1. निम्न में से किस विकिरण में ऊर्जा प्रति क्वांटम सर्वाधिक होगी ?
(a) 320-400 nm
(b) 200-280 nm
(c) 280-320 nm
(d) 400-600 nm
[Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (b) 200-280 nm
- तरंगदैर्ध्य की न्यूनतम रेंज वाली विकिरण में प्रति क्वांटम ऊर्जा सर्वाधिक होगी।
- अतः विकल्प (b) अभीष्ट उत्तर है।
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2. सौर विकिरण निम्न में से किस परास में दिखता है?
(a) 100-400 nm
(b) 400-700 nm
(c) 740-10000 nm
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[53rd to 55th B.P.S.C. (Pre) 2011]
उत्तर – (b) 400-700 nm
- पृथ्वी पर आने वाले सौर विकिरण का परास 100 नैनोमीटर से 10° nm तक विस्तृत है।
- इस सौर विकिरण को पराबैंगनी विकिरण (परास 100 nmसे 400 nm), दृश्य प्रकाश (परास 400 nm से 700 nm) तथा अवरक्त विकिरण (परास – 700 nm से 10nm) में विभाजित किया जा सकता है।
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3. दृश्य प्रकाश का दैर्ध्यमान प्रसार होता है-
(a) 200-900nm के बीच
(b) 250-850 nm के बीच
(c) 300-800 nm के बीच
(d) 390-780 nm के बीच
[U.P.P.C.S.(Mains) 2005]
उत्तर – (d) 390-780 nm के बीच
- दृश्य प्रकाश विद्युत चुंबकीय विकिरण का वह भाग है, जो मानवीय आंख द्वारा देखा जा सकता है।
- एक सामान्य मानवीय आंख 390 nm से 750 nm तरंगदैर्ध्य के बीच के विद्युत चुंबकीय विकिरण को स्पष्ट रूप से देख सकती है।
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4. दृश्य स्पेक्ट्रम के तरंगदैर्ध्य की सीमा है –
(a) 1300 Å – 3900 Å
(b) 3900 Å – 7600 Å
(c) 7800 Å – 8200 Å
(d) 8500 Å – 9800 Å
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं/ उपर्युक्त में से एक से अधिक
[63rd B.P.S.C. (Pre) 2017]
उत्तर – (b) 3900 Å – 7600 Å
- दृश्य स्पेक्ट्रम (प्रकाश) के संबंध में कोई निश्चित सीमा रेखा निर्धारित करना कठिन है।
- यह व्यक्ति की उम्र, आंखों की क्षमता, प्रकाश स्रोत की दूरी एवं तीव्रता आदि बातों पर निर्भर करता है।
- अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (नासा) के अनुसार, मनुष्य की आंख 380 से 700 नैनो मीटर (3800-7000 एंग्स्ट्रॉम) तक के तरंगदैर्ध्य के दृश्य प्रकाश को देख सकती है।
- एन.सी.ई.आर.टी. की पुस्तक में इसकी सीमा 400 से 700 नैनो मीटर लिखी गई है।
- अतः परीक्षार्थी प्रश्न के विकल्पों के अनुसार, इस परास के भीतर निकटतम उत्तर का चयन कर सकते हैं।
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5. मानव आंख दृश्य प्रकाश के जिस तरंगदैर्ध्य के लिए सर्वाधिक सुग्राही होती है, वह है-
(a) 6050 Å
(b) 5500 Å
(c) 4500 Å
(d) 7500 Å
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (b) 5500 Å
- मानव आंख दृश्य प्रकाश के लगभग 5500 Å या 555 nm (नैनोमीटर) तरंगदैर्ध्य के लिए सर्वाधिक सुग्राही होती है।
- ज्ञातव्य है कि दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 400 nm से 700 nm होती है और मानव नेत्र दृश्य प्रकाश की मध्यम तरंगदैर्ध्य वाली किरणों के, विशेषकर पीले-हरे रंग की प्रकाश की किरणें (तरंगदैर्ध्य 555 nm) के प्रति सर्वाधिक सुग्राही होता है।
- अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
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6. प्रकाश विकिरणों की प्रकृति होती है-
(a) तरंग के समान
(b) कण के समान
(c) तरंग एवं कण दोनों के समान
(d) तरंग एवं कण, किसी के समान नहीं
[42nd B.P.S. C. (Pre) 1997-98]
उत्तर – (c) तरंग एवं कण दोनों के समान
- प्रकाश दोहरी प्रकृति प्रदर्शित करता है-कभी कण के समान तथा कभी तरंग के समान प्रकाश के कुछ गुणों जैसे व्यतिकरण, विवर्तन, ध्रुवण आदि की व्याख्या प्रकाश की प्रकृति को तरंग मानकर की जाती है, जबकि कुछ अन्य गुणों जैसे प्रकाश विद्युत प्रभाव, कॉम्पटन प्रभाव आदि की व्याख्या यह मानकर की जाती है कि प्रकाश ऊर्जा के छोटे-छोटे पैकेटों से मिलकर बना है।
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7. प्रकाश सीधी रेखा में चलता प्रतीत होता है, क्योंकि-
(a) यह छोटे कणों से बना होता है।
(b) प्रकाश का वेग बहुत अधिक है।
(c) प्रकाश का तरंगदैर्ध्य बहुत छोटा है।
(d) प्रकाश अपने चारों ओर से परावर्तित होता है।
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (c) प्रकाश का तरंगदैर्ध्य बहुत छोटा है।
- प्रकाश का तरंगदैर्ध्य बहुत छोटा होता है तथा उसका विवर्तन भी बहुत छोटा होता है, जो हमारी आंखें नहीं देख सकती हैं इसलिए प्रकाश हमें सीधी रेखा में चलता हुआ प्रतीत होता है।
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8. निम्नलिखित में किसका वेग अधिकतम होता है?
(a) कास्मिक किरण
(b) प्रकाश
(c) इलेक्ट्रॉन
(d) पराध्वनिक तरंग
[U.P.P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (b) प्रकाश
- दिए गए विकल्पों में प्रकाश का वेग अधिकतम होगा।
- प्रकाश एक सीधी रेखा में संचरित होता है।
- प्रकाश तरंगें निर्वात से होकर गुजर सकती हैं, परंतु ध्वनि तरंगें ऐसा नहीं कर पातीं।
- भिन्न-भिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न-भिन्न होती है।
- प्रकाश की चाल सबसे अधिक निर्वात में होती है।
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9. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?
(a) प्रकाश का वेग अधिक होता है।
(b) ध्वनि का वेग सबसे अधिक होता है।
(c) आकाशीय पिण्डों का वेग सबसे अधिक होता है।
(d) रॉकेट का वेग सबसे अधिक होता है।
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002]
उत्तर – (a) प्रकाश का वेग अधिक होता है।
- प्रकाश की गति निर्वात में (शून्यावकाश में) 3.0×108 मी./से. होती है, जबकि ध्वनि की गति वायु में 332 मी. से. होती है।
- प्रकाश की गति पानी में 2.25×108 मी./से. होती है।
- प्रकाश का वेग कांच में 2.0×108 मीटर/से. होता है।
- प्रकाश की गति सदैव ध्वनि की गति से अधिक होती है।
- आकाशीय पिण्डों एवं रॉकेट का वेग प्रकाश की गति से काफी कम होता है।
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10. प्रकाश का शून्यावकाश में वेग अनुमानतः है-
(a) 3×1010 मीटर/से.
(b) 3×108 मीटर/से.
(c) 3×108 किलोमीटर/से.
(d) 3×108 प्रकाश वर्ष
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर – (b) 3×108 मीटर/से.
- प्रकाश की गति निर्वात में (शून्यावकाश में) 3.0×108 मी./से. होती है।
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11. प्रकाश का वेग अधिकतम होता है-
(a) हीरे में
(b) पानी में
(c) निर्वात में
(d) हाइड्रोजन में
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (c) निर्वात में
- प्रकाश का वेग अधिकतम निर्वात में होता है।
- प्रश्न में दिए गए माध्यमों में प्रकाश का वेग इस प्रकार है-
- निर्वात में (c) = 2.99 x 10″ मी./से. C हीरे में ==1.24×10 मी./से. 2.4 C पानी में == 2.26×10 मी./से. 1.33 C हाइड्रोजन = 10003 = 2.98×10 मी./से. अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।
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12. प्रकाश की गति किसके बीच से जाते हुए न्यूनतम होगी?
(a) कांच
(b) निर्वात
(c) जल
(d) वायु
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (a) कांच
- जिस वस्तु या पदार्थ का अपवर्तनांक ज्यादा होता है, उसमें प्रकाश की गति न्यूनतम होती है।
- कांच, निर्वात, जल तथा वायु में से कांच का अपवर्तनांक सबसे ज्यादा होता है, इसलिए प्रकाश की गति कांच में न्यूनतम होती है।
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13. हवा में प्रकाश की चाल निर्भर करती है
(a) दाब पर
(b) घनत्व पर
(c) यह दाब, ताप और घनत्व से स्वतंत्र है
(d) ताप पर
[Jharkhand P.C.S. (Pre) 2021]
उत्तर – (c) यह दाब, ताप और घनत्व से स्वतंत्र है
- प्रकाश एक प्रकार की विद्युत चुंबकीय ऊर्जा है।
- किसी माध्यम में प्रकाश का वेग उस माध्यम के प्रकाशिक घनत्व (Optical density) पर निर्भर करता है, जो कि माध्यम के भौतिक घनत्व (Physical density) से भिन्न होता है।
- किसी माध्यम का प्रकाशिक घनत्व जितना अधिक होगा, उसमें प्रकाश का वेग उतना ही कम होगा।
- किसी माध्यम का अपवर्तनांक (Refractive index) उसके प्रकाशिक घनत्व का संकेतक होता है।
- वायु का प्रकाशिक घनत्व उसके ताप, दाब और आर्द्रता (Humidity) पर निर्भर करता है।
- अतः वायु में प्रकाश का वेग उसके प्रकाशिक घनत्व, तापमान एवं दाब पर निर्भर करता है।
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14. सूर्य के प्रकाश को धरती की सतह पर पहुंचने में लगने वाला समय है, लगभग-
(a) 4.2 से.
(b) 4.8 से.
