1. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है-
(a) मेसान की खोज – हिडेकी युकावा
(b) पॉजीट्रॉन की खोज – सी.डी. एंडरसन एवं यू.एफ. हेस
(c) सूर्य तथा तारों में ऊर्जा उत्पादन का सिद्धांत – एच.ए. बेथे
(d) परायूरेनियम तत्वों का संश्लेषण – एनरिको फर्मी
[U.P. P.C.S. (Pre) 2003, U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2002]
उत्तर- (d) परायूरेनियम तत्वों का संश्लेषण – एनरिको फर्मी
- वर्ष 1938 में अमेरिकी वैज्ञानिक एच.ए. बेथे ने बताया कि सूर्य तथा ब्रह्मांड के अन्य तारों की ऊर्जा का स्रोत वहीं होने वाला ‘नाभिकीय संलयन’ है।
- मेसान मूल कणों की खोज वर्ष 1935 में वैज्ञानिक हिडेकी युकावा ने की थी।
- पाजीट्रॉन नामक धनावेशित मूल कण की खोज वर्ष 1932 में सी.डी. एंडरसन तथा यू.एफ. हेस ने की थी।
- परायूरेनियम तत्वों के संश्लेषण में एनरिको फर्मी का नहीं बल्कि जी. टी. सीबोर्ग का महत्वपूर्ण योगदान है।
|
2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए –
कभी-कभी समाचारों में आने वाले शब्द संदर्भ/विषय
1. बेल II प्रयोग – कृत्रिम बुद्धि
2. ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी – डिजिटल/क्रिप्टो मुद्रा
3. CRISPR-Cas9 – कण भौतिकी
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा / से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (b) केवल 2
- बेल II प्रयोग कण भौतिकी का एक प्रयोग है, जिसे B मेसान के गुणों के अध्ययन हेतु डिजाइन किया गया है।
- यह प्रयोग वर्तमान में जापान में संचालित किया जा रहा है।
- अतः युग्म 1 सुमेलित नहीं है।
- ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी क्रिप्टो करेंसी से संबंधित है।
- अतः युग्म (2) सुमेलित है।
- CRISPR-Cas9 जीनोम एडिटिंग तकनीक है, जो ऐसी पूर्व तकनीकों की तुलना में तीव्र, सस्ती तथा सटीक है।
- स्पष्ट है कि युग्म (3) सुमेलित नहीं है।
|
3. निम्नलिखित में से कौन सही नहीं है?
(a) विकास का सिद्धांत चार्ल्स डार्विन द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
(b) किसी परमाणु के नाभिक का टूटना संलयन कहलाता है।
(c) ‘ड्राई आइस’ ठोस कार्बन डाइऑक्साइड के अतिरिक्त कुछ नहीं है।
(d) टेलीफोन की खोज ग्राहम बेल ने की थी।
[U.P. P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) किसी परमाणु के नाभिक का टूटना संलयन कहलाता है।
- कथन (b) सही नहीं है, क्योंकि नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) में दो हल्के नाभिक आपस में मिलकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं।
- ‘हाइड्रोजन बम’ नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पर आधारित है। अन्य प्रश्नगत विकल्प सही है।
|
4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
कथन (क): अर्नेस्ट रदरफोर्ड ने रॉयल सोसायटी के समक्ष कहा था कि मनुष्य को नाभिकीय शक्ति कभी नहीं उपलब्ध होगी।
कारण (का): उसे यह विश्वास था कि आइंस्टाइन का नियम फेल हो जाएगा और मात्रा ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होगी।
नीचे दी गई कोड योजना में से अपने उत्तर का चयन कीजिए-
(a) दोनों (क) एवं (का) सत्य हैं और (का) सही स्पष्टीकरण है।
(b) दोनों (क) एवं (का) सत्य हैं, किंतु (का) सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (क) सत्य है, परंतु (का) असत्य है।
(d) (क) असत्य है, परंतु (का) सत्य है।
[U.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) दोनों (क) एवं (का) सत्य हैं और (का) सही स्पष्टीकरण है।
- प्रश्नगत कथन एवं कारण दोनों सही हैं तथा कारण कथन का सही स्पष्टीकरण है।
|
5. निम्न कणों में से कौन एक, जिसका आविष्कार करने का दावा किया जा रहा है, अल्बर्ट आइंस्टाइन के सापेक्षवाद सिद्धांत को गलत साबित करने के जोखिम में डाल सकता है?
(a) माइक्रोवेव फोटॉन
(b) न्यूट्रिनो
(c) तरल क्रिस्टल
(d) प्रकाश उत्सर्जित करने वाले डायोड
[U.P.P.C.S.(Pre) 2009]
उत्तर- (a) माइक्रोवेव फोटॉन
- कोबेन्ज विश्वविद्यालय के भौतिकविदों गुन्दूर तथा अल्फांस स्टाहलोफन ने आइंस्टाइन के सापेक्षवाद सिद्धांत को गलत साबित करने का दावा किया है।
- उन्होंने माइक्रोवेव फोटॉनों को प्रकाश के वेग से अधिक वेग से संचारित करने का दावा किया है।
|
6. साइक्लोट्रॉन किसको त्वरित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है?
(a) न्यूट्रॉन
(b) प्रोटॉन
(c) परमाणु
(d) आयन
[U.P. P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (b) प्रोटॉन
- साइक्लोट्रॉन एक ऐसा त्वरक-उपकरण है, जिसके द्वारा प्रोटॉन, a-कण तथा ड्यूट्रॉन आदि में उच्च वेग उत्पन्न किया जाता है।
|
7. पेयजल में गामा उत्सर्जक समस्थानिक है या नहीं, इसकी पुष्टि निम्नलिखित में से किससे की जा सकती है?
(a) सूक्ष्मदर्शी
(b) सीसा पट्टिका
(c) प्रस्फुरण गणक
(d) स्पेक्ट्रमी प्रकाशमापी
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर- (c) प्रस्फुरण गणक
- पेयजल में गामा उत्सर्जक समस्थानिक की उपस्थिति का पता ‘प्रस्फुरण गणक’ (Scintillation Counter) से लगाया जाता है।
|
8. निम्न विकिरण प्रकारों में से किसमें सर्वाधिक ऊर्जा होती है?
(a) दृश्य किरणों में
(b) एक्स-रे
(c) अल्ट्रावॉयलेट
(d) इन्फ्रारेड
[U.P.P.C.S.(Mains) 2005]
उत्तर- (b) एक्स-रे
- निम्न विकिरण प्रकारों में ऊर्जा का क्रम इस प्रकार है- एक्स-रे > अल्ट्रावॉयलेट > दृश्य प्रकाश इन्फ्रारेड ।
- विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम में पाए जाने वाले विभिन्न विकिरणों में न्यूनतम ऊर्जा रेडियो तरंगों में, जबकि सर्वाधिक ऊर्जा गामा किरणों में होती है।
|
9. निम्नलिखित विद्युत चुंबकीय विकिरणों में से किसकी ऊर्जा अधिकतम होती है?
