श की प्रभुता
सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट से कीजिए:
कूट :
(a) केवल (A)
(b) (A) और (B)
(c) (A), (B) और (C)
(d) (A), (B), (C) और (D)
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(d) (A), (B), (C) और (D)
- सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की उद्देशिका में सूचना का पारदर्शिता, सूचना का प्रकटन, संसूचित नागरिकता एवं लोकतांत्रिक आदर्श की प्रभुता-ये सभी शामिल हैं।
- अतः सही उत्तर विकल्प (d) होगा।
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49. सूचना के अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा सही नहीं है :
(a) सरकार के कार्यकरण में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व को बढ़ाना
(b) हमारे लोकतंत्र को ऐसा बनाना ताकि वह वास्तव में लोगों के लिए काम करें
(c) समाज की महिलाओं एवं कमजोर तबकों (वर्गों) को सशक्त करने के लिए काम करना
(d) नागरिकों को सशक्त करना
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(c) समाज की महिलाओं एवं कमजोर तबकों (वर्गों) को सशक्त करने के लिए काम करना
- सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ाना, भ्रष्टाचार को रोकना तथा हमारे लोकतंत्र को सही मायने में लोगों के लिए कार्य करने वाला बनाना है।
- यह स्पष्ट है कि सूचना प्राप्त नागरिक शासन के साधनों पर आवश्यक नजर रखने के लिए बेहतर रूप से तैयार होता है और सरकार को जनता के लिए और अधिक जवाबदेह बनाता है।
- यह अधिनियम नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जागरूक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- समाज की महिलाओं एवं कमजोर वर्गों को सशक्त करना इस अधिनियम के प्रत्यक्ष उद्देश्यों में शामिल नहीं है
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50. केंद्रीय सूचना आयुक्त का कार्यकाल होता है-
(a) 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक
(b) 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक
(c) 5 वर्ष या 62 वर्ष की आयु तक
(d) 3वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) 3वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक
- सूचना का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 के द्वारा 2005 के अधिनियम में किए गए संशोधन एवं तत्संबंधी नियमों की अधिसूचना के तहत अब मुख्य सूचना आयुक्त और अन्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा 3 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) निर्धारित कर दिया गया है।
- जबकि इससे पूर्व सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुसार, केंद्रीय सूचना आयुक्त का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता था।
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51. मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) नामक सामाजिक आंदोलन, भारत में निम्न में से किससे संबंधित है?
(a) आर.टी.ई. अधिनियम
(b) आर.टी.आई. अधिनियम
(c) मनरेगा (MGNREGA)
(d) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM)
[U.P. P.C.S. (Pre) 2019]
उत्तर-(b) आर.टी.आई. अधिनियम
- मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) की स्थापना वर्ष 1987 में अरुणा रॉय, निखिल डे, शंकर सिंह आदि सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से की गई थी।
- इस संगठन को विशेष रूप से सूचना के अधिकार हेतु संघर्ष एवं जनांदोलन के लिए जाना जाता है।
- वस्तुतः भारत में सूचना के अधिकार हेतु जनांदोलनों की शुरुआत वर्ष 1990 से मानी जाती है, जब एमकेएसएस ने राजस्थान सरकार से अकाल राहत कार्यों और दी जाने वाली मजदूरी के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर सफल संघर्ष किया था।
- सूचना के अधिकार अधिनियम को लाने में भी इस संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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52. निम्नलिखित में से कौन-सा सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 से संबंधित है?
