मिशन इन्द्रधनुष के मिशन और उद्देश्य : वर्तमान चुनौतियां

प्रश्न: मिशन इन्द्रधनुष की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। इसके कार्यान्वयन में मिशन को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है? संपूर्ण टीकाकरण प्राप्ति की दिशा में प्रगति करने हेतु इन चुनौतियों को दूर करने के उपायों का सुझाव दीजिए।

दृष्टिकोण

  • मिशन इन्द्रधनुष के मिशन और उद्देश्य का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। 
  • टीकाकरण की मुख्य विशेषताओं को बताइए। 
  • वर्तमान चुनौतियों को उजागर कीजिए। 
  • पूर्ण टीकाकरण आच्छादन सुनिश्चित करने हेतु आगे की राह सुझाइए।

उत्तर

मिशन इन्द्रधनुष का लक्ष्य 2020 तक दो वर्षों तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए उपलब्ध सभी टीकों के साथ पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है।

मिशन की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

  • इसका उद्देश्य सभी बच्चों को सात बीमारियों की रोकथाम के लिए वैक्सीन- डिप्थीरिया, कुकुर खांसी, टिटनेस, तपेदिक, पोलियो, हेपेटाइटिस-B और खसरा का टीकाकरण करना है। कुछ राज्यों में जापानी एन्सेफ़लाइटिस और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप-B के टीके भी दिए जा रहे हैं।
  • मिशन ने 28 राज्यों में 201 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों की पहचान की है, जिनमें देश के बिना टीकाकरण या आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है।
  • मिशन ‘कैच-अप (catch-up)’ अभियान के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है, जिसमें शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में कम टीकाकरण वाले और आंशिक टीकाकरण वाले बच्चों को कवर किया जाएगा। मिशन इन्द्रधनुष के लिए अलग से कोई धन आवंटित नहीं किया गया है। नियमित टीकाकरण के लिए आवंटित धन का उपयोग मिशन इन्द्रधनुष के लिए किया जाएगा।

हालाँकि, इस योजना का कार्यान्वयन निम्नलिखित चुनौतियों से बाधित रहा है:

  • सामुदायिक भागीदारी की कमी: संचार और सूचना के प्रसार की कमी के कारण, स्थानीय समुदाय के पास वैक्सीन की प्रभावशीलता, वैक्सीन की उपलब्धता, टीकाकरण के समय और स्थान के संबंध में पूरी जानकारी नहीं होती है। इससे लक्षित समुदाय के सदस्यों की भागीदारी बाधित होती है।
  • आच्छादन, पहुंच और पहचान: कठिन क्षेत्रों और आधारभूत सरंचना का अभाव दुर्गम क्षेत्रों में वैक्सीन की उपलब्धता को कठिन बना देता है।
  • टीकों के दुष्प्रभाव: कई बार, बच्चों को टीकाकरण के पश्चात कुछ कठिनाई होती है। उदाहरण के लिए BCG टीकाकरण से सूजन हो जाती है, पेंटावेलेंट टीकाकरण के बाद एक दिन बुखार रहता है। फलस्वरूप अभिभावक इन टीकाकरण अभियानों के बारे में अधिक उत्साहित नहीं हैं।
  • मानव संसाधन चुनौतियाँ: बहु-उद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी (MPHW) जो टीकाकरण का कार्य करते हैं, सामुदायिक स्तर पर आशा कर्मचारियों के अभाव में उनपर काम का अधिक भार होता है।
  • सामाजिक मानदंड और मिथक: टीकाकरण सम्बन्धी प्रचलित मिथकों के कारण भी इसका आच्छादन अल्प है। उदाहरण के लिए टीकाकरण को विभिन्न न्यूरो-विकासात्मक विकारों, जैसे- स्वलीनता (आटिज्म) और सीखने के अन्य विकारों के कारण के रूप में देखा जाता है। कई बार तो सामुदायिक नेता भी टीकाकरण अभियानों का विरोध करते हैं।
  • प्रवासी श्रमिक: भारतीय शहरों में हजारों प्रवासी श्रमिक हैं। वे ही बिना टीकाकरण जनसंख्या का अधिकांश भाग हैं। भाषा की बाधा, दैनिक मजदूरी के खोने के डर के कारण उन्हें अपने बच्चे को टीकाकरण के लिए राजी करवाना कठिन हो जाता है क्योंकि वे रोजगार के लिए एक से दूसरी जगह जाते रहते हैं, इसका अनुपालन और अनुवर्ती कार्रवाई एक दुरूह कार्य बन जाती है।

आगे की राह

भारत में पोलियो का सफल उन्मूलन, भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण का एक खाका प्रदान करता है। इस दिशा में निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:

  • संधारणीय संवेग: सभी रुटीन टीकाकरण सत्रों के दौरान, सभी वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु समस्त ब्लाकों और शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्म योजनाओं का नियमित रूप से संशोधन किया जाना चाहिए।
  • आधुनिक तकनीक और ट्रैकिंग उपायों का उपयोग: देश में 100 प्रतिशत टीकाकरण दर प्राप्त करने और दक्षता में सुधार हेतु, वैक्सीन वितरण की सभी उपलब्ध तकनीकों का इष्टतम उपयोग किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए ई-विन प्रौद्योगिकी (इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क) वैक्सीन के स्टॉक को डिजिटलाइज करने और कार्यक्रम प्रबंधकों को लक्षित जिलों में वैक्सीन स्टॉक की वास्तविक समय स्थिति देखने में सहायक हो सकता है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी और जागरूकता सृजन: प्रभावी IEC और मीडिया के सहयोग से सार्वजनिक-निजी भागीदारी ने टीकाकरण के विरुद्ध मिथकों को कम करने हेतु जागरूकता अभियानों का नेतृत्व किया है। वांछित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्थानीय और सामुदायिक नेताओं को उत्प्रेरक के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।
  • क्षमता-निर्माण: टीकाकरण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने के लिए ठोस प्रशिक्षण, प्रबंधन और ज्ञान-साझाकरण संरचनाएँ होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, गुणवत्तापूर्ण टीकाकरण सेवाओं के लिए नियमित टीकाकरण गतिविधियों में स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों के क्षमता निर्माण की आवश्यकता है।

इस प्रकार, समय पर ढंग से मिशन इन्द्रधनुष के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु टीकाकरण में वर्तमान चुनौतियों का समाधान करना और बहु-हितधारक सहयोगात्मक एवं नवीन दृष्टिकोण अपनाना अत्यंत आवश्यक है। दीर्घावधि में यह स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करेगा और संधारणीय विकास लक्ष्य (SDG) 3 द्वारा समर्थित रूप में सभी आयु वर्गों के लिए स्वस्थ जीवन को प्रोत्साहित करेगा।

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