(c) 8.5 मिनट
(d) 3.6 घंटे
[42nd B.P.S.C. (Pre) 1997]
उत्तर – (c) 8.5 मिनट
- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने में 499 सेकंड लगते हैं, जिसे मिनट में बदलने पर लगभग 8.3 मिनट होगा।
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15. प्रकाश तरंगों के वायु से कांच में जाने पर जो चर (Variables) प्रभावित होते हैं, वे हैं-
(a) तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति और वेग
(b) वेग और आवृत्ति
(c) तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति
(d) तरंगदैर्ध्य और वेग
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (d) तरंगदैर्ध्य और वेग
- जब कोई प्रकाश तरंग वायु से कांच या एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो प्रकाश की आवृत्ति वही रहती है, लेकिन उसका तरंगदैर्ध्य तथा वेग बदल जाता है।
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16. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता है, तो निम्न में से कौन-सा एक अपरिवर्तित रहता है-
(a) तीव्रता
(b) वेग
(c) तरंगदैर्ध्य
(d) आवृति
[U.P.P.C.S.(Mains) 2003]
उत्तर – (d) आवृति
- जब कोई प्रकाश तरंग वायु से कांच या एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है, तो प्रकाश की आवृत्ति वही रहती है।
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17. जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करती है, तो
(a) इसकी चाल बढ़ जाती है तथा यह अभिलंब से दूर हट जाती है।
(b) इसकी चाल बढ़ जाती है तथा यह अभिलंब की ओर झुक जाती है।
(c) इसकी चाल घट जाती है तथा यह अभिलंब से दूर हट जाती है।
(d) इसकी चाल घट जाती है तथा यह अभिलब की ओर झुक जाती है।
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2018]
उत्तर – (a) इसकी चाल बढ़ जाती है तथा यह अभिलंब से दूर हट जाती है।
- जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करती है, तो इसकी चाल बढ़ जाती है तथा यह अभिलंब से दूर हट जाती है।
- ज्ञातव्य है कि जब कोई प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है, तो यह अभिलंब की ओर झुक जाती है।
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18. निम्नांकित ऊर्जा रूपांतरणों में से किसके द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपादित होती है?
(a) प्रकाश से रासायनिक ऊर्जा
(b) प्रकाश से ताप ऊर्जा
(c) ताप से जैव रासायनिक ऊर्जा
(d) ऊष्मा से गतिज ऊर्जा
[U.P. P.C.S. (Pre) 1998]
उत्तर – (a) प्रकाश से रासायनिक ऊर्जा
- प्रकाश संश्लेषण एकमात्र ऐसी जैविक प्रक्रिया है, जिसमें अत्यधिक मात्रा में सूर्य के प्रकाश की ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदला जाता है।
- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया का रासायनिक समीकरण : 6CO, (कार्बन डाइऑक्साइड) + 12H₂O + प्रकाश (ऊर्जा) + पर्णहरित = C,H,O + 60, (ऑक्सीजन) + 6H₂O + पर्णहरित।
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19. प्रकाश सजावट तथा विज्ञापन के लिए विसर्जन नलिकाओं में प्रयुक्त होने वाली गैस है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) अमोनिया
(c) सल्फर डाइऑक्साइड
(d) निऑन
[U.P. P.C.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (d) निऑन
- निऑन गैस विसर्जन लैंपों (Discharge Lamps) एवं ट्यूबों तथा प्रतिदीप्ति बल्बों में भरी जाती है।
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20. साबुन के पतले झाग में चमकदार रंगों का बनना किस परिघटना का परिणाम है?
(a) बहुलित परावर्तन और व्यतिकरण
(b) बहुलित अपवर्तन और परिक्षेपण
(c) विवर्तन और परिक्षेपण
(d) ध्रुवण और व्यतिकरण
[I.A.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (a) बहुलित परावर्तन और व्यतिकरण
- साबुन के पतले झाग में चमकदार रंगों का बनना बहुलित परावर्तन और व्यतिकरण का परिणाम है।
- जब किसी पारदर्शक पतली परत (पानी की सतह पर तेल की पतली परत या साबुन के घोल के बुलबुले) पर श्वेत प्रकाश आपतित किया जाता है, तो परत के दोनों पृष्ठों से परावर्तित तथा अपवर्तित प्रकाश किरणों में व्यतिकरण (Interference) होता है।
- इस परिघटना के परिणामतः वह परत चमकदार दिखाई पड़ती है।
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21. पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है, जब प्रकाश जाता है-
(a) हीरे से कांच में
(b) जल से कांच में
(c) वायु से जल में
(d) वायु से कांच में
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (a) हीरे से कांच में
- जब प्रकाश की किरण किसी सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो आपतन कोण के क्रांतिक कोण से अधिक हो जाने पर अपवर्तित किरण सघन माध्यम में वापस लौट आती है, जिसे ‘पूर्ण आंतरिक परावर्तन’ कहते हैं।
- प्रश्नगत विकल्पों में हीरे का अपवर्तनांक कांच से अधिक होने के कारण हीरे से कांच में प्रकाश के जाने पर पूर्ण आंतरिक परावर्तन होगा।
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22. प्रकाश तंतु (Optical Fibre) जिस सिद्धांत पर काम करता है, वह है
(a) पूर्ण आभ्यंतर (आंतरिक) परावर्तन
(b) अपवर्तन
(c) प्रकीर्णन
(d) व्यतिकरण
[I.A.S. (Pre) 1995, U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2010, U.P.P.C.S (Spl)(Pre) 2008]
उत्तर – (a) पूर्ण आभ्यंतर (आंतरिक) परावर्तन
- प्रकाश तंतु (Optical Fiber) कांच (सिलिका) या प्लास्टिक से निर्मित अत्यधिक पतली बेलनाकार खोखली नलिकाएं होती हैं, जो प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
- इनमें प्रकाश ऊर्जा का किसी प्रकार का क्षय नहीं होता है।
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23. तंतु प्रकाशिकी संचार में संकेत किस रूप में प्रवाहित होता है?
(a) प्रकाश तरंग
(b) रेडियो तरंग
(c) सूक्ष्म तरंग
(d) विद्युत तरंग
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2012]
उत्तर – (a) प्रकाश तरंग
- तंतु प्रकाशिकी संचार एक प्रणाली है, जिसमें सूचनाओं की जानकारी एक स्थान से दूसरे स्थान तक ऑप्टिकल फाइबर के माध्यम से प्रकाश बिंदुओं के रूप में भेजी जाती है।
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24. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- तंतु प्रकाशिकीय पूर्ण आंतरिक परावर्तन सिद्धांत पर आधारित है।
- प्रकाशिक तंतु संचार तंत्र में ऊर्जा उपभोग अत्यधिक कम होता है।
- प्रकाशिक तंतु संचार रेडियो आवृत्ति अवरोध से मुक्त है।
- भारत में प्रकाशिक तंतु के निर्माण में रिलायंस उद्योग समूह सन्नद्ध है।
इन कथनों में से कौन-सा सही है?
(a) 1, 2 और 3
(b) 1, 2 और 4
(c) 1, 3 और 4
(d) 2, 3 और 4
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre.) 2002, U.P. P.C.S. (Pre.) 2001, U.P. P.C.S. (Pre.) 2003]
उत्तर – (a) 1, 2 और 3
- प्रकाश तंतु या ऑप्टिकल फाइबर सिलिका से बनी पतली बेलनाकार नलिकाएं होती हैं, जो प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं।
- इसमें प्रकाश ऊर्जा का किसी प्रकार क्षय नहीं होता है।
- प्रकाशिक तंतु संचार तंत्र में ऊर्जा उपभोग अत्यधिक कम होता है।
- ये वैद्युत चुंबकीय अवरोध और रेडियो आवृत्ति अवरोध से मुक्त होते हैं।
- वर्ष 2000 में स्टरलाइट कंपनी समूह द्वारा भारत में प्रकाशिक तंतु का निर्माण प्रारंभ किया गया, न कि रिलायंस उद्योग समूह द्वारा।
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25. मरीजों के पेट के अंदर का परीक्षण करने हेतु डॉक्टरों द्वारा प्रयुक्त “एंडोस्कोप” निम्नलिखित में से किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
(a) प्रकाश का परावर्तन
(b) प्रकाश का प्रकीर्णन
(c) प्रकाश का अपवर्तन
(d) प्रकाश का सकल आंतरिक परावर्तन
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2009]
उत्तर – (d) प्रकाश का सकल आंतरिक परावर्तन
- एंडोस्कोप में फाइबर ऑप्टिक्स तकनीक का प्रयोग होता है तथा यह प्रकाश के सकल आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
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26. एक इंडोस्कोप है-
(a) संकीर्ण दूरदर्शी
(b) कैमरा का प्रकार
(c) सरल सूक्ष्मदर्शी
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (d) इनमें से कोई नहीं
- एक एंडोस्कोप एक चिकित्सीय उपकरण है, इसे कैमरे का प्रकार कहना गलत होगा।
- इसमें एक लंबी, पतली और लचीली नली होती है, जिसमें प्रकाश और एक वीडियो कैमरे की व्यवस्था होती है।
- इसका उपयोग चिकित्सक मानव शरीर के आंतरिक भागों का चित्र लेने के लिए करते हैं।
- इसे मानव के प्राकृतिक छिद्रों जैसे मुंह, नाक इत्यादि के रास्ते शरीर में प्रवेश कराया जाता है।
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27. मृगमरीचिका का कारण है-
(a) प्रकाश का व्यतिकरण
(b) प्रकाश का विवर्तन
(c) प्रकाश का ध्रुवण
(d) प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, U.P.P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (d) प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
- मृगमरीचिका (Mirage) एक प्रकार का वायुमंडलीय दृष्टिभ्रम है, जिसमें प्रेक्षक अस्तित्वहीन जलाशय एवं दूरस्थ वस्तु के उल्टे या बड़े आकार के प्रतिबिंब तथा अन्य अनेक प्रकार के विरूपण देखता है।
- वस्तु और प्रेक्षक के बीच की दूरी कम होने पर प्रेक्षक का भ्रम दूर होता है और वह विरूपित प्रतिबिंब नहीं देख पाता।
- मरीचिका वायुमंडलीय अपवर्तन का एक अनोखा एवं आश्चर्यजनक प्रभाव है, जो आमतौर पर गर्म रेगिस्तान में दिखाई पड़ती है।
- रेगिस्तान में दिन के समय जब भूमि के निकट की वायु की परतें गर्म हो जाती हैं, तब वह विरल हो जाती हैं और ऊपर की ठंडी परतों की अपेक्षा कम अपवर्तक होती हैं।
- अतः किसी सुदूर वस्तु से आने वाला प्रकाश ज्यों-ज्यों हवा की परतों से अपवर्तित होता है, त्यों-त्यों वह अभिलंय से अधिकाधिक विचलित होता जाता है और अंत में पूर्णतः आंतरिक रूप से परावर्तित हो जाता है।
- फलतः प्रेक्षक वस्तु का काल्पनिक और उल्टा प्रतिबिंब देखता है।
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28. एक कटा हुआ हीरा क्यों जगमगाता है?
(a) इसकी आणविक संरचना के कारण
(b) प्रकाश के शोषण के कारण
(c) पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण
(d) कुछ अन्य निहित गुण के कारण
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012, U.P. P.C.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण
- हीरे का अपवर्तनांक बहुत अधिक होता है।
- इसकी कटाई या तराशी इस प्रकार होती है कि कोई प्रकाश किरण यदि इसके अंदर चली जाए, तो बाहर निकलने से पहले उसका कई बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो।
- इस प्रकार कई बार किरणों का पूर्ण आंतरिक परावर्तन होने से हीरे चमकते हैं।
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29. उचित रीति से कटे हीरे की असाधारण चमक का आधारभूत कारण यह है कि-
(a) उसमें अति उच्च पारदर्शिता होती है।
(b) उसका अति उच्च अपवर्तन सूचकांक होता है।
(c) वह बहुत कठोर होता है।
(d) उसके सुनिश्चित विचलन तल होते हैं।
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (b) उसका अति उच्च अपवर्तन सूचकांक होता है।
- हीरे के चमकने का प्रमुख कारण उसका पूर्ण आंतरिक परावर्तन ही है।
- चूंकि हीरे का अपवर्तनांक बहुत अधिक 2.42 होने के कारण इसका क्रांतिक कोण केवल 24° होता है।
- अतः जब विशेष रूप से काटे गए हीरे के अंदर प्रकाश पड़ता है, तो हीरे के पृष्ठों पर बार-बार पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता रहता है।
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30. नीचे दो वक्तव्य दिए गए हैं, जिनमें से एक को कथन और दूसरे को कारण कहा गया है-
कथन (A): हीरा अपने ही आकार के अनुकारी कांच से अधिक झिलमिलाता है।
कारण (R): हीरे का अपवर्तनांक कांच के अपवर्तनांक से कम होता है।
उपर्युक्त दोनों वक्तव्यों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा सही है?