(a) दृश्य प्रकाश
(b) अवरक्त किरणें
(c) पराबैंगनी किरणें
(d) X- किरणें
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (d) X- किरणें
- ऊर्जा के संदर्भ में विभिन्न विद्युत चुंबकीय विकिरणों का क्रम निम्नवत है- रेडियो तरंग < माइक्रोवेव अवरक्त विकिरण दृश्य प्रकाश पराबैंगनी विकिरण एक्स किरणें गामा किरण।
- स्पष्ट है कि दिए गए विकल्पों में X- किरणों की ऊर्जा अधिकतम होगी।
|
10. सूर्य पर ऊर्जा का निर्माण होता है-
(a) नाभिकीय विखण्डन द्वारा
(b) नाभिकीय संलयन द्वारा
(c) ऑक्सीकरण अभिक्रियाओं द्वारा
(d) अवकरण अभिक्रियाओं द्वारा
[42nd B.P.S.C. (Pre) 1997, R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (b) नाभिकीय संलयन द्वारा
- सूर्य तथा ब्रह्मांड के अन्य तारों की ऊर्जा का स्रोत वहां पर होने वाला नाभिकीय संलयन है।
- सूर्य का अधिकांश भाग हाइड्रोजन एवं हीलियम का बना है तथा इसके भीतर के भाग का ताप करीब 10 डिग्री केल्विन होता है।
- इतने अधिक ताप पर हाइड्रोजन नाभिकों का संलयन होता रहता है, तथा अपार ऊर्जा मुक्त होती है।
- इनके अतिरिक्त तारों में गुरुत्वीय संकुचन भी उनकी ऊर्जा का एक स्रोत होता है।
|
11. सितारों में अक्षय ऊर्जा के स्रोत का कारण है-
(a) हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन।
(b) हीलियम का हाइड्रोजन में परिवर्तन।
(c) रेडियोधर्मी पदार्थों का क्षय।
(d) ऑक्सीजन की अधिकता जो जलने में सहायक है तथा ऊर्जा उत्पन्न करती है।
[U.P.P.C.S.(Pre) 2009]
उत्तर- (a) हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन।
- नाभिकीय संलयन प्रक्रिया में परमाणु के नाभिक आपस में संलयित होते हैं, यह अत्यधिक गर्म परिस्थितियों में ही होता है।
- अन्य तारों की तरह सूर्य भी नाभिकीय संलयन प्रक्रिया द्वारा ऊष्मा एवं प्रकाश उत्पन्न करता है।
- इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन का नाभिक संलयित होकर हीलियम का निर्माण करता है।
|
12. कौन-सा कथन नाभिकीय विखण्डन से संबंधित नहीं है?
(a) न्यूट्रॉन-प्रेरित नाभिकीय अभिक्रिया
(b) तारों में ऊर्जा उत्पन्न करना
(c) नाभिकीय रिएक्टर में ऊर्जा का स्रोत जो बिजली उत्पन्न करता है
(d) एक परमाणु बम में बहुत अधिक ऊर्जा का उत्पन्न होना
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) Exam. 2016]
उत्तर- (b) तारों में ऊर्जा उत्पन्न करना
- नाभिकीय विखण्डन में एक ‘भारी’ नाभिक न्यूट्रॉनों की बमबारी से दो अपेक्षाकृत हल्के रेडियोएक्टिव नाभिकों में टूटता है, जिनका सम्मिलित द्रव्यमान मूल नाभिक के द्रव्यमान से कम होता है, द्रव्यमान की यह क्षति ऊर्जा के रूप में मुक्त होती है।
- इसके विपरीत, नाभिकीय संलयन में दो अथवा अधिक ‘हल्के’ नाभिक एक अकेले नाभिक में संलयित (Fuse) हो जाते हैं, जिसका द्रव्यमान संलयित होने वाले नाभिकों के द्रव्यमानों के योग से कम होता है, द्रव्यमान की यह क्षति ऊर्जा के रूप में मुक्त होती है।
- सूर्य व अन्य तारों तथा हाइड्रोजन बम द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया नाभिकीय संलयन पर आधारित है, जबकि उपर्युक्त अन्य तीनों विकल्प (a, c तथा d) नाभिकीय विखण्डन से संबंधित हैं।
|
13. एक कृत्रिम उपग्रह में विद्युत ऊर्जा का स्रोत क्या होता है?
(a) सौर सेलें
(b) लघु नाभिकीय रिएक्टर
(c) डायनेमो
(d) थर्मोपाइल
[U.P.P.C.S. (Pre) 2006, U.P.P.C.S. (Pre) 2000, M.P.P.C.S. (Pre) 2000, U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (a) सौर सेलें
- कृत्रिम उपग्रह मानव द्वारा निर्मित ऐसे आकाशीय पिण्ड होते हैं, जो बहु- उद्देश्यों के लिए पृथ्वी की सतह से ऊपर विभिन्न ऊँचाइयों पर स्थापित किए जाते हैं।
- इन उपग्रहों में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लगाए जाते हैं, जिनके संचालन के लिए सौर सेलों का प्रयोग किया जाता है।
- ये सौर सेलें सिलिकॉन की बनी होती हैं, जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती हैं।
|
14. सौर शक्ति उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ‘प्रकाशवोल्टीय प्रक्रिया’ एक प्रौद्योगिकी है, जो कि प्रकाश के विद्युत में प्रत्यक्ष रूपांतरण द्वारा विद्युत जनन करती है, जबकि ‘सौर तापीय प्रक्रिया’ एक प्रौद्योगिकी है, जो सूर्य की किरणों का उपयोग ताप जनित करने के लिए करती है, जिसका आगे विद्युत जनन प्रक्रिया में उपयोग किया जाता है।
- प्रकाशवोल्टीय प्रक्रिया प्रत्यावर्ती धारा (AC) का जनन करती है, जबकि सौर तापीय प्रक्रिया दिष्ट धारा (DC) का जनन करती है।
- भारत के पास सौर तापीय प्रौद्योगिकी के लिए विनिर्माण आधार है, किंतु प्रकाशवोल्टीय प्रौद्योगिकी के लिए नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 2 और 3
(d) कोई नहीं
[I.A.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (a) केवल 1
- फोटोवोल्टिक प्रौद्योगिकी में प्रकाशवोल्टीय प्रभाव का प्रदर्शन करने वाले अर्द्धचालकों द्वारा सौर विकिरण को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
- हालांकि प्रकाश-वोल्टीय प्रक्रिया ‘दिष्ट धारा विद्युत’ (Direct Current Electricity) का जनन करती है।
सौर तापीय प्रणालियां प्रकाशवोल्टीय प्रणालियों से भिन्न हैं, क्योंकि ये सौर ऊर्जा के द्वारा तापीय ऊर्जा का जनन करती है, जिसका आगे विद्युत जनन प्रक्रिया में प्रयोग किया जा सकता है।
- मार्च, 2013 में भारत के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि भारत की कुल सौर फोटोवोल्टिक मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 2000 मेगावॉट है।
- स्पष्ट है कि भारत के पास प्रकाशवोल्टीय प्रौद्योगिकी के लिए विनिर्माण आधार है।
|
15. सौर जल पंपों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए –
- सौर ऊर्जा का प्रयोग पृष्ठीय पंपों (Surface pumps) को चलाने के लिए हो सकता है और निमज्जनी (Submersible) पंपों के लिए नहीं।
- सौर ऊर्जा का प्रयोग अपकेंद्री पंपों (Centrifugal pumps) को चलाने के लिए हो सकता है और पिस्टन वालों के लिए नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा /से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (d) न तो 1, न ही 2
- सौर जल पंप एक ऐसा विद्युत पंप है, जिसमें विद्युत एक या एकाधिक फोटोवोल्टेइक पैनल द्वारा प्रदान की जाती है।
- सौर जल पंप में सौर ऊर्जा का प्रयोग पृष्ठीय पंप तथा निमज्जनी पंप (Submersible) दोनों के लिए होता है।
- यह पंप सौर ऊर्जा का प्रयोग अपकेंद्री तथा पिस्टन वाले पंप के लिए भी करती है।
|
19. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में, नीचे दिए गए कथनों पर विचार कीजिए –
- भारत प्रकाश-वोल्टीय इकाइयों में प्रयोग में आने वाले सिलिकॉन वेफर्स का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण भारतीय सौर ऊर्जा निगम के द्वारा किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (d) न तो 1, न ही 2
- 2016 ITA सेमीकंडक्टर्स और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इक्विपमेंट टॉप मार्केट रिपोर्ट के अनुसार, भारत सिलिकॉन वेफर्स (Semi Conductor) के उत्पादन रैंकिंग में 11वें स्थान पर है।
- प्रथम तीन स्थानों पर क्रमशः चीन, जापान एवं द. कोरिया हैं।
- भारतीय सौर ऊर्जा निगम (सेकी), नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र का एक निगम है।
- इसका उद्देश्य भारत और विदेश में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास और कार्यान्वयन के संबंध में एक एकीकृत कार्यक्रम के लिए योजना बनाना और निष्पादन करना है।
- भारत में सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (CERC) और राज्य विद्युत विनियामक आयोग (SERC) द्वारा प्रतिस्पर्धी बोली (Competitive bidding) द्वारा किया जाता है।
|
17. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्व सोलर सेल में उपयोग किया जाता है ?