(a) लिली थॉमस बनाम भारत संघ
(b) नंदिनी सुंदर बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
(c) नमित शर्मा बनाम भारत संघ
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Pre) (Re-Exam) 2015]
उत्तर-(c) नमित शर्मा बनाम भारत संघ
- प्रश्नगत वादों में से नमित शर्मा बनाम भारत संघ वाद सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 से संबंधित है।
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53. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन (A) : सूचना का अधिकार अधिनियम साधारणतः नौकरशाही में उत्तरदायित्व का मनोभाव बढ़ाने के लिए जिम्मेदार रहा है।
कारण (R) इसे वांछित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए अभी मीलों तक यात्रा करनी है।
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए:
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या करता है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.U.D.A./L.D.A. (Mains) 2010]
उत्तर-(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
- सूचना का अधिकार अधिनियम से सामान्यतः नौकरशाही में उत्तरदायित्व के मनोभाव में वृद्धि हुई है, तथापि अभी भी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना शेष है।
- इस प्रकार कथन एवं कारण दोनों सही हैं परंतु कारण, कथन की सही व्याख्या नहीं है।
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54. सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य है-
(a) सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करने की पहुंच
(b) सूचना रखने वाला व्यक्ति जनसाधारण को सूचना उपलब्ध कराए
(c) सरकार सार्वजनिक स्थान पर सूचना उपलब्ध कराए
(d) पुलिस को अपराधियों से सूचना प्राप्त करने का अधिकार
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (a) सार्वजनिक अधिकारियों से सूचना प्राप्त करने की पहुंच
- सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 2 के अनुसार, सूचना के अधिकार का अभिप्राय किसी लोक पदाधिकारी द्वारा नियंत्रित सूचनाओं तक पहुंच से है।
- सूचना के अधिकार के तहत अभिलेखों, दस्तावेजों एवं कार्यों का निरीक्षण किया जा सकता है एवं सामग्री का नमूना लिया जा सकता है।
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55. किस उच्च न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आर. टी.आई. आवेदक को सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना मांगने का कारण अवश्य बताना चाहिए?
(a) कोलकाता उच्च न्यायालय
(b) बंबई उच्च न्यायालय
(c) इलाहाबाद उच्च न्यायालय
(d) मद्रास उच्च न्यायालय
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर-(d) मद्रास उच्च न्यायालय
- मद्रास उच्च न्यायालय की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सितंबर, 2014 में अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि आर.टी.आई. आवेदक को सूचना के अधिकार के अंतर्गत सूचना मांगने का कारण अवश्य बताना चाहिए।
- हालांकि इस पीठ ने शीघ्र ही स्वतः संज्ञान लेते हुए अपने निर्णय के इस भाग को हटा दिया था।
- उक्त खंडपीठ में न्यायमूर्ति एन. पॉल बसंत कुमार और न्यायमूर्ति के. रविचंद्रबाबू दो न्यायाधीश थे।
- उल्लेखनीय है कि आर.टी.आई. एक्ट, 2005 में इस तरह की किसी बाध्यता का उल्लेख नहीं है।
- इस अधिनियम की धारा 6(2) के अनुसार, सूचना का अनुरोध करने वाले आवेदक से सूचना का अनुरोध करने के लिए किसी कारण को या किसी अन्य व्यक्तिगत ब्यौरे को, सिवाय उसके जो उससे संपर्क करने के लिए आवश्यक हों, देने की अपेक्षा नहीं की जाएगी।
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56. निम्नलिखित में से नागरिक अधिकार पत्र के मूल तत्व में कौन सम्मिलित नहीं
(a) विभाग अथवा अभिकरण द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का विवरण
(b) सेवाओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न विधियों को प्रचारित करना
(c) किसी लोक अभिलेख की अपेक्षा
(d) अभिकरण के कार्य के निरीक्षण का प्रावधान
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) अभिकरण के कार्य के निरीक्षण का प्रावधान
- विभाग अथवा अभिकरण द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं का विवरण, सेवाओं का लाभ उठाने के लिए विभिन्न विधियों को प्रचारित करना तथा किसी लोक अभिलेख की अपेक्षा करना नागरिक अधिकार पत्र (Citizen Charter) के मूल तत्वों में शामिल हैं, किंतु अभिकरण के कार्य के निरीक्षण का प्रावधान इसमें शामिल नहीं है।
- भारत में सार्वजनिक सेवाओं के संदर्भ में नागरिक अधिकार पत्र की संकल्पना को सर्वप्रथम मई, 1997 में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में संपन्न राज्यों/संघीय क्षेत्रों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपनाया गया था।
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57. राष्ट्रीय स्तर पर, अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए कौन-सा मंत्रालय केंद्रक अभिकरण (नोडल एजेंसी) है?
