इंडिया स्टेट लेवल डिज़ीज़ बर्डन रिपोर्ट

(India State Level Disease Burden Report)

रिपोर्ट के विषय में

-इसका निर्माण इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एवं इवैल्युएशन (IHME) के साथ मिलकर किया गया। इस अध्ययन के निष्कर्षों का उपयोग निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए किया जा सकता है:

  • राज्यों के स्वास्थ्य बजट योजना के निर्माण में।
  • राज्यों के मध्य उपस्थित विभिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए राज्य विशिष्ट मध्यस्थता सहयोग की प्राथमिकता के
    निर्धारण में।
  • प्रत्येक राज्य के स्वास्थ्य संबंधी संधारणीय विकास लक्ष्यों (SDGs) की निगरानी हेतु।
  • विभिन्न परिदृश्यों के अंतर्गत जनसंख्या स्वास्थ्य’ के अनुमान हेतु।
  • डेटा-चालित एवं विकेंद्रीकृत स्वास्थ्य नियोजन फ्रेमवर्क निर्मित करने हेतु।
  •  विकलांगता-समायोजित जीवन काल (DALY) का उपयोग कर सबनेशनल डिज़ीज़ बर्डेन का पता लगाने में

रिपोर्ट के निष्कर्ष

स्वास्थ्य संकेतक एवं राज्यों के मध्य असमानताएं

  • जीवन प्रत्याशा: 1990 के दशक की तुलना में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में सुधार हुआ है। यह पुरुषों के लिए 1990 के
    58.3 वर्ष से बढ़कर 66.9 वर्ष एवं महिलाओं के लिए 59.7 वर्ष से बढ़कर 70.3 वर्ष हो गई है।
  • राज्यों के मध्य असमानता भी देखने को मिली है। 2016 में महिलाओं की जीवन प्रत्याशा उत्तर प्रदेश में 66.8 वर्ष, जबकि केरल में 78.7 वर्ष थी। इसी प्रकार पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा असम में 63.6 वर्ष, जबकि केरल में 73.8 वर्ष थी।
  • बाल एवं मातृ पोषण: बाल और मातृ कुपोषण के कारण डिज़ीज़ बर्डन कम होकर 15% हो गया है परन्तु अभी भी यह | भारत में सबसे बड़ा जोखिम कारक है।
  • यह अध्ययन पोषाहार सबंधी पहलों को उच्च प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता को इंगित करता है।

गैर संचारी रोग और महामारियों का संक्रमण

  • पिछले 26 वर्षों में रोगों के पैटर्न संचारी, मातृ, नवजात, और पोषण रोगों (CMNNDs) से परिवर्तित होकर गैर संचारीरोगों एवं चोटों/आघातों को समाविष्ट करने वाले हो गए हैं।
  • प्रमुख गैर संचारी रोगों में सर्वाधिक डिजीज़ अथवा विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) की दर में वृद्धि 1990 से 2016 के दौरान हुई। इस अंतराल में मधुमेह में 80%, एवं स्थानिक-अरक्तता(ischaemic) संबंधी हृदय रोग के मामलों में 34% की वृद्धि देखी गई।

विकलांगता- समायोजित जीवन वर्ष (DALYs)

  • किसी कष्ट से पीड़ित होने एवं असमय मृत्यु के कारण स्वस्थ जीवन वर्षों की हानि।
  • इसमें दो अवयव शामिल हैं: जीवन के नष्ट हुए वर्षों की संख्या (YLL) एवं विकलांगता से ग्रसित होकर जिये गए वर्षों की संख्या (YLD)।
  • केवल मृत्यु के कारणों के स्थान पर विकलांगता- समायोजित जीवन वर्ष (DALYs) निम्नस्तरीय स्वास्थ्य के मुख्य कारणों का अधिक सटीक चित्रण करते हैं।

संक्रामक रोगों में गिरावट किन्तु कई राज्यों में इनका प्रसार अभी भी अत्यधिक उच्च

  • 1990 के बाद से संक्रामक रोगों के भार (बर्डेनऑफ़ डिज़ीज़) में कमी हुई है, किन्तु अभी भी दस में से पांच रोग इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। इनमें अतिसारीय रोगों (डायरिया), निम्न श्वसन तंत्र संबंधी संक्रमण (lower respiratory infections), लौह तत्व की कमी सबंधी रक्ताल्पता, समयपूर्व जन्म संबंधी जटिलताएँ, एवं क्षय रोग सम्मिलित हैं।
  • इस समूह हेतु समूचे देश के लिए विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (DALY) दरें विकास के समान स्तर वाले विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में 2.5 से 3.5 गुना उच्च थीं। इस प्रकार यह स्पष्ट होता है कि इस बर्डेनऑफ़ डिज़ीज़ में अत्यधिक
    कमी की जा सकती है।

