राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 (National Health Policy 2017)
2002 की पिछली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) के बाद, सामाजिक-आर्थिक परिर्वतन और महामारी के वर्तमान और उभरती हुयी चुनौतियों के समाधान के लिए मंत्रिमंडल ने हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 को अनुमोदित किया है।
नई नीति में देखा गया बदलाव
- संचारी से गैर-संचारी रोगों की ओर: NHP ने गैर-संचारी रोगों (NCDs) जो कि भारत में 60 प्रतिशत मौतों के कारण हैं,
को नियंत्रित करने में राज्य द्वारा कदम उठाए जाने की आवश्यकता की बात कही है। इस प्रकार, यह नीति प्री-स्क्रीनिंग की सलाह देती है और वर्ष 2025 तक NCDs के कारण होने वाली समयपूर्व मौतों को 25 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य निर्धारित करती है। - निजी क्षेत्र के साथ सहयोग और उसका विनियमनः 2002 के बाद से निजी क्षेत्र का व्यापक विकास हुआ है, वर्तमान में दो तिहाई से भी अधिक सेवाएं निजी क्षेत्र द्वारा प्रदान की जा रही हैं। हालांकि यह नीति रोगी-केंद्रित प्रतीत होती है क्योंकि इसमें निम्नलिखित प्रावधान किये गए हैं:
- नेशनल हेल्थ केयर स्टैंडर्स ऑर्गेनाईजेशन (NHCSO) – मानक और प्रोटोकॉल निर्धारित करने के लिए।
- शिकायतों के निवारण के लिए ट्रिब्यूनल।
बीमार की देखभाल से अच्छे स्वास्थ्य की ओरः NHP,
निवारक स्वास्थ्य देखभाल (प्रिवेन्टिव हेल्थकेयर) में निवेश करना चाहती है। इसके लिए,
- प्रारंभिक जांच और निदान को एक सार्वजनिक उत्तरदायित्व बना दिया गया है।
- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम और स्वास्थ्य एवं स्वच्छता को पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर शिशु और किशोर स्वास्थ्य का
सर्वोत्कृष्ट स्तर प्राप्त करने के लिए प्राथमिक देखभाल (pre-emptive care) के प्रति प्रतिबद्धता। - यह नीति स्वास्थ्य बजट के दो तिहाई भाग या इससे अधिक को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय करने का समर्थन करती है।
- हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को सुनिश्चित करना।
- MoEf, MoHWS, MoA, MoUD, MoHRD, MoWCD आदि विभिन्न मंत्रालयों को सम्मिलित करते हुए अन्तक्षेत्रक
दृष्टिकोण। - शहरी स्वास्थ मामलेः गरीब आबादी पर विशेष ध्यान देते हुए और वायु प्रदूषण, वाहक नियंत्रण, हिंसा व शहरी तनाव में कमी समेत स्वास्थ्य के व्यापक निर्धारकों के बीच अभिसरण कर शहरी आबादी की प्राथमिक चिकित्सा आवश्यकताओं को संबोधित किए जाने को प्राथमिकता।
स्वास्थ्य नीति के प्रावधान, इसके सकारात्मक प्रभाव और संबंधित मुद्देः
प्रावधान | सकारात्मक प्रभाव | संबंधित मुद्दे |
निम्नलिखित के माध्यम से सभी के लिए वहनीय और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल:
|
|
|
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) 2017 से जुड़े अन्य मुद्देः
- इसके अंतर्गत, मानकों को बनाए रखने का कार्य बहुत हद तक राज्यों पर छोड़ दिया गया है। वर्तमान परिस्थिति राज्यों को बहुत अधिक छूट प्रदान करती है, यहाँ तक कि वे आवश्यक अधिनियम जैसे क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट 2010 तक को अस्वीकार कर सकते हैं। क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट 2010 को क्लीनिकल मानकों को विनियमित करने एवं नीमहकीमी (quackery) को समाप्त करने के उद्देश्य से संसद द्वारा पारित किया गया था।
- यह स्वास्थ्य को प्रभावित करनेवाले सामाजिक निर्धारकों के बारे में चर्चा नहीं करती है।
- यह सार्वजनिक स्वास्थ्य शिक्षा (जो MCI के अधिदेश से बाहर है) की चर्चा नहीं करती है। यह सिर्फ चिकित्सा शिक्षा और
पैरामेडिकल शिक्षा आदि की चर्चा करती है। - NHP 2015 के प्रारूप में सम्मिलित विभिन्न प्रगतिशील उपायों, जैसे कि स्वास्थ्य का अधिकार, वर्ष 2020 तक सार्वजनिक
व्यय को बढ़ाना और स्वास्थ्य उपकर लगाने को नजरअंदाज किया गया है।
इस प्रकार, स्वास्थ्य संबंधी SDG लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, अर्थात् वर्ष 2030 तक सभी के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि हेतु, केंद्र और राज्य के बीच व्यापक एवं सशक्त समन्वय तथा प्रभावी कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।
NHP 2017 के अंतर्गत लक्ष्य
- जीवन प्रत्याशा को 2025 तक 67.5 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष करना।
- वर्ष 2019 तक शिशु मृत्यु दर को कम करके 28 तक लाना।
- वर्ष 2025 तक पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर को कम करके 23 तक लाना।
- राष्ट्रीय और उप राष्ट्रीय स्तरों पर वर्ष 2025 तक कुल प्रजनन दर को घटा कर 2.1 करना।
- वर्ष 2020 तक मातृ मृत्यु दर (MMR) को वर्तमान स्तर से घटा कर 100 पर लाना।
- वर्ष 2025 तक नवजात मृत्यु दर को कम करके 16 और स्थिर जन्म दर को कम करके “इकाई अंक” में लाना।
Read More
- स्वास्थ्य से संबंधित सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों (MDG) का उल्लेख
- निबंध: भारत में स्वास्थ्य देखभाल( Essay on Health care in India)
- राष्ट्रीय आयुष मिशन (NAM) : मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में आयुष को सम्मिलित करने के सम्मुख विद्यमान चुनौतियां
- सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना के घटक : अवसंरचना से संबद्ध समस्यायें
- भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट की स्थिति : प्लास्टिक अपशिष्ट एक प्रमुख पर्यावरणीय और लोक स्वास्थ्य संबंधी समस्या