सूचना और ज्ञान (Information and Knowledge)

  •  हालांकि प्रासंगिक, समयानुकुल और सटीक स्वास्थ्य देखभाल आंकड़े की उपलब्धता एक चुनौती बनी रहेगी, लेकिन
    सार्वजनिक स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छे निर्णयन हेतु वर्तमान में पर्याप्त स्वास्थ्य सम्बन्धी आंकड़े उपलब्ध हैं।
  • मेडिकल ई-रिकॉड्र्स, टेलीमेडिसिन सर्विसेज, ई-रक्त कोष, ई-औषधि और मेरा अस्पताल जैसे सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों ने
    भी पारदर्शिता, जवाबदेही और राज्य स्तर से सुदूरवर्ती प्राथमिक देखभाल स्तर तक सूचनाओं की आसान पहुंच में वृद्धि की
  • मानकीकृत रजिस्टरों, तकनीक के संचालन हेतु प्रशिक्षण और अभिविन्यास, निम्नस्तरीय इंटरनेट कनेक्टिविटी और अबाधित विद्युत् की आपूर्ति की कमी है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न कार्यक्रमों के तहत कई रजिस्टरों जैसे डिलिवरी रजिस्टर, स्टॉक रजिस्टर, टीकाकरण, प्रयोगशाला रजिस्टर, लाइन लिस्टिंग को बनाए रखा जा रहा है। आशा (Accredited Social Health Activist: ASHA) और सहायक नर्स मिडवाइफ (Auxiliary Nurse Midwife: ANM) को केवल रजिस्टरों को पूरा करने में ही 5-6 घंटे का समय लगता है।
  • स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (Health Management Information System: HMIS), मदर एंड चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (MCTS) सहित अन्य विभिन्न पोर्टलों पर क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। अधिकांश राज्यों को नए डेटा घटकों और प्रशिक्षण की आवश्यकता के संबंध में जागरूकता नहीं थी। पहचान और सेवा सम्बन्धी प्रावधान में विलंब भी एक प्रमुख
    मुद्दा रहा है।

सम्बंधित जानकारी

इको क्लीनिक (Extension for Community Healthcare Outcomes Clinic: Echo clinic) एक वर्चुअल क्लीनिक की अवधारणा है, जिसके तहत साप्ताहिक या पाक्षिक आधार पर सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों द्वारा टेलीकॉन्फ्रेंसिंग का प्रयोग कर पिछड़े क्षेत्रों तक उनकी सेवाओं को पहुंचाया जाता है।

  • टेलीमेडिसिन की तरह यह रोगियों को प्रत्यक्ष रूप से देखभाल प्रदान नहीं करता है। इसके स्थान पर, यह सुदूरवर्ती क्षेत्रों में
    प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों के जटिल मामलों के प्रबंधन हेतु सूचना और सहायता के माध्यम से उनकी मदद करता है।
  • ये उन क्षेत्रों में विशेषज्ञ देखभाल और जागरूकता लाने में सहायता करते हैं जहां इस प्रकार की कोई सुविधाएं उपलब्ध नहीं भारत का पहला इको क्लीनिक 2008 में HIV एड्स रोगियों के प्रबंधन हेतु राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (National Aids Control Organization: NACO) एवं मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (Maulana Azad Medical College: MAMC) के मध्य सहयोग से आरंभ किया गया था। तब से, इको क्लीनिक देश में विभिन्न बीमारियों को नियंत्रित करने का कार्य कर रहे हैं।

कई अन्य ई-पहलें हैं, जैसे कि:

  • मेरा अस्पताल- ‘मेरा अस्पताल ऐप’ मल्टी-चैनल एप्रोच का उपयोग कर, रोगियों की संतुष्टि के स्तर पर सूचना एकत्र करने
    के लिए एक IT आधारित फीडबैक प्रणाली है। यह अनुप्रयोग केवल कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में लागू किया गया है।
  • ई-रक्त कोष- यह रक्त दाता के स्वास्थ्य एवं अतीत में उनके द्वारा किए गए रक्त दान के आधार पर रक्तदाता की पहचान, निगरानी और उन्हें ब्लाक करने हेतु एक बॉयोमीट्रिक डोनर मैनेजमेंट सिस्टम है। अनेक ब्लड बैंकों में ब्लड स्टॉक की निगरानी के लिए एक सेंट्रलाइज्ड ब्लड इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की गयी है। यह अनुप्रयोग केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में लागू किया गया है।
  • गर्भवती महिलाओं के मध्य जागरूकता उत्पन्न करने के लिए किलकारी मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है। गर्भवती महिलाओं, माता-पिता और फील्ड वर्करों के बीच प्रसवपूर्व देखभाल, संस्थागत प्रसव, प्रसवोत्तर देखभाल और टीकाकरण के महत्व के संबंध में जागरूकता के प्रसार हेतु इसे हरियाणा में लॉन्च किया गया है।