(a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
(b) पंचायती राज मंत्रालय
(c) ग्रामीण विकास मंत्रालय
(d) जनजातीय कार्य मंत्रालय
[I.A.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(d) जनजातीय कार्य मंत्रालय
- केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय (Union Ministry of Tribal Affairs) राष्ट्रीय स्तर पर, अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय अभिकरण (Nodal agency) है।
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58. अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के अधीन, व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने के लिए कौन प्राधिकारी होगा?
(a) राज्य वन विभाग
(b) जिला कलेक्टर/उपायुक्त
(e) तहसीलदार/खंड विकास अधिकारी / मण्डल राजस्व अधिकारी
(d) ग्राम सभा
[LA.S. (Pre) 2013]
उत्तर-(d) ग्राम सभा
- अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी अधिनियम, 2006 की धारा, 6(1) के अनुसार, ग्राम सभा व्यक्तिगत या सामुदायिक वन अधिकारों अथवा दोनों की प्रकृति एवं विस्तार के निर्धारण की प्रक्रिया को प्रारंभ करने हेतु प्राधिकारी है।
- इसके बाद तहसील और जिला स्तर पर इनकी जांच की जाती है।
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59. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-सा/से प्रावधान के आनुरूप्य अधिनियमित हुआ था / हुए थे?
1. स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार के आनुरूप्य, जो अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार का अंग माना जाता है।
2. अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु अनुसूचित क्षेत्रों में प्रशासन का स्तर बढ़ाने के लिए प्रावधानित अनुदान के आनुरूप्य।
3. अनुच्छेद 243 (A) के अंतर्गत उल्लिखित ग्राम सभा की शक्तियों और कार्यों के आनुरूप्य।
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर-(a) केवल 1
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010 भारतीय संविधान के अंतर्गत दिए गए नागरिकों को स्वच्छ पर्यावरण में रहने के अधिकार, जो जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का भाग है, के अनुरूप है।
- इस अधिनियम के द्वारा देश में एक राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (National Green Tribunal) का गठन अक्टूबर, 2010 में किया गया है।
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60. राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के किसी भी निर्णय से व्यथित कोई व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में अपील कितने दिन के भीतर दायर कर सकता है?
(a) तीस दिन
(b) पैंतालीस दिन
(c) साठ दिन
(d) नब्बे दिन
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(d) नब्बे दिन
- राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के किसी भी निर्णय से व्यथित कोई व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में नब्बे (90) दिन के भीतर अपील दायर कर सकता है।
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61. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(a) इसको ब्रिटिश शासकों ने बनाया था
(b) इसका उद्देश्य भारत में भूमि सुधार प्रक्रिया को बढ़ावा देना था
(c) यह भारत की संसद के एक अन्य अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित किया जा चुका है
(d) इसका क्रियान्वयन विवादित हो गया था
[M.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर-(b) इसका उद्देश्य भारत में भूमि सुधार प्रक्रिया को बढ़ावा देना था
- भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 का उद्देश्य भारत में भूमि सुधार प्रक्रिया को बढ़ावा देना नहीं था।
- बल्कि इसका उद्देश्य सार्वजनिक संस्थानों, संगठनों और कंपनियों तथा तत्संबंधी उद्देश्यों हेतु भूमि अधिग्रहण के लिए कानून बनाना था।
- यह अधिनियम 1 मार्च, 1894 को अस्तित्व में आया था।
- इस अधिनियम को भारत की संसद द्वारा बनाए गए 2013 के अधिनियम (भूमि-अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013) से प्रतिस्थापित किया गया है।
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62. निम्न में से कौन-से श्रम संबंधी अधिनियमों को ‘मजदूरी संहिता, 2019’ में सम्मिलित किया गया है?