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- हीरे की झिलमिलाहट अधिक अपवर्तनांक (µ = 2.42) के कारण होती है।
- परिणामस्वरूप इसका क्रांतिक कोण कम हो जाता है तथा इसके विभिन्न बिंदुओं से प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन हो जाता है।
- यही कारण है कि हीरा अपने ही आकार के अनुकारी कांच से अधिक झिलमिलाता है।
- जबकि कांच का अपवर्तनांक µ = 1.51 होता है।
- इस प्रकार कथन (A) सही है, जबकि कारण (R) गलत है।
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31. किसी वस्तु के त्रिविमीय (Three-Dimensional) प्रतिरूप को अंकित तथा पुनरावृत्ति करने की तकनीक का नाम है-
(a) ऑडियोग्राफी
(b) लेक्सिकोग्राफी
(c) फोटोग्राफी
(d) होलोग्राफी
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999, R.A.S./R.T.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (d) होलोग्राफी
- होलोग्राफी वह तकनीक है, जिसमें लेसर किरणों द्वारा की गई फोटोग्राफी से किसी वस्तु का त्रिआयामी चित्र बनाया जाता है।
- ‘होलोग्राफी’ (Holography) ध्वनि, प्रकाश या किसी भी तरंग के साथ कार्य कर सकती है।
- होलोग्राफी का बहुधा उपयोग अभिलेखों को संचित करने तथा माइक्रोफिश (Microfiche) में किया जाता है।
- इसका उपयोग करके वास्तविक त्रिआयामी चलचित्र भी तैयार किए गए हैं।
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32. एक इलेक्ट्रॉनिक पुंज को फास्फोरस कोटेड पर्दे पर फोकस कर प्रतिबिंबों को पर्दे पर जनित करना कहलाता है-
(a) मास्टर स्कैन
(b) टोटल स्कैन
(c) रोस्टर स्कैन
(d) रडार स्कैन
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994-95]
उत्तर – (c) रोस्टर स्कैन
- रोस्टर स्कैन का प्रयोग CRT (Cathode Ray Tube) मॉनीटरों में होता है, इसमें इलेक्ट्रॉन गन के द्वारा इलेक्ट्रॉनिक पुंज को प्रक्षेपित किया जाता है।
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33. ‘रमन प्रभाव’ का प्रकाश की उन किरणों से संबंध है, जो आर-पार जाती हैं-
(a) केवल द्रवों के
(b) केवल प्रिज्मों के
(c) केवल हीरों के
(d) सभी पारदर्शी माध्यम के
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (d) सभी पारदर्शी माध्यम के
- रमन प्रभ कसी भी पारदर्शक माध्यम, जैसे ठोस, द्रव या गैस में से गुजरती हैं, तब इसकी प्रकीर्णित किरणों का अध्ययन किया जाए, तो उसमें मूल प्रकाश की किरणों के अतिरिक्त स्थिर अंतर पर बहुत कम तीव्रता की किरणें भी उपस्थित होती हैं।
- इन किरणों को ‘रमन किरणें’ कहते हैं।
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34. ध्वनि के पुनरुत्पाद (Reproducing) के लिए एक सीडी (कॉम्पैक्ट डिस्क) ऑडियो प्लेयर (Audio Player) में प्रयुक्त होता है-
(a) क्रार्ट्स क्रिस्टल
(b) टाइटेनियम नीडिल
(c) लेसर बीम
(d) बेरियम टाइटेनिक सिरेमिक
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (c) लेसर बीम
- सी.डी. प्लेयर में प्रयुक्त लेंस पराबैंगनी लेसर प्रकाश को उत्सर्जित करता है, जो सी.डी. की चमकदार सतह से परावर्तित होकर ध्वनि उत्पन्न करता है।
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35. जब एक सीडी (ऑडियो एवं वीडियो प्रणालियों में प्रयुक्त होने वाली कॉम्पैक्ट डिस्क) सूर्य के प्रकाश में देखी जाती है, तो इंद्रधनुष के समान रंग दिखाई पड़ते हैं। इसकी व्याख्या की जा सकती है-
(a) परावर्तन एवं विवर्तन (Reflection and Diffraction) की परिघटना के आधार पर
(b) परावर्तन एवं पारगमन (Reflection and Transmission) की परिघटना के आधार पर
(c) विवर्तन पर पारगमन की परिघटना के आधार पर
(d) अपवर्तन (Refraction), विवर्तन एवं पारगमन की परिघटना के आधार पर
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) परावर्तन एवं विवर्तन (Reflection and Diffraction) की परिघटना के आधार पर
- ऑडियो एवं वीडियो प्रणालियों में प्रयुक्त होने वाली कॉम्पैक्ट डिस्क में सतह पर सुरक्षात्मक लेकर कोटिंग (Protective Lacquer Coating) होती है, जो कि Thin-Film की भाँति कार्य करती है और परावर्तन एवं विवर्तन की परिघटना के लिए जिम्मेदार होती है।
- यही CD को सूर्य के प्रकाश में देखने पर इंद्रधनुषी रंग दिखाई देने का कारण होता है।
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36. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- दीर्घ तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश का प्रकीर्णन लघु तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश से कहीं अधिक होता है।
- जल में दृश्य प्रकाश की गति निर्वात में गति का 0.95 गुना होती है।
- रेडियो तरंगें द्रुतगामी दोलायमान वैद्युत धाराओं से उत्पन्न होती हैं।
- अतिचालन वाहनों का पता लगाने के लिए, पुलिस डाप्लर के परावर्तित लघु रेडियो तरंग प्रभाव का उपयोग करती है।
इनमें से कौन-कौन से कथन सही हैं?
(a) 1 और 2
(b) 1 और 3
(c) 2 और 4
(d) 3 और 4
[I.A.S. (Pre) 2002]
उत्तर – (d) 3 और 4
- चूंकि प्रकीर्णन या विचलन (n-1)A । अतः दीर्घ तरंगदैर्ध्य [कम अपवर्तनांक (n)] वाले प्रकाश का प्रकीर्णन लघु तरंगदैर्ध्य (अधिक ‘n’) वाले प्रकाश से कम होता है।
- जल में दृश्य प्रकाश की गति = 2.25 × 10 m/sec एवं निर्वात में प्रकाश की गति = 3.0 × 10 m/sec |
- स्पष्ट है कि जल में दृश्य प्रकाश की गति निर्वात में प्रकाश की गति का 0.75 गुना है।
- इस प्रकार कथन (1) एवं (2) गलत हैं, जबकि कथन (3) एवं (4) सही हैं।
- अतः विकल्प (d) अभीष्ट उत्तर होगा।
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37. कथन (A): एक चलचित्र में पूरी फिल्म के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सामान्यतः 24 फ्रेम (frame) प्रति सेकंड प्रक्षेपित (projected) किए जाते हैं।
कारण (R): आंख की रेटिना (retina) पर निर्मित प्रतिबिंब उद्दीपन (stimulus) हटाने के बाद 0.15 तक बना रहता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- प्रश्नगत कथन (A) सही है, जबकि कारण (R) गलत है, क्योंकि आंख की रेटिना (retina) पर निर्मित प्रतिबिंब उद्दीपन (stimulus) हटाने के बाद 1/16 सेकंड बाद तक बना रहता है।
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38. दूरदर्शन के संकेत एक निश्चित दूरी के बाद नहीं मिल सकते, क्योंकि-
(a) संकेत दुर्बल है।
(b) एन्टीना दुर्बल है।
(c) वायु संकेत को शोषित कर लेती है।
(d) पृथ्वी की सतह वक्राकार है।
[U.P. P.C.S. (Pre) 1994, U.P.P.S.C. (GIC) 2010]
उत्तर – (d) पृथ्वी की सतह वक्राकार है।
- पृथ्वी की सतह वक्राकार होने के कारण दूरदर्शन के संकेत एक निश्चित दूरी के बाद नहीं मिल सकते, क्योंकि सिग्नल्स पृथ्वी की सतह से न टकराकर आगे बढ़ जाएंगे।
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39. दूरदर्शन प्रसारण में श्रव्य संकेतों का प्रेषण करने के लिए प्रयुक्त तकनीक है-
(a) आयाम माडुलन
(b) आवृत्ति माडुलन
(c) स्पंद कूट (नाड़ी संकेत) माडुलन
(d) काल विभाग बहुसंकेतन
[I.A.S. (Pre) 1995, U.P.P.C.S. (Mains) 2007]
उत्तर – (b) आवृत्ति माडुलन
- श्रव्य संकेतों के प्रेषण हेतु आवृत्ति माडूलन (Frequency Modulation) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
- इस तकनीक से प्रसारित संकेत किसी भी प्रकार के शोर तथा विकृति से मुक्त होते हैं।
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40. दृष्टिपटल (रेटिना) पर जो चित्र बनता है-
(a) वह वस्तु के बराबर होता है, पर उल्टा होता है।
(b) वह वस्तु से छोटा होता है व सीधा होता है।
(c) वह वस्तु से छोटा होता है व उल्टा होता है।
(d) वह वस्तु के बराबर होता है व सीधा होता है।
[U.P.P.C.S. (Spl) (Mains) 2004, U.P. P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (c) वह वस्तु से छोटा होता है व उल्टा होता है।
- रेटिना पर वस्तु का प्रतिबिंब उल्टा, छोटा व वास्तविक बनता है।
- प्रतिबिंब बनने का संदेश दृश्य तंत्रिकाओं द्वारा मस्तिष्क तक पहुंचता है और वस्तु हमें दिखाई देने लगती है।
- यद्यपि रेटिना पर बना वस्तु का प्रतिबिंब उल्टा होता है, लेकिन अनुभव के आधार पर यह हमें सीधा दिखाई पड़ता है।
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41. क्या मुख्य कारण है कि एक आंख की अपेक्षा दो आंखों का होना अधिक उपयुक्त है?
