भारत-बांग्लादेश संबंधों के इतिहास का संक्षिप्त वर्णन : संबंधों को आगे और अधिक सुदृढ़ बनाने वाले उपायों की चर्चा
प्रश्न: भारत-बांग्लादेश संबंधों को भातृत्व पूर्ण मित्रता में से एक कहा जाता है। बीते कुछ वर्षों में इस संदर्भ में प्रमुख उपलब्धियां क्या रही हैं? साथ ही, इन संबंधों को आगे और सुदृढ़ बनाने हेतु कुछ उपायों की पहचान कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत-बांग्लादेश संबंधों के इतिहास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- इन संबंधों की प्रमुख उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- संबंधों को आगे और अधिक सुदृढ़ बनाने वाले उपायों की चर्चा कीजिए।
- निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
भारत और बांग्लादेश, समान औपनिवेशिक इतिहास, सांस्कृतिक संबंध और विभाजन त्रासदी को साझा करते हैं। अतः दोनों के मध्य के संबंधों को भातृत्व पूर्ण मित्रता कहा जाना उचित ही है। भारत ने बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध में भी मदद की थी जिसमें अंततः 1971 में बांग्लादेश को विजय प्राप्त हुई थी। तदुपरांत दोनों देशों ने सुरक्षा और रक्षा, व्यापार और वाणिज्य, स्वास्थ्य, विद्युत्, कनेक्टिविटी, शिक्षा, कौशल विकास, ई-गवर्नेस आदि क्षेत्रों में सहयोग को संस्थागत बनाया है।
भारत-बांग्लादेश संबंधों की हाल की प्रमुख उपलब्धियां:
- संविधान (100 वां) संशोधन अधिनियम, 2015 के अंतर्गत भूमि सीमा समझौता और विदेशी अन्तः-क्षेत्रों का आदान प्रदान। UNCLOS के प्रावधानों के अनुसार 2014 में स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के माध्यम से बांग्लादेश और भारत के मध्य बे ऑफ़ बंगाल मैरीटाइम बाउंड्री आर्बिट्रेशन (बंगाल की खाड़ी समुद्री सीमा मध्यस्थता)।
- सुरक्षा; आप्रवासन; सीमा शुल्क तथा व्यक्तियों, माल व परिवहन के क्वारंटीन (quarantine) से संबंधित संचालन की दक्षता हेतु वर्ष 2016 में पेट्रापोल इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) आरम्भ किया गया।
- ढाका-शिलांग-गुवाहाटी और कोलकाता-ढाका-अगरतला मार्गों पर सीमा-पारीय बस सेवाएं प्रारम्भ की गयीं। फ्रेमवर्क एग्रीमेंट ऑफ़ कोऑपरेशन फॉर डेवलपमेंट (FACD) 2011 पर प्रगति।
- 2015 में हस्ताक्षरित 20 अन्य समझौतों के साथ बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में ब्लू इकोनॉमी और मेरीटाइम कोऑपरेशन पर समझौता ज्ञापन।
- भेरामारा-बहरामपुर और त्रिपुरा-दक्षिण कोमिला इंटरकनेक्शन के माध्यम से 600 मेगावॉट विद्युत् पारेषित की गई।
- 2010 में ट्रांसफर ऑफ़ सेंटेन्स्ड पर्सन एग्रीमेंट (Transfer of Sentenced Person Agreement) पर हस्ताक्षर किए गए।
- बांग्लादेश के विकास हेतु भारत द्वारा कई बार लाइन ऑफ़ क्रेडिट (ऋण सहायता) प्रदान की गई।
- त्रिपुरा में पलटाना पावर प्लांट की स्थापना के लिए बांग्लादेश द्वारा लॉजिस्टिक सहयोग।
दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसियों द्वारा साझा किये जाने वाले समान मुद्दों की विस्तृत श्रृंखला को देखते हुए भविष्य में दोनों देशों के सम्बन्ध और भी ठोस आकार ले सकते हैं:
- तीस्ता से संबंधित जल-बँटवारा समझौता।
- दक्षिण एशियाई एकीकरण के लिए SAARC, BIMSTEC, BBIN, BCIM इकोनॉमिक कॉरिडोर, मेकांग गंगा सहयोग पहल इत्यादि जैसे संगठनों का सक्रिय संचालन।
- पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों की कनेक्टिविटी और उनके विकास के लिए बांग्लादेश का सहयोग प्राप्त करना।
- व्यापार की सुविधा के लिए, आतंकवाद को रोकने के लिए तथा सीमाओं के आर-पार मानव और मवेशी-तस्करी रोकने के लिए सीमाओं पर बाड़ लगाना और हाट को बढ़ावा देना।
- मणिपुर में तिपाईमुख जलविद्युत संयंत्र के संबंध में पारिस्थितिक चिंताएं।
- बांग्लादेश की ऊर्जा आवश्कताओं की पूर्ति हेतु भारत-बांग्ला मैत्री पाइपलाइन को पूरा करना।
- बांग्लादेश के अल्पकालिक तरलता मुद्दों का समाधान करने के लिए करेंसी स्वैप एग्रीमेंट।
- सैन्य हार्डवेयर खरीद पर सहयोग।
- रोहिंग्या शरणार्थियों के अन्तर्वाह का संवेदनशील प्रबंधन।
2018 में बांग्लादेश में आगामी चुनाव और असम में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर हेतु अभियान को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि भारत-बांग्लादेश संबंध दोनों देशों की आतरिक राजनीति से प्रभावित न हों। संबंधों को एक साधारण द्विपक्षीय परिप्रेक्ष्य से कहीं आगे ले जाने के लिए अधिक सशक्त राजनीतिक इच्छाशक्ति और अभिनव दृष्टिकोण प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
Read More
- भारत और इसके डायस्पोरा के बीच सहभागिता : भारत की विदेशी नीति
- भारत-चीन संबंधों का एक संक्षिप्त परिचय
- भारत-रूस के मध्य संबंध : भू-राजनीतिक वास्तविकताओं पर चर्चा
- पश्चिम एशिया में अपने विस्तारित पड़ोस के साथ भारत की सहभागिता : ‘लुक वेस्ट’ दृष्टिकोण
- भारत-नेपाल शांति एवं मैत्री संधि, 1950