(a) सिलिकॉन
(b) सीरियम
(c) एस्टैंटीन
(d) वैनेडियम
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (a) सिलिकॉन
- सौर सेल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जाता है।
- सिलिकॉन का उपयोग सौर सेल में किया जाता है।
|
18. प्रकाशवोल्टीय सेल होते हैं-
(a) सौर सेल
(b) थर्मल सेल
(c) सल्फर सेल
(d) मोलर सेल
[U.P.P.C.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (a) सौर सेल
- सौर सेल या प्रकाशवोल्टीय सेल (Photovoltaic Cell) एक विद्युतीय उपकरण है, जो प्रकाशवोल्टीय प्रभाव द्वारा प्रकाश ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदल देता है।
|
19. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए : नाभिकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor) में स्व-पोषित श्रृंखला अभिक्रिया (Self-sustained Chain Reaction) संभव है, क्योंकि-
- प्रत्येक विखण्डन अभिक्रिया में अपेक्षाकृत अधिक न्यूट्रॉन निर्मुक्त होते हैं।
- न्यूट्रॉन विखण्डन प्रक्रियाओं में तुरंत हिस्सा लेते हैं।
- द्रुत न्यूट्रॉन ग्रेफाइट द्वारा धीमे किए जाते हैं।
- विखण्डन प्रक्रियाओं में निर्मुक्त हर न्यूट्रॉन आगे और विखण्डन की शुरुआत करता है।
इन कथनों में से कौन-कौन से सही हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1 और 3
(c) 2 और 4
(d) 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (b) 1 और 3
- ‘नाभिकीय रिएक्टर’ एक विशेष प्रकार की आणविक भट्टी है, जिसमें ईंधन के रूप में प्रायः ‘यूरेनियम-235’ और प्लूटोनियम-239 को प्रयोग में लाया जाता है।
- इसमें श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित होती है।
- जब इन विस्फोटक पदार्थों पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है। तो नए न्यूट्रॉन उत्पन्न होते हैं।
- न्यूट्रॉनों की गति धीमी करने के लिए H,0 (हल्का जल), भारी जल, ग्रेफाइट या बेरीलियम ऑक्साइड को मंदक के रूप में प्रयोग करते हैं।
- इस प्रकार नाभिकीय रिएक्टर में स्वपोषित श्रृंखला अभिक्रिया संभव होती है।
- अतः कथन1 और 3 तो सत्य हैं।
- परंतुकथन 2 और 4 सत्य नहीं हैं।
- अतः विकल्प (b) अभीष्ट उत्तर होगा।
|
20. नाभिकीय संलयन रिएक्टरों के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- वे भारी नाभिकों के विखण्डन के सिद्धांत पर कार्य करते हैं।
- साधारणतया उनकी टोकमाक डिजाइन होती है।
- वे बहुत अधिक तापक्रम पर कार्य करते हैं।
इनमें से
(a) केवल । और iii सही हैं।
(b) केवल । और ii सही हैं।
(c) केवल ii और iii सही हैं।
(d) i, ii और iii सभी तीनों सही हैं।
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2016]
उत्तर- (c) केवल ii और iii सही हैं।
- नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion) में दो हल्के नाभिक आपस में मिलकर एक भारी नामिक का निर्माण करते हैं।
- अतः कथन (i) सही नहीं है।
- नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं को ताप-नाभिकीय अभिक्रियाएं (Thermonuclear Reactions) कहते हैं, क्योंकि ये अभिक्रियाएं बहुत ऊंचे ताप पर होती हैं।
- साधारणतया नाभिकीय संलयन रिएक्टरों की टोकमाक (Tokamak) डिजाइन होती है।
|
26 . नाभिकीय रिएक्टर और परमाणु बम में यह अंतर है कि-
(a) नाभिकीय रिएक्टर में कोई श्रृंखला अभिक्रिया नहीं होती, जबकि परमाणु बम में होती है।
(b) नाभिकीय रिएक्टर में श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित होती है।
(c) नाभिकीय रिएक्टर में श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित नहीं होती है।
(d) परमाणु बम में कोई श्रृंखला अभिक्रिया नहीं होती, जबकि नाभिकीय रिएक्टर में होती है।
[I.A.S. (Pre) 1995, U.P. P.C.S. (Pre) 1999]
उत्तर- (b) नाभिकीय रिएक्टर में श्रृंखला अभिक्रिया नियंत्रित होती है।
- नाभिकीय रिएक्टर और नाभिकीय बम समान सिद्धांत पर कार्य करते हैं, लेकिन नाभिकीय रिएक्टर में होने वाला नाभिकीय विखण्डन मंदक द्वारा नियंत्रित होता है, जबकि नाभिकीय बम में यह अभिक्रिया अनियंत्रित होती है।
- ज्ञातव्य है कि नाभिकीय विखण्डन एक श्रृंखला अभिक्रिया है।
|
22. आधुनिक आयुर्वैज्ञानिक विज्ञान में नाभिकीय औषधियां नैदानिक और उपचार के प्रभावी उपकरणों के रूप में उभर रही हैं। ये वास्तव में-
(a) ड्रग्स हैं।
(b) जड़ी-बूटियों सा सत्त हैं।
(c) रेडियो-आइसोटोप्स हैं।
(d) क्लोरोफ्लोरोकार्बन हैं।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 1998]
उत्तर- (c) रेडियो-आइसोटोप्स हैं।
- वर्तमान में विभिन्न तत्वों के रेडियोधर्मी समस्थानिकों (Radioactive Isotopes) का उपयोग नाभिकीय औषधियों के रूप में नैदानिक और चिकित्सकीय उपचार में किया जा रहा है।
|
23. भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध महत्वपूर्ण नाभिकीय ईंधन है-
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) इरीडियम
(d) प्लूटोनियम
[U.P. Lower Sub. (Spl) (Pre) 2003, R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (b) थोरियम
- थोरियम एक ऐसा महत्वपूर्ण नाभिकीय ईंधन है, जो भारत में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
- थोरियम का मुख्य स्रोत मोनाजाइट है।
- थोरियम, केरल, झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा राजस्थान में पाया जाता है।
- भारत में थोरियम के अनुमानतः भंडार 4.5 लाख टन हैं।
|
24. कुछ लोगों का सोचना है कि तेजी से बढ़ रही ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए भारत को थोरियम को नाभिकीय ऊर्जा के भविष्य के ईंधन के रूप में विकसित करने के लिए शोध और विकास करना चाहिए। इस संदर्भ में थोरियम, यूरेनियम की तुलना में कैसे अधिक लाभकारी है?