(a) दो आंखों के कारण रंग आसानी से पहचाने जा सकते हैं।
(b) दो आंखों के कारण हम अंधेरे व हल्के प्रकाश में आसानी से देख सकते हैं।
(c) इसी कारण मोजेक विजन द्वारा मनुष्य देख सकता है।
(d) इस कारण से दूरी व गहराई का अहसास होता है।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1994-95]
उत्तर – (d) इस कारण से दूरी व गहराई का अहसास होता है।
- दो आंखों के होने से प्रतिबिंबों की प्राप्ति में सममिति सटीक होती है तथा गहराई व दूरी का शुद्धतम अनुमान होता है।
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42. निम्नलिखित में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) मनुष्य का कान 1000 हर्ट्ज पर सबसे सुग्राही होता है।
(b) मनुष्य की आंख लाल रंग के लिए सबसे अधिक सुग्राही होती है।
(c) सुनने की दृढ़ता 1/10 सेकंड होती है।
(d) दृष्टि की दृढ़ता 1/16 सेकंड होती है।
[U.P.R.O./A.R.O. (Pre) 2021]
उत्तर – (b) मनुष्य की आंख लाल रंग के लिए सबसे अधिक सुग्राही होती है।
- मनुष्य का कान 1000-5000 Hz की आवृत्तियों हेतु सबसे सुग्राही (Most sensitive) होता है।
- मनुष्य की आंख पीले-हरे (Yellowish- green) रंग के लिए सबसे सुग्राही होती है।
- हमारे कानों द्वारा सुनी गई ध्वनि का प्रभाव हमारे मस्तिष्क में एक सेकंड के 1/10वें भाग तक बना रहता है।
- अगर, 1/10 सेकंड के समाप्त होने से पूर्व कोई दूसरी ध्वनि सुनाई देती है, तो दोनों ध्वनियों की छाप आपस में मिल जाती है और हमारा मस्तिष्क दोनों में फर्क नहीं कर पाता।
- दृष्टि की दृढ़ता (Persistence of vision) से ताप्तर्य है, कि जब कोई चित्र रेटिना पर बनता है, तो वह सेकंड के 1/16वें भाग तक मानव मस्तिष्क पर अंकित रहता है। स्पष्ट है, कि केवल विकल्प (b) असत्य है।
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43. पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य को सीधे देखने से आंख में अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचती है। रेटिना का जलना सूर्य की किरणों के निम्न घटकों में से किस एक के कारण होता है?
(a) ताप
(b) इन्द्रधनुषीय प्रकाश
(c) अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश
(d) इन्फ्रारेड प्रकाश
[U.P.P.C.S.(Mains) 2003]
उत्तर – (c) अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश
- पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान जब सूर्य का बाह्य प्रभामंडल चन्द्रमा से पूरी तरह ढक जाता है, उस समय सूर्य को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।
- परंतु आंशिक, वलयाकार या पूर्ण सूर्यग्रहण के आंशिक चरण को नंगी आंखों से देखना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इस दौरान सूर्य से निकलने वाले उच्च तरंगदैर्ध्य के पराबैंगनी विकिरण से आंखों को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंच सकती है।
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44. किसी तारे का रंग दर्शाता है-
(a) उसकी पृथ्वी से दूरी
(b) उसका ताप
(c) उसकी ज्योति
(d) उसकी सूर्य से दूरी
[U.P. P.C.S. (Pre) 2005, U.P.P.C.S. (Mains) 2008, U.P.P.C.S.(Mains) 2003]
उत्तर – (b) उसका ताप
- विशाल तारे स्वतः चमकदार गैसों के पिण्ड हैं, जो स्वयं के गुरुत्वाकर्षण बल से परस्पर बंधे रहते हैं।
- भार के अनुपात में तारों में 70% हाइड्रोजन, 28% हीलियम, 1.5% कार्बन, नाइट्रोजन एवं ऑक्सीजन तथा 0.5% लौह तथा अन्य भारी तत्व होते हैं।
- तारों का सतत स्पेक्ट्रम ही इनके रंगों का निर्धारण करता है।
- किसी तारे का रंग वस्तुतः उसके ताप को दर्शाता है।
- सर्वाधिक गर्म तारों में स्पेक्ट्रम के नीले भाग से अधिकांश ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
- अतः ये नीले दिखाई देते हैं, जबकि सबसे कम गर्म तारे लाल दिखाई देते हैं।
- सबसे गर्म तारों से सबसे कम गर्म तारों के रंगों का क्रम (उनके ताप के साथ) इस प्रकार है- नीला (50,000- 28,000 K), नीला-श्वेत (28,000-10,000 K), श्वेत (10,000-7,500 K), श्वेत पीला (7,500-6,000 K), पीला (6,000-4,900 K), नारंगी (4,900-3,500 K) एवं लाल (3,500-2,000 K)|
- तारों का जीवनकाल इनके द्रव्यमान एवं चमक पर निर्भर करता है, जो तारा जितना अधिक चमकीला होता है, उसका जीवन काल उतना ही कम होता है।
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45. वायुमंडल में प्रकाश के विसरण का कारण है-
(a) कार्बन डाइऑक्साइड
(b) धूल कण
(c) हीलियम
(d) जलवाष्प
[I.A.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) धूल कण
- सूर्य का प्रकाश विभिन्न रंगों का मिश्रण होता है।
- जब वह वायुमंडल से होकर गुजरता है, तो मार्ग में आने वाले हवा के अणुओं तथा धूल एवं अन्य पदार्थों के सूक्ष्म कणों द्वारा इसका प्रकीर्णन हो जाता है।
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46. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- यदि मैजेंटा (रक्ताभ नीललोहित) और पीले रंग के दो वृत्त एक दूसरे को काटते हों, तो प्रतिच्छेदित क्षेत्र का रंग लाल होगा।
- यदि सायन (हरिताभ नीला) और मैजेंटा (रक्ताभ नीललोहित) रंग के दो वृत्त एक-दूसरे को काटते हों, तो प्रतिच्छेदित क्षेत्र का रंग नीला होगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
[I.A.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (c) 1 और 2 दोनों
- जिस प्रकार लाल, हरा तथा नीला को प्राथमिक रंग (Primary Co- lours) माना जाता है, उसी प्रकार हरिताभ नीला (cyan), रक्ताभ नीललोहित (magenta) तथा पीला को प्राथमिक वर्णक (Primary Pigments) माना जाता है।
- प्राथमिक रंगों या वर्णकों को आपस में मिलाने से श्वेत रंग या वर्णक प्राप्त होता है।
- जब रक्ताभ नीललोहित तथा पीले रंग के दो वृत्त को मिलाते हैं, तो प्रतिच्छेदित क्षेत्र का रंग लाल होता है।
- अतः कथन (1) सही है।
- उसी तरह हरिताभ नीला और रक्ताभ नीललोहित रंग को मिलाने पर प्रतिच्छेदित क्षेत्र का रंग नीला होता है।
- अतः कथन (2) भी सही है।
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47. प्रकाश का रंग निर्धारित होता है, इसके
(a) आयाम से
(b) तरंगदैर्ध्य से
(c) तीव्रता से
(d) वेग से
[U.P.P.C.S. (Pre) 2012, U.P. P.C.S. (Mains) 2014]
उत्तर – (b) तरंगदैर्ध्य से
- प्रकाश के रंग का निर्धारण उसके तरंगदैर्ध्य से होता है।
- भिन्न-भिन्न रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य भिन्न-भिन्न होता है।
- लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक और बैंगनी रंग के प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है।
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48. निम्न में से किस रंग का सबसे लंबा तरंगदैर्ध्य है?
(a) हरा
(b) पीला
(c) नीला
(d) लाल
[M.P. P.C.S. (Pre) 1997]
उत्तर – (d) लाल
- लाल रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है, जिसका मान 7.5 × 10-5 सेमी. होता है।
- बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है, जिसका मान 4 × 10-5 सेमी. होता है।
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49. सबसे कम ‘वेव लेंथ’ (तरंगदैर्ध्य) वाला प्रकाश होता है-
(a) लाल
(b) पीला
(c) नीला
(d) बैंगनी
[Uttaranchal P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (d) बैंगनी
- बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है, जिसका मान 4 × 10-5 सेमी. होता है।
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50. निम्नलिखित में से किसमें उच्चतम ऊर्जा होती है?
(a) नीला प्रकाश
(b) हरा प्रकाश
(c) लाल प्रकाश
(d) पीला प्रकाश
[I.A.S. (Pre) 2009]
उत्तर – (a) नीला प्रकाश
- किसी तरंग की ऊर्जा उसके तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
- दृश्य प्रकाश किरणों में बैंगनी, तदुपरांत जामुनी एवं नीले रंग का तरंगदैर्ध्य न्यूनतम तथा लाल रंग का तरंगदैर्ध्य अधिकतम होता है।
- इसलिए प्रश्नगत चारों रंगों के प्रकाशों में नीले रंग की ऊर्जा उच्चतम तथा लाल रंग की निम्नतम होती है।
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51. सफेद प्रकाश में उपस्थित निम्नलिखित रंगों में से कौन-सा रंग शीशा के प्रिज्म द्वारा सबसे कम विचलित होता है?