राज्यों के मध्य रोगों के भार में हो रही वृद्धि

  • सड़क दुर्घटनाओं, आत्महत्याओं आदि के कारण लगने वाली चोटें भारत में चोटों/आघातों के बढ़ते बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ का मुख्य
    कारण हैं।
  • स्वयं को क्षति पहुँचाने संबंधी विकलांगता- समायोजित जीवन वर्ष (DALY) दरें, 2016 में विकास के समान स्तरों पर
    विद्यमान अन्य देशों की तुलना में भारत में 1.8 गुना उच्च थीं।

असुरक्षित जल और अस्वच्छता

  • उपर्युक्त के कारण बर्डेन ऑफ़ डिज़ीज़ स्थिति में सुधार हो रहा है किन्तु 1990 के पश्चात इसमें सुधार होने के बाद भी यह कुल बर्डेन ऑफ़ डिज़ीज़ में 5% का योगदान करती है।
  •  भारत में असुरक्षित जल और अस्वच्छता के कारण बर्डेन ऑफ़ डिज़ीज़ चीन की तुलना में 40 गुना उच्च है।

घरेलू क्षेत्रों में वायु प्रदूषण की स्थिति में सुधार होना तथा बाह्य वायु प्रदूषण की स्थिति का निरंतर बदतर होना

  • बाह्य वायु प्रदूषण- 1990 और 2016 के मध्य प्रदूषण का योगदान उच्च रहा है। इसके कारण गैर-संचारी रोग एवं संक्रामक
    रोग परस्पर मिश्रित हो गए।
  • घरेलू वायु प्रदूषण- खाना पकाने के लिए ठोस ईंधन का उपयोग कम होने के कारण इसमें उल्लेखनीय कमी आई है। 2016 में
    घरेलू वायु प्रदूषण, भारत में कुल बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ के 5% हेतु एवं बाह्य वायु प्रदूषण के 6% हेतु उत्तरदायी था।

हृदय रोग और मधुमेह का बढ़ता जोखिम

  • इस समूह के रोगों का योगदान 1990 से 2016 के दौरान 10% से बढ़कर 25% हो गया है।
  • इसके अंतर्गत अस्वस्थ आहार, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल एवं मोटापा सम्मिलित हैं, जो मुख्यतः स्थानिकअरक्तता संबंधी हृदय रोग, हृदयाघात एवं मधुमेह हेतु उत्तरदायी होते हैं।
  • हृदय रोगों एवं मधुमेह के बढ़ते बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ हेतु अन्य महत्वपूर्ण कारण तंबाकू का उपयोग है। यह 6% बर्डन ऑफ़
    डिज़ीज़ हेतु उत्तरदायी था।
  • पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ये सभी जोखिम आमतौर पर उच्च पाए जाते हैं।

नीति का निहितार्थ

  • भारत में जन स्वास्थ्य में सुधार लाने हेतु की जाने वाली पहलों/हस्तक्षेपों में एक प्रमुख समस्या आवश्यक अंतर-क्षेत्रीय सहयोग में अपेक्षाकृत कमी की रही है। स्वास्थ्य पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रभाव की बेहतर समझ से देश में बेहतर जन स्वास्थ्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में एवं नीति आयोग की कार्यसूची 2017 में स्वास्थ्य के सम्बन्ध में विभिन्न लक्ष्यों का उल्लेख किया गया है। ये लक्ष्य स्वास्थ्य के क्षेत्र में वित्तपोषण को बढ़ाकर और स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन में सुधार लाकर प्राप्त
    किए जा सकते हैं।
  • मृत्यु कारणों को दर्शाने वाली सुदृढ़ प्रणाली, बेहतर रोग निगरानी, स्वास्थ्य सुविधा संबंधी रिकॉर्ड के बेहतर प्रलेखन और
    स्वास्थ्य परिणामों को समझने के लिए इन आंकड़ों का उपयोग करके स्वास्थ्य सूचना प्रणाली को सुदृढ़ बनाना।

अन्य निहितार्थों में सम्मिलित हैं

  • प्रमुख जोखिम कारकों को संबोधित करना – इसमें बाल और मातृ कुपोषण, असुरक्षित जल और अस्वच्छता, वायु प्रदूषण | नियंत्रण तथा हृदय रोग एवं मधुमेह संबंधी जोखिम कारकों को संबोधित करने पर ध्यान केंद्रित करना सम्मिलित है।
  • स्थायी और रोग संबंधी बढ़ती स्थितियों को संबोधित करना – इसमें 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में बर्डन ऑफ़ डिज़ीज़ के साथ ही चोट/आघात (सड़क दुर्घटनाओं, आत्महत्या आदि के कारण), तपेदिक और अन्य संचारी रोग व गैर-संचारी रोगों को नियंत्रित करना भी सम्मिलित है।

Read More

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.