सूचना और ज्ञान में महत्वपूर्ण बाधाएं:

संरचनात्मक (Structural)
रिकार्डों के भंडारण और रखरखाव हेतु आधारभूत सुविधाओं की कमी।

प्रक्रियात्मक (Procedural)

  • अत्यधिक सूचना
  • अपूर्ण, अविश्वसनीय और जानबूझकर परिवर्तित की गयी सूचना
  • अनुचित फॉर्म/कार्ड और रिपोर्ट
  • फीडबैक और निगरानी जैसी प्रक्रिया की अनुपस्थिति

मानव संसाधन (Human Resource)

  • पेशेवर प्रशिक्षित कर्मचारियों की अनुपस्थिति या कमी
  • प्रेरणा एवं अतिरिक्त प्रोत्साहन की कमी
  • स्टाफ नर्स/चिकित्सा अधिकारी डेटा एकत्रित एवं तैयार कर रहे हैं

प्रौद्योगिकी (Technological)

  • मैनुअल पेपर-बेस्ड सिस्टम (प्रारूप)
  • इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव

अनुशंसाएँ

  • चूँकि अब पर्याप्त डेटा रिपोर्टिंग हो रही है, अतः सार्वजनिक स्वास्थ्य सूचना विज्ञान में प्रगति हेतु IT प्रणालियों को डेटा रिपोर्टिंग के उपकरण के रूप में प्रयोग किये जाने के बजाय कार्यवाही के उपकरण के रूप में प्रयोग किए जाने हेतु प्रोत्साहन आवश्यक है।
  • विशिष्ट मुद्रित रजिस्टरों का वितरण सभी सुविधाओं हेतु आवश्यक है। नवीनतम HMIS प्रारूपों (फॉर्मेट) को सभी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उपलब्ध होना चाहिए। सेवा केन्द्रों (service center: SC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (primary health centre: PHC) स्तर पर नए HMIS प्रारूपों में प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  • नियमित आधार पर राज्य, जिला, ब्लॉक स्तर पर निगरानी एवं पर्यवेक्षी दौरों का आयोजन किया जाएगा।
  • HMIS डेटा अपलोड करने से पहले और बाद में डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए यह सुझाव दिया गया है कि अपलोड किए गए HMIS डेटा की हार्ड कॉपी फैसिलिटी इंचार्ज द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होनी चाहिए।
  • हालांकि कई ई-पहलें मौजूद हैं, परन्तु इनके सॉफ्टवेयर पृथक रूप में कार्य करते हैं और प्रायः अंतर-संक्रियाशील नहीं होते हैं। विभिन्न अलग-अलग IT प्रणालियों के स्थान पर एक एकीकृत प्रणाली की खोज की जानी चाहिए।
  • राज्यों में सूचना के उपयोग में कमी पायी गयी है। सभी कार्यक्रम प्रबंधकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मासिक आधार पर HMIS डेटा की समीक्षा की जाए और संबद्ध कर्मचारियों को डेटा की गुणवत्ता और स्वास्थ्य सुविधा के प्रदर्शन के संबंध में अधिकतम फीडबैक दिया जाए।

नेशनल हेल्थ स्टैक (National Health Stack)

नीति आयोग ने देश में केंद्र सरकार की प्रमुख योजना आयुष्मान भारत और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से एक साझा डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना का प्रस्ताव पेश किया है।

इस संरचना को लाने की क्या आवश्यकता थी?