1. न्यूनतम मजदूरी अधिनियम
II. बोनस भुगतान अधिनियम
III. संविदा श्रम अधिनियम
IV. समान पारिश्रमिक अधिनियम
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर का चयन कीजिए।
कूट :
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I, II और IV
(d) I, II, III और IV
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर-(c) केवल I, II और IV
- मजदूरी संहिता (The Code on Wages), 2019 में चार श्रम अधिनियमों यथा न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (The Minimum Wages Act), 1948; मजदूरी संदाय अधिनियम (The Payment of Wages Act), 1936; बोनस संदाय अधिनियम (The Payment of Bonus Act), 1965 और समान पारिश्रमिक अधिनियम (The Equal Remuneration Act), 1976 को शामिल किया गया है।
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63. निम्नलिखित में से कौन सही सुमेलित नहीं
(a) कंपनी अधिनियम – 2013
(b) भारतीय संविदा अधिनियम – 1870
(c) साझेदारी अधिनियम – 1932
(d) वस्तु विक्रय अधिनियम – 1930
[U.P. R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर-(b) भारतीय संविदा अधिनियम – 1870
- सही सुमेल इस प्रकार हैः
कंपनी अधिनियम – 2013
भारतीय संविदा अधिनियम – 1872
साझेदारी अधिनियम – 1932
वस्तु विक्रय अधिनियम – 1930
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64. निम्नलिखित में से कौन-सा सही सुमेलित नहीं है?
अधिनियम वर्ष
(a) राजद्रोही सभाओं को रोकने का अधिनियम – 1908
(b) विस्फोटक पदार्थ अधिनियम – 1908
(c) भारतीय फौजदारी कानून संशोधन अधिनियम – 1908
(d) समाचार-पत्र (अपराधों के लिए प्रोत्साहन) अधिनियम – 1908
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) (Re-Exam) 2016]
उत्तर-(a) राजद्रोही सभाओं को रोकने का अधिनियम – 1908
- राजद्रोही सभाओं को रोकने का अधिनियम वर्ष 1907 में लाया गया था, जबकि अन्य विकल्पों में दिए गए अधिनियम और उनके वर्ष सही सुमेलित हैं।
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65. आपदा प्रबंधन एक्ट बनाया गया था-
(a) 2006
(b) 2003
(c) 2005
(d) 2009
[M.P.PC.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (c) 2005
- आपदा प्रबंधन एक्ट (Disaster Management Act) को वर्ष 2005 में भारत सरकार द्वारा देश में प्राकृतिक या मानव-जनित आपदाओं के कुशल प्रबंधन और इससे जुड़े अन्य मामलों के लिए अधिनियमित किया गया था।
- इस अधिनियम हेतु विधेयक राज्य सभा द्वारा 28 नवंबर, 2005 को तथा लोक सभा द्वारा 12 दिसंबर, 2005 को पारित किया गया था तथा 23 दिसंबर, 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के पश्चात यह अधिनियमित हुआ था।
- इसके तहत राष्ट्रीय, राज्य तथा जिला स्तरों पर आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों की व्यवस्थित संरचना का प्रावधान किया गया है।
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66. भारत में आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन डिवीजन गृह मंत्रालय में एक नोडल डिवीजन है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का पदेन अध्यक्ष कौन है?
(a) प्रधानमंत्री
(b) गृह मंत्री
(c) रक्षा मंत्री
(d) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री
[U.P. P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) प्रधानमंत्री
- ‘आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ भारत में आपदा प्रबंधन के लिए शीर्ष निकाय है।
- उक्त अधिनियम के अनुसार, राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण में 1 अध्यक्ष और 9 से अनधिक सदस्य होते हैं।
- भारत का प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्राधिकरण का पदेन अध्यक्ष होता है, जबकि अन्य सदस्य राष्ट्रीय प्राधिकरण के अध्यक्ष द्वारा नाम निर्देशित किए जाते हैं।
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67. ‘लॉकडाउन’ के दौरान भारत सरकार के द्वारा प्रयुक्त असाधारण शक्तियों को विधिक आधार निम्नलिखित में से किन कानूनों से प्राप्त हुआ?