- प्रकृति में यूरेनियम की तुलना में थोरियम के कहीं अधिक भंडार हैं।
- उत्खनन प्राप्त खनिज से मिलने वाली प्रति इकाई द्रव्यमान ऊर्जा की तुलना की जाए, तो थोरियम, प्राकृतिक यूरेनियम की तुलना में, कहीं अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
- थोरियम, यूरेनियम की तुलना में, कम नुकसानदेह अपशिष्ट उत्पादित करता है।
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
(a) केवल ।
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (d) 1, 2 और 3
- अंतरराष्ट्रीय संगठन ‘वर्ल्ड न्यूक्लियर एसोसिएशन’ के अनुसार, प्रकृति में थोरियम का भंडार परंपरागत परमाणु ईंधन यूरेनियम के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है।
- प्रति इकाई थोरियम यूरेनियम से 250 गुना ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करता है।
- यह माना जाता है कि पृथ्वी पर थोरियम में निहित ऊर्जा भंडार पेट्रोलियम, कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन तथा यूरेनियम को एक साथ मिलाने से भी ज्यादा है।
- इसके अलावा थोरियम रिएक्टर से निकलने वाला कचरा बाकी प्रकार के रिएक्टरों के परमाणु कचरे के मुकाबले कहीं कम रेडियोधर्मी होता है।
|
25. भारत ‘अंतरराष्ट्रीय ताप-नाभिकीय प्रायोगिक रिएक्टर’ International Thermonuclear Experimental Reactor) का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। यदि यह प्रयोग सफल हो जाता है, तो भारत का तात्कालिक लाभ क्या है?
(a) यह विद्युत उत्पादन के लिए यूरेनियम की जगह थोरियम प्रयुक्त कर सकता है।
(b) यह उपग्रह मार्गनिर्देशन (सैटेलाइट नेविगेशन) में एक वैश्विक भूमिका प्राप्त कर सकता है।
(c) यह विद्युत उत्पादन में अपने विखण्डन (फिशन) रिएक्टरों की दक्षता में तेजी से सुधार ला सकता है।
(d) यह विद्युत उत्पादन के लिए संलयन (फ्यूजन) रिएक्टरों का निर्माण कर सकता है।
[I.A.S. (Pre) 2016]
उत्तर- (d) यह विद्युत उत्पादन के लिए संलयन (फ्यूजन) रिएक्टरों का निर्माण कर सकता है।
- ‘अंतरराष्ट्रीय ताप-नाभिकीय प्रायोगिक रिएक्टर’ (ITER) एक अंतरराष्ट्रीय नाभिकीय संलयन अनुसंधान एवं अभियांत्रिकी महा परियोजना है।
- इस परियोजना का लक्ष्य प्लाज्मा भौतिकी के प्रायोगिक अध्ययन से आगे बढ़कर बड़े स्तर पर विद्युत उत्पादन में सक्षम संलयन रिएक्टरों का निर्माण करना है।
|
26. भारत के संदर्भ में ‘अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (आई.ए.ई.ए) के ‘अतिरिक्त नयाचार’ (एडीशनल प्रोटोकॉल) का अनुसमर्थन करने का निहितार्थ क्या है?
(a) असैनिक परमाणु रिएक्टर आई.ए.ई.ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
(b) सैनिक परमाणु अधिष्ठान आई.ए.ई.ए. के निरीक्षण के अधीन आ जाते हैं।
(c) देश के पास नाभिकीय पूर्तिकर्ता समूह (एन.एस.जी.) से यूरेनियम के क्रय का विशेषाधिकार हो जाएगा।
(d) देश स्वतः एन. एस. जी. का सदस्य बन जाता है।
[I.A.S. (Pre) 2018]
उत्तर- (a) असैनिक परमाणु रिएक्टर आई.ए.ई.ए. के रक्षोपायों के अधीन आ जाते हैं।
- अतिरिक्त प्रोटोकॉल (Additional Protocol), जो अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) तथा किसी भी व्यक्तिगत देश के मध्य वार्तालाप का कानूनी दस्तावेज है, उस राज्य के व्यापक सुरक्षा उपायों के निरीक्षण का अधिकार प्रदान करता है।
- आई.ए.ई.ए. के साथ भारत का अतिरिक्त प्रोटोकॉल जुलाई, 2014 से प्रभावी हुआ।
- इस प्रोटोकॉल के तहत आई.ए.ई.ए. (IAEA) द्वारा निगरानी सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा और हथियारों के निर्माण के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले गैर-रक्षा सुविधाओं पर इसका असर नहीं होगा।
- अतिरिक्त प्रोटोकॉल की वजह से सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और बड़े परमाणु तकनीकों के आयात में वृद्धि होगी।
- यह भारत के परमाणु निर्यात के आंकड़ों का संग्रह सुनिश्चित करेगा और इस बात की गारंटी देगा कि सामानों को अनधिकृत उपयोग के लिए नहीं बांटा जा रहा है।
|
27. भारत में, क्यों कुछ परमाणु रिएक्टर “आई.ए.ई.ए. सुरक्षा उपायों” (IAEA Safeguards) के अधीन रखे जाते हैं, जबकि अन्य इस सुरक्षा के अधीन नहीं रखे जाते?
(a) कुछ यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य थोरियम का
(b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का
(c) कुछ विदेशी उद्यमों द्वारा संचालित होते हैं और अन्य घरेलू उद्यमों द्वारा
(d) कुछ सरकारी स्वामित्व वाले होते हैं और अन्य निजी स्वामित्व वाले
[I.A.S. (Pre) 2020]
उत्तर- (b) कुछ आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य घरेलू आपूर्ति का
- परमाणु ईंधन रिजर्व के प्रबंधन का कार्य आई.ए.ई.ए. का है, स्पष्ट है कि इस रिजर्व बैंक की कार्यप्रणाली एवं व्यवस्था के संबंध में दिशा-निर्देश तय करने का अधिकार IAEA का है।
- IAEA द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि खरीददार देशों द्वारा यूरेनियम का उपयोग केवल ईंधन का उत्पादन करने के लिए किया जाए न कि हथियारों के लिए।
- इसीलिए भारत के कुछ परमाणु रिएक्टरों में आयातित यूरेनियम का प्रयोग करते हैं और अन्य मे घरेलू आपूर्ति का ईंधन प्रयोग होता है।
- वर्तमान में भारत में 22 नाभिकीय रिएक्टर संचालित हैं, जिनमें से 14 रिएक्टर IAEA सुरक्षा उपायों (Safe-guards) के अधीन हैं क्योंकि इनमें ईंधन के रूप में आयतित यूरेनियम का प्रयोग किया जाता है।
|
28. निम्नलिखित में कौन-सा तत्व परमाणु ईंधन की श्रेणी में नहीं आता है?
(a) कैडमियम
(b) थोरियम
(c) प्लूटोनियम
(d) यूरेनियम
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1993]
उत्तर- (a) कैडमियम
- सभी रेडियोएक्टिव पदार्थों का परमाणु ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- कैडमियम रेडियोएक्टिव पदार्थ नहीं है, अतः यह परमाणु ईंधन श्रेणी में नहीं आता है।
- कैडमियम की छड़ परमाणु रिएक्टरों में न्यूट्रॉन मंदक के रूप में प्रयुक्त होती है।
|
29. अणु शक्ति से नहीं संबंधित खनिज को पहचानिए-
(a) मोनेजाइट
(b) थोरियम
(c) बेरीलियम
(d) क्रोमियम
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2003]
उत्तर- (d) क्रोमियम
- सभी रेडियोएक्टिव पदार्थों का परमाणु ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- दिए गए विकल्पों में क्रोमियम अणु शक्ति से संबंधित खनिज नहीं है।
|
30. निम्नलिखित में से कौन ईंधन नहीं है?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) रेडियम
(d) हीलियम
[M.P. P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर- (d) हीलियम
- सभी रेडियोएक्टिव पदार्थों को परमाणु ईंधन के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- हीलियम एक अक्रिय गैस है।
|
31. निम्नलिखित में से किसका नाभिकीय ईंधन के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता है ?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) कैल्शियम
(d) प्लूटोनियम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (c) कैल्शियम
- यूरेनियम, थोरियम और प्लूटोनियम रेडियोएक्टिव तत्व है, जिनका नाभिकीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए ईधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- कैल्शियम हड्डियों, अंडे के छिलके एवं शंख (मोलस्क समुदाय का प्राणी) का मुख्य अवयव है।
- यह दूध में सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है। इसका नाभिकीय ईंधन के रूप में प्रयोग नहीं होता है।
|
32. किसका परमाणवीय ईंधन के रूप में प्रयोग नहीं होता है?
