स्वास्थ्य क्षेत्र: अभिशासन और प्रबंधन (Governance And Management)
वर्तमान स्थिति
प्रबंधन, क्षमता निर्माण और निगरानी के लिए संस्थागत संरचनाएं
- NHM के तहत निर्धारित सभी अधिदेशित संरचनाएं और संस्थाएं (उदाहरण के लिए SHS, DHS और RKS/HMS)
कई राज्यों में स्थित हैं और अधिकांश निकाय (जिला स्तर पर, मिशन स्तर निकायों को छोड़कर) मानदंडों के अनुरूप हैं। - विकेंद्रीकृत योजना प्रक्रिया NHM का एक मुख्य प्रणालीगत सुदृढ़ उपकरण है जो कई राज्यों में सुदृढ़ नहीं है और लगभग स्थिर हो गया है।
- कार्यान्वयन के एक दशक पश्चात भी जिला और उप जिला स्तर की योजनाओं के आधार पर विकेंद्रीकृत योजनाओं और वित्तीय संसाधनों का आवंटन अभी तक नहीं किया गया है।
- अधिकांश राज्यों में सहायक पर्यवेक्षण, अभिलेखों और फीडबैक तंत्र का रख-रखाव निम्नस्तरीय है।
अभिसरण उपाय
- स्वास्थ्य क्षेत्र और गैर-स्वास्थ्य क्षेत्रों के मध्य अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण (उदाहरण के लिए UP, पश्चिम बंगाल, झारखंड
आदि जैसे राज्यों में महिला और बाल विकास मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, ICDS आदि के मध्य अभिसरण) का अभाव है। यहाँ तक कि कुछ राज्यों में विशेषकर RBSK कार्यक्रम, स्कूल स्वास्थ्य, WIFS और MHS के मध्य अंतर-विभागीय अभिसरण भी नहीं है। - कई राज्यों में ANMs, ASHAs, MPWs और AWWs के मध्य ग्रामीण स्तर पर एकीकरण (VHSND) भी अपर्याप्त पाया जाता है।
जवाबदेही
- सामाजिक लेखा परीक्षा या जन सुनवाई जैसे जवाबदेही संबंधी उपाय या तो अनुपस्थित हैं या कई राज्यों में नियमित रूप से उपलब्ध नहीं हैं।
- हालाँकि राज्यों के सभी AWW केन्द्रों और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर विभिन्न अधिकारों, योजनाओं और हेल्पलाइन के लिए सिटिजन चार्टर उपलब्ध हैं।
- कई राज्यों में 104 टोल-फ्री हेल्थ हेल्पलाइन के रूप में शिकायत निवारण प्रणाली विद्यमान है। हालांकि, समुदाय के
पास किसी भी सरकारी कर्मचारी के संबंध में संबंधित प्राधिकारी से शिकायत करने और सभी शिकायतों के समयबद्ध अनुपालन के संबंध में कोई कानूनी शक्ति (विशिष्ट कानून) नहीं है।
विनियमन
कई राज्यों में प्री-कॉन्सेप्शन और प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (PCPNDT) एक्ट कार्यान्वित किया गया है। हालांकि, छत्तीसगढ़ में PC&PNDT सेल अपूर्ण पाया गया और अब तक अल्ट्रासाउंड मशीनों की मैपिंग पूरी नहीं की गयी है। । साथ ही, उन राज्यों में अभियोजन का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया है जहां उल्लंघन पाया गया है।
सार्वजनिक निजी भागीदारी और आउटसोर्सिंग
उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल जैसे कई राज्यों ने PPP मॉडल को अपनाया है और सुरक्षा, नैदानिक सेवाओं या यहां तक कि बच्चों के लिए सर्जरी जैसी कई प्रमुख प्रकार्यों को आउटसोर्स किया है। हालांकि, निगरानी हेतु निम्न गुणवत्ता का अनुबंध तैयार किया गया है, सेवाओं की गुणवत्ता अच्छी नहीं है और सेवाओं हेतु भुगतान पर्याप्त नहीं है।
अनुशंसाएं
- जिला स्वास्थ्य मिशन को सक्रिय किया जाना चाहिए और मिशन के उद्देश्यों में योगदान देने के लिए मौजूदा संरचना का लाभ उठाया जाना चाहिए। प्रत्येक मुद्दे और कार्रवाई के संदर्भ में एक उत्तरदायी व्यक्ति होना चाहिए और इनके कार्यान्वयन/समाधान किए जाने तक इनका अनुसरण किए जाने की आवश्यकता है।
