स्वास्थ्य के क्षेत्र में मानव संसाधन(Human Resources For Health)

  •  भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधनों का अत्यधिक अभाव है। इस क्षेत्र में कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की कमी और उपलब्ध
    स्वास्थ्य कर्मियों के शहरी क्षेत्रों में संकेन्द्रण की समस्या विद्यमान है। ग्रामीण, सुदूर और अल्पसेवित क्षेत्रों में कुशल स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
  • अनेक भारतीय, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, अकुशल प्रदाताओं से स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करते हैं। कुशल
    एलोपैथिक डॉक्टरों और नर्मों का अत्यधिक प्रवास होने के कारण स्वास्थ्य तंत्र पर दबाव उत्पन्न होता है।
  • विशेषज्ञों और डॉक्टरों की भर्ती एवं उनको सार्वजनिक स्वास्थ्य का भाग बनाये रखना अभी भी कई राज्यों के लिए एक
    चुनौती बनी हुई है। अपर्याप्त पारिश्रमिक/आवासीय क्वार्टरों की कमी आदि विशेषज्ञों की अपर्याप्त भर्ती के लिए एक महत्वपूर्ण कारण है।
  • मानव संसाधन का अतार्किक एवं असमान वितरण, राज्यों में सभी सुविधा केन्द्रों पर उनकी एकसमान और आवश्यकताआधारित उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रमुख बाधाओं में से एक है।
  • डॉक्टरों को अपने राज्य में सेवारत बनाये रखने के लिए असम, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उड़ीसा और उत्तराखंड जैसे राज्य उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी सेवा अवधि के अनुपात में अतिरिक्त भारांश के रूप में शैक्षणिक प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं।

कार्यबल प्रबंधन में कमी

  • रोटेशनल ट्रांसफर और करियर प्रगति जैसे मुद्दों को सम्मिलित करने वाली एक विभाग विशिष्ट नीति का अभाव है।
  • अधिकांश राज्यों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों के लिए व्यापक HR नीति का अभाव
  • एक व्यवस्थित मानव संसाधन प्रबंधन सूचना प्रणाली (HRMIS) के कार्यान्वयन में या तो विलम्ब हुआ है या इसे केवल आंशिक रूप से कार्यान्वित किया गया है (इस प्रणाली में बहुत कम मानदंडों को सम्मिलित किया गया है)। इससे राज्यों के लिए अपने कर्मचारियों और उनके प्रशासन का सटीक रिकॉर्ड बनाए रखना कठिन हो जाता है।
  • स्वास्थ्य कर्मियों के अतार्किक परिनियोजन (जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्रशासनिक पद) के परिणामस्वरूप मौजूदा मानव
    संसाधनों का अकुशल उपयोग हुआ है।
  • राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य कैडर स्थापित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
  • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण हेतु अधिकांश राज्यों में कोई व्यवस्थित योजना नहीं है। प्रशिक्षण संबंधी आवश्यकताओं के मूल्यांकन के लिए एक उचित तंत्र का अभाव है। इसके साथ ही, सेवा वितरण कर्मचारियों में अपनी भूमिकाओं और उत्तरदायित्व को लेकर स्पष्टता का अभाव है।

अनुशंसाएं

  • नए पदों और उन पर नियुक्तियों की मंजूरी को तीव्रता प्रदान करने के लिए अलग-अलग समितियों का गठन (जैसा कि कुछ
    राज्यों द्वारा भी गया है) तथा प्रत्यक्ष साक्षात्कार, कैंपस रिक्रूटमेंट जैसे विभिन्न उपायों द्वारा स्वीकृत पदों की रिक्तियों को भरने की अत्यधिक आवश्यकता है।
  • मनमाने ढंग से स्थानातरण और विलंबित पदोन्नति जैसे मुद्दों के लिए इन क्षेत्रों में HR नीति के सुधारों की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। इसके साथ ही जहां भी संभव हो, विभाग विशिष्ट मुद्दों का समाधान करने के लिए एक स्वास्थ्य विभाग विशिष्ट HR नीति विकसित की जानी चाहिए।
  • विशेषज्ञों की कमी वाले राज्यों द्वारा विशेषज्ञों के पारिश्रमिक के लिए लचीले मापदंडों का उपयोग किया जाना चाहिए
  • मानव संसाधन संबंधी जानकारी के प्रबंधन और उपयोग को सुव्यवस्थित करने के लिए, मानव संसाधन प्रबंधन सूचना तंत्र (HRMIS) की स्थापना/सुदृढ़ीकरण की आवश्यकता है। उन राज्यों में जहां ये पहले से स्थापित हैं, इसे प्रशिक्षण प्रबंधन सूचना प्रणाली (TMIS) से जोड़ा जाना चाहिए तथा इसके कार्यान्वयन और उपयोग के लिए नोडल HR का क्षमता निर्माण
    किया जाना चाहिए।
  • कार्य-निष्पादन मूल्यांकन तंत्र को निष्पक्ष रूप से कार्य-विशिष्ट संकेतकों के साथ जोड़ा जाना चाहिए तथा मूल्यांकन प्रक्रिया
    को अनुबंध नवीनीकरण और प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन प्रदान किए जाने से संबद्ध किया जाना चाहिए।

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