(a) यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) प्लूटोनियम
(d) लेड
(e) इनमें से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (d) लेड
- नाभिकीय ईंधन या परमाणु ईंधन उस सामग्री को कहते हैं, जिसे विखण्डन या नाभिकीय संलयन की प्रक्रियाओं द्वारा नाभिकीय ऊर्जा के उत्पादन हेतु प्रयोग किया जाता है।
- यूरेनियम-235 तथा प्लूटोनियम- 239 सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले नाभिकीय ईंधन हैं।
- थोरियम का भी परमाणवीय ईंधन के रूप में प्रयोग होता है।
|
33. न्यूक्लियर बम बनाने के लिए निम्न में से किसका उपयोग किया जाता है?
(a) जिरकोनियम
(b) यूरेनियम
(c) मॉलिब्डेनम
(d) वेनेडियम
[M.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर- (b) यूरेनियम
- नाभिकीय या परमाणु बम नाभिकीय संलयन या नाभिकीय विखण्डन या इन दोनों प्रकार की नाभिकीय अभिक्रियाओं के सम्मिलन से बनाए जा सकते हैं।
- परमाणु बम में विस्फुटित होने वाला पदार्थ यूरेनियम या प्लूटोनियम होता है।
|
34. परमाणु बम का सिद्धांत आधारित है-
(a) नाभिकीय संलयन पर
(b) नाभिकीय विखण्डन पर
(c) उपर्युक्त दोनों पर
(d) उपर्युक्त किसी पर नहीं।
[39th B.P.S.C. (Pre) 1994]
उत्तर-(b) नाभिकीय विखण्डन पर
- परमाणु बम का सिद्धांत नाभिकीय विखण्डन पर आधारित है, जबकि हाइड्रोजन बम का सिद्धांत नाभिकीय संलयन पर आधारित है।
|
35. रेडियोधर्मिता के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- रेडियोधर्मिता एक नाभिकीय गुण है।
- नाभिकीय विखंडन (Nuclear fission) के सिद्धांत पर हाइड्रोजन बम बनाया जाता है।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर चुनिए।
कूट :
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 तथा 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2
[U.P. R.O./A.R.O. (Mains) 2016, U.P.P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर- (a) केवल 1
- रेडियोधर्मिता एक नाभिकीय गुण है।
- हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) के सिद्धांत पर कार्य करता है।
|
36. परमाणु बम का कार्यकारी सिद्धांत यूरेनियम का नाभिकीय विखण्डन है और हाइड्रोजन बम का कार्यकारी सिद्धांत है-
(a) ड्यूटोरियम का नाभिकीय संलयन
(b) थोरियम का नाभिकीय विखण्डन
(c) हाइड्रोजन गैस वाले बम का विस्फोट
(d) डायनामाइट तथा टी. एन.टी. का विस्फोट
[U.P. P.C.S. (Pre) 1994]
उत्तर- (a) ड्यूटोरियम का नाभिकीय संलयन
- हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पर आधारित है।
- इसमें ड्यूटेरियम तथा ट्राइटियम के संलयन से अपार ऊर्जा मुक्त होती है।
- यह अनियंत्रित संलयन (Fusion) अभिक्रिया पर आधारित है।
|
37. हाइड्रोजन बम विकसित किया गया था-
(a) एडबर्ड टेलर द्वारा
(b) बरनर बॉन ब्रॉन द्वारा
(c) जे. रॉबर्ट ओपन हीमर द्वारा
(d) सैमुअल कोहेन द्वारा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (a) एडबर्ड टेलर द्वारा
- वर्ष 1908 में हंगरी में जन्में अमेरिकी वैज्ञानिक एडवर्ड टेलर को ‘हाइड्रोजन बम के जनक’ यानी ‘फ़ादर ऑफ हाइड्रोजन बम’ कहा जाता है।
- नवंबर, 1952 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रथम हाइड्रोजन बम का परीक्षण प्रशांत महासागर स्थित मार्शल द्वीप में किया गया था।
|
38. संवृद्ध यूरेनियम होता है-
(a) विशेष खोल में रखी यूरेनियम की छड़ें।
(b) प्राकृतिक यूरेनियम, जिसमें रेडियोधर्मी U23 आइसोटोप का घटक कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है।
(c) प्राकृतिक यूरेनियम और थोरियम का मिश्रण ।
(d) क्रोमियम की कोटिंग की हुई यूरेनियम की छड़ें।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2009]
उत्तर- (b) प्राकृतिक यूरेनियम, जिसमें रेडियोधर्मी U23 आइसोटोप का घटक कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है।
- संवृद्ध या संवर्धित (Enriched) यूरेनियम एक प्रकार का यूरेनियम है, जिसमें समस्थानिकों को विलग करने की प्रक्रिया (Isotope Separation) के द्वारा यूरेनियम 235 का प्रतिशत संघटन कृत्रिम रूप से बढ़ाया जाता है।
|
39. यूरेनियम के रेडियोधर्मी विघटन का अंतिम उत्पाद है
(a) सीसा
(b) रेडियम
(c) थोरियम
(d) प्लूटोनियम
(e) यूरेनियम
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर- (a) सीसा
- यूरेनियम के रेडियोधर्मी विघटन का अंतिम उत्पाद लेड (सीसा) है।
|
40. एक रेडियोएक्टिव पदार्थ की अर्द्ध-आयु चार महीने है। इस पदार्थ के तीन-चौथाई का क्षय होने में समय लगेगा
(a) 3 महीने
(b) 4 महीने
(c) 8 महीने
(d) 12 महीने
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (c) 8 महीने
- 3 भाग क्षय होने में लगा समय = nt = 2×4 = 8 महीने
|
41. किसी विघटनाभिक तत्व की अर्ध-आयु पांच वर्ष की होती है। बीस वर्ष बाद विघटनाभिक पदार्थ का जो अंश बच जाता है, वह है-
(a) 1/2
(b) 1/4
(c) 1/8
(d) 1/16
[I.A.S. (Pre) 1994]
42. एक रेडियोधर्मी पदार्थ की अर्ध-आयु 10 दिन है, इसका अभिप्राय यह है कि-
(a) पदार्थ का पूर्ण विघटन 20 दिनों में हो जाएगा।
(b) पदार्थ का पूर्ण विघटन 40 दिनों में हो जाएगा।
(c) पदार्थ के 3/4 भाग का विघटन 20 दिनों में हो जाएगा।
(d) पदार्थ के 1/4 भाग का विघटन 5 दिनों में हो जाएगा।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर- (c) पदार्थ के 3/4 भाग का विघटन 20 दिनों में हो जाएगा।
- 10 दिन में पदार्थ अपनी मूल मात्रा का आधा हो जाएगा। शेष आधा भाग विघटित होकर 10 दिन में चौथाई बचेगा।
- 11 +- 2+4 L= 3/4) 2+1 4 अतः पदार्थ के 3/4 भाग का विघटन 20 दिनों में हो जाएगा।
|
43. निम्नलिखित में से कौन-सा एक रेडियोएक्टिव नहीं है?
(a) एस्टेटाइन
(b) फ्रैंसियम
(c) ट्रिटियम
(d) जर्कोनियम
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (d) जर्कोनियम
- जर्कोनियम जिसका परमाणु क्रमांक 40 है, एक रेडियोएक्टिव तत्व नहीं है।
- प्रायः ऐसे तत्व जिनका परमाणु क्रमांक 80 से अधिक होता है, रेडियोएक्टिवता प्रदर्शित करते हैं।
- प्रश्नगत विकल्पों में एस्टेटाइन (परमाणु क्रमांक 85) एवं फ्रैंसियम (परमाणु क्रमांक 87) रेडियोएक्टिव तत्व हैं, जबकि ट्रिटियम (या ट्राइटियम) हाइड्रोजन का रेडियोएक्टिव समस्थानिक है।
|
44. निम्नलिखित में से कौन-सा यूरेनियम समस्थानिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र में बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जाता है ?
