खाद्य विकिरण : भारत के लिए इसकी प्रासंगिकता

प्रश्न: खाद्य विकिरण (food irradiation) से आप क्या समझते हैं? इसके कुछ विशिष्ट अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालते हुए, भारत के  लिए इसकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।

दृष्टिकोण

  • संक्षेप में खाद्य विकिरण को परिभाषित कीजिए।
  • इसके विशिष्ट अनुप्रयोगों को रेखांकित कीजिए और भारत के लिए इसकी प्रासंगिकता का परीक्षण कीजिए।
  • संक्षिप्त निष्कर्ष के साथ उत्तर समाप्त कीजिए।

उत्तर

खाद्य विकिरण का अर्थ है- ‘कच्चे या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के परिरक्षण हेतु उन्हें लघु तरंग विकिरण ऊर्जा के माध्यम से उपचारित करना’। विकिरण ऊर्जा में गामा, अवरक्त, सूक्ष्मतरंग विकिरण इत्यादि शामिल होते हैं। भोजन के परिरक्षण हेतु विकिरण का उपयोग एक नवीन विधि नहीं है ,क्योंकि सदियों से मांस, मछली, फलों और सब्जियों को सूर्य की ऊर्जा से परिरक्षित किया जाता रहा है।

विकिरण के कई अनुप्रयोगों में, दीर्घावधि तक विस्तार, विसंक्रमित करना (disinfestations), भोजन में उत्पन्न रोगजनकों को नष्ट करना, कीटाणुशोधन करना (sterilization) आदि शामिल है। यह एक आसान और सटीक प्रक्रिया होने के अतिरिक्त, खाद्य परिरक्षण में विशिष्ट लाभ प्रदान करता है जैसे:

  • गामा किरणों का उपयोग करके किसी भी आकार के उत्पादों को रोगाणुरहित बनाया जा सकता है, जो सीधे पैकेज और उत्पादों के आरपार चली जाती है।
  • कोल्ड प्रोसेस द्वारा उष्मा के प्रति संवेदनशील खाद्य पदार्थों को भी सुरक्षित रूप से रोगाणुरहित बनाया जा सकता है।
  • चूंकि अंतिम पैकेजिंग के बाद कीटाणुशोधन प्रभावित होता है, लेकिन इस प्रक्रिया में उत्पादों की कीटाणुरहिणता अनिश्चित काल तक बरकरार रहती है जब तक कि पैकेज क्षतिग्रस्त न हो।
  • उपचारित उत्पाद तत्काल इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • इससे पोषण मूल्य, स्वाद की प्रकृति (फ्लेवर टेक्स्चर) और खाद्य पदार्थों की मात्रा में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता।
  • यह रासायनिक फ्यूमिगेंट्स के मामले में खाद्य पदार्थों पर कोई भी हानिकारक या विषाक्त अवशिष्टों को उत्पन्न नहीं करता है

भारत जैसे देश के लिए विकिरण की निम्न कारणों से अधिक प्रासंगिकता हो जाती है:

  • खाद्य और पोषण सुरक्षा: यह कृषि उत्पादन को उपचारित कर उसके जीवनकाल (शेल्फ लाईफ) को बढ़ाने हेतु अत्यधिक प्रभावी है। यह विशेष रूप से भारत जैसे उष्ण और आर्द्र देश के लिए आवश्यक है। ये परिस्थितियाँ (उष्ण और आर्द्र) अनेक प्रकार के कीटों और सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए काफी अनुकूल हैं जिसके कारण प्रतिवर्ष भोजन की बर्बादी हो सकती है।
  • उत्पादन केंद्रों से उपभोग केंद्रों तक वितरण को सुविधाजनक बनाना: भंडारण और वितरण के दौरान कीटों के संक्रमण एवं संबंधित समस्याओं के कारण हजारों करोड़ रुपये का खाद्यान्न नष्ट हो जाता है। उत्पादन और उपभोग केंद्रों के बीच की लंबी दूरी के दौरान इसे परिरक्षित करने के लिए विकिरण की आवश्यकता होती है।
  • निर्यात को बढ़ावा : हाल ही में, भारत में खाद्य विकिरण सम्बन्धी नियमों को अंतर्राष्ट्रीय विनियमों के अनुरूप बनाया गया है। यह खाद्य निर्यात में आने वाली गैर कर-बाधाओं को समाप्त कर खाद्य निर्यात को प्रोत्साहन देगा।
  • फसल की नई किस्मों का विकास: परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy: DAE) ने विकिरण प्रेरित उत्परिवर्तन (और पारंपरिक) ब्रीडिंग का उपयोग कर, फसलों की 42 नई किस्में विकसित की हैं। इन फसलों में उच्च उपज, अल्पकालीन परिपक्वता अवधि, जैविक एवं अजैविक दवाब के प्रति प्रतिरोध इत्यादि अनेक वांछनीय लक्षण विद्यमान हैं। इनमें से कई किस्मों को कृषक समुदाय द्वारा पसंद किया गया और उनका उपयोग किया जा रहा है।
  • स्वास्थ्य सम्बन्धी प्रोत्साहन : समुद्री-खाद्य पदार्थ, मांस और पोल्ट्री में हानिकारक सूक्ष्मजीव और परजीवी हो सकते हैं जो उनके उपभोग से सम्बंधित बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • मूल्य स्थिरीकरण और किसानों को बेहतर रिटर्न प्रदान करना: क्योंकि किसानों के पास अच्छी कीमतों पर अपने उत्पादों का विक्रय करने के लिए पर्याप्त समय होगा। यह आर्थिक स्थिरता के साथ-साथ देश को आत्मनिर्भरता भी प्रदान करता है।

हालांकि विकिरण फसल-कटाई के बाद की क्षति को कम करने और जहरीले रासायनिक फ्यूमिगेंट्स के उपयोग को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, परन्तु केवल विकिरण खाद्य परिरक्षण की समस्या को हल नहीं कर सकता है। इसके साथ ही भंडारगृहों, परिवहन और पैकेजिंग सुविधाओं आदि जैसी अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

Read More 

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.