(a) हरा रंग
(b) लाल रंग
(c) बैंगनी रंग
(d) नारंगी रंग
[U.P.R.O./A.R.O. (Re-exam) (Pre) 2016]
उत्तर – (b) लाल रंग
- निर्वात अथवा वायु में विभिन्न रंगों के प्रकाश का वेग एकसमान, किंतु किसी अन्य पदार्थ में भिन्न-भिन्न होता है।
- अतः किसी पदार्थ का अपवर्तनांक (Refractive index) विभिन्न रंगों के प्रकाश के लिए भिन्न-भिन्न होता है।
- कांच या शीशा में बैंगनी रंग (Violet light) के प्रकाश का वेग सबसे कम तथा लाल रंग के प्रकाश का वेग सर्वाधिक होता है।
- इस कारण कांच के प्रिज्म से गुजरने पर सफेद प्रकाश में उपस्थित विभिन्न रंगों में से लाल रंग सबसे कम, जबकि बैंगनी रंग सबसे अधिक विचलित होता है।
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52. कथन (A): प्रकाश के दृश्य वर्णक्रम में, लाल प्रकाश हरे प्रकाश की अपेक्षा अधिक ऊर्जस्वी होता है।
कारण (R): लाल प्रकाश का तरंगदैर्ध्य हरे प्रकाश के तरंगदैर्ध्य से अधिक होता है।
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही है तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
- (i) लाल प्रकाश का तरंगदैर्ध्य (700 nm), हरे रंग के तरंगदैर्ध्य (530 nm) से अधिक होता है।
- अतः कारण (R) सही है।
- (ii) प्रकाश के अलग-अलग रंगों की ऊर्जा उसके तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
- E 1 अतः लाल प्रकाश की ऊर्जा (1.77 eV) हरे प्रकाश की ऊर्जा (2.34 eV) से कम होगी। इसलिए कथन (A) गलत है।
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53. हमें वास्तविक सूर्योदय से कुछ मिनट पूर्व ही सूर्य दिखाई देने का कारण है-
(a) प्रकाश का प्रकीर्णन
(b) प्रकाश का विवर्तन
(c) प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन
(d) प्रकाश का अपवर्तन
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (d) प्रकाश का अपवर्तन
- प्रकाश के अपवर्तन के कारण सूर्योदय के कुछ समय पहले तथा सूर्यास्त के कुछ समय बाद तक सूर्य क्षितिज के नीचे होने पर भी दिखाई पड़ता है।
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54. क्षितिज के समीप सूर्य एवं चन्द्रमा के दीर्घ वृत्ताकार दिखाई देने का कारण है-
(a) अपवर्तन
(b) प्रकाशकीय भ्रम
(c) व्यतिकरण
(d) उनकी वास्तविक आकृति
[U.P. P.C.S. (Spl) (Pre) 2008]
उत्तर – (a) अपवर्तन
- क्षितिज के समीप सूर्य एवं चन्द्रमा के दीर्घ वृत्ताकार दिखाई देने का कारण प्रकाश का अपवर्तन है।
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55. सूर्य के प्रकाश के अदृश्य भाग से प्रकाश संश्लेषण किया जाता है, कुछ-
(a) वृक्षों द्वारा
(b) कवक द्वारा
(c) बैक्टीरिया द्वारा
(d) फफूंद द्वारा
[U.P. P.C.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (c) बैक्टीरिया द्वारा
- गहरे समुद्र में सतह से 400 से 8000 फीट तक की गहराई में पाए जाने वाले जीवाणु जैसे ‘ग्रीन सल्फर बैक्टीरिया’ अवरक्त विकिरण के प्रयोग द्वारा प्रकाश संश्लेषण कर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
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56. ट्रैफिक सिग्नल में लाल प्रकाश प्रयुक्त होता है, क्योंकि
(a) इसकी तरंगों की दैर्ध्य (लंबाई) सर्वाधिक होती है।
(b) यह सुंदर होता है।
(c) यह खराब रोशनी वालों को भी दिखाई देता है।
(d) उक्त कारणों में से कोई नहीं
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (a) इसकी तरंगों की दैर्ध्य (लंबाई) सर्वाधिक होती है।
- लाल रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होता है, जबकि बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है।
- चूंकि प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अतः लाल रंग सबसे कम प्रकीर्णित होता है और यह दूर से सर्वाधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
- इसी कारण ट्रैफिक सिग्नल में लाल प्रकाश प्रयुक्त होता है।
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57. कथन (A): खतरे का सिग्नल लाल रंग का बनाया जाता है।
कारण (R): लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।
सही उत्तर का चयन नीचे दिए गए कूट की सहायता से कीजिए:
कूट :
(a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(b) (A) तथा (R) दोनों सही हैं, परंतु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[U.P.P.C.S. (Pre) 2007]
उत्तर – (a) (A) तथा (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
- खतरे का सिग्नल लाल रंग का बनाए जाने का सर्वप्रमुख कारण यह है कि लाल रंग सबसे कम प्रकीर्णित होता है तथा यह दूर से सर्वाधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
- वायु कणों में कम विकिरित होने वाला लाल रंग व्यक्ति तक अधिक मात्रा में पहुंचता है और दिखाई पड़ता है तथा उद्देश्य की पूर्ति करता है।
- नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे ज्यादा होता है।
- सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय जब सूर्य किरणें सर्वाधिक दूरी तय करती हैं तब प्रकाश का सबसे अधिक लाल रंग हमारे पास तक पहुंचता है, शेष रंगों का मार्ग में प्रकीर्णन हो जाता है और इसी कारण हमें सूर्य लाल दिखता है।
- आकाश का रंग नीला होने का कारण भी इसी में निहित है। सूर्य से दूर हम सूर्य का प्रकाश नहीं बल्कि प्रकीर्णित रंगों को देखते हैं।
- चूंकि बैंगनी और तत्पश्चात जामुनी एवं नीले रंग (लघु तरंगदैर्ध्य के कारण) का प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है, इसीलिए आकाश हमें नीला दिखाई पड़ता है।
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58. आकाश नीला दिखाई पड़ता है, क्योंकि-
(a) नीले प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
(b) लाल प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
(c) नीले प्रकाश का वातावरण में अवशोषण सबसे कम होता है।
(d) लाल प्रकाश का वातावरण में अवशोषण सर्वाधिक होता है।
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Pre) 2013]
उत्तर – (a) नीले प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।
- सूर्य से दूर हम सूर्य का प्रकाश नहीं बल्कि प्रकीर्णित रंगों को देखते हैं।
- चूंकि बैंगनी और तत्पश्चात जामुनी एवं नीले रंग (लघु तरंगदैर्ध्य के कारण) का प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है, इसीलिए आकाश हमें नीला दिखाई पड़ता है।
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59. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- आकाश के नीला दिखने का कारण प्रकाश का प्रकीर्णन
- इंद्रधनुष के सात रंगों का कारण है प्रकाश का प्रकीर्णन
- सूर्योदय के समय सूर्य लाल दिखने का कारण है प्रकाश का प्रकीर्णन
उपर्युक्त कथनों में से-
(a) केवल । सही है।
(b) 1 तथा 3 सही हैं।
(c) केवल 2 सही है।
(d) 2 तथा 3 सही है।
[Uttaranchal U.D.A./L.D.A. (Pre) 2003]
उत्तर – (b) 1 तथा 3 सही हैं।
- चूंकि प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होता है और बैंगनी एवं नीले रंग का तरंगदैर्ध्य कम होता है, अतः उनका प्रकीर्णन अधिक होगा।
- इसी कारण आकाश नीला दिखाई पड़ता है।
- सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय किरणों को वायुमंडल में अधिक दूरी पार करनी पड़ती है।
- इसके कारण प्रकाश की छोटी तरंगों का प्रकीर्णन हो जाता है।
- केवल लाल रंग ही न्यूनतम प्रकीर्णन के कारण आगे बढ़ता है।
- इसी कारण सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय सूर्य का रंग लाल दिखाई पड़ता है।
- वर्षा के बाद बादलों में पानी की छोटी-छोटी बूंदें रह जाती हैं, जो प्रिज्म की भांति व्यवहार करती हैं, जिनसे प्रकाश विक्षेपित होकर रंगों की एक पट्टी बनाता है, जिसे इंद्रधनुष कहते हैं।
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60. सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय सूर्य के लाल रंग का प्रतीत होने का कारण है-
(a) प्रकाश का प्रकीर्णन
(b) प्रकाश का अपवर्तन
(c) प्रकाश का संपूर्ण आंतरिक परावर्तन
(d) प्रकाश का परिक्षेपण
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (a) प्रकाश का प्रकीर्णन
- केवल लाल रंग ही न्यूनतम प्रकीर्णन के कारण आगे बढ़ता है।
- इसी कारण सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय सूर्य का रंग लाल दिखाई पड़ता है।
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61. अंतरिक्ष यात्री को आकाश का रंग दिखाई देता है-
(a) नीला
(b) सफेद
(c) काला
(d) लाल
[U.P.P.C.S.(Mains) 2005]
उत्तर – (c) काला
- सूर्य का श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है, जो इस प्रकार हैं- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी और लाल।
- बैंगनी प्रकाश का तरंगदैर्ध्य सबसे कम होता है, जबकि लाल का सबसे अधिक।
- जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वह पृथ्वी के वायुमंडल में स्थित गैस के अणुओं, धूल कणों, पराग कणों आदि से टकराता है।
- जब प्रकाश किसी कण से टकराता है, तो या तो वह उस कण के आर-पार निकल जाता है अथवा उसके द्वारा परावर्तित या छितरा दिया जाता है।
- सूर्य के प्रकाश का लाल अंश तो बिना अधिक प्रकीर्ण हुए पृथ्वी पर पहुंच जाता है पर बैंगनी, जामुनी एवं नीला प्रकाश हवा में मौजूद अणुओं आदि से प्रकीर्णित कर दिया जाता है।
- हवा के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के परिणामस्वरूप आकाश हमें नीला दिखाई देता है।
- अंतरिक्ष में जाकर आकाश को देखें तो वह काला दिखाई देगा।
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62. समुद्र नीला प्रतीत होता है-
(a) अधिक गहराई के लक्षण के कारण
(b) आकाश के परावर्तन तथा जल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
(c) जल के नीले रंग के कारण
(d) जल की ऊपरी सतह के कारण
[40th B.P.S.C. (Pre) 1995]
उत्तर – (b) आकाश के परावर्तन तथा जल के कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
- किसी रंग विकिरण का प्रकीर्णन तरंगदैर्ध्य की चतुर्थ घात के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- बैंगनी एवं नीले रंग की तरंगदैर्ध्य सबसे कम है, यही कारण है कि इनका प्रकीर्णन अधिक होता है।
- इस परिघटना के फलस्वरूप समुद्र का रंग नीला दिखाई पड़ता है।
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63. हमें (हरी) घास का रंग हरा दिखाई देता है, क्योंकि-
(a) यह हरे रंग के प्रकाश को हमारी आंखों पर परावर्तित करती है।
(b) यह हरे रंग के प्रकाश को अवशोषित करती है।
(c) यह हरे रंग के अतिरिक्त सभी रंगों के प्रकाश को परावर्तित करती है।
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2017]
उत्तर – (a) यह हरे रंग के प्रकाश को हमारी आंखों पर परावर्तित करती है।
- हरी घास की पत्तियों पर पड़ने वाले प्रकाश से पत्तियों में उपस्थित प्रकाश-संश्लेषी वर्णक मुख्यतः लाल, बैंगनी, नीला और नारंगी प्रकाश को अवशोषित करते हैं तथा हरे रंग के प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
- इसी से पत्तियां हरे रंग की दिखाई देती हैं।
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64. प्रसारी विश्व की संकल्पना आधारित है-
(a) डाप्लर प्रभाव पर
(b) स्टार्क प्रभाव पर
(c) जीमान प्रभाव पर
(d) रमन प्रभाव पर
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर – (a) डाप्लर प्रभाव पर
- प्रसारी विश्व की संकल्पना डाप्लर प्रभाव पर आधारित है।
- डाप्लर प्रभाव के कारण आकाशगंगाओं के केंद्र से आने वाले प्रकाश में उत्पन्न लाल विचलन (red shift) यह दर्शाता है कि वे हमसे दूर जा रही है अर्थात हर दिशा में ब्रह्मांड का विस्तार हो रहा है।
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65. मान लीजिए पृथ्वी से पश्चगामी हो रहे एक रॉकेट यान की चाल प्रकाश के वेग की 2/10 है। रॉकेट यान में स्थित यात्रियों को जो प्रकाश नीला दिखाई दे रहा है, वह पृथ्वी पर स्थित प्रेक्षकों को किस रंग का दिखाई देगा?
(a) नीला
(b) नारंगी
(c) पीला
(d) पीला-नारंगी
[I.A.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (c) पीला
- चूंकि नीले प्रकाश की तरंगदैर्ध्य का मान 450 nm से 475 nm तक होता है।
- अतः पृथ्वी पर स्थिक प्रेक्षक को दिखने वाले प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की रेंज 562.5 mm से 593.75 nm तक होगी, जो कि पीला प्रकाश होगा।
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66. किसी उत्तल दर्पण द्वारा अनंत तथा दर्पण के ध्रुव P के बीच रखे बिंब के प्रतिबिंब की प्रकृति क्या होगी?