(a) U-233
(b) U-234
(c) U-235
(d) U-239
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर- (c) U-235
- परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में विद्युत उत्पादन में यूरेनियम समस्थानिक U-235 का प्रयोग किया जाता है।
|
45. विद्युत उत्पन्न करने के लिए कौन-सी धातु का उपयोग होता है?
(a) यूरेनियम
(b) लोहा
(c) तांबा
(d) एल्युमीनियम
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर- (a) यूरेनियम
- परमाणु ऊर्जा से विद्युत उत्पादन के लिए रिएक्टर में यूरेनियम के आइसोटोप्स का उपयोग ईंधन के रूप में होता है।
- भारत में थोरियम के उपयोग का भी प्रयास चल रहा है।
- अभी यूरेनियम परिष्कृत U-235 और U-238 का उपयोग होता है।
|
46. रेडियोधर्मी पदार्थ उत्सर्जित करता है-
(a) अल्फा कण
(b) बीटा कण
(c) गामा किरण
(d) उपरोक्त सभी
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर- (d) उपरोक्त सभी
- ऐसे पदार्थ जो रेडियोएक्टिव किरणों का उत्सर्जन करते हैं, रेडियोएक्टिव पदार्थ कहलाते हैं।
- इनसे अल्फा कण, बीटा कण तथा गामा किरण का उत्सर्जन होता है।
|
47. अगर चालू नाभिकीय रिएक्टर में ‘कंट्रोल छड़ों’ का उपयोग नहीं किया जाए, तो क्या होगा?
(a) रिएक्टर कार्य करना बंद कर देगा।
(b) चेन प्रक्रिया सीमा से बाहर चली जाएगी।
(c) रिएक्टर में कार्य धीमा हो जाएगा।
(d) रिएक्टर यथावत कार्य करता रहेगा।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर- (b) चेन प्रक्रिया सीमा से बाहर चली जाएगी।
- यदि नाभिकीय रिएक्टरों में नियंत्रक (Control) छड़ों का उपयोग नहीं किया जाएगा, तो नाभिकीय प्रक्रिया जारी रहेगी तथा उससे उत्पन्न ऊर्जा की विपुल मात्रा विध्वंस का कारण बन सकती है।
- नाभिकीय रिएक्टरों में कैडमियम की छड़ों का नियंत्रक छड़ों के रूप में उपयोग किया जाता है।
|
48. भारत का प्रथम परमाणु ऊर्जा केंद्र है-
(a) बी. ए. आर. सी.
(b) तारापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र
(c) नरोरा परमाणु ऊर्जा केंद्र
(d) इनमें से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008]
उत्तर- (b) तारापुर परमाणु ऊर्जा केंद्र
- यद्यपि भारत में सर्वप्रथम परमाणु रिएक्टरों (अप्सरा-1956; साइरस-1960) की स्थापना टूबि स्थित BARC में की गई थी, तथापि ये अनुसंधान रिएक्टर ही थे।
- भारत का प्रथम परमाणु ऊर्जा केंद्र वर्ष 1969 में तारापुर में प्रचालित हुआ।
|
49. ध्रुव, पूर्णिमा तथा साइरस में क्या संबंध है?
(a) ये भारतीय शोध रिएक्टर हैं।
(b) ये तारे हैं।
(c) ये प्रसिद्ध पुस्तकों के नाम हैं।
(d) ये पावर संयंत्र हैं।
[U.P.P.C.S.(Mains) 2004]
उत्तर- (a) ये भारतीय शोध रिएक्टर हैं।
- ध्रुव रिएक्टर की डिजाइन स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई है।
- इस संयंत्र को औद्योगिक परमाणु संयंत्र भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें कोबाल्ट-60, क्रोमियम 51 तथा आयोडीन 131 आदि समस्थानिकों का उत्पादन किया जाता है।
- इस संयंत्र का प्रतिरक्षा के क्षेत्र में महत्व है।
- साइरस नाभिकीय रिएक्टर की स्थापना कनाडा के सहयोग से वर्ष 1960 में की गई थी।
- इस रिएक्टर को 31 दिसंबर, 2010 को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया था।
- पूर्णिमा नाभिकीय रिएक्टर थोरियम चक्र का अध्ययन करने वाला विश्व का प्रथम और एकमात्र रिएक्टर था, जिसके तीन संस्करणों पूर्णिमा, पूर्णिमा 11 तथा पूर्णिमा-III का विकास किया गया था।
- ये तीनों ही रिएक्टर कमशः वर्ष 1973, 1986 तथा 1991 में सेवामुक्त कर दिए गए थे।
|
50. भारत के न्यूक्लियर रिएक्टर्स में कौन-सा ईंधन प्रयुक्त होता है?
(a) U-270
(b) U-500
(c) गैसोहोल
(d) U-238
[Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]
उत्तर- (d) U-238
- प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा केवल 0.711% होती है, शेष 99.284% यूरेनियम-238 होता है।
- कुछ रिएक्टरों में साधारण यूरेनियम ईंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, परंतु अनेक रिएक्टरों में समृद्ध यूरेनियम का प्रयोग किया जाता है।
|
51. कलपक्कम प्रसिद्ध है-
(a) परमाणु शक्ति संयंत्र के कारण
(b) रक्षा प्रयोगशाला के कारण
(c) रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र हेतु
(d) अंतरिक्ष केंद्र हेतु
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2001, U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर- (a) परमाणु शक्ति संयंत्र के कारण
- कलपक्कम (तमिलनाडु) में वर्ष 1971 में चेन्नई के निकट ‘इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र’ (IGCAR) की स्थापना की गई।
- इस केंद्र का मुख्य कार्य फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के संबंध में अनुसंधान एवं विकास करना है।
- वर्तमान समय में कलपक्कम में लगभग 5,677 करोड़ रु. की लागत से 500 मेगावॉट क्षमता वाले प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (PFBR) का निर्माण किया जा रहा है।
|
52. इंदिरा गांधी आणविक अनुसंधान केंद्र स्थित है-
(a) महाराष्ट्र में
(b) तमिलनाडु में
(c) उत्तर प्रदेश में
(d) कर्नाटक में
[U.P.P.C.S.(Mains) 2004]
उत्तर- (b) तमिलनाडु में
- कलपक्कम (तमिलनाडु) में वर्ष 1971 में चेन्नई के निकट ‘इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र’ (IGCAR) की स्थापना की गई।
|
53. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है?
(a) इंदिरा गांधी सेंटर फॉर एटॉमिक रिसर्च – कलपक्कम
(b) एटॉमिक मिनरल्स डाइरेक्टरेट फॉर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च – हैदराबाद
(c) हरिश्चन्द्र रिसर्च इन्स्टीट्यूट – चेन्नई
(d) साहा इन्स्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स – कोलकाता
[U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर- (c) हरिश्चन्द्र रिसर्च इन्स्टीट्यूट – चेन्नई
- हरिश्चन्द्र रिसर्च इन्स्टीट्यूट उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में स्थित है।
- अन्य तीनों विकल्पों के युग्म सही सुमेलित हैं।
|
54. निम्नलिखित संगठनों पर विचार कीजिए:
- परमाणु खनिज अनुसंधान एवं अन्वेषण निदेशालय
- गुरुजल बोर्ड (Heavy Water Board)
- भारतीय रेयर अर्थ लिमिटेड (Indian Rare Earths Ltd.)
- भारतीय यूरेनियम कॉर्पोरेशन
इनमें से कौन-सा/से परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत है/हैं?