- NHM के तहत जवाबदेही और परिणाम में सुधार के लिए नीति निर्णयों और आवश्यक कार्रवाइयों पर राज्य और जिला स्वास्थ्य मिशन की नियमित बैठक आयोजित किए जाने की आवश्यकता है।
- पर्याप्त कर्मचारियों तथा उच्च गुणवत्तायुक्त फैकल्टी के पारदर्शी चयन द्वारा राज्य प्रशिक्षण संस्थानों का तत्काल संचालन किया जाना चाहिए। राज्य को PMU कर्मचारियों के लिए अन्य बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों की एक्सपोज़र विजिट की योजना बनाने की भी आवश्यकता है।
- विभागों के मध्य सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, मेडिकल कॉलेजों को NUHM में मुख्य भूमिका निभाने, प्रशिक्षित करने और तकनीशियन, फिजियोथेरेपिस्ट आदि प्राप्त करने के लिए कौशल भारत पहल से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। राज्य सभी संबद्ध विभागों (जैसे- WCD, शिक्षा, PRI इत्यादि) के साथ संयुक्त समीक्षा और निगरानी को सुदृढ़ कर सकता है, जो बेहतर अंतर्दृष्टि और सुझाव एवं दीर्घ अवधि में प्रदर्शन में सुधार लाएगा।
- राज्य और जिला स्वास्थ्य समितियों को विभागीय व्यक्तियों और विभिन्न विभागों के सभी संबंधित व्यक्तियों को आमंत्रित करना चाहिए ताकि निर्णय निर्माण की व्यापक स्वीकार्यता हो, और पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
- सभी स्तरों पर विशेष रूप से जिला स्तर पर सामाजिक लेखा परीक्षा और जन सुनवाई को संस्थागत किया जाना चाहिए।
- PCPNDT समिति उन ब्लॉकों पर शून्य से कार्रवाई कर सकती है जहां लिंगानुपात औसत से निम्न है। अधिकाधिक अंतर। विभागीय और अंतरराज्यीय समन्वय बैठकों का आयोजन किया जाना चाहिए।
- राज्य को विभिन्न स्तरों पर पदस्थापन (पोस्टिंग) की निर्धारित समय-सीमा के साथ एक पारदर्शी स्थानान्तरण और भर्ती संबंधी नीति की आवश्यकता है। किसी भी सुविधा केंद्र में विशेषज्ञ की सेवा की अवधि को निर्धारित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए दुर्गम क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन के साथ 3 वर्ष और आसान क्षेत्रों के लिए 5 वर्ष। स्थानांतरण नीति नवाचारी होनी चाहिए और पॉइंटिंग सिस्टम पर आधारित होनी चाहिए, जिससे अनावश्यक बाह्य हस्तक्षेप की संभावना न्यूनतम होगी।
- प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों (KPIs) को PPP अनुबंधों में निर्धारित किया जाना चाहिए और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए
इन संकेतकों की ध्यानपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। इसके साथ-साथ समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उत्तर पूर्वी राज्यों से संबंधित अनुशंसाएं
- दुर्गम और सुदूर स्थानों में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों (MOs) और अन्य प्रमुख कर्मचारियों के मनोबल को बनाए रखने और सेवाओं की दक्षता और वितरण में सुधार करने हेतु कार्यकाल आधारित स्थानांतरण-पदस्थापन नीति अपनाई जानी चाहिए।
- इन सुदूर क्षेत्रों में मोबाइल/इंटरनेट कनेक्टिविटी के मुद्दे पर राज्य सरकार को भारत सरकार के दूरसंचार विभाग के वरिष्ठतम स्तर के साथ विचार करना चाहिए।
- PFMS/DBT लेनदेन की सुविधा सुनिश्चित करने हेतु, जीरो बैलेंस बैंक खातों को नहीं खोलने और लाभार्थियों के लिए बैंक खातों को खोलने में विलंब करने जैसे मुद्दों पर भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग के वरिष्ठतम स्तर के साथ मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है।
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