1. मेंटल हेल्थ केयर एक्ट, 2017
2. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005
3. शत्रु-संपत्ति या एनिमी प्रापर्टी एक्ट, 1968
4. एपिडमिक डिजीजेज एक्ट, 1897
नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) 1, 2 और 3
(b) 2, 3 और 4
(c) 2 और 4
(d) 1, 3 और 4
[U.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(c) 2 और 4
- कोविड-19 महामारी की रोकथाम हेतु लगाए गए ‘लॉकडाउन’ के दौरान भारत सरकार के द्वारा प्रयुक्त असाधारण शक्तियों को विधिक आधार ‘डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005’ तथा ‘एपिडमिक डिजीजेज एक्ट, 1897’ से प्राप्त हुआ।
- कोविड-19 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा महामारी घोषित किए जाने के बाद देश में इसके बढ़ते संक्रमण को रोकने हेतु केंद्र सरकार ने 11 मार्च, 2020 को ‘महामारी अधिनियम, 1897 (Epidemic Diseases Act, 1897) को लागू करने का निर्णय लिया।
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68. भारत सरकार ने वन संरक्षण अधिनियम किस वर्ष में अधिनियमित किया?
(a) 1976 में
(b) 1980 में
(c) 1983 में
(d) 1988 में
[U.P.P.C.S. (Pre) 2017]
उत्तर-(b) 1980 में
- वनों के संरक्षण तथा उससे संबंधित अथवा उससे आनुषंगिक या प्रासंगिक विषयों का उपबंध करने वाले इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 है। यह 25 अक्टूबर, 1980 से प्रभावी है।
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69. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. ‘आधार’ मेटाडेटा को तीन महीने से अधिक संग्रहित नहीं जा सकता है।
2. राज्य निजी निगमों (Corporations) से ‘आधार’ डेटा को साझा करने के लिए कोई अनुबंध नहीं
3. ‘आधार’ बीमा उत्पादों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है।
4. ‘आधार’ भारत की संचित निधि से हितलाभ प्राप्त करने के लिए अनिवार्य है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1 और 4
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3
(d) केवल 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर-(b) केवल 2 और 4
- उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2018 के अपने महत्वपूर्ण निर्णय (जस्टिस के. एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ वाद) में उल्लेखित किया है कि ‘आधार’ मेटाडेटा को छह महीने से अधिक संग्रहित नहीं रखा जा सकता है।
- अतः यह निर्णय आधार (प्रमाणीकरण) विनियम, 2016 [Aadhaar (Authentication) Regulation, 2016] में वर्णित पांच वर्षों तक इसे सुरक्षित संग्रहित रखने के प्रावधान को गलत ठहराता है।
- इस प्रकार कथन गलत है।
- कथन 2 सही है, क्योंकि उच्चतम न्यायालय के निर्णयानुसार राज्य निजी निगमों से ‘आधार’ डेटा को साझा करने के लिए कोई अनुबंध नहीं कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त ‘आधार’ बीमा उत्पादों को प्राप्त करने के लिए अनिवार्य नहीं है, बल्कि केवाईसी मानकों के संदर्भ में इसका स्वैच्छिक रूप से उपयोग किया जा सकता है।
- इस प्रकार कथन 3 भी सही नहीं है।
- साथ ही उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी अभिकथित किया है कि भारत की संचित निधि से वित्तीयन प्राप्त करने वाली कल्याणकारी योजनाओं के द्वारा लक्ष्यित लाभार्थियों तक हितलाभ पहुंचाने के लिए आधार का उपयोग (आधार अधिनियम की धारा 7 के तहत) विधि-सम्मत है।
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70. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
1. शिक्षा का अधिकार (आर.टी.ई.) अधिनियम के अनुसार, किसी राज्य में शिक्षक के रूप में नियुक्त होने हेतु अर्ह होने के लिए किसी व्यक्ति में संबंधित राज्य अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता का होना आवश्यक है।