(a) आभासी तथा सीधा
(b) वास्तविक तथा सीधा
(c) वास्तविक तथा उल्टा
(d) आभासी तथा उल्टा
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2020]
उत्तर – (a) आभासी तथा सीधा
- उत्तल दर्पण (Convex mirror) से प्रत्येक दशा में प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उसके ध्रुव (Pole) व फोकस के बीच, वस्तु से छोटा, सीधा एवं आभासी बनता है।
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67. कार में पीछे के यातायात के दृश्यावलोकन के लिए किस प्रकार के शीशे का प्रयोग होता है-
(a) अवतल दर्पण
(b) बेलनाकार दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) समतल दर्पण
[U.P. P.C.S. (Pre) 1991, Uttarakhand P.C.S. (Pre) 2005]
उत्तर – (c) उत्तल दर्पण
- उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब आभासी, सीधे एवं वस्तु से छोटे बनते हैं।
- इसके द्वारा काफी बड़े क्षेत्र की वस्तुओं का प्रतिबिंब एक छोटे से क्षेत्र में बन जाता है।
- इस प्रकार उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र (field view) अधिक होता है।
- इसलिए इसे मोटर वाहनों तथा बसों में चालक के बगल में पीछे के ट्रैफिक के दृश्यावलोकन के लिए लगाया जाता है।
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68. दाढ़ी बनाने के लिए काम में लेते हैं-
(a) अवतल दर्पण
(b) समतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) अवतल दर्पण
- अवतल दर्पण एक गोलाकार दर्पण है, जिसके उभरे हुए तल पर पॉ लिश की हुई होती है तथा अंदर का तल परावर्तक होता है।
- इसके द्वारा प्रतिबिंब दर्पण के सामने बड़ा बनता है, इसलिए इस दर्पण का प्रयोग दादी तथा बाल बनाने वाले शीशे के रूप में (As a shaving & hair dressing mirrors) किया जाता है।
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69. धूप से बचने के लिए छाते में रंग संयोजन निम्न में कौन-सा सबसे उचित है-
(a) ऊपर काला नीचे उजला
(b) ऊपर उजला नीचे काला
(c) मात्र काला
(d) मात्र उजला
[U.P. P.C.S. (Pre) 1993]
उत्तर – (b) ऊपर उजला नीचे काला
- श्वेत रंग प्रकाश का पूर्णतया परावर्तक है, जिससे बहुत कम मात्रा में ऊष्मा अवशोषित हो पाती है।
- अतः छाते की ऊपरी सतह सफेद होने से ही गर्मी में धूप से बचा जा सकेगा।
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70. खगोलीय दूरदर्शी से बना प्रतिबिंब होता है-
(a) काल्पनिक और छोटा
(b) काल्पनिक और बड़ा
(c) वास्तविक और छोटा
(d) वास्तविक और बड़ा
[U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (b) काल्पनिक और बड़ा
- खगोलीय दूरदर्शी से बना अंतिम प्रतिबिंब आभासी और बड़ा होता है।
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71. जब दो समानांतर समतल दर्पणों के बीच कोई वस्तु रख दी जाती है, तो बनने वाले प्रतिबिंबों की संख्या होती है-
(a) दो
(b) एक
(c) छ:
(d) अनंत
[U.P. P.C.S. (Pre) 1994, U.P.P.C.S. (Mains) 2013]
उत्तर – (d) अनंत
- दो समानांतर समतल दर्पणों के बीच यदि कोई वस्तु रख दी जाए, तो बनने वाले प्रतिबिंबों की संख्या अनंत होती है, क्योंकि प्रत्येक प्रतिबिंब परावर्तित होकर एक नया प्रतिबिंब बनाता है और इस तरह यह क्रम चलता रहता है।
- जब दो समतल दर्पण 0° कोण पर झुके हों, तो उनके द्वारा उनके मध्य में रखी वस्तु के बनाए कुल प्रतिबिंबों की संख्या 360° 0° -1 होती है।
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72. जब किसी दर्पण को θ कोण से घूर्णित किया जाए, तो परावर्तित किरण का घूर्णन होगा –
(a) 0
(b) θ/2
(c) θ
(d) 2θ
[I.A.S. (Pre) 1996]
उत्तर – (d) 2θ
- जब दर्पण पर आपतित प्रकाश किरण की दिशा परिवर्तित नहीं होती है।
- तब परावर्तित किरण का घूर्णन कोण दर्पण के घूर्णित कोण से दोगुना होता है।
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73. कथन (A): यातायात संकेतों पर जड़ी हुई कांच की छोटी-छोटी मणिकाएं उन पर प्रकाश पड़ने पर तेजी से चमकने लगती हैं।
कारण (R): प्रकाश पूर्णतः परावर्तित (Reflected) होता है, जब आपतन का कोण एक निश्चित क्रांतिक मान (Critical Value) से अधिक हो जाता है एवं अपेक्षाकृत सघन माध्यम (Denser Medium) से गुजरता हुआ प्रकाश एक अपेक्षाकृत विरल माध्यम (Rarer Medium) से परावर्तित होता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2000]
उत्तर – (a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
- जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाता है, तो क्रांतिक कोण पर या उससे अधिक कोण पर प्रकाश की पूर्ण रूप से उसी माध्यम से वापसी हो जाती है, जिसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।
- यहां मणिकाएं अपेक्षाकृत सघन माध्यम हैं।
- अतः पूर्ण आंतरिक परावर्तन के कारण वे तेजी से चमकती हैं।
- इस प्रकार कथन और कारण दोनों सही है तथा कारण कथन का सही स्पष्टीकरण है।
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74. प्रकाश में सात रंग होते हैं। रंगों को अलग करने का क्या तरीका है?
(a) एक प्रिज्म से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है।
(b) फिल्टर से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है।
(c) पौधों से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है।
(d) रंगों को अलग-अलग नहीं किया जा सकता है।
[47th B.P.S.C. (Pre) 2005]
उत्तर – (a) एक प्रिज्म से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है।
- एक प्रिज्म से रंगों को अलग-अलग किया जा सकता है।
- श्वेत प्रकाश सात रंगों के मिलने से बनता है।
- प्रिज्म से होकर गुजरने पर अलग-अलग तरंगदैर्ध्य के कारण, ये सातों रंग के प्रकाश अलग-अलग होकर वर्णपट्ट बनाते हैं।
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75. इंद्रधनुष के रंगों का सही क्रम है-
(a) नीला, हरा, बैंगनी
(b) बैंगनी, हरा, नीला
(c) नीला, पीला, हरा
(d) नीला, हरा, पीला
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) नीला, हरा, पीला
- परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण आकाश में वर्षा के बाद दिखाई देने वाला इंद्रधनुष है।
- इंद्रधनुष में दृश्य रंगों का क्रम इस प्रकार है- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी एवं लाल।
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76. जब धूप वर्षा की बूंदों पर गिरती है, तो इंद्रधनुष बनता है। इसके लिए निम्नलिखित में से कौन-सी भौतिक परिघटनाएं जिम्मेवार हैं?
- परिक्षेपण
- अपवर्तन
- आंतरिक परावर्तन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (d) 1, 2 और 3
- परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण इंद्रधनुष है।
- जब वर्षा की बूंदों पर आपतित होने वाली सूर्य की किरणों का दो बार अपवर्तन व एक बार परावर्तन होता है, तो प्राथमिक इंद्रधनुष का निर्माण होता है।
- प्राथमिक इंद्रधनुष में लाल रंग बाहर की ओर और बैंगनी रंग अंदर की ओर होता है।
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77. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण संभव है –
(a) प्रिज्म द्वारा
(b) उत्तल लेंस द्वारा
(c) अवतल लेंस द्वारा
(d) साधारण दर्पण द्वारा
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं उपर्युक्त में से एक से अधिक
[66th B.P.S.C. (Pre) (Re. Exam) 2020]
उत्तर – (a) प्रिज्म द्वारा
- जब सूर्य का श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरता है, तो यह अपवर्तन के पश्चात प्रिज्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ प्रकाश के अवयवी वर्गों में विभाजित हो जाता है।
- इस प्रक्रिया को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of Light) कहते हैं।
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78. अधोलिखित में से कौन-सा रंग इंद्रधनुष के मध्य में दिखाई देता है?
(a) नीला
(b) हरा
(c) लाल
(d) पीला
[U.P. P.C.S. (Mains) 2012]
उत्तर – (b) हरा
- इंद्रधनुष में दृश्य रंगों का क्रम इस प्रकार है-
लाल (Red), नारंगी (Orange), पीला (Yellow), हरा (Green), नीला (Blue), जामुनी (Indigo), बैंगनी (Violet) ।
- स्पष्ट है कि मध्य का रंग हरा है।
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79. दोपहर के 12 बजे किस दिशा में इंद्रधनुष दिखाई देता है-
(a) पश्चिम में
(b) दक्षिण में
(c) पूर्व में
(d) यह नहीं देख सकते
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर – (d) यह नहीं देख सकते
- दोपहर के 12 बजे सूर्य सीधे सिर के ऊपर होता है।
- अतः प्रकाश का अपवर्तन वर्षा की बूंदों में नहीं हो पाता और इंद्रधनुष हमें दिखाई नहीं पड़ेगा।
- इंद्रधनुष हमेशा सूर्य की दिशा के विपरीत दिशा में दिखाई देता है।
- जब सूर्य, पूर्व में होता है अर्थात सुबह के समय, तब इंद्रधनुष पश्चिम दिशा में दिखाई देता है तथा जब सूर्य, पश्चिम में होता है अर्थात सायं के समय इंद्रधनुष पूर्व में दिखाई देता है।
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80. कथन (A): एक छड़ी को जल में तिरछी स्थिति में डुबोया गया है। यदि बगल से देखा जाए, तो छड़ी छोटी और जल की सतह पर झुकी हुई प्रतीत होती है।
कारण (R): छड़ी से आने वाला प्रकाश जल अणुओं से प्रकीर्णित होकर छड़ी के छोटी एवं झुकी हुई होने का आभास देता है।
कूट :
(a) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण है।
(b) (A) और (R) दोनों सही हैं, और (R), (A) का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
(c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
(d) (A) गलत है, परंतु (R) सही है।
[I.A.S. (Pre) 2001]
उत्तर – (c) (A) सही है, परंतु (R) गलत है।
- छड़ी को जल में तिरछी स्थिति में डुबोने पर छड़ी छोटी तथा जल की सतह पर झुकी हुई प्रतीत होती है।
- इसका कारण प्रकाश का अपवर्तन है।
- जब छड़ी के डूबे हिस्से से चलने वाली किरणें जल की सतह पर पहुंचती हैं, तो वे सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने के कारण अभिलंब से दूर हटकर (अपवर्तित होकर) हमारी आंख में प्रवेश करती हैं।
- इस प्रकार कथन (A) सही है, जबकि कारण (R) गलत है।
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81. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
1. यदि कोई व्यक्ति पानी भरी बाल्टी में पड़े एक सिक्के को देखता है, तो उसे सिक्का अपने वास्तविक स्थल से अपेक्षाकृत निकट लगेगा।
2. यदि जल के अंदर कोई व्यक्ति जल तल से ऊपर एक सिक्के को देखता है, तो सिक्का अपने वास्तविक स्थल से अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई पर लगेगा।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही हैं/ है?
