भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A के महत्व और उससे संबद्ध विवाद
प्रश्न: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 35A के महत्व और उससे संबद्ध विवादों, यदि कोई हो, की व्याख्या कीजिए।
दृष्टिकोण
- अनुच्छेद 35A को संक्षेप में परिभाषित कीजिए।
- इसके महत्व को वर्णित कीजिए।
- इस अनुच्छेद से संबद्ध विवादों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर
संविधान का अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के विधानमंडल को राज्य के ‘स्थायी निवासियों’ को परिभाषित करने तथा उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों, राज्य में संपत्ति का अधिग्रहण, छात्रवृत्ति और अन्य सार्वजनिक सहायता एवं कल्याणकारी योजनाओं में विशेषाधिकार प्रदान करने के संदर्भ में एक व्यापक वीटो (blanket veto) प्रदान करता है।
इस अनुच्छेद का महत्व:
- यह कश्मीर राज्य में केवल कश्मीरियों को विशेषाधिकार प्रदान करता है जिससे कश्मीरी जनांकिकी और कश्मीरीयत की संस्कृति की अक्षुण्णता को सुनिश्चित किया जा सके।
- अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक स्थिति के विधायी इतिहास को प्रभाव प्रदान करता है। उप-राज्यपाल बनाम दिल्ली सरकार वाद में उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक खंडपीठ द्वारा विधायी इतिहास के महत्व को रेखांकित किया गया है। इसमें यह निर्धारित किया गया कि विधियों की व्याख्या के दौरान विधायिका द्वारा उस विधि के निर्माण के वास्तविक उद्देश्य को समझना आवश्यक है।
- यह सुनिश्चित करता है कि संपत्ति, नौकरियों और राज्य की अन्य कल्याणकारी योजनाओं का बाहरी लोगों द्वारा दुरुपयोग न किया जा सके। इस प्रकार यह कश्मीरियों के लिए विकास के अवसरों को सुविधाजनक बनाता है।
- यह जम्मू-कश्मीर राज्य को विलय पत्र के प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार द्वारा प्रदत्त अपनी स्वायत्त स्थिति का प्रयोग करने में सहायता करता है। इसके माध्यम से यह पृथकतावादी प्रवृत्तियों को सीमित करता है और भारत के साथ जम्मू कश्मीर के एकीकरण एवं सहयोग को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
विवाद
- कश्मीरी लोगों में असुरक्षा की भावना: अनुच्छेद 35A राज्य को स्वायत्तता प्रदान करता है। हालांकि, यह कश्मीरियों के लिए भारत के अन्य हिस्सों के साथ स्वयं को एकीकृत करने के अवसर को भी कम कर देता है जो उनमें असुरक्षा का भाव उत्पन्न कर सकता है।
- कश्मीरी महिला के अधिकारों और स्वायत्तता को अस्वीकृति: कश्मीरी महिला को किसी गैर-कश्मीरी के साथ विवाह करने की स्थिति में संपत्ति के स्वामित्व के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
- भेदभाव संबंधी प्रावधान: जम्मू-कश्मीर के स्थायी नागरिकों को विशेष सुरक्षा प्रदान करके, अनुच्छेद 35A पर “भारतीय नागरिकों के वर्ग के भीतर वर्ग” के सृजन का आरोप लगाया जाता है।
- इस प्रावधान की संवैधानिकता: कुछ लोगों का यह मानना है कि अनुच्छेद 35A को “असंवैधानिक” घोषित किया जाना चाहिए क्योंकि राष्ट्रपति द्वारा 1954 के आदेश द्वारा “संविधान में संशोधन” नहीं किया जाना चाहिए था और साथ ही इसे केवल एक “अस्थायी प्रावधान” के रूप में ही शामिल किया गया था। इस अनुच्छेद को संसद के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया था।
इस विवाद से संबद्ध दोनों पक्ष अनुच्छेद 35A को समाप्त करने या न करने के मुद्दे पर वैधानिक तर्क प्रस्तुत करते हैं, किन्तु आम सहमति तक पहुंचने और कश्मीरी लोगों की चिंताओं का समाधान करने के बाद ही कोई आगे का कदम उठाया जा सकता है।
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