(a) 1 मात्र
(b) 1 और 4
(c) 2, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर- (d) 1, 2, 3 और 4
- प्रश्नगत सभी संस्थान परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत हैं।
- परमाणु खनिज अनुसंधान एवं अन्वेषण निदेशालय हैदराबाद में, गुरुजल बोर्ड मुंबई में, भारतीय रेयर अर्ड्स लिमिटेड मुंबई में तथा भारतीय यूरेनियम कॉर्पोरेशन जादुगुडा में है।
|
55. भारत में भारी जल बनाया जाता है-
(a) ट्रॉम्बे में
(b) असम में
(c) दिल्ली में
(d) भिलाई में
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर- (a) ट्रॉम्बे में
- भारत में भारी जल के उत्पादन की जिम्मेदारी (ट्रॉम्बे) मुंबई स्थित ‘भारी जल बोर्ड’ (Heavy Water Board) की है, जिसका उपयोग नाभिकीय रिएक्टरों में किया जाता है।
- भारी जल बोर्ड 7 भारी जल संयंत्रों का संचालन करता है, जो बड़ौदा, हजीरा, कोटा, मनुगुरु, तालचेर, थाल एवं तूतीकोरिन में स्थित हैं।
|
56. सूची-1 को सूची-II से सुमेलित कीजिए तथा सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिए :
सूची-1 (परमाणु शक्ति केंद्र) |
सूची-II (स्थिति वाला राज्य) |
A. कलपक्कम |
1. उत्तर प्रदेश |
B. नरोरा |
2. गुजरात |
C. काकरापार |
3. तमिलनाडु |
D. ट्रॉम्बे |
4. महाराष्ट्र |
कूट :
A B C D
(a) 1, 2, 3, 4
(b) 3, 1, 2, 4
(c) 3, 1, 4, 2
(d) 2, 3, 4, 1
[U.P.P.S.C.(GIC) 2010]
उत्तर- (b) 3, 1, 2, 4
- कलपक्कम भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक छोटा-सा कस्बा है।
- कलपक्कम मुख्यतः यहां स्थापित नाभिकीय संयंत्रों के लिए प्रसिद्ध है।
- नरोरा गंगा नदी के किनारे उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित है, यहाँ भी परमाणु विद्युत संयंत्र स्थापित है।
- काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र गुजरात के सूरत शहर के निकट स्थित है, ट्रॉम्बे, मुंबई (महाराष्ट्र) के पूर्वोत्तर में स्थित एक उपनगर है।
- यहां भारत का नाभिकीय अनुसंधान केंद्र BARC (Bhabha Atomic Research Centre) स्थित है।
|
57. निम्नलिखित में से कौन सुमेलित नहीं है?
(a) राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र – उदयपुर
(b) नरोरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र – उत्तर प्रदेश
(c) मद्रास परमाणु ऊर्जा संयंत्र – कलपक्कम
(d) कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र – कर्नाटक
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर- (a) राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र – उदयपुर
- राजस्थान परमाणु ऊर्जा संयंत्र रावतभाटा, कोटा में स्थित है।
|
58. नीचे दिए गए कूटों में से सही उत्तर चुनिए- परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थित है-
- नरोरा में
- घाटशिला में
- कलपक्कम में
- नंगल में
कूट :
(a) 2 तथा 4
(b) 1 तथा 3
(c) केवल 4
(d) केवल 2
[U.P.P.C.S.(Mains) 2004]
उत्तर- (b) 1 तथा 3
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र नरोरा एवं कलपक्कम में स्थित हैं।
- उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्थित नरोरा में परमाणु विद्युत गृह के अंतर्गत दाबित भारी जल रिएक्टर की 220-220 मेगावॉट क्षमता वाली दो इकाइयाँ कार्यरत हैं।
- इस विद्युत गृह से दिल्ली और उत्तर प्रदेश को बिजली प्राप्त होती है।
- कलपक्कम संयंत्र चेन्नई के निकट स्थित दावित भारी जल रिएक्टर है।
- यहां 220-220 मेगावॉट क्षमता वाली दो इकाइयां कार्यरत हैं।
- इसकी संपूर्ण डिजाइन भारतीय अभियंताओं एवं विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई है।
|
59. भारत का निम्नलिखित में से कौन-सा परमाणु संयंत्र IV भूकंपीय पेटी में अवस्थित है?
(a) कैगा
(b) कलपक्कम
(c) नरोरा
(d) तारापुर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर- (c) नरोरा
- नरोरा परमाणु संयंत्र भूकंपीय पेटी IV में अवस्थित है, जबकि कलपक्कम पेटी II में तथा कैगा और तारापुर पेटी III में अवस्थित हैं।
|
60. वह परमाणु ऊर्जा संयंत्र जो हाल ही में सक्रिय हुआ, स्थापित है-
(a) कलपक्कम में
(b) नरोरा में
(c) तारापुर में
(d) कैगा में
[U.P. P.C.S. (Pre) 2000]
उत्तर- (d) कैगा में
- कर्नाटक के कारवार में कैगा गांव में काली नदी के बाएं किनारे पर स्थापित 220 मेगावॉट की दूसरी इकाई को मार्च, 2000 में राष्ट्र को समर्पित किया गया।
- वर्तमान में कैगा में Pressurized heavy water reactor की कुल 4 इकाइयां कार्यरत हैं, जिनमें प्रत्येक की क्षमता 220 MWe है।
|
61. तमिलनाडु के कुडनकुलम में रूस परमाणु भट्टियों की कितनी इकाइयां लगाने हेतु राजी हुआ है?
(a) 2
(b) 4
(c) 5
(d) 6
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर- (d) 6
- तमिलनाडु के कुडनकुलम में रूस परमाणु रिएक्टरों की 6 इकाइयां लगाने के लिए राजी हुआ है।
- इन 6 रिएक्टरों हेतु रूस उपकरण तथा अवयव उपलब्ध कराएगा, जबकि इन रिएक्टरों का निर्माण न्यूक्लियर पॉवर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा किया जाएगा।
- 31 दिसंबर, 2014 को कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की 1000 मेगावॉट क्षमता की पहली इकाई का व्यावसायिक परिचालन प्रारंभ हो गया।
- जबकि 1000 मेगावॉट की दूसरी इकाई का परिचालन 31 मार्च, 2017 को प्रारंभ हुआ।
|
62. कलपक्कम के फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर में प्रयुक्त ईंधन है-
(a) समृद्ध यूरेनियम
(b) थोरियम
(c) प्लूटोनियम
(d) टंगस्टन
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2006]
उत्तर- (c) प्लूटोनियम
- फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया के साथ उत्पादित विखण्डनीय पदार्थों की मात्रा व्यय होने वाले पदार्थों से अधिक होती है।
- कलपक्कम स्थित ‘इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र’ में फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR) का संचालन आरंभ हो चुका है।
- इसमें प्लूटोनियम से यूरेनियम उत्पन्न होता है।
|
63. कलपक्कम फास्ट ब्रीडर रिएक्टर के विषय में क्या सत्य है?
- इसमें केवल प्राकृतिक यूरेनियम ईंधन के रूप में प्रायोगिक होता है।
- इसमें प्लूटोनियम कार्बाइड एवं प्राकृतिक यूरेनियम कार्बाइड का मिश्रण ईंधन के रूप में प्रायोगिक होता है।
- इसमें 200 मेगावॉट से अधिक परमाणु विद्युत उत्पन्न की जाएगी।
निम्न विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
(a) 1 तथा 2
(b) 1 तथा 3
(c) 2 तथा 3
(d) 1, 2 तथा 3
[U.P.P.C.S.(Mains) 2005]
उत्तर- (c) 2 तथा 3
- कलपक्कम फास्ट ब्रीडर रिएक्टर में प्लूटोनियम कार्बाइड एवं प्राकृतिक यूरेनियम कार्बाइड का मिश्रण ईंधन के रूप में प्रयोग होता है।
- इससे 200 मेगावॉट से अधिक परमाणु विद्युत उत्पन्न की जाएगी।
- इसके ईंधन में 70% मात्रा प्लूटोनियम कार्बाइड की, जबकि 30% मात्रा यूरेनियम कार्बाइड की है।
- इस प्रकार कथन 2 और 3 सही हैं, जबकि कथन । गलत है।
|
64. कलपक्कम के फास्ट ब्रीडर रिएक्टर निम्नलिखित में से कौन-सा शीतलक प्रयोग लाया जाता है?
