व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल (Comprehensive Primary Healthcare)

स्थिति

  • चयनित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वितरण से व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के वितरण की ओर
    बढ़ना, सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन को दर्शाता है।
  • इस पहल का उद्देश्य 12 सेवाओं के पैकेज के लिए सुनिश्चित, निःशुल्क, व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करना है। इन 12 सेवाओं के अंतर्गत प्रजनन मातृत्व, नवजात शिशु, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (RMNCH+A), संक्रामक एवं गैर-संक्रामक रोगों, साधारण रोगों का प्रबंधन, वृद्धों की देखभाल सहित चिरस्थायी रोग की सतत देखभाल को सक्षम बनाना इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।

समग्र योजना के संदर्भ में, स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों (आयुष्मान भारत के भाग के रूप में) के परिचालन हेतु केंद्रों का चयन और प्रबंधन

  • पंजाब को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (HWC) के रूप में कार्य करने के लिए उप केंद्रों की
    पहचान की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। यहां तक कि बिहार (जहां HWCs त्वरित एवं प्रभावी उपचार देने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं हैं) ने कुछ मध्य-स्तर के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं की भर्ती और संपर्क कार्यक्रम के कार्यान्वयन के साथ
    इस दिशा में कार्रवाई प्रारंभ की है।
  • HWCs के परिचालन हेतु अपग्रेड के लिए चुने गए केंद्रों में मानव संसाधन, दवाओं, अवसंरचना और लॉजिस्टिक
    सहायता की उपलब्धता तथा व्यापक मूल्यांकन आवश्यक होता है। इसके सकारात्मक पक्ष को देखें तो वस्तुतः किसी भी
    राज्य में उप-केंद्र स्तर पर आवश्यक मानव संसाधनों (बहुउद्देशीय कार्यकर्ता और ASHAs) की कमी नहीं है।
  • सार्वभौमिक जनसंख्या सर्वेक्षण प्रणालियाँ (Universal Population enumeration Systems): अधिकांश राज्यों द्वारा केवल परिवार नियोजन, गर्भावस्था/प्रसव और टीकाकरण संबंधी सेवाओं की निगरानी के संदर्भ में जनसंख्या सर्वेक्षण किया जा रहा है। केवल कुछ राज्यों ने सार्वभौमिक जनसंख्या सर्वेक्षण आरम्भ करने के प्रयास किए हैं।
  • सामुदायिक स्वास्थ्य पर संपर्क कार्यक्रम के लिए क्षमता निर्माण और प्रगति
    सभी इनपुट उपायों में से मध्य-स्तर के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं/सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के कैडर का
    निर्माण तथा सामुदायिक स्वास्थ्य में प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिए चलाये जा रहे संपर्क कार्यक्रम में इन अधिकारियों के
    नामांकन को अधिकांश राज्यों द्वारा प्राथमिकता दी गई है।

अनुशंसाएं

  • मध्य-स्तर के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के चयन और प्रशिक्षण की दिशा में राज्यों की प्रगति प्रगति को देखते हुए HWCs के
    परिचालन हेतु सभी राज्यों में दवाओं और लॉजिस्टिक सहायता में व्याप्त अंतराल को समाप्त करना अत्यधिक आवश्यक है।
  • इस दिशा में पहले कदम के रूप में राज्यों को लॉजिस्टिक तंत्र का निर्माण करना चाहिए।

आपूर्ति श्रृंखला लॉजिस्टिकनिम्नलिखित अवरोधों के कारण प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है

  • पर्याप्त वित्त पोषण का अभाव,
  • स्वायत्त और व्यावसायिक रूप से प्रबंधित केंद्रीकृत खरीद एजेंसी की अनुपस्थिति,
  • महत्वपूर्ण सुविधाओं से जुड़े जिला स्तरीय वेयरहाउसों की सीमित संख्या आदि।

उपर्युक्त चुनौतियों की पहचान के लिए विशिष्ट मूल्यांकन की योजना भी बनाई जा सकती है। इसके साथ ही मुख्य सिद्धांत अर्थात् देखभाल की निरंतरता की पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए CPHC पहलों के आरम्भ में उपचारात्मक उपायों को अपनाया जाना चाहिए।

  • इस सन्दर्भ में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति एक सकारात्मक कदम है। इसके साथ ही राज्यों को CPHC सेवाओं के वितरण में आवश्यक परिवर्तन के प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम प्रबंधन में जिला एवं ब्लॉक स्तरीय क्षमताओं को विकसित करने और सहायक पर्यवेक्षण की योजना बनानी चाहिए।

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