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी परिवेश के निर्माण की परिकल्पना की गई है। | आयुष्मान भारत की घोषणा के साथ आने वाले समय में पहले से तैयार डिजिटल स्वास्थ्य प्रणाली और भी आवश्यक हो गई
    है।
  • आयुष्मान भारत का लक्ष्य लगभग 1.5 लाख स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना करना और 10 करोड़ से अधिक
    परिवारों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।

NHS के बारे में

लक्ष्य: स्वास्थ्य सम्बन्धी सूचना को सुव्यवस्थित करने और इसके प्रभावी प्रबंधन को सुगम बनाने हेतु देश के सभी नागरिकों के
लिए एक केंद्रीकृत स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाना।

कार्यक्षेत्र: नेशनल हेल्थ स्टैक के कार्यक्षेत्र में निम्नलिखित मुख्य विषय शामिल हैं:

  • प्राथमिक और द्वितीयक स्वास्थ्य देखभाल तंत्र में निजी चिकित्सालयों और निजी चिकित्सकों का प्रवेश;
  • गैर-संचारी रोगों (Non-Communicable Diseases: NCD) पर ध्यान केंद्रित करना; रोग निगरानी; स्वास्थ्य
    योजना प्रबंधन प्रणाली; पोषण प्रबंधन; स्कूल स्वास्थ्य योजनाएं; आपातकालीन प्रबंधन; स्वास्थ्य, टेलीहेल्थ, टेली
    रेडियोलॉजी के लिए ई-लर्निग प्लेटफॉर्म नैदानिक उपकरण; हेल्थ कॉल सेंटर आदि।

यह भारत की प्रथम अत्याधुनिक राष्ट्रीय स्तर की साझा डिजिटल हेल्थकेयर अवसंरचना होगी जो केंद्र और राज्य दोनों के
द्वारा सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में उपयोग योग्य होगी।

  • यह क्लाउड-बेस्ड सेवाओं का एक संग्रह है। प्रत्येक सेवा, वैश्विक मानकों के साथ सिंपल ओपन APls (एप्लिकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस) के माध्यम से विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं में से केवल एक सेवा प्रदान करती है। (इसे इंडिया स्टैक की तर्ज पर डिजाइन किया गया है)
  • यह एक तंत्र प्रदान करेगा जिसके माध्यम से प्रणाली में भाग लेने वाले प्रत्येक उपयोगकर्ता को विशिष्ट रूप से पहचाना जा सकता है। पंजीकृत व्यक्ति सिस्टम में अन्य उपयोगकर्ताओं या हितधारकों के साथ वार्ता करते समय अपनी गोपनीयता को  सुरक्षित रखने के लिए वर्चुअल हेल्थ ID बना सकता है।
  • इसका निर्माण PM- RSSM (प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन) के संदर्भ में किया जाएगा, परंतु सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की मौजूदा एवं भावी स्वास्थ्य पहलों के समर्थन हेतु इसे ‘RSSM से अलग डिजाइन किया जाएगा।
  • एक बार क्रियान्वित होने के पश्चात्, NHS स्वास्थ्य सुरक्षा की लागत में काफी कमी लाएगा, गरीव लाभार्थियों के लिए नकदी रहित एवं निर्वाध रूप से एकीकृत सेवाएं सुनिश्चित करने हेतु पृथक प्रणालियों को सम्वद्ध करेगा और लोगों के कल्याण को बढ़ावा देगा। ।

नेशनल हेल्थ स्टैक के लाभ

इसे व्यक्तिगत लाभार्थियों, केंद्र और राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और बीमा प्रदाताओं को निकट लाने के संदर्भ में समझा जा सकता है।

जनता को लाभ

जैसे-जैसे NHS डेटा पूर्ण रूप से विकसित होता जाएगा, स्वास्थ्य देखभाल की चार प्रमुख चुनौतियों अर्थात् उपलब्धता, अभिगम्यता, वहनीयता और स्वीकार्यता का समाधान (चरणबद्ध तरीके से) किया जा सकता है।

चरण 1- वहनीयता में सुधार

उचित मूल्य निर्धारण, त्वरित निर्णयन और दावों के समय पर निपटान के कारण सेवा प्रदाताओं की बढ़ती सहभागिता और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता के परिणामस्वरूप नकद रहित स्वास्थ्य देखभाल का व्यापक विस्तार होगा। इसका परिणाम निम्नलिखित महत्वपूर्ण सुधारों के रूप में सामने आएगा:

  • वित्तीय सुरक्षा (आउट-ऑफ-पॉकेट पेमेंट्स को कम करना)
  • समग्र स्वास्थ्य में सुधार और मजदूरी की हानि में कमी

चूंकि सभी रिकॉर्ड जुड़े होंगे, अतः अनावश्यक परीक्षण करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी।

चरण 2 – पहुंच और उपलब्धता में सुधार

  • यह लाभार्थियों को वर्ष के किसी भी समय में योजना का लाभ उठाने की अनुमति प्रदान करेगा।
  • त्वरित अधिनिर्णय, भुगतान और दावों के निपटान के कारण सेवा प्रदाता अधिक उत्साह के साथ सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में भागीदारी हेतु प्रोत्साहित होंगे- जिससे लाभार्थियों के लिए सेवा प्रदाताओं की पहुंच और उपलब्धता बढ़ेगी।
  • यह स्कोरकार्ड मैकेनिज्म के माध्यम से सेवा प्रदाताओं को लाभार्थियों के निकट (जैसे तृतीय श्रेणी के कस्बों में) सुविधाएं स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस प्रकार यह लाभार्थियों को अनेक विकल्प प्रदान कर सशक्त बनाता है।

चरण 3- स्वीकार्यता में सुधार

इस चरण में पर्याप्त डेटा के साथ, एक पुरस्कार आधारित कार्यक्रम की शुरुआत के लिए मूल्य-आधारित क्रय सुविधा प्रारंभ की जा सकती है। यह अस्पतालों को निम्नलखित के लिए प्रोत्साहित करेगी:

  • लाभार्थियों के लिए गंभीर भर्ती रोगी देखभाल (acute inpatient care) की गुणवत्ता और सुरक्षा में सुधार करना।
  • स्वास्थ्य देखभाल सम्बन्धी त्रुटियों को समाप्त या कम करना, जिसके परिणामस्वरूप रोगी को नुकसान होता है।
  • साक्ष्य-आधारित देखभाल मानकों और प्रोटोकॉल को अपनाना जो अधिकांश रोगियों के लिए सर्वोत्तम परिणाम
    लाते हैं।
  • उपभोक्ताओं के लिए देखभाल पारदर्शिता में वृद्धि करना।

सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के लाभार्थियों को कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली देखभाल
उपलब्ध कराने वाले अस्पतालों की सरलता पूर्वक पहचान की जा सकेगी।

केंद्र सरकार को लाभ

  • यह प्रवासियों के साथ-साथ चिकित्सकों के लिए पोर्टेबिलिटी की सुविधा प्रस्तुत करके देश में कहीं भी स्वास्थ्य देखभाल और
    स्वास्थ्य संरक्षण के अपने वादे को पूरा करने में सक्षम हो जाएगी।
  • NHS बड़ी मात्रा में आंकड़ों का सृजन करेगा जिसके परिणामस्वरूप कुछ बड़े स्वास्थ्य संबंधी डेटाबेस का निर्माण होगा। इसमें भारत को चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी करने की क्षमता विद्यमान है।
  • सरकार एकीकृत राष्ट्रीय डैशबोर्ड के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में समग्र दृष्टिकोण प्राप्त करने और रीयल-टाइम रिपोर्ट एवं विश्लेषण के माध्यम से आंकड़ों पर आधारित नीति निर्माण में सक्षम होगी। यह NHM के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु योजनाओं
    और मिशन के प्रभावी प्रबंधन में भी सक्षम होगी।
  • धोखाधड़ी सम्बन्धी जाँच में सुधार के माध्यम से सरकार की स्वास्थ्य देखभाल की लागत भी कम हो जाएगी।

राज्य को लाभ

  • यह राज्यों को योजना के क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर विस्तार को शामिल करने और को-ब्रांडिंग सुविधा प्रदान करने की अनुमति
    देगा। राज्य RSSM फंड का लाभ लेने और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर उसे अनुकूलित करने के साथ ही डेटा पर नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम होंगे।
  • यह ऐसे राज्यों जहाँ प्रणाली विद्यमान नहीं है अथवा निष्क्रिय प्रणाली विद्यमान है, में इस क्षेत्र में प्रयासों की पुनरावृत्ति को समाप्त करेगा तथा अंगीकरण को आसान बनाएगा।
  • APls के माध्यम से RSSM के साथ एकीकृत करने के बाद भी राज्य अपनी प्रणाली का उपयोग जारी रखने में सक्षम होंगे, इससे अधिक उन्नत प्रणाली वाले राज्यों के मामले में एक प्रणाली से दूसरी प्रणाली में स्थानांतरण सरल हो जाएगा।