(a) 1 और 2
(b) केवल 1
(c) केवल 2
(d) न तो 1, न 2
[I.A.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (a) 1 और 2
- दोनों ही परिस्थितियों में अपवर्तन का सिद्धांत लागू होगा, क्योंकि प्रकाश के एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करने पर उसकी दिशा और चाल में परिवर्तन होगा।
- प्रथम परिस्थिति में जल से बाहर स्थित प्रेक्षक के संदर्भ में प्रकाश किरण सघन माध्यम (जल) से विरल माध्यम (वायु) में प्रवेश करती है।
- अतः अपवर्तन के कारण सिक्का अपनी वास्तविक स्थिति से निकट प्रतीत होगा।
- द्वितीय परिस्थिति में जल के अंदर स्थित प्रेक्षक के संदर्भ में प्रकाश किरण विरल माध्यम (वायु) से सघन माध्यम (जल) में प्रवेश करती है।
- अतः सिक्का अपने वास्तविक स्थल से अपेक्षाकृत अधिक ऊंचाई पर प्रतीत होगा।
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82. जल में वायु का बुलबुला, जिसकी भांति व्यवहार करेगा, यह है-
(a) उत्तल दर्पण
(b) उत्तल लेंस
(c) अवतल दर्पण
(d) अवतल लैस
[U.P. P.C.S. (Spl) (Pre) 2008, I.A.S. (Pre) 1995, U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl) (Pre) 2010, U.P. Lower Sub. (Pre) 2013]
उत्तर – (d) अवतल लैस
- पानी में डूबा हुआ वायु का बुलबुला, जिसकी सतह उत्तल होती है, अवतल लेंस (अपसारी लेंस) की भांति व्यवहार करता है।
- पानी का अपवर्तनांक वायु से अधिक होता है, इसलिए जल में डूबे हुए बुलबुले के लेंस की प्रकृति बदल जाती है।
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83. किसी व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब देखने के लिए एक समतल दर्पण की न्यूनतम ऊंचाई होनी चाहिए-
(a) व्यक्ति की ऊंचाई के बराबर
(b) व्यक्ति की ऊंचाई का आधा
(c) व्यक्ति की ऊंचाई का एक चौथाई
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[U.P. U.D.A./L.D.A. (Spl) (Mains) 2010, U.P.P.C.S. (Pre) 2011, U.P.P.C.S. (Mains) 2011, U.P.P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (b) व्यक्ति की ऊंचाई का आधा
- अगर कोई ‘h’ ऊंचाई का व्यक्ति, समतल दर्पण में अपना पूर्ण प्रतिबिंब देखना चाहता है, तो समतल दर्पण की न्यूनतम ऊंचाई h/2 होनी चाहिए।
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84. एक समतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या होती है-
(a) शून्य
(b) एक
(c) अनंत
(d) एक और अनंत के बीच
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2015]
उत्तर – (c) अनंत
- हम जानते हैं कि समतल दर्पण में प्रतिबिंब दर्पण से उतनी ही दूरी पर स्थित होता है, जितनी दूरी पर वस्तु दर्पण के सामने होती है अर्थात
d = वस्तु की दर्पण से दूरी
d = प्रतिबिंब की दर्पण से दूरी और गोलीय दर्पण के लिए फोकस दूरी अथवा तथा d एवं d में निम्न संबंध होता है
1 12 +-=- d d (यहाँ दर्पण की वक्रता त्रिज्या है)
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85. 1.50 मीटर लंबे व्यक्ति को अपना खड़ा संपूर्ण प्रतिबिंब देखने के लिए आवश्यक दर्पण की न्यूनतम लंबाई होगी-
(a) 0.75 मीटर
(b) 1.00 मीटर
(c) 1.50 मीटर
(d) 3.00 मीटर
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (a) 0.75 मीटर
- किसी भी व्यक्ति को अपना खड़ा संपूर्ण प्रतिबिंब देखने के लिए आवश्यक दर्पण की न्यूनतम लंबाई व्यक्ति की लंबाई की आधी होती है।
- अतः आवश्यक दर्पण की न्यूनतम लं. 1.50 2 मीटर = 0.75 मीटर।
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86. दूरदृष्टि दोष निवारण के लिए काम में लेते हैं
(a) अवतल लेंस
(b) उत्तल दर्पण
(c) उत्तल लेंस
(d) अवतल दर्पण
[43rd B.P.S.C. (Pre) 1999]
उत्तर – (c) उत्तल लेंस
- दूरदृष्टि दोष में निकट की वस्तुएं स्पष्ट नहीं दिखाई देतीं हैं, जबकि दूर की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देती हैं।
- इसके निवारण के लिए चश्में में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
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87. दूरदृष्टि दोष वाले व्यक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा एक सही नहीं है?
(a) व्यक्ति दूर के पिण्डों को स्पष्टतः देख सकता है।
(b) लेंस का नाभ्यान्तर अधिक होता है।
(c) निकट से पिण्डों का प्रतिबिंब रेटिना के पीछे फोकस होता है।
(d) इस दोष को ठीक करने के लिए अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है।
[U.P.P.C.S.(Pre) 2010]
उत्तर – (d) इस दोष को ठीक करने के लिए अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है।
- दूरदृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को निकट की वस्तुओं पर दृष्टि संकेंद्रित करने में परेशानी होती है।
- यह दोष मुख्यतः आंख की पुतली के अधिक छोटे होने के कारण या कॉर्निया के अधिक समतल होने के कारण उत्पन्न होता है।
- इस दोष को ठीक करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
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88. निकटदृष्टि दोष दूर करने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा लेंस उपयोग में लाया जाता है?
(a) उन्नतोदर (कॉन्यैक्स)
(b) नतोदर (कॉन्केव)
(c) वर्तुलाकार (सिलिंड्रीकल)
(d) इनमें से कोई नहीं
[M.P.P.C.S. (Pre) 2008 U.P.P.C.S. (Mains) 2011]
उत्तर – (b) नतोदर (कॉन्केव)
- निकट-दृष्टिदोष दूर करने के लिए नतोदर (अवतल अपसारी) लेंस उपयोग में लाया जाता है।
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89. निकटदृष्टि दोष को ठीक किया जाता है-
(a) उत्तल लेंस प्रयुक्त करके
(b) अवतल लेंस प्रयुक्त करके
(c) समतल अवतल लेंस प्रयुक्त करके
(d) समतल कांच प्रयुक्त करके
[U.P. Lower Sub. (Pre) 2002, U.P.P.C.S. (Mains) 2008]
उत्तर – (b) अवतल लेंस प्रयुक्त करके
- निकटदृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति निकट की वस्तु तो स्पष्ट देख लेता है, लेकिन एक निश्चित दूरी से अधिक दूरी पर रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता।
- इस दोष के निवारण के लिए व्यक्ति के चश्में में अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।
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90. जब एक व्यक्ति तीव्र प्रकाश क्षेत्र से अंधेरे कमरे में प्रवेश करता है, तो उसे कुछ समय के लिए स्पष्ट दिखाई नहीं देता है, बाद में धीरे-धीरे उसे चीजें दिखाई देने लगती हैं। इसका कारण है-
(a) पुतली के आकार में परिवर्तन।
(b) लेंस के व्यास व फोकस दूरी में परिवर्तन ।
(c) रोडोप्सीन का विरंजक व पुनःविरचन होना।
(d) आंखों का अंधेरे के प्रति कुछ समय में अनुकूलित होना।
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2008]
उत्तर – (d) आंखों का अंधेरे के प्रति कुछ समय में अनुकूलित होना।
- आंखों में स्थित ‘कोन फोटोरिसेप्टर’ (Cone Photoreceptor) तीव्र प्रकाश की स्थिति में कार्य करने हेतु अधिक अनुकूल होते हैं, जबकि ‘रॉड रिसेप्टर’ (Rod receptor) अंधेरे में कार्य करने हेतु अधिक अनुकूल होते हैं।
- तीव्र प्रकाश में रोडोप्सीन (रॉड रिसेप्टर) समाप्त हो जाता है या क्षीण होकर निष्क्रिय हो जाता है।
- जबकि अंधेरे में रोडोप्सीन के पुनः विरचन या पुनः संश्लेषण हो जाने के कारण अंधेरे में रखी वस्तुएं दिखाई देने लगती हैं।
- तीव्र प्रकाश के क्षेत्र से अंधेरे कमरे में प्रवेश करने पर पुतली के आकार में परिवर्तन भी होता है, जिससे आंखों को अंधेरे के प्रति अनुकूलित होने में कुछ समय लगता है।
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91. पढ़ने में काम आने वाले ग्लासेस, किस प्रकार के लेंस से बनते हैं?
(a) अवतल
(b) उत्तल
(c) साधारण
(d) दोनों (a) और (b)
[44th B.P.S.C. (Pre) 2000]
उत्तर – (b) उत्तल
- बीच में मोटे तथा किनारे पर पतले आकार वाले ग्लासेस को उत्तल लेंस (Convex lens) कहते हैं।
- यह अनंत से आने वाली किरणों को सिकोड़ता है।
- अतः इसे अभिसारी लेंस (Converging lens) भी कहते हैं।
- उत्तल लेंस या अभिसारी लेंस का उपयोग पढ़ने में काम आने वाले ग्लासेस में करते हैं।
- यह दूरदृष्टि दोष के निवारण हेतु प्रयुक्त होता है।
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92. आंख में संकेंद्रण होता है
(a) लेंस की उत्तलता में परिवर्तन द्वारा
(b) लेंस की आगे-पीछे गति द्वारा
(c) रेटिना की आगे-पीछे गति द्वारा
(d) आंख के तरल के अपवर्तनांक में परिवर्तन द्वारा
[U.P.P.S.C. (R.I.) 2014]
उत्तर – (a) लेंस की उत्तलता में परिवर्तन द्वारा
- आंख में संकेंद्रण लेंस की उत्तलता में परिवर्तन द्वारा होता है।
- अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।
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93. निम्नलिखित कथनों में से कौन एक सही नहीं है?
(a) मृगतृष्णा एक प्रकाशिक भ्रम है, जो प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन से उत्पन्न होता है।
(b) “सर्चलाइट” में अवतल दर्पण प्रयुक्त होता है।
(c) गर्मी में सामान्यतया सफेद या हल्के रंग वाले कपड़े गाढ़े रंग के कपड़ों की तुलना में वरीय माने जाते हैं।
(d) एक छोटे छिद्र वाला उत्तल दर्पण डॉक्टरों द्वारा रोगियों के कान, नाक या गले की जांच के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
[U.P.P.C.S. (Mains) 2010]
उत्तर – (d) एक छोटे छिद्र वाला उत्तल दर्पण डॉक्टरों द्वारा रोगियों के कान, नाक या गले की जांच के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
- हेड मिरर (Head Mirror) का प्रयोग डॉक्टरों द्वारा कान, नाक एवं गले की जाँच करने के लिए किया जाता है।
- यह एक छोटे छिद्र वाला अवतल दर्पण होता है।
- प्रश्नगत अन्य तीनों विकल्प सही हैं।
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94. खोज बत्ती में दर्पण जो प्रयुक्त होता है, वह है-
(a) नतोदर दर्पण
(b) उन्नतोदर दर्पण
(c) सादा दर्पण
(d) इनमें से कोई नहीं
[U.P.P.C.S.(Mains) 2009]
उत्तर – (a) नतोदर दर्पण
- कारों की हेडलाइट, खोज बत्ती (Search light) आदि में परावर्तक के रूप में अवतल या नतोदर दर्पण का प्रयोग किया जाता है।
- अवतल दर्पण के प्रयोग द्वारा खोज बत्ती से समानांतर प्रकाश पुंज उत्पन्न होता है।
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95. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी होती है (सेमी.)-
(a) 25
(b) 5
(c) 75
(d) 100
[U.P.P.C.S.(Mains) 2008]
उत्तर – (a) 25
- नेत्र के सामने की वह निकटतम दूरी, जहाँ पर रखी वस्तु नेत्र को स्पष्ट दिखाई देती है, नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहलाती है।
- सामान्य आंख के लिए यह 25 सेमी. होती है।
- इसे आंख का निकट बिंदु कहते हैं।
- निकट बिंदु की तरह दूर बिंदु भी होता है, सामान्य आंख के लिए यह अनंत होता है।
- इस प्रकार सामान्य मनुष्य की नेत्र दृष्टि का विस्तार 25 सेमी. से लेकर अनंत तक होता है।
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96. आंख के लेंस का फोकल दूरी किसके कार्य से परिवर्तित होती है?