2. आर.टी.ई. अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण हेतु किसी अभ्यर्थी के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिए गए अध्यापक अर्हता परीक्षण में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
3. भारत में 90 प्रतिशत से अधिक अध्यापक शिक्षा संस्थान प्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकारों के अधीन हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर-(b) केवल 2
- निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 23 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार द्वारा 5 अप्रैल, 2010 को जारी अधिसूचना के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) को शिक्षक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए पात्र व्यक्तियों के लिए न्यूनतम अर्हताओं का निर्धारण करने वाले शैक्षिक प्राधिकरण के रूप में प्राधिकृत किया गया है। इस अधिनियम के अनुसार, प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण हेतु किसी अभ्यर्थी के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिए गए अध्यापक अर्हता परीक्षण में उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
- यदि सरकारों अथवा स्थानीय प्राधिकारियों अथवा विद्यालयों द्वारा विज्ञापन जारी कर अध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है, ऐसी स्थिति में नियुक्तियां राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यताओं का निर्धारण) विनियम, 2001 (समय-समय पर यथासंशोधित) के अनुसार की जा सकती हैं।
- इसके अतिरिक्त, वर्तमान में भारत में लगभग 90 प्रतिशत अध्यापक शिक्षा संस्थान निजी क्षेत्र के तहत हैं।
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71. राज्य खाद्य आयोग की स्थापना किस अधिनियम के अंतर्गत होती है?
(a) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
(b) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2019
(c) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2020
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (a) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
- राज्य खाद्य आयोग की स्थापना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की धारा 16 के तहत होती है।
- इस अधिनियम की धारा 16 के अनुसार, प्रत्येक राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के कार्यान्वयन के पर्यवेक्षण और उसका पुनर्विलोकन करने के प्रयोजन के लिए एक राज्य खाद्य आयोग का गठन करेगी।
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72. भारत में जिला स्तर पर उपभोक्ता विवाद निवारण के संदर्भ में, निम्नलिखित कौन-सा एक कथन सही नहीं है?
(a) राज्य सरकार यदि उपयुक्त समझे तो वह जिले में एक से अधिक जिला फोरम स्थापित कर सकती है।
(b) जिला फोरम की कोई एक सदस्य महिला होनी चाहिए।
(c) जिला फोरम उन्हीं शिकायतों की सुनवाई करता है, जिनमें माल या सेवाओं का कुल मूल्य पचास लाख रुपये से अधिक नहीं होता।
(d) उपभोक्ताओं के हितों का सामान्य प्रतिनिधित्व करते हुए राज्य सरकार जिला फोरम के सम्मुख बेचे हुए माल या दी गई सेवाओं के संबंध में शिकायत दर्ज कर सकती है।
[I.A.S. (Pre) 2010]
उत्तर-(c) जिला फोरम उन्हीं शिकायतों की सुनवाई करता है, जिनमें माल या सेवाओं का कुल मूल्य पचास लाख रुपये से अधिक नहीं होता।
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के अनुसार, जिला फोरम उन्हीं शिकायतों की सुनवाई करता है, जिनमें माल या सेवाओं का कुल मूल्य 20 लाख रुपये से अधिक न हो।
- बीस लाख से अधिक और एक करोड़ रुपये तक के मूल्य के माल या सेवाओं संबंधी शिकायतों की सुनवाई राज्य आयोग द्वारा की जाती है, जबकि एक करोड़ से ऊपर तक के माल या सेवाओं के कुल मूल्य की सुनवाई राष्ट्रीय आयोग करता है। अन्य तीनों प्रश्नगत कथन सही हैं।
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