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) भारी जल
(c) समुद्री जल
(d) द्रवित सोडियम
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010, U.P. P.C.S. (Pre) 1997, U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2008]
उत्तर- (d) द्रवित सोडियम
- कलपक्कम में वर्ष 1985 से फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (FBTR) का परिचालन किया जा रहा है।
- इस रिएक्टर में प्लूटोनियम और यूरेनियम मिश्रित कार्बाइड ईंधन का प्रयोग किया जाता है, जबकि द्रवित या गलित सोडियम का प्रयोग शीतलक के रूप में होता है।
|
65. एक नाभिकीय रिएक्टर में भारी जल का क्या कार्य होता है?
(a) न्यूट्रॉन की गति को कम करना
(b) न्यूट्रॉन की गति को बढ़ाना
(c) रिएक्टर को ठंडा करना
(d) नाभिकीय क्रिया को रोकना
[I.A.S. (Pre) 2011]
उत्तर- (a) न्यूट्रॉन की गति को कम करना
- भारी जल (Heavy Water) हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटीरियम (H) का ऑक्साइड (D,O) है। परंपरागत नाभिकीय रिएक्टरों (जिनमें यूरेनियम-238 एवं प्लूटोनियम-239 ईंधन के रूप में प्रयुक्त होते हैं) में भारी जल मंदक (Moderator) के रूप में प्रयुक्त होता है।
- इसका कार्य श्रृंखला अभिक्रिया में निर्मुक्त तीव्र गति वाले न्यूट्रॉनों की गति को कम करना होता है, ताकि श्रृंखला अभिक्रिया को नियंत्रित किया जा सके।
- ग्रेफाइट एवं बेरिलियम का प्रयोग भी मंदक के रूप में किया जाता है।
- आधुनिक संवर्धित यूरेनियम वाले रिएक्टरों में सामान्य ‘हल्का जल’ (Light Water; H₂O) ही मंदक का कार्य करता है।
|
66. नाभिकीय रिएक्टर में निम्नलिखित में से किसे मंदक के रूप में प्रयोग किया जाता है?
(a) थोरियम को
(b) ग्रेफाइट को
(c) रेडियम को
(d) साधारण जल को
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर-(b) एवं (d) ग्रेफाइट को एवं साधारण जल को
- परंपरागत नाभिकीय रिएक्टरों में मंदक के रूप में ग्रेफाइट, भारी जल एवं साधारण जल का प्रयोग किया जाता है।
- ग्रेफाइट औद्योगिक स्तर पर निर्मित होने वाले शुद्धतम पदार्थों में से एक है तथा अत्यधिक तापमानों पर भी अपने गुण बनाए रखता है।
- तथापि आधुनिक संवर्धित यूरेनियम वाले रिएक्टरों में साधारण जल भी मंदक का कार्य करता है।
|
67. शीघ्रोत्पादी रिएक्टर है, (Fast Breeder Reactor) बिजली पैदा करने वाला एक नाभिकीय रिएक्टर, जो बिजली उत्पन्न करता है-
(a) विखंडन प्रक्रिया के द्वारा
(b) सौर सेलों (Solar Cells) की सहायता से
(c) इसके द्वारा इस्तेमाल की गई फिनाईल सामग्रियों को जलाने और उन्हें पुनः उत्पन्न करने के द्वारा
(d) कठोर जल का शोधक के रूप में उपयोग करके
[38th B.P.S.C. (Pre) 1992]
उत्तर- (a) विखंडन प्रक्रिया के द्वारा
- शीघ्रोत्पादी रिएक्टर (Fast Breeder Reactor) बिजली पैदा करने वाला एक नाभिकीय रिएक्टर है, जो ‘विखंडन प्रक्रिया’ के द्वारा बिजली उत्पन्न करता है।
|
68. एक ब्रीडर रिएक्टर वह है-
(a) जिसे विखण्डन होने वाले पदार्थ की आवश्यकता नहीं होती।
(b) जो केवल हेवी वाटर प्रयोग में लाता है।
(c) जो विखण्डन होने वाले पदार्थ को उससे अधिक उत्पन्न करता हैं, जितना वह जलाता है।
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर- (c) जो विखण्डन होने वाले पदार्थ को उससे अधिक उत्पन्न करता हैं, जितना वह जलाता है।
- एक ब्रीडर रिएक्टर एक ऐसा नाभिकीय रिएक्टर है, जो ईंधन के रूप में जितना विखण्डनीय पदार्थ व्यय करता है, उससे अधिक उत्पन्न करता है।
|
69. द न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया अब दूसरे देशों को “प्रेसराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स” (PHWRs) निर्यात करने की स्थिति में है। इन रिएक्टरों की क्षमता होगी-
(a) 200 MWe अथवा 500 MWe
(b) 240 MWe अथवा 540 MWe
(c) 220 MWe अथवा 540 MWe
(d) 440 MWe अथवा 700 MWe
[U.P. Lower Sub. (Spl.) (Pre) 2008]
उत्तर- (c) 220 MWe अथवा 540 MWe
- न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया विदेशों को 220MWe अथवा 540 MWe क्षमता के प्रेसराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर्स का निर्यात करने की स्थिति में है।
- भारत की ओर से यह बयान परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन चेयरमैन श्रीकुमार बनर्जी ने वर्ष 2010 में विएना में संपन्न अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की 54वीं आम सभा में दिया।
|
70. निम्नलिखित में से किस नाभिकीय शक्ति-संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता अधिकतम है ?
(a) काकरापार
(b) कैगा
(c) कुडानकुलम
(d) तारापुर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर- (c) कुडानकुलम
- महाराष्ट्र के तारापुर स्थित तारापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 1400 मेगावॉट है।
- कैगा परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 880 मेगावॉट है।
- काकरापार परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 440 मेगावॉट है।
- कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 2000 मेगावॉट है।
|
71. पोखरण नाभिकीय परीक्षण – 1974 का आधिकारिक कोड था-
(a) स्माइलिंग बुद्धा
(b) थंडर बोल्ट
(c) फ्लांइग गरुड़
(d) अग्नि परीक्षा
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर- (a) स्माइलिंग बुद्धा
- भारतीय परमाणु आयोग ने पोखरण में अपना पहला भूमिगत नाभिकीय परीक्षण 18 मई, 1974 को किया था।
- यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों के अलावा किसी अन्य राष्ट्र द्वारा किया गया पहला पुष्ट नाभिकीय परीक्षण था इस परमाणु परीक्षण को ‘स्माइलिंग बुद्धा’ कोड नाम दिया गया था।
|
72. पोखरण II परीक्षण कब किया गया था?
(a) 11 जून, 1998
(b) 9 जून, 1998
(c) 11 मई, 1998
(d) 29 मई, 1998
[43th B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर- (c) 11 मई, 1998
- पोखरण II के अन्तर्गत भारत ने ‘ऑपरेशन शक्ति’ के तहत राजस्थान के पोखरण परीक्षण स्थल में 5 परमाणु परीक्षण किए, प्रथम तीन परीक्षण 11 मई, 1998 को तथा अन्य दो परीक्षण 13 मई, 1998 को किए गए।
|
73. मई 1998, में पोखरण में भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे। बताइए, पोखरण किस राज्य में है?
(a) गुजरात
(b) राजस्थान
(c) पंजाब
(d) हिमाचल प्रदेश
[M.P. P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर- (b) राजस्थान
- भारत के परमाणु परीक्षणों का स्थल पोखरण राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित है।
|