राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन : गैर-संचारी रोगों से संबंधित चिंता
प्रश्न: राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उद्देश्य क्या हैं? आपकी राय में, गैर-संचारी रोगों ने हाल के दिनों में क्यों ध्यान आकृष्ट किया है? देश में स्वास्थ्य नीति के लिए इसके निहितार्थ क्या हैं? (250 शब्द)
दृष्टिकोण
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का उल्लेख कीजिए तथा इसके उद्देश्यों को सूचीबद्ध कीजिए।
- गैर-संचारी रोगों से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
- गैर-संचारी रोगों के विषय में हाल की रिपोर्टों एवं निष्कर्षों को बताइए।
- स्वास्थ्य नीति के सन्दर्भ में इसके निहितार्थों पर चर्चा कीजिए। निष्कर्ष लिखते हुए उत्तर समाप्त कीजिए।
उत्तर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ग्रामीण एवं शहरी, स्वास्थ्य क्षेत्रकों को पुनर्जीवित करने हेतु एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है। इसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में कमी लाना।
- संचारी एवं गैर-संचारी रोगों (NCDs) की रोकथाम तथा नियंत्रण।
- व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल।
- जनसंख्या स्थिरीकरण, लैंगिक एवं जनांकिकीय संतुलन।
- स्थानीय स्वास्थ्य परंपराओं को पुनर्जीवित करना एवं आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (AYUSH) को मुख्य धारा में लाना।
- महिला एवं बाल स्वास्थ्य तथा टीकाकरण पर जोर देते हुए खाद्य, पोषण, स्वच्छता एवं सफाई हेतु सार्वजनिक सेवाओं की सार्वभौम उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- स्वस्थ जीवनशैली को प्रोत्साहित करना।
विश्व बैंक की ग्लोबल डिजीज़ बर्डन रिपोर्ट एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट जैसे विभिन्न अध्ययनों ने भारत में बढ़ती मृत्यु की घटनाओं (लगभग 61 प्रतिशत) के लिए गैर-संचारी रोगों को उत्तरदायी माना है। रिपोर्ट के अनुसार गैर-संचारी रोगों के कारण लगभग 23% जनसंख्या असामयिक मृत्यु का शिकार हो जाती है।
निम्नलिखित तथ्यों के आलोक में समस्या की भयावहता कई गुना बढ़ जाती है:
- भारत जैसे देश में गैर-संचारी रोगों से निपटने हेतु संसाधन एवं तैयारियाँ सीमित हैं।
- परिवर्तित होती जीवनशैली एवं आहार संबंधी आदतें, जिसमें तंबाकू इत्यादि उपयोग एवं कम शारीरिक गतिविधियां आदि शामिल हैं।
- प्रदूषण का बढ़ता स्तर।
- स्वच्छता एवं सफाई के स्तर की दृष्टि से भारत, विश्व में सर्वाधिक निम्न स्तर के देशों में से एक है।
- खाद्य सामग्री में मिलावट तथा मृदा और जल के माध्यम से होने वाले संदूषण का बढ़ता स्तर।
- संपूर्ण भारत में रोगों का पैटर्न सभी जगह एक समान नहीं हैं। उदाहरण के लिए केरल, तमिलनाडु और पंजाब जैसे राज्यों में गैर-संचारी रोगों की घटनाएँ बढ़ रही हैं जबिक झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्य संचारी रोगों को नियंत्रित करते हेतु संघर्ष कर रहे हैं।
स्वास्थ्य नीति पर गैर-संचारी रोगों के बढ़ते भार के निहितार्थ इस प्रकार हैं:
- फण्ड का प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल से तृतीयक या विशेषज्ञतापूर्ण क्षेत्रों की ओर डायवर्जन होना।
- औषधि, डायग्नॉस्टिक और आपातकालीन सेवाओं को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है जिससे जनसंख्या को अतिरिक्त क्षति न उठानी पड़े।
- रोगों के पैटर्न में भिन्नता के कारण एक ही स्वास्थ्य नीति संपूर्ण देश के लिए उपयुक्त नहीं होगी, इसलिए इस सन्दर्भ में राज्यों को बड़ी भूमिका निर्दिष्ट किए जाने की आवश्यकता है।
- स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करने हेतु फैट-टैक्स और शुगर-टैक्स जैसे उपाय करना।
- निजी क्षेत्रक को सम्मिलित करने के साथ-साथ व्यापक जागरूकता सृजन एवं पूर्व-नैदानिक (pre-emptive) देखभाल का प्रावधान आवश्यक है।
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