(a) पुतली
(b) रेटिना
(c) सिलियरी मांसपेशी
(d) आयरिस
(e) उपर्युक्त में से कोई नहीं
[Chhattisgarh P.C.S. (Pre) 2014]
उत्तर – (c) सिलियरी मांसपेशी
- सिलियरी मांसपेशियों के शिथिलन-संकुचन से आंख के लेंस की मोटाई में परिवर्तन होता है, जिसके फलस्वरूप आंख के लेंस की फोकल दूरी परिवर्तित हो जाती है।
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97. लेंस की शक्ति मापी जाती है-
(a) डायोप्टर में
(b) इअन में
(c) ल्यूमन में
(d) कैडेला में
[M.P.P.C.S. (Pre) Exam. 2017]
उत्तर – (a) डायोप्टर में
- एक लेंस की क्षमता या शक्ति (P), फोकस दूरी (f) के प्रतिलोम (Reciprocal) के बराबर होती है, जबकि फोकस दूरी मीटर में मापी गई हो।
- P = 1 f(मीटर) लेंस क्षमता का मात्रक डायोप्टर (Dioptre) होता है।
- इसे संकेत (D) से प्रदर्शित करते हैं।
- उत्तल लेंस की क्षमता धनात्मक एवं अवतल लेंस की ऋणात्मक होती है।
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98. यदि किसी ऐनक के लेंस की पावर + 2 डायोप्टर हो, तो इसके फोकस की दूरी होगी-
(a) 200 सेमी.
(b) 100 सेमी.
(c) 50 सेमी.
(d) 2 सेमी.
[41st B.P.S.C. (Pre) 1996]
उत्तर – (c) 50 सेमी.
- हम जानते हैं कि F= 1/p मीटर = 100 सेमी. या f= 100/2=50 सेमी. 2
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99. धूप के चश्में की पॉवर होती है
(a) 0 डायोप्टर
(b) 1 डायोप्टर
(c) 2 डायोप्टर
(d) 4 डायोप्टर
[U.P. P.C.S. (Pre) 1995]
उत्तर – (a) 0 डायोप्टर
- धूप के चश्में की पॉवर शून्य डायोप्टर होती है।
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100. समान फोकस दूरी वाले कांच के दो लेंस, जिनमें एक उत्तल तथा दूसरा अवतल लेंस हैं, एक-दूसरे से सटाकर रखे गए हैं। इस युग्म का व्यवहार होगा
(a) अभिसारी लेंस की भांति
(b) अपसारी लेंस की भांति
(c) कांच की समतल चादर की भौति
(d) दर्पण की भांति
[U.P. G.I.C. 2017]
उत्तर – (c) कांच की समतल चादर की भौति
- समान फोकस दूरी के अभिसारी एवं अपसारी लेंस को एक साथ सटाकर रखने पर वे कांच की समतल प्लेट की तरह व्यवहार करेंगे, क्योंकि अभिसारी लेंस की फोकस दूरी धनात्मक तथा अपसारी लेंस की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है, जिससे कि दोनों लेंसों के युग्म प्रतिफल शून्य हो जाता है और यह संयुग्मन समतल प्लेट की तरह काम करता है।
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101. कैमरे का द्वारक और कपाट गति का निम्नलिखित में से कौन-सा संयोग अधिकतम उद्भासन होने देगा?
(a) f-22, 1/60
(b) f-16, 1/125
(c) f-8, 1/250
(d) f-5. 6, 1/1000
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (a) f-22, 1/60
- कैमरे का उद्मासन कैमरे के द्वारक के क्षेत्रफल तथा समय पर निर्भर करता है।
- अतः उद्भासन dxt के अनुक्रमानुपाती होगा।
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102. आंख के रेटिना की परंपरागत कैमरा के निम्नलिखित में से किस भाग से तुलना की जा सकती है?
(a) फिल्म
(b) लेंस
(c) शटर
(d) आवरण
[U.P.P.C.S. (Pre) 2011]
उत्तर – (a) फिल्म
- आंख का रेटिना परंपरागत कैमरे की फिल्म की तरह कार्य करता है।
- रेटिना, अपने से टकराने वाली प्रकाश किरणों को विद्युतीय सिग्नलों में परिवर्तित कर देता है, जिन्हें दृश्य शिराएं मस्तिष्क तक ले जाती हैं।
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103. मनुष्य की आंख में किसी वस्तु का प्रतिबिंब जिस भाग पर बनता है, वह है-
(a) स्वच्छ मंडल
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
[Uttarakhand Lower Sub. (Pre) 2010]
उत्तर – (d) दृष्टिपटल
- मनुष्य के नेत्र की कार्य-प्रणाली फोटोग्राफिक कैमरे से मिलती-जुलती है।
- जिस वस्तु को हम देखते हैं, उससे चलने वाली किरणें कॉर्निया और नेत्रोद द्रव से होकर पुतली के रास्ते से लैस पर पड़ती हैं।
- दृष्टिपटल (Retina) इसे फोकस कर देता है, जहां पर वस्तु का छोटा तथा उल्टा प्रतिबिंब बन जाता है।
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104. किसी अपारदर्शी वस्तु का रंग उस रंग के कारण होता है, जिसे वह-
(a) अवशोषित करता है।
(b) अपरिवर्तित करता है।
(c) परावर्तित करता है।
(d) प्रकीर्ण करता है।
[I.A.S. (Pre) 1994]
उत्तर – (c) परावर्तित करता है।
- जब प्रकाश किरणें वस्तुओं पर आपतित होती हैं, तो वे उनसे परावर्तित होकर हमारी आंखों पर पड़ती हैं और वस्तुएं हमें दिखाई देने लगती हैं।
- प्रकाश का परावर्तित भाग ही वस्तुओं का रंग निर्धारित करता है।
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105. एक रंगीन टेलीविजन में तीन आधारभूत रंगों के मिश्रण से रंग बनते हैं, ये हैं-
(a) लाल, नीला तथा नारंगी
(b) लाल, हरा तथा नीला
(c) लाल, पीला तथा हरा
(d) लाल, हरा तथा भूरा
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1992]
उत्तर – (b) लाल, हरा तथा नीला
- रंगीन टेलीविजन में प्रयुक्त होने वाली कैथोड किरण नलिका (Cathode Ray Tube) में तीन विभिन्न फॉस्फर (Phosphor) का प्रयोग होता है, जो लाल, हरे तथा नीले रंग को उत्सर्जित करते हैं।
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106. जब लाल, नीले तथा हरे प्रकाश का पुंज एक स्थान पर पड़ता है, तब प्रकाश का रंग हो जाता है-
(a) बैंगनी
(b) लाल
(c) पीला
(d) सफेद
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 2003]
उत्तर – (d) सफेद
- प्रकाश में तीन मूल या प्राथमिक रंग होते हैं (i) लाल, (ii) हरा और (iii) नीला।
- इनको मिलाने से द्वितीयक रंगों (पीला, मैजेंटा) का निर्माण हो सकता है।
- एक प्राथमिक और एक द्वितीयक रंग के जोड़े को एक-दूसरे का पूरक रंग कहते हैं।
- सभी प्राथमिक रंगों अथवा सभी द्वितीयक रंगों को मिलाने पर सफेद रंग के प्रकाश की उत्पत्ति होती है।
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107. सूर्य के प्रकाश में रंगों की संख्या होती है-
(a) 3
(b) 5
(c) 6
(d) 7
[U.P.P.C.S. (Mains) 2015]
उत्तर – (d) 7
- सूर्य का श्वेत प्रकाश सात रंगों का मिश्रण है, जो इस प्रकार है- बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी तथा लाल।
- उल्लेखनीय है कि जब श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म से होकर पार कराया जाता है, तो यह सात रंगों में विभक्त हो जाता है, इसे ‘प्रकाश का विक्षेपण’ कहते हैं।
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108. निम्न रंगों में विषम को पहचानिए-
(a) हरा
(b) भूरा
(c) लाल
(d) पीला
[R.A.S./R.T.S. (Pre) 1999]
उत्तर – (b) भूरा
- सूर्य के प्रकाश में उपस्थित सात रंगों (VIBGYOR) में भूरा रंग नहीं पाया जाता है।
- अतः भूरा रंग असंगत है।
- उल्लेखनीय है कि जब श्वेत प्रकाश को किसी प्रिज्म से होकर पार कराया जाता है, तो यह सात रंगों ‘VIBGYOR’ (Voilet, Indigo, Blue, Green, Yellow, Orange, Red) में टूट जाते हैं।
- इस घटना को प्रकाश का विक्षेपण अथवा वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
- इंद्रधनुष का निर्माण इसी घटना के परिणामस्वरूप होता है।
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109. निम्नलिखित परिघटनाओं पर विचार कीजिए-
- गोधूलि से सूर्य का आमाप
- ऊषाकाल में सूर्य का रंग
- ऊषाकाल में चन्द्रमा का दिखना
- आकाश में तारों का टिमटिमाना
- आकाश में ध्रुवतारे का दिखना
उपर्युक्त में से कौन-से दृष्टिभ्रम हैं?
(a) 1, 2 और 3
(b) 3, 4 और 5
(c) 1, 2 और 4
(d) 2, 3 और 5
[I.A.S. (Pre) 2013]
उत्तर – (c) 1, 2 और 4
- संध्या के समय सूर्य का आकार बड़ा दिखना एक दृष्टिभ्रम है।
- ऊषाकाल में सूर्य का लाल दिखना एवं आकाश में तारों का टिमटिमाना भी एक दृष्टिभ्रम है।
- आसमान में जगमगाते तारों को देखकर हमें ऐसा लगता है, जैसे वे अनवरत नहीं चमक रहे बल्कि पल-पल चमकना बंद करते रहते हैं।
- लेकिन ऐसी बात नहीं है, तारे निरंतर एक समान चमकते रहते हैं।
- वायुमंडल में विभिन्न घनत्व वाली परतें होती हैं।
- अतः तारों से चलने वाले प्रकाश का अपवर्तन इन विभिन्न घनत्व वाली परतों से होता है और प्रकाश की मात्रा घट-बढ़ जाती है, साथ ही वायुमंडल की परतें भी हिलती रहती हैं।
- अतः तारे टिमटिमाते नजर आते हैं।
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