दैनिक जीवन में नैतिकता का महत्व : नैतिकता, मूल्यों और विश्वासों की एक प्रणाली को संदर्भित करती है
प्रश्न: दैनिक जीवन में नैतिकता का क्या महत्व है? अपने स्वयं के जीवन से एक उदाहरण दीजिए जहाँ आपने नैतिक कार्यवाही का चयन किया और उस कार्यवाही के चयन के कारणों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
दृष्टिकोण
- नैतिकता की संक्षेष में व्याख्या कीजिए।
- दैनिक जीवन में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
- स्वयं के जीवन से नैतिक कार्यवाही के चयन करने का एक उदाहरण और उसके चयन हेतु उचित कारणों को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
नैतिकता, मूल्यों और विश्वासों की एक प्रणाली को संदर्भित करती है जो हमें सही और गलत या अच्छे और बुरे व्यवहार के बीच अंतर करने में सहायता करती हैं। इसका तात्पर्य आचरण के एक मानक से है जिसे सही या उचित के रूप में स्वीकार किया जाता है।
नैतिकता, व्यक्तिगत अंतःकरण पर आधारित होती है न की कानून या सामाजिक नियमों द्वारा क्या निर्धारित किया गया है, उस पर। यद्यपि नैतिकता सामान्यतः बाह्य स्रोतों जैसे धर्म/धार्मिक पुस्तकों से व्युत्पन्न होती है और प्राप्त की जा सकती है। यह स्वाभाविक रूप से एक व्यक्ति की पसंद है, जो नैतिक है वह उसे महत्व देता हैं और जो नहीं है उसे वह महत्व नहीं देता है।
नैतिकता हमें विभिन्न सामाजिक मानदंडों और नियमों के संबंध में मार्गदर्शन भी प्रदान करती है, इस प्रकार यह विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों के सह-अस्तित्व को सुगम बनाती है।
यह व्यक्तिगत और सामाजिक कारणों से दैनिक जीवन में यह महत्वपूर्ण हो जाती है। विशेष रूप से:
व्यक्तिगत
- नैतिक होने के कारण व्यक्ति के स्व मूल्य और सम्मान में वृद्धि होती है।
- सामाजिक प्रतिष्ठा में सुधार करती है और मानसिक स्वास्थ्य को सुगम बनाती है।
- व्यक्ति के अंतःकरण को सुदृढ़ बनाती है और संतुष्टि एवं विश्वास का सृजन करती है जो हमें जीवन में कठिन परिस्थितियों से निपटने में सहायता करते हैं।
- बेईमानी, हिंसा, धोखाधड़ी, और ईर्ष्या जैसे दोषों को समाप्त करने में सहायता करती है।
- आत्म अभिप्रेरण को बढ़ावा देती है और व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करती है।
सामाजिक
- हमारे व्यक्तित्व को सहज और स्वीकार्य बनाने वाले व्यवहार को स्थिरता प्रदान करती है।
- बेहतर व्यक्तिगत और पेशेवर संबंधों को बनाए रखने में सहायता करती है।
- समाज में बुरे प्रभावों जैसे महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, बच्चों के साथ दुर्व्यवहार, हिंसा, अपराध, भ्रष्टाचार इत्यादि को कम करती है।
- शांति और सामंजस्य को बढ़ावा देती है।
- विभिन्न पृष्ठभूमि से लोगों के सह-अस्तित्व को सुगम बनाती है।
व्यक्तिगत जीवन से उदाहरण:
मैं OBC श्रेणी से संबंधित हूँ जिसे सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण प्रदान किया गया है। हाल ही में मेरी घरेलू आय में कुछ वृद्धि हुई है जिसने मुझे पिछड़े वर्ग की क्रीमीलेयर में शामिल कर दिया है। इस प्रकार मैं किसी भी आरक्षण के लिए अपात्र हो गया/गई हूँ। मेरे घनिष्ठ सामाजिक समूह के कुछ अनैतिक लोगों ने दस्तावेजों में मामूली धोखाधड़ी करने का समर्थन किया है जिससे पुनः आरक्षण के लाभों को प्राप्त किया जा सके और इस संदर्भ में कुछ सफले मामलों का उद्धरण भी दिया। हालाँकि, मैंने इन सुझावों पर ध्यान नहीं दिया।
मैंने दृढ़ निश्चय किया था कि मैं नैतिक दृष्टि से हमेशा ईमानदार रहूँगा/रहूँगी। मेरी एकमात्र कार्यवाही अच्छाई के नैतिक जगत में शामिल हो जाएगी। मैं झूठ की बुनियाद पर अपना करियर नहीं बना सकता/सकती हूँ और अपने विवेक को विचलित नहीं कर सकता/सकती हूँ। मैं उस पद को प्राप्त करके जीवन पर्यंत इस अपराध के साथ नहीं रह सकता/सकती हूँ, जिसका/जिसकी मैं निष्पक्ष और न्यायोचित प्रणाली के माध्यम से योग्य नहीं हूँ। यदि पहला कदम ही भ्रष्ट कार्यवाही है तब मैं ईमानदार बने रहने की आशा नहीं कर सकता/सकती हूँ।
अतः मैंने आरक्षण का लाभ न लेने का निर्णय लेते हुए सिविल सेवक बनने और ईमानदारी से देश की सेवा करने के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु और अधिक कठिन परिश्रम करने का निर्णय किया।
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