सेवा प्रदाताओं को लाभ

  • डिजिटलीकरण से इम्पैनलमेंट (मनोनयन), पूर्व-अनुमोदन, दावा प्रक्रियाओं और संचालनों का मानकीकरण होगा इसके
    परिणामस्वरूप विभिन्न सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं में भाग लेने वालों का प्रबंधन सरल हो जाएगा।
  • तत्काल निर्णयन और धोखाधड़ी का पता लगाने के उपकरण का संयोजन यह सुनिश्चित करेगा कि सेवा प्रदाता को ईमानदार
    दावों के लिए तत्काल पुरस्कृत किया जाता है और धोखाधड़ी करने को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है।
  • किसी प्रक्रिया के लिए वास्तविक लागत पर सेवा प्रदाताओं द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के विश्लेषण का परिणाम, प्रक्रियाओं
    के कुशल पैकेज और मूल्य निर्धारण के रूप में होगा।

बीमा प्रदाताओं को लाभ

  • धोखाधड़ी में अत्यधिक कमी होगी और संचालन की लागत कम हो जाएगी।
  • दावों के अनुपात में कमी आएगी, क्योंकि संपूर्ण परिवेश रोगों के प्रबंधन के बजाय स्वास्थ्य के प्रबंधन की दिशा में कार्य करेगा।
  • आपूर्ति पक्ष के डेटा की उपलब्धता के कारण वे अपने बाजार का विस्तार कर सकते हैं और लक्षित उत्पादों को प्रस्तुत भी कर
    सकते हैं।

प्रस्तावित NHS की आलोचना

  • डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड एक सर्वोत्तम संकल्पना है परंतु पारदर्शी APls के माध्यम से उन्हें सुलभ रखना अत्यधिक खतरनाक है। इसके अतिरिक्त, NHS नियंत्रण का दायित्व उपयोगकर्ता पर आरोपित करना एक परिकल्पना है कि वे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की तरह APls के माध्यम से सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करना जानते हैं।
  • यद्यपि दस्तावेज़ सहमति-संचालित विचार-विमर्श को सुनिश्चित करता है, तथापि यह इस बात का विस्तृत वर्णन नहीं करता है कि स्वास्थ्य डेटा की धारक (fiduciaries) सरकार होगी या निजी निकाय।
  • व्यक्तिगत स्वास्थ्य डेटा पर आधारित हेल्थ स्टैक का होना कई प्रश्नों को जन्म देता है जैसे इसका स्वामी कौन है, इस तक कौन पहुंच सकता है और इस प्रकार के डिजिटल डेटा को कौन नियंत्रित कर सकता है।
  • एक विशिष्ट स्वास्थ्य पहचानकर्ता (आधार या कुछ और) से जोड़ना खतरनाक है क्योंकि यदि किसी एक बिंदु पर डेटा से समझौता किया गया है, तो यह हमेशा के लिए समझौता होगा।
  • संवेदनशील स्वास्थ्य डेटा के लीक होने के मामले में किसी व्यक्ति को महत्वपूर्ण वित्तीय और सामाजिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। बीमा कंपनियां स्वास्थ्य डेटा के आधार पर दावा अस्वीकार कर सकती हैं या दावा प्रस्तुत कर सकती हैं।
  • कानून की अनुपस्थिति में, सहमति की आवश्यकता किसी कंपनी या सरकारी विभाग का निर्णय होगा, जो विवेकपूर्ण, स्वेच्छाचारी और पर्याप्त लोकतांत्रिक वैधता के बिना होगा।
  • डिजिटल सूचना सुरक्षा स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (Digital Information Security in Healthcare Act: DISHA) का मसौदा यह निर्दिष्ट करता है कि “डिजिटल स्वास्थ्य डेटा (चाहे यह पहचान योग्य हो या अनामित) तक पहुँच, उसका उपयोग या प्रकटीकरण कोई व्यक्ति वाणिज्यिक उद्देश्य से नहीं करेगा, तथा किसी भी परिस्थिति में इस डेटा तक पहुँच, इसका उपयोग या इसका प्रकटीकरण बीमा कंपनियों, नियोक्ता, मानव संसाधन सलाहकार और फार्मास्यूटिकल कंपनियों या केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी अन्य इकाई के समक्ष नहीं किया जाएगा।” हालांकि, नीति आयोग द्वारा प्रस्तावित NHS रणनीति केवल बीमा दावों और कवरेज के लिए एक पृथक मंच प्रस्तावित करता है।
  • एक डिजिटल टेक्नोलॉजी आर्किटेक्चर का तात्पर्य यह नहीं है कि अच्छे डेटा उपलब्ध होंगे क्योंकि लोग (रोगी और डेटा रिकॉर्ड करने वाला व्यक्ति दोनों) अपने ज्ञान और राजनीतिक उद्देश्यों के आधार पर झूठे तथ्य प्रस्तुत कर कर सकते हैं।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल -2018 (National Health Profile-2018)

सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल (NHP)-2018 जारी की।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल के विषय में

  • इस वार्षिक प्रकाशन का उद्देश्य भारत की स्वास्थ्य जानकारी का ऐसा डेटाबेस तैयार करना है जो व्यापक व अद्यतित होने के साथ ही स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में सभी हितधारकों को उपयोग करने हेतु सरलता से उपलब्ध हो।

राष्ट्रीय प्रोफाइल में निम्नलिखित घटक सम्मिलित हैं –

  •  जनसांख्यिकीय सूचना,
  • सामाजिक-आर्थिक सूचना,
  • स्वास्थ्य की स्थिति
  • स्वास्थ्य वित्त संकेतक,
  • स्वास्थ्य अवसंरचना एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में विद्यमान मानव संसाधनों के विषय में व्यापक जानकारी।

इसे केंद्रीय स्वास्थ्य गुप्तचर ब्यूरो द्वारा तैयार किया जाता है।  स्वास्थ्य प्रोफाइल एक महत्वपूर्ण उपकरण है क्योंकि इसने विभिन्न कार्यक्रमों को डिज़ाइन करने में सहयोग किया है और नि:शुल्क दवाओं एवं निदान तथा मिशन परिवार विकास जैसी कई पहलों को लाभान्वित किया है।

 राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन रिपॉजिटरी (National Health Resource Repository: NHRR)

  • यह भारत में सभी सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों के प्रामाणिक, मानकीकृत और अद्यतन भू-स्थानिक डेटा
    के लिए देश का पहला राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल पंजीकरण (registry) है।
  • ISRO डेटा सुरक्षा प्रदान करने के लिए इस परियोजना का प्रौद्योगिकी साझेदार है।
  • इसका उद्देश्य साक्ष्य-आधारित निर्णय निर्माण को सुदृढ़ता प्रदान करना तथा भारत के हेल्थकेयर संसाधनों की सुरक्षित सूचना
    प्रौद्योगिकी (IT)-सक्षम रिपॉजिटरी के माध्यम से नागरिकों और प्रदाता-केंद्रित सेवाओं के लिए एक मंच विकसित करना है।
  • यह स्वास्थ्य के अन्य निर्धारकों जैसे बीमारी, पर्यावरण इत्यादि से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य देखभाल संबंधी चुनौतियों (जो वर्तमान में विद्यमान हैं और भविष्य में उत्पन्न हो सकती हैं) के लिए उन्नत अनुसंधान को सक्षम बनाएगा।
  • यह स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों के अनुकूलन हेतु केंद्रीय और राज्य सरकार के मध्य समन्वय को भी बढ़ाएगा और जिला एवं राज्य स्तर पर निर्णय निर्माण को विकेंद्रीकृत करेगा।
  • यह अन्तरसंक्रियता (interoperability) प्रदान करके समान कार्यक्रमों के मध्य अभिसरण को प्रोत्साहित करेगा।
  • यह नियमित रूप से अद्यतन स्वास्थ्य स्थिति संकेतकों का प्रयोग करके वैश्विक मंच पर मानकीकृत डेटा, संसाधनों के वितरण
    और प्रवृत्तियों का विवरण प्रस्तुत करने हेतु प्रयासरत है।

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