भारत में नदी प्रदूषण के प्रसार : नदियों में प्रदूषण निकटवर्ती पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे प्रभावित करता है।

प्रश्न: नदियों के प्रदूषण से आसपास का पारिस्थितिकी तंत्र कैसे प्रभावित होता है? समझाइए कि विभिन्न सरकारी पहलों के बावजूद इस प्रकार के प्रदूषण में सुधार के संकेत क्यों नहीं हैं।

दृष्टिकोण

  • परिचय में भारत में नदी प्रदूषण के प्रसार के अनुमानित आंकड़े प्रस्तुत कीजिए। 
  • समझाइए कि नदियों में प्रदूषण निकटवर्ती पारिस्थितिकी तंत्र को कैसे प्रभावित करता है।
  • सरकार द्वारा उठाए गए उपायों का उल्लेख करते हुए बताएं कि इस तरह की पहल पूर्णतया सफल क्यों नहीं हुई। 
  • तदनुसार निष्कर्ष दीजिए।

उत्तर

नदी प्रदूषण भारत की सर्वाधिक गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों में से एक है। प्रमुख नदियों और जल निकायों में न केवल भारी मात्रा में अपशिष्ट जल, बल्कि औद्योगिक प्रवाह के साथ-साथ अप्रसंस्कृत सीवेज भी प्रवेश करता है। आधी से अधिक भारतीय नदियों को प्रदूषित नदियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

नदी प्रदूषण का प्रभाव:

  • जल की कमी: नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचकांक 2018 के अनुसार, भारत में 600 मिलियन से अधिक लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, चेन्नई शहर अपने सबसे भयावह जल संकटों में से एक का सामना कर रहा है।
  • जल की गुणवत्ता: नदी जल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया जैसे प्रदूषक इसे घरेलू उपभोग के लिए अयोग्य बनाते हैं। लगभग 70% नदी जल प्रदूषित होने के कारण UNEP के वैश्विक जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120 वें स्थान पर है।
  • कृषि: प्रदूषण के साथ जल की अप्राप्यता कृषि को प्रभावित करने के साथ खाद्य सुरक्षा और आजीविका के लिए जोखिम उत्पन्न कर रही है। समुद्री जीवन: प्रदूषण के कारण सुपोषण, असंतुलित pH स्तर आदि ने समुद्री जीवन को प्रभावित किया है, जिससे नदियों में विविधता को क्षति हुई है।
  • लवणीय-जल का अंतर्वेधन: जल के गिरते स्तर के कारण समुद्र जल मुहाने से नदी में प्रवेश करता है, जिससे कई स्थानों पर भू-जल लवणीय हो जाता है।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP), अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन (AMRUT), स्मार्ट सिटीज मिशन और नमामि गंगे जैसी पहलें निम्नलिखित कारणों से अपेक्षित परिणाम प्रदान करने में विफल रही हैं:

  • तीव्र शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और अकुशल अपशिष्ट निपटान प्रणाली: भारत के शहरों में स्थापित सीवेज उपचार क्षमता अत्यंत सीमित है। सीमा-पार नदियों के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सियांग नदी (तिब्बत) पर चीन की बांध-निर्माण गतिविधियों ने ब्रह्मपुत्र नदी को स्वच्छ करने के प्रयासों को प्रभावित किया है।
  • अंतर-राज्यीय नदी विवाद: कावेरी नदी पर राज्यों के मध्य विवाद पर बहुत ध्यान दिया गया है किंतु नदी की स्थिति पर अधिक ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।
  • नदी विकास परियोजनाओं के निष्पादन में वित्तीय अनियमितता।
  • असममित प्राथमिकता: गंगा के सांस्कृतिक महत्व के कारण 14 राज्यों को अन्य 32 नदियों के संरक्षण के लिए दिए गए 351 करोड़ की तुलना में उत्तर प्रदेश को वर्ष 2015 के पश्चात से 3,696 करोड़ रुपये की समर्पित केंद्रीय निधि प्राप्त हुई है।

विद्यमान संयंत्रों की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ पूरक के रूप में नए सीवेज उपचार संयंत्रों को स्थापित किया जाना चाहिए। वैकल्पिक समाधानों में नई तकनीकों का उपयोग जैसे- जैव-फिल्टर और जैव-उपचार, अपस्ट्रीम प्रदूषणकारी उद्योगों को अस्थायी रूप से बंद करना आदि शामिल हैं।

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