भारत में लॉबिंग की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण
प्रश्न: भारत में लॉबिंग हमेशा से ही विधिक और नीतिगत क्षेत्र में अपरिभाषित रूप से विद्यमान रही है। इस संदर्भ में, भारत में लॉबिंग को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान करने और विनियमित करने की आवश्यकता की चर्चा कीजिए। (150 शब्द)
दृष्टिकोण
- लॉबिंग को परिभाषित कीजिए और भारत में लॉबिंग की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण कीजिए।
- भारत में लॉबिंग को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान करने और विनियमित करने की आवश्यकता की चर्चा कीजिए। निष्कर्ष दीजिए।
उत्तर
लॉबिंग, समूहों अथवा व्यक्तियों (निगमों, प्रभावक समूहों) की ओर से कानूनों, सरकार की नीतियों और विधि निर्माताओं को प्रभावित करने हेतु प्रयास करने का कार्य है।
भारत में औपचारिक स्वीकृति और स्पष्ट विनियमन के अभाव के कारण प्रायः इसे रिश्वत के समान समझा जाता है। उदाहरण के लिए, 2012 में वॉलमार्ट ने अमेरिकी कानून के अनुसार भारत में अपनी लॉबिंग गतिविधियों का खुलासा किया जिसने संसद में गम्भीर चर्चा का वातावरण उत्पन्न कर दिया। यद्यपि भारत में लॉबिंग करने वालों को बड़े व्यवसायों के प्रतिनिधियों के रूप में देखा जाता है जो अपना एजेंडा पूरा करने के लिए भ्रष्ट प्रथाओं में लिप्त होते हैं, तथापि भारतीय प्रतिनिधियों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में फार्मास्युटिकल व्यापार और इंडिया-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील से संबंधित अनुकूल परिणामों को प्राप्त करने के लिए लॉबिंग की थी।
लॉबिंग को औपचारिक रूप से मान्यता प्रदान करने और विनियमित करने की आवश्यकता है
- इसे मान्यता प्रदान किए जाने से हितधारक समूहों की गतिविधियों को सार्वजनिक डोमेन में लाया जा सकेगा जिससे नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के उद्देश्य की पूर्ति होगी।
- यह सार्वजनिक नीति-निर्माण में विशेषज्ञता लाने के लिए एक वैधानिक चैनल का सृजन करेगा।
- लॉबिस्टों द्वारा किए गए खर्चों के प्रकटीकरण के माध्यम से हित समूहों पर वैधानिक साधनों के माध्यम से विधायी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए दबाव डाला जा सकता है।
- व्यय की जानकारी और नीति-निर्माताओं के साथ संवाद के विवरण तक सार्वभौमिक पहुंच, सार्वजनिक डोमेन में अधिक विचार-विमर्श को प्रोत्साहन प्रदान करेगी।
- विधायी प्रक्रिया में शामिल होने के एक साधन के रूप में लॉबिंग सहभागी लोकतंत्र के आदर्शों को भी आगे बढ़ाएगी।
हालाँकि, ऐसी चिंता भी व्याप्त है कि लॉबिंग को क़ानूनी रूप से वैधता प्रदान करने से भारत में भी संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल राइफल एसोसिएशन (NRA) जैसे शक्तिशाली समूहों का निर्माण हो सकता है। साथ ही कम संसाधन वाले लोगों और समूह के हितों की सरकार द्वारा उपेक्षा की जा सकती है।
इसलिए, भारत द्वारा लॉबिंग को औपचारिक रूप से विनियमित किए जाने की आवश्यकता है; जिसके लिए:
- इसकी एक स्पष्ट परिभाषा होनी चाहिए, तथा
- व्यापक प्रावधानों और कठोर पारदर्शिता मानदंडों को लागू किया जाना चाहिए।
इस सन्दर्भ में भारत अमेरिकी मॉडल से प्रेरणा ले सकता है, जिसके अंर्तगत कंपनियों को लॉबिंग व्यय, मुद्दों की सूची और सार्वजनिक अधिकारियों से संपर्क के संबंध में रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है।
इस प्रकार का एक कदम लंबे समय से लंबित है और यह भारतीय और विदेशी, दोनों प्रकार की कंपनियों के लिए एक अधिक स्थिर और आकर्षक निवेश संबंधी परिवेश को बढ़ावा देने में सहायता करेगा। यद्यपि हम निश्चित रूप से अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में विद्यमान कानूनों से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं, परंतु हमें कानून का निर्माण अपनी सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप ही करना चाहिए।
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