नीली अर्थव्यवस्था : आर्थिक विकास और पारिस्थितिकीय संधारणीयता

प्रश्न: भारत द्वारा अपने विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास में, परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार नीली अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास और पारिस्थितिकीय संधारणीयता के उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता कर सकती है।

दृष्टिकोण

  • नीली अर्थव्यवस्था को परिभाषित कीजिए।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि, विकास और पारिस्थितिकीय संधारणीयता में इसकी संभावित भूमिका का परीक्षण  कीजिए।
  • इस संदर्भ में, भारत द्वारा उठाए गए कुछ कदमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

‘नीली अर्थव्यवस्था’ पद से तात्पर्य आर्थिक संवृद्धि, बेहतर आजीविका एवं रोज़गार तथा महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महासागरीय संसाधनों के संधारणीय उपयोग से है। इसमें विभिन्न घटक, जैसे- जलीय कृषि, समुद्री पर्यटन, नीली-जैव प्रौद्योगिकी, महासागरीय ऊर्जा, समुद्री उत्खनन, अपतटीय तेल और गैस आदि शामिल हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था की संवृद्धि, विकास और पारिस्थितिक संधारणीयता में नीली अर्थव्यवस्था की भूमिका:

  • हिंद महासागर क्षेत्र मत्स्यन एवं खनिज, यथा- पॉलीमेटैलिक नोड्यूल्स/सल्फाइड जैसे संसाधनों से समृद्ध है।
  • वाणिज्यिक और निर्वाह मत्स्यन विश्व भर में 38 मिलियन से अधिक लोगों की आजीविका के आधार हैं। FAO की एक रिपोर्ट के अनुसार जहाँ विश्व के अन्य महासागरों में मत्स्यन की सीमा सीमित हो रही हैं, वहीं हिंद महासागर के पास संसाधनों के उत्पादन को निरंतर बनाए रखने की क्षमता है।
  • भारत का 95% से अधिक व्यापार समुद्री मार्ग से संपन्न होता है।
  • नवीकरणीय/संधारणीय समुद्री ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जोखिम शमन सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं।
  • महासागर एवं तटीय पर्यटन रोजगार और आर्थिक संवृद्धि का सृजन कर सकते हैं।
  • अपशिष्ट प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका, क्योंकि महासागरों में 80% कचरा भू-आधारित स्रोतों से प्रवाहित होता है।

उठाए गए कदम

  • सागरमाला परियोजना बंदरगाह आधुनिकीकरण, कुशल निकासी और तटीय आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए पूर्ण रूप से उपयोग न होने वाले बंदरगाहों के मुद्दे से निपटने हेतु बंदरगाह आधारित विकास के लिए एक रणनीतिक पहल है।
  • सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत, जहाज निर्माण उद्योग तीव्रता से लाभान्वित हो सकता है।
  • नैरोबी में सस्टेनेबल ब्लू इकोनॉमी कॉन्फ्रेंस में भारत की सक्रिय भागीदारी।

2032 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के उद्देश्य को पूरा करने में नीली अर्थव्यवस्था एक वृद्धि उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सकती है। भारत इंडियन ओशन रिम एसोसियेशन (IORA) के ढांचे के माध्यम से एक संधारणीय, समावेशी और जन-केंद्रित नीली अर्थव्यवस्था के विकास का समर्थन करता है और इसे “सागर” (सिक्यूरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन: SAGAR) में व्यक्त किया गया है।

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