भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण
प्रश्न: भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए, अहमदाबाद-मुंबई-पुणे क्षेत्र में इस उद्योग के स्थानीयकरण हेतु उत्तरदायी कारकों की पहचान कीजिए।
दृष्टिकोण
- भारत में सूती वस्त्र उद्योग का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का वर्णन कीजिए।
- अहमदाबाद-मुंबई-पुणे क्षेत्र में इस उद्योग के स्थानीयकरण हेतु उत्तरदायी विभिन्न कारकों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर
सूती वस्त्र उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। सूती वस्त्र उद्योग में तीन क्षेत्रक सम्मिलित हैं, यथा- मिल क्षेत्रक, हथकरघा और पॉवरलूम (विद्युत् करघा)। यह देश के सर्वाधिक व्यापक रूप से वितरित उद्योगों में से एक है तथा इसमें देश के कुल औद्योगिक श्रम का पांचवां हिस्सा संलग्न है। परन्तु अधिकांश सूती वस्त्र मिलें अभी भी सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदान (Great plains) और प्रायद्वीपीय भारत के कपास उत्पादक क्षेत्रों में ही अवस्थित हैं।
भारत में सूती वस्त्र उद्योगों का वितरण निम्नानुसार है:
- महाराष्ट्र देश में सूती वस्त्रों का अग्रणी उत्पादक राज्य है। मुम्बई कपड़ा मिलों का प्रमुख केंद्र है। शोलापुर, कोल्हापुर, नागपुर, पुणे, औरंगाबाद और जलगाँव महाराष्ट्र के अन्य महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
- गुजरात का सूती वस्त्रों के उत्पादन में द्वितीय स्थान है। राज्य का प्रमुख केंद्र अहमदाबाद है। सूरत, भरूच, वडोदरा, भावनगर और राजकोट राज्य के अन्य प्रमुख केंद्र हैं।
- दक्षिणी राज्यों में तमिलनाडु भी सूती वस्त्रों के एक महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य के रूप में उभरा है। कोयंबटूर राज्य का विशिष्ट उत्पादक केंद्र है। तिरुनेलवेली, चेन्नई, मदुरै, तिरुचिरापल्ली, सलेम और तंजावुर यहाँ के अन्य मुख्य केंद्र हैं।
- कर्नाटक में सूती वस्त्र उद्योग मुख्यतया बंगलुरु, मैसूर, बेलगाम और गुलबर्गा में सकेंद्रित है।
- उत्तर प्रदेश में, कानपुर, इटावा, मोदीनगर, वाराणसी और हाथरस महत्वपूर्ण केंद्र हैं।
- मध्य प्रदेश में, यह उद्योग इंदौर और ग्वालियर में केंद्रित है।
- पश्चिम बंगाल में हावड़ा, सेरामपुर और मुर्शिदाबाद महत्वपूर्ण सूती वस्त्र केंद्र हैं।
- राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश सूती वस्त्र उत्पादन के अन्य प्रमुख राज्य हैं।
अहमदाबाद-मुंबई-पुणे क्षेत्र में इस उद्योग के स्थानीयकरण हेतु उत्तरदायी विभिन्न कारक निम्नलिखित हैं:
- कच्चे माल की उपलब्धता: प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में काली मृदा (काली कपास मृदा) की उपलब्धता के कारण इस बेल्ट में वृहद् मात्रा में कपास का उत्पादन किया जाता है।
- पूँजी की उपलब्धता: मुंबई, अहमदाबाद और पुणे वे क्षेत्र हैं जहां सरलता से पूँजी उपलब्ध है।
- परिवहन के साधन: ये क्षेत्र सड़कों और रेलमार्गों के द्वारा शेष भारत से भली-भांति संयोजित हैं। इस प्रकार यह संयोजन तैयार उत्पादों के परिवहन को सुगम बनाता है।
- बाजार पहुंच: महाराष्ट्र और गुजरात में वस्त्र उत्पादों के विक्रय हेतु एक विशाल बाजार मौजूद है। वर्तमान में अवसंरचना में वृद्धि के कारण बाजार सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति को निर्धारित करने में एक प्रमुख कारक बन गया है।
- बंदरगाहों से निकटता: मुंबई बंदरगाह विदेशों से मशीनरी और गुणवत्तायुक्त कपास के आयात तथा तैयार उत्पादों के निर्यात को सुविधाजनक बनाता है।
- सस्ता श्रम: आस-पास के क्षेत्रों से, सस्ता और कुशल श्रम सरलता से उपलब्ध है।
- आर्द्र जलवायु: इन क्षेत्रों की जलवायु आर्द्र है जो कताई और बुनाई हेतु उपयुक्त है। उच्च आर्द्रता कपास प्रसंस्करण हेतु उत्तम होती है।
- जल की उपलब्धता: रंजन और विरंजन हेतु मृदु जल की प्रचुर आपूर्ति उपलब्ध है।
- रसायनों की उपलब्धता: रसायन उद्योग जो सूती वस्त्र उद्योगों हेतु आवश्यक रसायनों की आपूर्ति करते हैं, मुंबई-पुणे औद्योगिक पट्टी में सुविकसित हैं।
- विद्युत् की उपलब्धता: यहाँ सस्ती और पर्याप्त विद्युत् की आपूर्ति होती है।
चूंकि, वस्त्र उद्योग औद्योगिक उत्पादन में लगभग 14% का तथा सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4% का योगदान कर रहा है अतः ऐसी स्थिति में अहमदाबाद-मुंबई-पुणे क्षेत्र आधारित सूती वस्त्र उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख भूमिका का संपादन कर सकता है।
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